perfect plan in Hindi Horror Stories by भूपेंद्र सिंह books and stories PDF | परफेक्ट प्लान

Featured Books
Categories
Share

परफेक्ट प्लान

कहानी
परफेक्ट प्लान




सभी पाठकों से निवेदन किया जाता है की ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। इसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है। ये लेखक के मन में हुई एक अकस्मात उपज है। लेखक किसी भी प्रकार के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता।
कहानी
परफेक्ट प्लान
दोस्तो क्या आपके साथ कभी कोई ऐसी घटना घटी है जिसे आप आज तक न भुला सके हों। जी हां, मेरे साथ एक ऐसी ही घटना घटी है जिसे मैं आजतक न भुला सका।
ये उन दिनों की बात है जब मैं मुंबई के मशहूर एलफिंस्टन कॉलेज से बी.ए. की पढ़ाई कर रहा था। ये मेरा दूसरा साल था। उन दिनों एक मनोज नाम का लड़का मेरा सबसे बड़ा जिगरी यार था। हम दोनों दो भाइयों से बढ़कर भी दो अच्छे दोस्त थे। मेरा बचपन से ही पढ़ाई में बढ़ा इंटरेस्ट था और मैं हमेशा ही कॉलेज में फर्स्ट आता था। मैं और मनोज हम दोनों हॉस्टल में एक ही कमरे में रहते थे।
एक दिन की बात है। शाम का वक्त था। आसमान काले बादलों से घिरा हुआ था ऐसे लग रहा था की बारिश तो हर हाल में होकर ही रहेगी। मैं अपने में खिड़की के पास खड़ा बाहर के मौसम को निहार रहा था और इंतजार कर रहा था की कब बारिश होगी क्योंकि मुझे बारिश में नहाना बहुत पसंद था। तभी मेरा जिगरी यार मनोज कमरे में आ गया। उसने नए कपड़े पहन रखे थे और पूरी तरह से हैंडसम बनकर घूम रहा था जैसे उसे कहीं पर जाना हो?
इतने में बाहर बारिश होने लग गई।
मैं उसे देखकर हैरान रह गया और सोचने लगा की " इतनी बारिश में ये कहां जायेगा?"
तभी वो मेरे पास आया और बोला " अरे पगले तूं अभी तक तैयार नहीं हुआ?"
उसकी ये बात सुनकर मैं हैरान रह गया। न जाने वो किस चीज के लिए तैयार होने को कह रहा था।
मैने पूछा - " लेकिन तैयार क्यों होना है?"
मनोज ने मेरे सिर पर धीरे से थपड़ मारते हुए कहा " अरे ओ गुगु। तुझे मालूम नहीं की आज अनामिका का जन्मदिन है। वो उस जंगल वाली रंगमहल हवेली में अपना बर्थडे बना रही है। पता है ना की कितने लोग वहां पर आएंगे। "
अनामिका मेरी बेस्ट फ्रेंड थी और वो भी हमारे साथ इसी कॉलेज में पढ़ती थी।
मैने पूछा - " लेकिन अनामिका तो आज सुबह दिल्ली गई थी ना।"
मनोज - " अरे वो गई थी लेकिन बाद में उसका विचार बदल गया और उसने सोचा की वो अपना जन्मदिन अपने पुरखों की पुस्तैनी हवेली रंगमहल में ही बनाएगी। इसलिए वो फ्लाइट से तुरंत वापिस आ गई। अब ज्यादा सोच मत और जल्दी से तैयार हो जा।"
मैने कहा - " लेकिन अनामिका ने मुझे तो बताया ही नहीं।"
मनोज - " अरे यार आज उसका मोबाइल फर्श पर गिरने के कारण टूट गया था। उसने मुझे भी किसी और के फोन से कॉल किया था। अब ज्यादा सोच मत बच्चू और जल्दी से तैयार हो जा। उसने आठ बजे से पहले आने के लिए कहा था और घड़ी में नज़र दौड़ा सिर्फ एक घंटा बचा है। अब जल्दी कर एक घंटे का तो सफर ही है। इससे पहले की बारिश तेज हो जाए। हमें जल्दी से पहुंचना होगा।"
मैने कहा - " लेकिन.....।"
मनोज - " अबे गुगू अब लेकिन वेकिन कुछ नहीं। बस तूं जल्दी से तैयार हो जा। और तूं जानता है ना की अनामिका तो तेरी सबसे बेस्ट फ्रेंड है। अगर तुझे चलना है तो जल्दी से आ जा वरना मैं तो चला।"
