khanjrila ghat in Hindi Horror Stories by भूपेंद्र सिंह books and stories PDF | खंजरीला घाट

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खंजरीला घाट








ये कहानी आपको हिलाकर रख देगी।

कहानी

खंजरीला घाट

भाग - 1



कड़ाके की सर्दी आने में अभी एक माह शेष था मगर फिर भी ठंड काफी हद तक दस्तक दे चुकी थी। रात को तो काफी ठंड हो जाती थी। आज इतवार का दिन था। इसलिए मैं घर में सोफे पर बैठकर अपने मोबाइल में कुछ उंगलियां मार रहा था। मैं एक टैक्सी ड्राइवर था। मेरे पास खुद की एक टैक्सी थी। मेरे गांव गोपालपुर और शहर के बीच में 20 किलोमीटर की दूरी थी। मैं इसी रूट से यात्रियों को लाता और ले जाता था। हालांकि इतवार को भी मैं चाहता तो जा सकता था लेकिन इस दिन कुछ खास मुसाफिर नहीं मिलते थे, इसीलिए मैं इतवार को छुट्टी लेना ही मुनासिब समझता था। मेरी पत्नी अनाया रसोईघर में खड़ी होकर शायद चाय बना रही थी। हालांकि पूरा तो मुझे भी नहीं मालूम था की वो क्या कर रही है। मैं तो बस बैठा बैठा खाली अनुमान लगाए जा रहा था। इतने में रॉकी मेरे घर में आ घुसा। रॉकी मेरा सबसे बड़ा जिगरी यार था। वो भी मेरी तरह एक टैक्सी ड्राइवर था और उसके पास भी खुद की कार थी। मेरी तरह वो भी इतवार को छूटी कर लेता था। वो मेरे पास आया और बोला " कैसे है दोस्त विजय?"

मैं - " मैं तो बिलकुल ठीक हूं। तूं बता अचानक से जहां कैसे?"
रॉकी - " अरे कुछ नहीं यार बस घर पर अकेला बैठा बोर हो रहा था। इसलिए सोचा चलकर भाभी के हाथ की चाय पी लेता हूं।"
रॉकी के परिवार और कोई भी नहीं था। मैने यू ही मजाक में उससे कहा " मुझे लगता है रॉकी तुझे भी शादी कर लेनी चाहिए।"
रॉकी ने मेरी इस बात का कोई जवाब नहीं दिया और मुस्कुराते हुए मेरी पत्नी अनाया की और देखने लगा जो एक प्लेट में चाय के दो कप रखकर हमारी और बढ़ रही थी।
"रॉकी को आए हुए अभी सिर्फ दो मिनट ही हुए थे। अनाया ने इतनी जल्दी चाय कैसे बना ली। मैने तो चाय बनाने के लिए कहा भी नहीं था। जैसे अनाया को पहले ही मालूम था की रॉकी आने वाला था।" इस तरह के विचार मेरे मन में चलने लगे लेकिन मैंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
मेरी पत्नी ने कांच के टेबल पर हम दोनों दोस्तों के बीच चाय की प्लेट रख दी। तभी रॉकी बोला " नमस्ते भाभी। न जाने कब से आपके हाथों की चाय पीने का मन कर रहा था। लव यू भाभी।"
मैं ये सुनकर शकभरी निगाहों से रॉकी की और देखने लगा तभी वो फिर बोला " लव यू भाभी यूर चाय।"
ये सुनकर मैंने थोड़ी ठंडक महसूस की। रॉकी अब भी अनाया की और देखकर मुस्कुरा रहा था। अनाया भी रॉकी की और देखकर मुस्कुराए जा रही थी। न जाने क्यों मुझे अनाया की ये मुस्कुराहट बहुत चुभ रही थी। हम दोनों ने चाय पी और कुछ देर बातें करते रहे। इस तरह इतवार का दिन बीत गया। सोमवार से फिर से मेरा वही टेक्सी ड्राइवर का धंधा चालू हो गया। इसी तरह दिन बीत रहे थे।
एक दिन मेरी पत्नी ने मुझसे कहा कि " उसकी मां की तबियत खराब है। इसलिए उसे आज ही अपनी मां के पास जाना होगा।"
