Ram Mandir Praan Pratishtha - 4 in Hindi Mythological Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 4

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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 4

"कौन है राम
और उसने रावण को राम के बारे में बताया था
"एक वनवासी ने खर दूषण को सेना सहित मार डाला
और जब सूपर्णखा के भाई भी सेना सहित राम लक्ष्मण के हाथों मारे गए तो वह और ज्यादा उग्र हो गयी और प्रतिशोध की आग में जलने लगी।अब उसके पास कोई चारा नही था और वह रावण के दरबार मे लंका पहुंची थी
"अरे तुझे जरा भी मेरी फिक्र नही है।उन दोनों ने एक औरत के चक्कर मे मेरी यह दुर्दशा कर डाली।मेरी नाक काटकर मुझे तो बदसूरत बना ही दिया तेरे को भी ललकारा है।बहुत बड़ा वीर बना फिरता है अरे उन दो लड़कों ने अकेले ही खर दूषण को उनकी सेना समेत मार डाला।
रावण बोला"तू चिंता मत कर उसे अपनी स्त्री पर घमंड है।उसका घमंड में चूर करूँगा
रामायण की कथा में मुख्य पात्र तो राम और सीता ही है।लेकिन चाहे कथा हो या जिनगी उसमे सहायक पात्र भी होते है जिनका अहम रोल होता है
सबसे पहले विश्वामित्र का नाम आता है।वह ही राम और लक्ष्मण को अपने साथ अयोध्या से बाहर लेकर गए थे।और उनके पास रहते हुए ही राजा जनक ने सीता का स्वयंवर किया था।उसमें राम और लक्ष्मण को ले जाने वाले कोई और नही विश्वामित्र ही थे।
राम की शक्ति का सबसे पहला परिचय लोगो को वही हुआ जब स्वयंवर ने आये राजा में से कोई भी धनुष को हिला तक नही पाया।लेकिन राम ने उसे एक झटके में उठा लिया था।
तुलसी की रामायण में मन्थरा का जिक्र है।मन्थरा कैकयी की दासी थी।जब उसे पता लगा कि राम को राजगद्दी मिलने वाली है तो उसे लगा कि अब कौशल्या का मान सम्मान और पद प्रतिष्ठा बढ़ जाएगी।कैकयी की कम होने पर उसकी भी हैसियत कम हो जाएगी।इसलिए उसने कैकयी को भड़काया और दो वर मांगने के लिए कहा
अगर कैकयी ने राम के लिए 14 वर्ष का वनवास न मांगा होता तो राम अयोध्या से क्यो जाते
अब अगला पात्र सूपर्णखा है।
राम अपना वनवास दंडकारण्य वन में ही काट रहे थे।औऱ वही रहते अगर सूपर्णखा न होती तो
सूपर्णखा राम से शादी करने आई और इसकी परिणीति उसकी नाक कटने से हुई।
औरवह रावण के पास गयींर थी।वह रावण से ओली,"राम की पत्नी सीता बहुत ही। रहै।वह वन में
उस वनवासी के पास क्या कर रही है।वह तेरे हरम में होनी चाहिए
और बहन सूपर्णखा की बात सुनकर उसके मन मे विचार आया और उसने सीता का अपहरण करने का फैसला किया।
इस काम की सहायता के लिए उसने अपने मामा कओ बुलाया।उसका मामा था मारीच।मारीच भी राक्षस जाति का ही था।वह भेष बदलने में माहिर था।उसने यानी रावण ने मारीच से कहा,"तुम राम और लक्ष्मण को कुटिया से दूर ले जाओ।फिर मैं सीता का अपहरण कर के ले आऊंगा।
मारीच,रावण का आदेश कैसे ठुकराता
मारीच ने एक हिरन का रूप धरा था।सोने के हिरन का रूप।मारीच हिरन बनकर कुटिया के आसपास विचरण करने लगा।और तब सीता की नजर उस पर पड़ी थी।सोने के हिरन को देखा तो वह देखती ही रह गई।ऐसा सुंदर हिरन उसने आज से पहले कभी नही देखा था।उस हिरन की तरफ देखते हुए सीता पति से बोली"देखो कितना सुंदर है
"हां
"इसे पकड़ के ले आओ
और राम पत्नी की इच्छा जानकर लक्ष्मण से बोले,"मैं हिरन पकड़ने जा रहा हूँ।तुम सीता के पास ही रहना