इतना कहकर मनोज वहां से जाने लगा तभी मैंने पीछे से हड़बड़ाहट में कहा " अबे यार अब रुक जा मैं आ रहा हूं।"
मैं मनोज पर सबसे ज्यादा विस्वास करता था और इसीलिए मैंने उसकी बातों पर आंखे बंद करके यकीन कर लिया और जल्दी से तैयार हो गया। मैने अच्छे से अच्छे कपड़े पहने ताकि पार्टी में मैं ही सबसे हैंडसम नज़र आऊं। हम दोनों ने रैन कोट पहने और हॉस्टल से बाहर निकल पड़े। मैं तो बहुत खुश था क्योंकि लंबे समय के बाद आज अनामिका से मिलने का मौका मिलेगा।
मैने अपनी बाइक स्टार्ट की और हम दोनों उस जंगल के बीचों बीच स्थित रंगमहल हवेली की और निकल पड़े। मगर किसे पता था की ये हवेली आज किसी की जान लेकर ही मानेगी।
मनोज - " यार अब जल्दी चल इससे पहले की देर हो जाए।"
बारिश भी बहुत तेज हो रही थी। सड़क पर भी कई जगह पानी खड़ा था। इसलिए मैं बाइक को कुछ धीरे ही चला रहा था। लगभग चालीस की स्पीड होगी। न जाने क्यों मुझे आज अपनी ही बाइक चलाने में अजीब सी लग रही थी। लेकिन मैने इस बात को नजरंदाज कर दिया और सोचा की शायद बारिश के कारण ऐसा हो रहा है। हम दोनों अब जंगल के अंदर घुस गए। रात हो चुकी थी। चारों तरफ बस एक भयानक सा अंधेरा और एक जानलेवा सन्नाटा छाया हुआ था। सड़क पूरी तरह से सुनसान और बंजर पड़ी थी। दूर दूर तक कोई भी नज़र नहीं आ रहा था। ऊपर से लगातार हो रही तेज बारिश मेरे दिल में एक अजीब सा भय पैदा कर थी।
अचानक से सामने से एक बाइक वाला आया और मेरी और हाथ से वापस जाने का इशारा करते हुए मेरे पास से निकल गया।
मैने डरते हुए कहा - " यार मनोज इस आदमी ने वापिस जाने का इशारा क्यों किया था?"
मनोज ने कोई जवाब नहीं दिया और मेरे हाथ पर अपना हाथ रखकर बाइक की स्पीड बढ़ा दी और बोला " यार तूं क्या ऐसे धीरे धीरे बाइक चला रहा है। तुझे तो बाइक भी चलानी नहीं आती। अगर तूं इसी तरह बाइक चलाता रहा तो हमे हवेली तक पहुंचने में एक महीना लग जायेगा। और रही बात उस आदमी की तो वो तो ऐसे ही बाकबास कर रहा था। तूं उस पर ज्यादा ध्यान मत दे। उसे इग्नोर कर दे। आज हमें हवेली में जाने से कोई नहीं रोक सकता।"
इतना कहकर मनोज ने मेरे हाथ पर हाथ रखकर बाइक की स्पीड अस्सी कर दी। मैं तो बुरी तरह डर गया।
इससे पहले की मैं कुछ बोल पाता मनोज अचानक से बाइक से नीचे एक और जंगल में कूद गया। मैं ये सबकुछ देखकर बुरी तरह थर थर कांपने लगा।
मैं पीछे मनोज की और देख रहा था। लेकिन बाइक की स्पीड इतनी तेज थी की मैं बहुत आगे निकल गया और मनोज धीरे धीरे आंखो से गायब हो गया। मेरे तो समझ में नहीं आ रहा था की मेरे साथ ये क्या हो रहा है। इतने में मैंने सामने नज़र दौड़ाई और सामने का नज़ारा देखकर दंग रह गया। सामने नदी का पुल टूटा हुआ था। अब मै नदी में गिर जाऊंगा और फिर मैं मर जाऊंगा। मैने बाइक के आगे और पीछे के ब्रेक एक साथ लगा दिए लेकिन ब्रेक नहीं लग रहे थे। ये देखकर मेरी चीख निकल गई। इतने में अचानक से मेरी बाइक के सामने एक लड़का आ गया। और मेरी बाइक इस लड़के ने जा भिड़ी। मैं सड़क की एक और बाइक के नीचे दबकर रह गया और दूसरी और वो लड़का उल्टे मुंह लेटा पड़ा था और आसपास खून बिखरा हुआ था शायद वो मर गया था। ये देखकर मेरा दिल जोर जोर से धक धक करने लगा। आज मेरे हाथों से किसी का खून हो गया था। अब पुलिस मुझे फांसी पर लटका देगी। ये सोचकर मैं बुरी तरह डर गया। वो लड़का उल्टे मुंह लेटा पड़ा था। उस लड़के का चेहरा मुझे नजर नहीं आ रहा था। मैं सोचने लगा की आखिर ये लड़का है कौन?