मैं हैरान था क्योंकि मेरा पास तो शहर से कोई भी फोन नहीं आया था जबकि मेरी पत्नी का भाई रियान कोई गड़बड़ होने पर सबसे पहले मुझे ही कॉल करता था। लेकिन मैने इस बात को अनदेखा कर दिया और रियान को फोन करना भी ठीक नहीं समझा। मैं फिर शाम को अपनी पत्नी को शहर में छोड़ने के लिए जाने लगा। आते वक्त मुझे रात हो गई थी। शहर जाने का एक ही रास्ता था जिसे लोग खंजरीला घाट कहते थे। क्योंकि एक घाटी के पास सड़क का एक पूरा ऊबड़ खाबड़ यू टर्न आता था। जहां चारों और नुकीले ,एक खंजर के जैसे तीखे पत्थर लगे हुए थे। इस भूतिया और डरावने यू टर्न पर दो तीन दिनों के अंतराल से अक्सर कोई न कोई घटना होती ही रहती थी। अगर कोई अनजान व्यक्ति इस सड़क पर आ जाए तो समझो उसकी तो मौत पक्की क्योंकि ये यू टर्न दूर से बिल्कुल भी नज़र नहीं आता था। और अगर किसी ने यू टर्न नहीं लिया तो वो नीचे घाट के घने जंगलों में गिर जाता था और हमेशा के लिए अपनी आंखे बंद कर लेता था। लेकिन जहां से गुजरना तो मेरा रोज का ही धंधा था। मैं इस रास्ते की हर एक कड़ी से परिचित था लेकिन फिर भी मुझे इस घाट के पास से गुजरते वक्त बहुत डर लगता था।
मैं धीरे धीरे अपनी कार को चलाते हुए खंजरीली घाट की और बढ़ता चला जा रहा था। रात काफी हो चुकी थी। चारों और सिर्फ अंधेरा नज़र आ रहा था। एक जानलेवा सन्नाटा हर और पसरा हुआ था। कार की दोनों हैडलाइट चालू थी फिर सड़क पर अंधेरा नज़र आ रहा था। मुझे एक अजीब सी बैचेनी महसूस हो रही थी। अचानक से मुझे सामने सड़क पर एक सफेद सी आकृति नज़र आई। दूर से सबकुछ धुंधला नज़र आ रहा था। फिर मुझे धीरे धीरे सबकुछ साफ नज़र आने लगा। एक सफेद आकृति अपने दोनों हाथ फैलाकर आसमान की और मुंह करके जोर से चीख रही थी और अचानक से वो सड़क पर पीठ के बल गिर गई। ये देखकर उस ठंड की रात में मेरे भी पसीने छूट गए। मेरा पूरा बदन कांपने लगा। टांगे जवाब दे रही थी। मैने गाड़ी के ब्रेक लगाने चाहे लेकिन पैर इतने कांप रहे थे की गलती से रेस पर पैर रख दिया। मेरी कार 80 की सपीड़ पर पहुंच गई। मैं ये देखकर डर गया। मेरी कार सड़क पर पड़े उस साए के बिल्कुल पास चली गई। मैने खुद पर काबू किया और जोर से कार के ब्रेक लगा दिए। कार के ब्रेक इतनी जोर से लगे की कार उसी जगह जाम हो गई। मेरा सिर स्टीरिंग वहील से जा टकराया और फट गया। मैं उस सुनसान रात में बस बेहोश होकर रह गया। कम से कम मुझे दो घंटे बाद में होश आया। मेरा शरीर अभी भी कंपकंपा रहा था। मैं लड़खड़ाते हुए अपनी कार से बाहर निकला। सामने सड़क की और नजर दौड़ा दी लेकिन वहां कोई नहीं था। मैने है और नज़र दौड़ाई लेकिन कहीं पर कोई भी नज़र नहीं आया। पूरी खंजरिली घाट के आसपास कोई नज़र नहीं आ रहा था। मैने डरते हुए कार स्टार्ट की और यू टर्न लेते हुए हॉस्पिटल की और चला गया। मैने अपनी पत्नी को भी इस दुर्घटना के बारे में बताया लेकिन उसने सिर्फ इतना ही कहा " अपना ध्यान रखो।"
उसने मुझसे डंग से बात भी नहीं की थी। जहां तक की उसने मुझसे ये भी नहीं पूछा था की मुझे कितनी के चोट आई है। लेकिन मैने सोचा की उसकी मां कुछ ज्यादा ही बीमार होगी और शायद वो उसी चिंता में डूबी हुई हो। ये सोचते हुए मैने इस बात को अनदेखा कर दिया।

