Tanmay - In search of his Mother - 39 in Hindi Thriller by Swati books and stories PDF | Tanmay - In search of his Mother - 39

The Author
Featured Books
Categories
Share

Tanmay - In search of his Mother - 39

39

वसीयत

 

राघव के दादाजी निर्मल प्रसाद मित्तल ने लिफाफा अभी खोलना ही शुरू किया था  कि तभी राघव की दादी शीला जी ने ज़ोर से आवाज़ लगाई,

 

सुनो ! किचन में पानी का पाइप लीक हो गया है और वह उठकर वहाँ चले गए और मैड को बोल गए कि यह लिफाफा राघव के स्टडी टेबल के ड्रॉर में रख दें l यह  उसके काम का हो सकता हैl  उसने फ़िर वैसा ही किया और वह खुद रसोई में लीक होते पाइप को ठीक करने में लग गएl

 

प्रिया अपने एन.जी.ओ. में  बैठी कंप्यूटर पर कुछ काम कर रहीं हैl तभी उसे प्रतीक का फ़ोन आया,

 

मैडम! आपके पति जतिन ने एक मैडम को एयरपोर्ट से रिसीव किया हैl  आप कहे तो मैं आपको उनकी फोटो खींचकर भेजोl

 

नहीं, मैं अगली फ्लाइट से मुंबई आ रही हूँl  यह कहकर उसने फ़ोन रख दिया और अपने लिए मुंबई की कोई 'भी नेक्स्ट फ्लाइट बुक कर लींl अब वह निश्चिंत थी, उसने सोच लिया है  कि जतिन को जेल के साथ डाइवोर्स मिलेगा और प्रॉपर्टी से एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिलेगी और अभिमन्यु को उस नैना से छुटकारा मिलेगाl

 

अभिषेक  शाम को स्टेडियम के बाहर  पहुँच गया, जहाँ पर राघव और तन्मय दोनों क्रिकेट खेल रहें हैंl उसने दूर से तन्मय को देखकर हाथ हिलायाl तन्मय उसे  देखकर मुस्कुरा तो दिया, मगर साथ ही वह हैरान भी बहुत हुआl फिर  उसने देखा कि अभिषेक  स्टेडियम में  बनी  सीढ़ियों पर  बैठते हुए उनका मैच देख रहा हैl करीब आधे घण्टे बाद जब उनका मैच खत्म हुआ तो राघव उसके पास आकर बोला,

 

यार तनु यह अंकल हमसे चाहते क्या है!!

 

पता नहीं, मगर पता करना पड़ेगाl चल चलते हैl दोनों अपना बैट हाथ में लिए उसकी तरफ जाने लगेl वह भी दोनों बच्चो के पास आ गया और उनसे हाथ  मिलाते  हुए कहने लगा,

 

जूनियर सचिन, तुम तो बहुत अच्छा खेलते हों l अंडर नाइनटीन टीम में तुम्हारा सिलेक्शन हो सकता हैl

 

अभी तो बहुत मेहनत करनी है, अंकलl वैसे आप हमारा मैच देखने तो नहीं आए!१

 

स्मार्ट किड्स, आई लव  स्मार्ट किड्स उसने उसके बालों को छेड़ते हुए कहाl

 

उस बुक के अंदर एक छोटा सा लिफाफा था, मुझे लगता है कि  वो तुम्हारे पास ही रह गया हैl

 

तन्मय ने राघव को देखा, राघव ने उसे देखते हुए ज़वाब दिया,

 

मैंने तो बुक खोली ही नहीं, जैसी थीं वैसी दे देl अब अभिषेक ने तन्मय को देखा,

 

जब बुक मेरे  घर आई थींl  तब मैंने अंकल सिर्फ़ पहले पन्ना देखा था,इसलिए मुझे भी नहीं पताl

 

एक बार दोनों दोबारा अपने घर में  देख लेना, मेरे लिए वो लिफाफा बहुत ज़रूरी हैl मुझे ध्यान नहीं रहा और मैंने अपना पर्सनल लिफ़ाफ़ा उस किताब में  रख  दियाl

 

ठीक है, अंकल अगर हमें वो लिफाफा मिला तो हम ख़ुद ही आपके घर आकर दे जायेगेl

 

नहीं नहीं! तुम मुझे कॉल कर देना मैं लेने आ जाऊँगाl यह मेरा इंडिया वाला नंबर है, उसने  जेब से कागज़ निकालकर उस पर लिखकर उसे दे दियाl उसने नंबर देखते हुए कहा, यह नंबर मम्मी के फ़ोन में  हैl

 

ओह ओके l  उसने दोनों बच्चों को बाय कहा और वहाँ से चला गयाl

 

क्या कह रहे थें l

 

मुझे तो कुछ गड़बड़ लग रही हैl

 