मैं सारी घटना को फिर से याद करने लगा " अनामिका का दिल्ली से वापिस आना। मनोज का अचानक बाइक से कूदना। आखिर मनोज ने ऐसा क्यों किया। आखिर वो चाहता क्या था।"
मैं अपनी आंखे बंद करके कुछ देर के लिए शांत हो गया और सारी घटनाओं को आपस में जोड़ने लगा। और फिर मैं अचानक से बोल पड़ा " परफेक्ट प्लान।"
अनामिका का पिछला जन्मदिन हमने कॉलेज में ही बनाया था। मुझे कुछ याद आया और मैं अपने आप से बोल पड़ा " एक दो तीन चार पांच छ सात आठ नौ और दस। अरे नहीं अनामिका का जन्मदिन बीते तो अभी सिर्फ दस महीने ही हुए हैं। फिर मनोज ने मुझसे झूठ क्यों बोला? बिलकुल सही हत्या। जी हां मनोज मुझे मारना चाहता था इसलिए उसने ये एक परफेक्ट प्लान बनाया। उसने मुझे अनामिका के जन्मदिन की झूठी कहानी सुनाई। क्योंकि वो तो आज सुबह ही दिल्ली गई थी। आखिर कोई एक दिन में दिल्ली जाकर दिल्ली से मुंबई वापिस कैसे आ सकता है। अनामिका अब भी दिल्ली में ही है। मनोज झूठी कहानी सुनाकर मुझे जहां पर लाया। क्योंकि अगर वो अनामिका के जन्मदिन का बहाना ही नहीं बनाता तो मैं उसके साथ कभी नहीं आता। उसे मालूम था की अनामिका मेरी बेस्ट फ्रेंड है और मैं उसके बर्थडे में भागा भागा जाऊंगा। उसने अनामिका के मोबाइल टूटने की झूठी कहानी बनाकर मुझे धोखा दिया।
उसने मेरी बाइक के ब्रेक भी फेल कर दिए थे। इसीलिए आज मुझे अपनी ही बाइक चलाने में अजीब सी लग रही थी। मैं कितना मुर्ख हूं जो इस बात को यूंही नजरंदाज कर दिया। आगे पुल टूटा हुआ है शायद इसीलिए वो आदमी मुझे वापिस जाने का इशारा कर रहा था लेकिन मैं मुर्ख , मनोज की चिकनी चुपड़ी बातों में आ गया।
तभी तो मनोज कितने दिनों से बारिश के होने का इंतजार कर रहा था। उसे मालूम था की जब बारिश होगी तब ये नदी पर बना पुल टूट जायेगा। वो मुझे बहला फुसलाकर जहां पर लाया और खुद बाइक से कूद गया।
उसने बाइक के ब्रेक पहले ही फेल कर दिए थे। उसे मालूम था की मैं सीधा ही नदी में गिर जाऊंगा और डूबकर मर जाऊंगा। कल वो पुलिस ये कह देगा की मेरा दोस्त इतिहास का टॉपर था और उसे प्राचीन चीज़ों का बहुत शौक था इसीलिए वो रंगमहल हवेली देखने के लिए चला गया। वो कहेगा कि मैने उसे रोकने की बहुत कोशिश की थीं लेकिन उसने मेरी एक न सुनी। जब पुलिस छानबीन करेगी तो इतिहास में मेरे मार्क्स देखकर ये बात सच मान लेगी और कल सुबह ये कहते हुए केस बंद कर देगी की ये सिर्फ और सिर्फ एक हादसा है और किसी को मनोज पर शक भी नहीं होगा।