भाग - 2
रात के बारह बज चुके थे। मैं अपने कमरे में अपने बिस्तर पर मजे से लेटा पड़ा था। तभी मुझे दरवाजे के पास किसी के होने की आवाज आई। मैं थोड़ा सा डर गया। मैने कमरे की लाइट चालू की लेकिन वहां कोई नहीं था। मैं कंपकंपाते हुए शरीर के साथ खड़ा हुआ और दरवाजे के पास चला गया। मैने डरते हुए दरवाजा खोला। लेकिन बाहर कोई भी नहीं था। अगर था तो सिर्फ एक काला अंधेरा और एक जानलेवा सन्नाटा जो किसी को भी डरा दे। मैं डर गया। दरवाजा बंद करके मैं फिर से अपने बिस्तर पर आकर लेट गया।
इसी तरह दो तीन दिन गुजरे। मेरी पत्नी मुझे ले जानें के लिए कह रही थी। वो दो तीन दिनों से मुझे कभी कॉल करती तो कभी मेसेज करती की " आई मिस यू।"
रात के दस बजे होंगे। मैं अपने कमरे में अपनी चेयर पर बैठा आग की गर्माहट महसूस कर रहा था। कल सुबह मुझे अपनी पत्नी को वापिस लेकर आना था ये सोचकर मैं काफी खुश था। अचानक से किसी ने दरवाजा खटखटाया। मैं पूरी तरह से डर गया। बदन में एक अजीब सी सिहरन दौड़ने लगी। मैं लड़खड़ाते हुए कदमों से दरवाजे की और बढ़ने लगा। मुझे समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या करूं? दरवाजा खोलूँ या न खोलूं।
तभी फिर से किसी ने दरवाजा खटखटाया। मैने डरते हुए धीरे धीरे दरवाजा खोला और मैं दंग रह गया। मेरा दोस्त रॉकी दरवाजे के पास खड़ा था। वो बुरी तरह डरा हुआ था। उसका बदन थर थर कांप रहा था जैसे की कोई भूत देख लिया हो?
उसने अपने दोनो हाथ जोड़े और रोते बिलखते हुए बहुत ही दुख भरी आवाज में बोला " मुझे बचा ले दोस्त, मैं मरना नहीं चाहता। वो दानव मुझे मार देगा।"
मैं उसकी बातें सुनकर डर गया। उसे अपने कमरे में लेकर आया और कुर्सी पर बिठाया और पूछा " अरे हुआ क्या? कौन मार देगा तुझे? और तू किस दानव की बात कर रहा है?"
रॉकी लड़खड़ाती आवाज में डरते हुए बोला " वो दानव । खंजरीली घाट वाला दानव वो ...वो.... मेरे पीछे पड़ा है।"
उसके मुंह से खंजरीली घाट का नाम सुन कर मैं भी थोड़ा सा डर गया।
मैं उसकी बातें सुनकर कुछ गुस्से में आकर जोर से बोला " अरे तू साफ साफ बताएगा भी की हुआ क्या है?"
रॉकी - " बताता हूं।"
इतना कहकर उसने एक लंबी सांस भरी और बोला " मैं शहर से वापिस आ रहा था तभी मुझे रास्ते में एक काला सा भयंकर आदमी दिखाई दिया। वो बहुत ज्यादा घबराया हुआ था। उसने मेरी और कार रोकने का इशारा किया।"
इतना कहकर रॉकी चुप हो गया।
मैं फिर से गुस्से में बोला " तूने कार रोकी?"
रॉकी - " हां रोकी थी।"
मैं गुस्से से बोला - " तो फिर क्या हुआ?"
रॉकी - " उस काले आदमी ने मुझसे कहा कि अगर मैं आगे गया तो मारा जाऊंगा। आगे एक बूढ़ा आदमी सड़क पर जा रहा है। वो एक दानव है और मुझे मार डालेगा। लेकिन मुझे हर हालत में अपने घर आना था। मैने उस काले आदमी से उस दानव से बचने का तरीका पूछा।"
मैं रॉकी के चुप होते ही फिर बोल पड़ा " फिर उसने क्या कहा?"
रॉकी - " उसने कहा की उस बूढ़े को अपनी कार में बिठा लेना और उससे एक शब्द कहना " मौत।"
ये सुनकर मैं भी थोड़ा सा डर गया और डरते हुए बोला " फिर क्या हुआ?"