तनु! तू तो अब हर किसी को संदेह से देखता हैl

 

तन्मय ने उसे देखकर पलके उचकाई, मगर कहा कुछ नहीं और राघव भी उसके हाव-भाव समझ गयाl

 

सॉरी भाई, मेरा वो मतलब नहीं थाl

 

छोड़ न, चल तेरे ही घर चलते है, आज रात का खाना दादा-दादी के साथ खाते हैंl राघव यह  सुनकर खुश हो गया और दोनों एक साथ चलने लगेl

 

उमा के घर पर काला कोट पहने वकील बैठा हुआ हैl साथ ही राजेन्द्र बिश्नोई के भाई मनोहर बिश्नोई और किशन भी बैठे हुए हैंl वकील ने उन तीनो को देखते हुए सवाल  किया ,

 

आप लोगों के परिवार नहीं बैठेंगे?

 

नहीं, यह हमारा मामला है, बच्चों का इससे कुछ लेना देना नहीं हैl मनोहर ने कड़क आवाज़ में  ज़वाब दियाl

 

ठीक है, पर हमें कुछ देर रुकना होगाl

 

क्यों !! उमा ने पूछाl

 

पुलिस ने कोर्ट से परमिशन ली है ताकि वो भी आपकी इस विल में  आपके साथ बैठ सकेंl तीनों ने हैरानी से वकील की ओर  देखा और तभी रुद्राक्ष और शिवांगी  दोनों अंदर आ गए और वहीं रखी कुर्सी पर बैठ गएl

 

वकील ने समय बर्बाद न करते हुए विल को पढ़ना शुरू किया,

 

जैसा की आप सब जानते है आपके स्वर्गीय पिता रमाकांत बिश्नोई ने अपनी सारी प्रॉपर्र्टी अपने बेटे राजेन्द्र के नाम कर दी थीं और राजेन्द्र जी ने भी अपनी विल कुछ इस तरह  बनाई हैl

 

उनकी पुश्तैनी कोठी जो आपके गाँव में है, वह उन्होंने अपने घर के छह बच्चों के नाम कर दीं हैl बैंक में जितना भी कैश है वो भी आपके बच्चों में  बराबर बटेगाl पांच फैक्ट्री में से  एक नरेला वाली फैक्ट्री उन्होंने अपने बड़े भाई  मनोहर के नाम कर दी हैl उसका काम वहीं  देख्नेगे और कोई भी उसमे दखलंदाज़ी नहीं करेगाl यह  सुनकर ममोहर ख़ुशी से मुस्कुरा दियाl बाकी की चार फैक्ट्री घर के तीनो बच्चों शुभम , मयंक, और अमन  के नाम कर दी हैl जब वो 21 साल के हो जायेगे, तब  उसका  चार्ज  संभालेंगेl घर की तीनो बेटियों वर्षा, सुहानी और शुभी के नाम पर सारी ज्वेलरी हैl एक मुंबई वाला फ्लैट उन्होंने अपने बेटे  अमन  को दे दिया हैl जब तक बच्चे इस लायक नहीं हो जाते तब तक फैक्ट्री की जिम्मेदारी उनके  दोनों भाई  संभालेंगेl अगर किसी भी बेटे ने फैक्ट्री का चार्ज लेने से मना कर दिया तो घर की बेटियाँ इसका चार्ज ले सकती हैl

 

जब सबने यह विल सुनी तो रुद्राक्ष ने देखा कि उमा और किशन दोनों की आँखों में नफरत और गुस्सा भर आयाl मगर दोनों ने ही अपने हाव-भाव को छुपाने में  लगे रहेंl तभी मनोहर बोल पड़ा,

 

मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि भाई मेरे नाम भी कुछ करेगा और इस बात की तो और भी उम्मीद नहीं थी कि किशन और उमा दोनों खाली  हाथ  रह जायेगेl  यह  कहते हुए वह ज़ोर से हँसाl किशन से रहा नहीं गया और उसने  मनोहर की गर्दन पकड़ लीं l

 

मिस्टर किशन, आप थोड़ा आराम से रहियेl उसने रुद्राक्ष की आवाज़  सुनकर उसका कॉलर छोड़ दियाl मैं इस विल को कोर्ट में  चैलेंज करूँगाl

 

ज़रूर करिएl और हाँ उमा अगर आपने किसी और के साथ शादी  की तो आपका घर आपके बच्चों के नाम हो जायेगाl यह कहकर वकील ने बात खत्म कर दीl उमा के चेहरे का रंग फीका पड़ गया और वकील रुद्राक्ष से हाथ मिलाकर चला गया और उसके पीछे मनोहर भी चला गया l रुद्राक्ष ने किशन की तरफ  देखते हुए कहा,

 

आपसे बात करनी है, आप यही रुकिएl उसने उमा को देखा तो आँखें नीची करके कमरे से निकल गईl