Ram Mandir Praan Pratishtha - 5 in Hindi Mythological Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 5

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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 5

राम हिरन के पीछे चले गए।मारीच राम को जंगल मेदुर तक ले गया था।फिर उसने राम की आवाज में जोर से पुकारा था
है सीते
है लक्ष्मण
उस आवाज को सुनकर सीता,लक्ष्मण से बोली,"लगता है तुम्हारे भाई मुसीबत में है
"भाभी भैया पर मुसीबत आ ही नही सकती
"लक्ष्मण मेरा दिल कह रहा है राम पर कोई संकट है
राम,लक्ष्मण से कहकर गए थे कि सीता को अकेली मत छोड़ना लेकिन सीता के धिक्कारने और आज्ञा देने के बाद लक्ष्मण क्या करते।वह जाने को तैयार हो गए।लेकिन बोले,"भाभी मैं जा तो रहा हूँ लेकिन आप कुटिया से बाहर मत निकलना
अब यहाँ सवाल दूसरा उठता है।जनश्रुति है कि जाने से पहले लक्ष्मण कुटिया के चारो तरफ लक्ष्मण रेखा खेंच कर गए थे।इस तरह की किसी रेखा का जिक्र न बाल्मीकि की रामायण में मिलता है और न ही तुलसीदास के रामचरितमानस में
रामायण में मंदोदरी ने जरूर इसका उल्लेख किया है
रामायण के अनुसार
जब सीता के कहने पर लक्ष्मण अपने भाई राम की सहायता के लिये चले गए तब कुटिया में सीता अकेली रह गयी थी।इसी अवसर का रावण ने फायदा उठाया था।रावण ने एज साधु का भेष धारण किया था
"भिक्षा दे। भिक्षा दे
आवाज सुनकर सीता कुटिया से बाहर आई थी।साधु को देखकर बोली"अंदर कुटिया में आओ महाराज
सीता रावण को पहचान नही पाई और साधु समझकर उसे आदर सहित अंदर ले गयी।जैसा होता था।उसने साधु के पैर धोए और उसे बैठने के लिए आसन दिया।फिर खाने के लिये फल आदि दिए थे।जब खा चुका तब सीता ने पूछा था,"महाराज आपका परिचय
"मैं लंकापति महाबली रावण हूँ
और परिचय जानकर सीता बोली,"यहाँ किस लिए आये हो
"तुम बहुत सुंदर हो और तुम्हारी सुंदरता की वजह से राम ने मेरी बहन का अपमान किया है
"कौन सी बहन
"सूपर्णखा उसकी नाक काटकर घृष्टता की है।यह सब तुम्हारी सुंदरता के कारण हुआ है।मैं राम के उसी का दंड देने के लिए आया हूँ
"दुष्ट मेरे पति अभी आते होंगे
",उन्हें तो मैने ही मूर्ख बनाया है,"रावण बोला,"वो कोई हिरन नही था।मारीच था जो हिरन के भेष में आया था
रावण ने सीता को अपनी कुटलता की कहानी सुना दी थी।
कहानी सुनकर सीता बोली,"कपटी तूने साधुओं को बदनाम कर दिया।अब कोई भी साधु पर विश्वास नही करेगा
"तू चाहे जो कह,मुझे कोस या बुरा भला कह या गालियां दे।मेबे यह सारा नाटक तेरा अपहरण करने के लिए रचा था
सीता ने उसे खूब कोसा,बचने का प्रयास किया लेकिन वह उसे बलपूर्वक उठा कर ले चला
वाल्मीकि रामायण औऱ तुलसी रामायण मैं कही भी लक्ष्मण रेखा का जिक्र नही हैबंगला भाषा की एक रामायण में इसका उल्लेख है। लेकिन यह सब राम के समकालीन नही है।वाल्मीकि रामायण ही प्रमाणिक ग्रन्थ है
जनश्रुति के अनुसार लक्ष्मण जाने से पहल लक्ष्मण रेखा खिंच गए थे।यह एक विशेष विधा है।इसका अंतिम बार प्रयोग महाभारत में हुआ था।यह एक प्रकार की विधा है जिसे आज के युग मे विज्ञान या टेक्नोलॉजी कह सकते है।यह रेखा खिंच देने पर उसमे से लेजर किरणे निकलती थी।।इसीलिए रावण कुटिया के अंदर नही जा पाया था और बोला,"भिक्षा देनी है तो बाहर आकर दे वरना मैं चला जाऊंगा
सीता नही चाहती थी साधु बिना भिक्षा लिये चला जाये।इसलिये उसने लक्ष्मण की बात की अवेहलना की और कुटिया से बाहर आई