रास्ते मैं उस बूढ़े से व्यक्ति ने मुझे कार रोकने के लिए कहा। वो बूढ़ा बहुत खतरनाक लग रहा था उसके पास में एक काले रंग का बैग था। वो कार के अंदर बैठ गया। मुझे ऐसे लग रहा था की जैसे ये बूढ़ा मुझे अभी मार डालेगा। मैने डरते हुए कहा "मौत।"
इतना कहकर रॉकी खामोश हो गया।
मैं फिर गुस्से से बोला " तो फिर क्या हुआ?"
रॉकी - " ये सुनकर वो बूढ़ा थर थर कांपने लगा और अपने दिल पर हाथ रख लिया और अपनी आंखे बंद कर ली।"
मैं बोला " आगे क्या हुआ?"
रॉकी - " मैने जब कार रोककर उसी सांसे चेक की तो वो मर चुका था।"
ये सुनकर मैं थर थर कांपने लगा।
रॉकी - " मैने डर के मारे उसकी लाश वहीं पर सड़क के किनारे फेंक दी। वो बूढ़ा आदमी मुझे आते वक्त उस घाट के पास हर जगह खड़ा दिखाई दिया था। वो मुझे अपनी बगल वाली सीट पर बैठा हुआ भी नज़र आया था। वो मेरे पीछे पड़ा है। वो मुझे मार डालेगा। दोस्त मुझे बचा ले। मैं मरना नहीं चाहता। वो अब भी यहीं कहीं है।"
रॉकी की ये बात सुनकर मैं थर थर कांपने लगा और डरते हुए अपने कमरे में चारों और अपनी नजर दौड़ा दी लेकिन वहां कोई नहीं था। रॉकी अब भी बहुत डरा हुआ था और बार बार दरवाजे की और देखे जा रहा था।
मैने कुछ सोचते हुए उससे पूछा " लेकिन वो बैग कहां है?"
ये सुनकर रॉकी डर गया और बोला " वो मेरी कार के अंदर ही है।"
मैं बोला " हो सकता है उसकी आत्मा उस बैग के पीछे पड़ी हो। उस बैग में है क्या?"
रॉकी डरते हुए कंपकंपाती आवाज के साथ बोला " मुझे नहीं मालूम।"
" देख रॉकी आज नही तो कल पुलिस तुझ तक पहुंच ही जायेगी। और फिर तुझे फांसी पर चढ़ा देगी। अब तो बचने का एक ही रास्ता है?" मैने कहा।
रॉकी जोर से बोला " वो क्या?"
" वो बैग वापिस उसकी लाश के पास फेंक आ ।" मैने कहा।
ये सुनकर रॉकी थर थर कांपते हुए बोला " मैं वहां वापिस नहीं जाऊंगा। प्लीज दरवाजा मत खोलना वो बूढ़ा बाहर ही खड़ा होगा। मुझे बहुत डर लग रहा है।"
हालांकि डर तो मुझे भी बहुत लग रहा था। शरीर पूरी तरह से बर्फ की तरह जम चुका था।
लेकिन मैने कुछ साहस जुटाते हुए कहा " रोकी तूं फांसी से बचना चाहता है न"
रॉकी ने बिना कुछ जवाब दिए हां में सिर हिला दिया।
" तो चल मेरे साथ।"
रॉकी - " लेकिन कहां। "
मैने कहा " वो बैग लेने के लिए।"
रॉकी - " मुझे बहुत डर लग रहा है।"
"अरे कुछ भी नहीं होगा। तूं चल मेरे साथ" इतना कहकर मैंने उसका हाथ पकड़ा और दरवाजे के पास ले गया।
मैने डरते हुए कंपकंपाते हाथों से दरवाजा खोला और चारों और नज़र दौड़ाई। बाहर कोई भी नहीं था। सिर्फ काला अंधकार छाया हुआ था। सामने रॉकी की कार खड़ी थी। हम दोनों डरते हुए उस कार के पास गए। कार की पीछे की सीट पर एक काले रंग का बैग रखा हुआ था। मैने खिड़की खोली वो बैग उठाया और हम दोनों डरते हुए तेजी से भागकर फिर से घर के अंदर घुस गए और दरवाजा बंद कर लिया।