लेकिन वो मुझे मारना क्यों चाहता था। जी हां वो कॉलेज में फर्स्ट आना चाहता था। इसीलिए उसने मुझे मारने का एक परफेक्ट प्लान बनाया क्योंकि मेरे होते हुए वो कभी भी फर्स्ट नहीं आ सकता था। अनामिका ने भी मेरे सामने कभी इस हवेली का जिक्र नहीं किया था और ये हवेली तो न जाने कितने सालों से बंद पड़ी है। अनामिका का इस हवेली से कोई संबंध था ही नहीं। मनोज ने अपनी बातो मे मुझे फसाया। अब वो पुलिस से कहेगा की मेरा दोस्त उस हवेली पुरातात्विक वस्तुएं लेने गया था और मेरी अलमारी खोलकर उसमे पड़ी सभी पुरातात्विक बस्तुए दिखा देगा और पुलिस भी इस बात को तुरंत मान लेगी।
उसने सोचा की मैं नदी में गिर जाऊंगा और डूबकर मर जाऊंगा क्योंकि उसे मालूम था कि मुझे तैरना नहीं आता। उसने कितना खतरनाक परफेक्ट प्लान बनाया जिस पर कोई भी आंखे मूंदकर यकीन कर ले।
और हां वो तो बचपन से ही एक एक्टर बनना चाहता था और एक्टिंग तो उसमे कूट कूटकर भरी हुई थी। मैं कितना मुर्ख था जो इस बात को समझ तक न सका।
और वो आदमी जो मुझे वापिस जाने का इशारा कर रहा था वो जरूर कोई फरिश्ता था जो मुझे बचाना चाहता था। मेरी किस्मत मुझे बचाना चाहती थी लेकिन मैं मुर्ख मनोज की बातों में फंसकर रह गया।
आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त मनोज ने सिर्फ और सिर्फ फर्स्ट आने के लिए मुझे मारने की कोशिश की। ये पढ़ाई मेरे और उसके बीच में एक दरार बन गई है।
बाप रे उसने मुझे मारने के लिए कितना परफेक्ट प्लान बनाया था लेकिन अफसोस वो इसने सफल न हो सका। और ये एक अनजान सा लड़का मेरी बाइक के आगे आकर मार गया। आज मेरे बदले किसी और की जान चली गई।
लेकिन ये लड़का है कौन ?"
मुझे उस लड़के का चेहरा नज़र नहीं आ रहा था। इतने में मुझे सड़क पर एक बाइक आती हुई नजर आई जिसपर दो लड़के बैठे हुए थे। उन्हे देखकर मैं बुरी तरह डर गया और सोचने लगा " अगर इन दोनों लड़कों ने मुझे जहां पर देख लिया तो ये मुझे पुलिस के हवाले कर देंगे और फिर मुझे फांसी पर लटका दिया जायेगा।
मैं जल्दी से खड़ा हुआ और जंगल में कुछ झाड़ियों के पीछे छिप गया और उन्हें देखने लगे।
उन लडको ने लाश के पास आकर स्कूटर रोका। एक लड़का स्कूटर से उतरा और लाश को सीधा किया। अब उसका चेहरा मुझे भी साफ नजर आ रहा था। उस लड़के ने जमीन पर लड़के की नाक के पास अपना हाथ किया और फिर अपने दोस्त की और देखते हुए बोला " यार ये तो मर चुका है। इससे पहले की कोई हमे देख ले। चल जल्दी से भाग जहां से।"
वे दोनों उस लाश को वहीं पर छोड़कर तेजी से भाग गए। मैं अब वापिस उस लाश के पास आकर खड़ा हो गया। मुझे उसका चेहरा साफ नजर आ रहा था। अब बारिश भी थम चुकी थी। वे दोनों लड़के इस लाश को इसी तरह छोड़कर भाग गए थे। लेकिन मैने सोच लिया कि मैं इसे छोड़कर नहीं भागूंगा।
पाठकों ये सवाल मैं आपसे पूछता हूं की क्या आप इस तरह से छोड़कर भाग सकते हैं। वो भी अपने जिस्म को।
जी हां वो लाश मेरी ही थी। उम्मीद करता हूं आप डरे नहीं होंगे।।

सतनाम वाहेगुरु।।