समीक्षा
मूर्धन्य साहित्य सर्जक – गागर में सागर
श्री कृष्ण शर्मा की ताज़ा पुस्तक मूर्धन्य साहित्य सर्जक आई है पुस्तक का विमोचन महामहिम राज्यपाल महोदय ने किया.
इस पुस्तक में वरिष्ठ लेखक ने प्रसिद्द साहित्यकारों के बारे में विस्तार से लिखा है जो पठनीय है. पुस्तक में बाल स्वरूप राही, उदयभानु हंस, तारा प्रकाश जोशी, गुलज़ार, कन्हैया लाल सेठिया, रामनाथ कमलाकर, नरेंद्र शर्मा कुसुम, इकराम राजस्थानी, गार्गीशरण मिश्र मराल, वीर सक्सेना, गोपालप्रसाद मुद्गल, मूलचंद्र पाठक तथा फ़राज़ हामीदी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर अनुपम आलेख है.लेखक ने इन प्रसिद्द लेखकों की पुस्तकों व व्यक्तित्व का गंभीर अनुशीलन किया है फिर इस किताब रुपी गागर में सागर को संजोया है.कला नाथ शास्त्री का शुभाशीष है.राजेन्द्र कुमार शर्मा की भूमिका है.श्रीकृष्ण शर्मा ने अपने प्राक्कथन में सही लिखा है –
यश, कीर्ति, कविता साहित्य एवम् संपदा तभी अच्छी होती है जब वे पावन गंगा के समान हितार्थ होती है.
बालस्वरूप रही पर लिखा आलेख शानदार है.गोपाल दास नीरज ने उदय भानु हंस की तारीफ की है, वे वास्तव में तारीफ के लायक कवि गज़लकार है.
ताराप्रकाश जोशी के गीत की एक पंक्ति है-
मेरा वेतन ऐसे रानी
जैसे गरम तवे पर पानी.
गुलज़ार पर इतनी सामग्री है की मत पूछो मगर लेखक ने इसे बड़ी शालीनता से आलेख में समेटा है.गुलज़ार जीवित आख्यान है.
कन्हैयालाल सेठिया तो राजस्थानी और हिंदी के लाडले है उन पर लिखा यह आलेख वर्षों तक पढ़ा जायगा.धरती धोरा री का अमर गायक अमर ही रहेगा.
श्रीकृष्ण शर्मा ने रामनाथ कमलाकर पर भी कलम चलाई है कम ही लोगों को कमलाकर की प्रतिभा का पता है, लेखक ने उनको खोज निकाला.
नरेंद्र शर्मा कुसुम पर लिखा आलेख नरेंद्र जी की प्रतिभा के अनुरूप है. कुसुम जी की साहित्य साधना मानव मूल्यों की साधना है. उनके सरल व्यक्तित्व को यह आलेख रेखांकित करता है.
इकराम राजस्थानी उर्दू, हिंदी व राजस्थानी के प्रिय कवि है रेडियो दूरदर्शन में अधिकारी थे श्रीकृष्ण शर्मा ने उनपर यह सारगर्भित आलेख लिख कर नयी पीढ़ी को उनके काम से अवगत कराया है.
गार्गीशरण मिश्र मराल के व्यक्तिव व् कृतित्व पर लिखा आलेख बताता है की मानव मूल्यों के लिए लेखक को क्या और कैसा लिखना चाहिए.
नयी पीढ़ी के प्रतिनिधि कवि वीर सक्सेना पर लिखा आलेख उनकी बहुमुखी प्रतिभा से परिचित कराता है, सक्सेना मीडिया के भी विशेषज्ञ रहे हैं.
गोपाल प्रसाद मुद्गल ब्रज भाषा व साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान थे, इस पुस्तक में उनपर भी एक सराहनीय आलेख है रौशनी पैगाम लायेंगी किताबें यह उद्गोष गोपाल जी का ही है.
उर्दू ग़ज़ल के सशक्त हस्ताक्षर फ़राज़ हामिदी उर्दू के बड़े शायर है उन पर कलम चलाना आसन नहीं मगर प्रांजल भाषा के माध्यम से लेखक ने यह काम किया है.
श्रीकृष्ण शर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी है बहुसम्मानित शब्द शिल्पी है उनकी कलम से निकली यह पुस्तक लेखकों के जीवन परिचय को शोधार्थियों, पाठकों व लेखकों तक पहुंचाएगी ऐसी आशा करना उचित ही होगा. पुस्तक का प्रोडक्शन गेट अप अच्छा है कवर पर ही लेखकों के नाम है यदि लेखकों के फोटो भी कवर पर होते तो सोने में सुहागा होता.मूल्य अधिक है इस का एक सस्ता पेपर बेक संस्करण आना चाहिए.
मूर्धन्य साहित्य सर्जक ले-श्रीकृष्ण शर्मा प्रकाशक-दीपक प्रकाशन, चौड़ा रास्ता, जयपुर मूल्य-450रूपये, पेज -142 प्रथम संस्करण
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