मैंने उस बैग को देखते हुए कहा " इस बैग में आखिर है क्या? पैसे या कुछ और।"
मैने उस बैग को खोला। उसके अंदर एक नया लैपटॉप था। मैने लैपटॉप चालू किया लेकिन उसमे पासवर्ड लगा हुआ था। मैने बहुत खोलने की कोशिश की लेकिन वो नहीं खुला।
रोकी - " यार गलत पासवर्ड लगाने से ये लैपटॉप खराब हो सकता है।"
मैने कहा - " देख रॉकी जब तक ये लैपटॉप हमारे पास है तब तक हम मुसीबत में है। पुलिस इस लैपटॉप के जरिए लोकेशन ट्रेस करके हम तक पहुंच सकती है। हमे इस लैपटॉप को वापिस उस लाश के पास रखकर आना होगा।"
रॉकी ने हां में सिर हिला दिया। मैने फिर से वो लैपटॉप उस बैग में डाला और हम दोनों कार में आकर बैठ गए।
मैने डरते हुए रॉकी से पूछा " तू ड्राइव तो कर लेगा ना या फिर कार मैं चलाऊं।"
रॉकी ने अपना पसीना पोंछते हुए कहा " मैं चला लूंगा।"
इतना कहकर उसने कंपकमप्ते हाथों से कार स्टार्ट की और धीरे धीरे चलाते हुए हम दोनों उस खूनी खंजरीली घाट की और जाने लगे।।

भाग - 3
मेरे मन में अनेक सवाल चल रहे थे की वो बूढ़ा व्यक्ति कौन था और मौत शब्द सुनते ही वो मर क्यों गया? वो काला व्यक्ति कौन था?
इस लैपटॉप में आखिर क्या खास है। वो काला व्यक्ति उस बूढ़े व्यक्ति से क्या लेना चाहता था। क्या उसने दानव की झूठी कहानी बनाई थी। ये पहली मुझे कुछ कुछ सुलझतीं हुई नजर आ रही थी।
मैं अचानक से अपने आप से बोल पड़ा " साजिश।",
ये सुनकर रॉकी थोड़ा सा डर गया और कार की गति और भी धीमी कर दी। मैं रॉकी की और देखकर बोला " मैं समझ गया की उस आदमी को साजिश रचकर मारा गया था। ये एक हत्या थी। वो काला व्यक्ति जरूर इस बूढ़े व्यक्ति से बदला लेना चाहता था। उसने पहले उस बूढ़े व्यक्ति को खूब डराया। सड़क पर भगाया। वो जानता था की वो बूढ़ा दिल का मरीज है। उसे पहले मौत का डर देकर खूब डराया गया और फिर उसने तुम्हारे मुंह से उस बूढ़े के सामने " मौत" शब्द बुलवाया क्योंकि अगर एक अनजान व्यक्ति ये बोलेगा तो बूढ़ा और भी ज्यादा डर जायेगा और उसे हार्ट अटैक आ जायेगा और वो मर जायेगा जो शायद उसके बोलने से न आता ,और जैसा वो काला व्यक्ति चाहता था बिल्कुल वैसा ही हुआ। वो उस बूढ़े व्यक्ति से बदला लेना चाहता था इसलिए उसने तुम्हे अपना मोहरा बनाया। ऐसा करने से कोई सपने में भी नहीं सोच सकता की उस आदमी की हत्या हुई है। कल सुबह पुलिस ये कहते हुए केस को बंद कर देगी की उस बूढ़े को इस घाट में हार्ट अटैक आ गया था। उस काले व्यक्ति ने दानव की झूठी कहानी तुम्हे सुनाई और एक खतरनाक साजिश रची।
इतना कहकर मैं थोड़ा सा मुस्कुराया और सोचने लगा की " उस काले व्यक्ति ने क्या खतरनाक साजिश रचकर उस बूढ़े को मारा है ताकि किसी को शक भी न हो?"
