1.
एक किताब सी जिंदगी मेरी..!
एक खुली किताब सी है ये जिंदगी मेरी.
जिस पर कहीं खुशी के पल,
तो कहीं गम लिखा है,
जिस पन्ने पर फिर भी जैसा लिखा है,
मैंने हर पन्ने को,
उतनी ही खुबसूरती से पढ़ा है,
कभी किसी सुबह कोई साथी मिला,
तो शाम ढले वो भी बिछड़ है,
कभी किसी पन्ने पर खाली सी खामोशी कोई,
तो किसी पर शब्दों में दर्द छिपा है,
कागज़ बैशक पुराना सा,
मगर गत्ता आज भी नया सा है,
अब बस भरी भरी इस किताब में ढूंढ रहा हूँ,
आखिर ये अंत लिखा कहां हैया..!!
2.
कविता
न चादर बड़ी कीजिये,
न ख्वाहिशें दफन कीजिये,
चार दिन की ज़िन्दगी है,
बस चैन से बसर कीजिये...
न परेशान किसी को कीजिये,
न हैरान किसी को कीजिये,
कोई लाख गलत भी बोले,
बस मुस्कुरा कर छोड़ दीजिये..
न रूठा किसी से कीजिये,
न झूठा वादा किसी से कीजिये,.
कुछ फुरसत के पल निकालिये,
कभी खुद से भी मिला कीजिये.
3.
ए जिंदगी मुझे अपने, तौर तरीके सिखा दे,
ना ज्यादा ना कम, बस जरुरत भर बताते दे
ना पीछे देखने का वक्त हो, ना आगे बढ़ने की आरजू
ये दुनिया जैसे चलती है, रहना बीच इनके सिखा दे
किसी के होने ना होने का, मुझे एहसास ना हो
बाकी जो तू चाहे, अपने हिसाब से चला दे
लोगों से पहले सोचना खुद के लिए शुरु करं
मुझे कुछ ऐसा पत्थर दिल बना दे
अपनो की कही बात, जो दिल में लगे कभी
ऐसी बातों को भूलने की तरकीब सिखा दे
चाह कर भी किसी का मुझ पर बस ना चले
ऐ जिंदगी तू मुझे बस, अपनी तरह बना ले!
4.
फर्क तो बहुत पड़ता है
फिर भी लोगो को कहने देते हैं।
हर किसी को नही समझा सकते
इसलिए अब रहने देते हैं।
मोड़ नही सकते किस्मत को अपनी तरफ़
इसलिए वक्त के साथ ख़ुद को बहनें देते हैं।
जवाब देने के लायक नही बने अभी हम
इसलिए ख़ुद को थोड़ी तकलीफ़ सहने देते
5.
मत पूछ इस जिंदगी में
बेगाने होते लोग देखे,
अजनबी होता शहर देखा
हर इंसान को यहाँ,
मैंने खुद से ही बेखबर देखा।
रोते हुए नयन देखे,
मुस्कुराता हुआ अधर देखा
गैरों के हाथों में मरहम,
अपनों के हाथों में खंजर देखा।
मत पूछ इस जिंदगी में,
इन आँखों के क्या मंजर देखा
मैंने हर इंसान को यहाँ,
बस खुद से ही बेखबर देखा।
6.
यू तो समझदार हू
सबको बातें समझा जाती हूं
फैसला लेना हो जब खुदकी ज़िन्दगी का,
ना जाने क्यूं भटक जाती हूं।
पहली मोहब्बत से जब उभरी,
तो सोचा ये गलती दुबारा नहीं करूंगी।
पर बेह कर उन जज़्बातों में,
फिर मोहब्बत कर बैठी।
दिल टूटा था मेरा जब, अब कुछ बिखर सा गया है
भरोसा उठा था तब, अब सबसे साथ छूट गया है।
कोशिश कर रही हूं खुद को दुबारा जोड़ने की,
पर हालातों का समुन्दर मुझे जुड़ने नहीं दे रहा है।
क्या गलती थी मेरी दिल बार बार पूछता है,
क्यूं मेरी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जाता है।
जवाब नहीं है मेरे पास उसके इन सरवालों का,
अब कोई है नहीं मेरे पास जिसे सुना सकूं हाल अपने दिल का।
7.
मुझे कॉल करना
तुम कभी उदास हो, रोने का दिल करे, तो मुझे कॉल करना।
शायद मैं तुम्हारे आस् न रोक पाऊँ, पर तुम्हारे साथ रोऊँगा जरूर..
कभी अकेलेपन से घबरा जाओ, तो मुझे कॉल करना,
शायद मैं तुम्हारी घबराहट न मिटा पाऊँ, पर अकेलापन बाट्रँगा
जरूर...
कभी दुनिया बदरंग लगे तो मुझे कॉल करना,
शायद मैं पूरी दुनिया में रंग न भर पाऊँ, पर ये दुआ जरूर कुरुंगा कि
तुम्हारी ज़िन्दगी खूबसूरत हो...
और कभी ऐसा हो की तुम कॉल करो और मेरी तरफ से जवाब ना
आये,
तो भाग के मेरे पास आ जाना, शायद मुझे तुम्हारी ज़रूरत हो।