Bandhan pyar ka - 18 in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | बन्धन प्यार का - 18

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बन्धन प्यार का - 18

"पहनती है शादी के बाद
"लडकिया कड़े तो पहनती है
"तुम्हे अच्छे लगते है क्या
"हा
"तो पहन लुंगी
"सिर्फ मेरे कहने से नही,"नरेश बोला,"तुम्हरा मन करे तो
"तुम्हारा और मेरा मन अलग नही है"हिना बोली,"ले आऊंगी
"तुम नही।मैं लाऊंगा
और हिना ने नहा धोकर नरेश के लाये कपड़े पहन लिए थे।वह कपड़े पहनकर बोली,"कैसी लग रही हूँ
"सुंदर हो तो सुंदर ही लगोगी
"मैं कपड़ो कि बात कर रही हूं
"बहुत cute लग रही हो।कहि नजर न लग जाये,नरेश बोला,"तुम बताओ मेरे लाये कपड़े कैसे लगे
"तुम्हारी चॉइस को दाद देनी पड़ेगी
"क्या खाओगी
"तुम बताओ वो ही बना दूंगी
"मंगा लेते है आर्डर करके
"उसकी क्या जरूरत है।अगर बाजार का खाना है तो वही चलो
"तुम्हे बेड रेस्ट बताया है
"मैं बीमार नही हूँ।पूरी तरह स्वस्थ हूँ।
"सही कह रही हो
"नही झूठ कह रही ही
और नरेश आएशा को लेकर मार्किट गया था।कॉस्मेटिक की दुकान देखकर बोला,"आओ
"शॉप से क्या लेना है
"तुम्हारे सुने हाथ मुझे अच्छे नही लग रहे हैं
और नरेश ने हिना को कड़े दिलाये थे।फिर वे बाजार में घूमते रहे।एक रेस्तरां में खाना खाया था
"तुम्हारी अम्मी स रोज बात होती है
"हां"हिना बोली,"क्यो
"कल फोन नही आया
"आया था।तुम किचन में थे तब
"पूछा नही कहा हो
"जरूर पूछती है।पर कल शायद भूल गयी
"क्या कहती
"कह देती होने वाले पति के साथ हूँ
"कह दोगी
"हा।प्यार किया तो डरना क्या
"तो आज कह देना
"तुम ताने बहुत देते हो
"अभी तो ऑप्शन है तुम्हारे पास
"क्या
"जो तुम्हे ताने न दे ऐसा कोई ढूंढ लो
"मुझे तुम्हारे ताने मंजूर है
और वे घूमते रहे।सन्डे की शाम को हिना अपने घर जाने लगी तब नरेश उसे छोड़ने के लिए गया थ
आने से पहले नरेश ने हिनसे पूछा था,"तुम्हारी मम्मी कब आ रही है
"बीज तो बन गया है जल्दी आ जायेगीहिना बोली,"और तुम्हारी
"वो भी आ रही है
नरेश चला गया था।दोनों के ऑफिस भी दूर थे और घर भी इसलिए चाहकर भी वे रोज नही मिल सकते थेलेकिंन फोन पर तो बात कर सकते थे
और रात को रोज वे फोन पर बाते करते थे।
एक दिन सबीना ऑफिस आयी तब काफी खुश नजर आ रही थी।उसे देखकर हिना बोली,"कोई खास बात है
"क्यो
"चेहरा बता रहा है
"यार ऐसी तो कोई बात नही है
"फिर भी
"करन है
"कौन है करन
"यहा आने से पहले मैं दूसरी कम्पनी में काम कर चुकी हूँ।उसी में काम करता था।दोस्ती हो गयी थी।
"तेरा दोस्त हैं
"हा
"तो
"वह मुझसे शादी करना चाहता है
"और तुझ्रे काफिर पसन्द नही है
"नही यार।मैं करन को लाइक करती हूँ।असल मे मुझे भी उससे प्यार हो गया है
"फिर
"मेरी माँ कट्टर मुसलमान हैं और वह कभी मेरा निकाह उससे करने के लिए तैयार नही होगी,"सबीना बोली,"करन की माँ भी कट्टर है
"तो या तो दोनों अपनी मम्मी को मनाओ या निकाह का इरादा छोड़ दो
"करन ने इसका दूसरा हल निकाला है
"क्या
"वह चाहता है पहले हम शादी कर ले फिर घरवलो को बतायर
"ये भी हो सकता है
"मुझे डर लग रहा है पर करन कहता है बच्चा हो जाएगा तब मा न जायेगे
"यह भी सही है
"न मानी तो
"तू करन को प्यार करती है
"हा
"प्यार करने वाले डरा नही करते।डर के जीत नही होती।शादी तुम दोनों को करनी है इसलिए ज करन की बात मान लो
"अगर कही मम्मी न मानी तो
"अपने मंगेतर पर विश्वास रखो"हिना ने उसे समझाया था
हिना तू सही कह रही है।मन मकिफ़ जीवनसाथी पाने के रास्ते मे समाज से ज्यादा अपने रोड अटकाते है