रॉकी ये सब सुनकर कुछ गंभीर हो गया और कार की स्पीड बढ़ा दी। मैं ये सब कुछ देखकर बुरी तरह डर गया। इससे पहले की मैं कुछ बोल पाता रॉकी ने मेरे हाथ से वो बैग छीना और खिड़की खोलकर कार से बाहर कूद गया। ये देखकर में बुरी तरह डर गया। कार तेजी से नुकीले पत्थरों की और भागी जा रही थी। मैं बर्फ की तरह जम चुका था। शरीर को लकवा मार गया था। मैं हिल भी नहीं पा रहा था। कार लोटपोट होते हुए उन नुकीले पत्थरों से जा टकराई। मैं कार के आगे के सीसे से टकराकर बाहर जमीन पर जा गिरा। मेरे शरीर में हर जगह कांच चुभ गया था। खून बह रहा था। असहनीय दर्द हो रहा था। मैं बस जमीन पर बेजान पड़ा दर्द से कराह रहा था। सब कुछ धुंधला सा नज़र आ रहा था। मेरे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था की ये क्या हो रहा था।
मैने अपनी आंखे बंद कर ली और कुछ देर बाद में अपने आप से बोला " साजिश।"
ये सब मुझे मारने की एक साजिश थी। रॉकी मुझे मारना चाहता था। उसने मुझे झूठी कहानी सुनाई और मुझे जहां पर लेकर आया। उसने लैपटॉप का झूठा खेल रचा क्योंकि अगर लैपटॉप ही नहीं होता तो मैं शायद जहां पर कभी भी नहीं आता।
मैं लड़खड़ाते हुए शरीर के साथ खड़ा हुआ और धीरे धीरे चलने की कोशिश करने लगा।
लेकिन रॉकी ने ये सब किया क्यू?
अरे हां ये सब रॉकी और मेरी पत्नी अनाया ने मिलकर किया है। वे दोनों आपस में प्यार करते थे। इसीलिए अनाया मुझे अपने पास बुला रही थी। वो भी चाहती थी की मैं मारा जाऊं। उन दोनों ने ये जाल बुना। इसीलिए उस दिन वे दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे। मैं कितना पागल था जो इस बात को समझ तक न सका।
लेकिन रॉकी ने इतनी अच्छी एक्टिंग कैसे की?
तभी मुझे कुछ याद आया और मैं खुद से बोल पड़ा " अरे नहीं तभी तो रॉकी ने चार दिन पहले एक्टिंग सिखाने वाली एक कंपनी ज्वाइन की थी जहां पर वो अक्सर रात को जाता था। मैं कितना मुर्ख हू जो इस साजिश को ने समझ सका और यही नहीं वो मुझसे कुछ रुपए उधार भी मांग रहा था ताकि वो एक लैपटॉप लेकर आ सके। ये वही लैपटॉप था। उसने मुझे इतना बड़ा धोखा दिया।
अब वो पुलिस से कह देगा की विजय मेरी गाड़ी लेकर अपनी पत्नी को लेने के लिए गया था और रास्ते में उसका एक्सीडेंट हो गया । पुलिस कुछ छान बीन भी नहीं करेगी और किसी को उस कर शक भी नहीं होगा।
मैं ये सब सोचते हुए लड़खड़ाते कदमों से सड़क पर आ गया। शरीर से खून बह रहा था। बहुत दर्द हो रहा था।
मैं अपने आप से बुधबुदाया " मुझे पहले सिटी हॉस्पिटल जाना चाहिए और अपना इलाज करवाना चाहिए।
मैं तेजी से सड़क पर सिटी हॉस्पिटल की और दौड़ने लगा। बहुत दर्द हो रहा था। कुछ दूर दौड़ने के बाद में सड़क के बीचों बीच खड़ा हो गया और अपने दोनों हाथ फैलाकर आसमान की और देखकर जोर से चिला उठा और फिर अचानक से सड़क पर पीठ के बल गिर गया। मुझे अचानक से याद आने लगा की ये सब कुछ मैंने पहले भी कहीं देखा है। तभी मैं अपने आप से बोल पड़ा
"अरे नहीं एक्सीडेंट वाले दिन एक सफेद परछाई इसी तरह सड़क पर गिर गई थी वो मैं ही था। ये खंजरीली घाटी मुझे मेरा भविष्य दिखा रही थी लेकिन मैं पागल कुछ समझ ही नही सका।"
मेरे दिमाग में सिर्फ एक शब्द चक्कर काट रहा था और वो था " साजिश।"
मेरे शरीर से सारा खून बह चुका था। सर फट चुका था। मैं अब खड़ा भी नहीं हो सकता था। शरीर पूरी तरह से जवाब दे गया था। मेरी आंखे धीरे धीरे बंद होने लगी। मैने अपनी आंखों को खोलने की पूरी कोशिश की पर अंत मैं मेरी आंखे बंद हो गई ......हमेशा के लिए और इस तरह खंजरीली घाटी को एक नया शिकार मिल गया और साथ ही एक साजिश अंजाम तक पहुंच गई।।

समाप्त।।।।।
सतनाम वाहेगुरु।।