Colors of the world... in Hindi Short Stories by Dr.Chandni Agravat books and stories PDF | दुनिया के रंग...

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दुनिया के रंग...

बदले की रात
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रोशनसिंह पुरे बीस साल बाद जेल से बहार आया था।

जेल मैं गया तब सीदा साधा और दयालु था। इतने सालो मै उसका मन कठोर हो.गया था। जुलने उससे उसका परिवार छिन लिया ।

माँ थी तब तक मिलने आती थी, बाद मे भाई बहाने तो मुह मोड लिया।

जीस की हत्या के लिए वह जेल में गया था।उसको बीस साल बाद जिंदा पाया गया। उसका दोस्त विरेन्द्र ही था जो मानता था वह निर्दोष है, उसीने खोज निकाला ये।

जेल में ही उसने बी.एड की.बहार अभी भी वह नये सीले से जिंदगी जी शकता था पर बदले की भावना ने उसके मन पर काबु कर लियां। उसने बदला लेने की ठान ली।

विरेन्द्र ने उसे समझाया तो थोडे दीन तो वह शांत रहा। फीर चुपचाप उसने उस ईन्सान का पता ढूंढ लिया। एक दीन रात को वह बदला लेने पहोंचा।जीना चढकर उसने दीवार फांद ली। वह दबे पांव ड्राईंगरुम के पीछे के काच वाले दरवाज़े तक पहोचां। पडदें के बीच की जरा सी जगह मैं आंख लगा कर देखने लगा।

उसे अपनी आंख पर भरोसा न हो रहा था वहा सीमा थी जीस की छेड़खानी कर रहा था वह ईसलिए तो झगड़ा था। रोशन और सीमा बचपन के साथी , कॉलेज खत्म करके ही दोनो शादी करनेवाले थे। घरवाले भी राजी थे।तब ही सीमा का नया पडोशी आया ,उसे सीमा पसंद आ गई वह सीमा को तंग करने लगा।एकदिन पुरी कालोनी के सामने दोनो लडको मैं हाथापाई हो गई।

उस घटना के थोडे दीन बाद वह गायब हो गया। जब महिना भर वो घर न आया उनके घरवालोंने रोशन पर ईल्झाम लगा कर फसा दीयां।

रोशन चुपचाप वहा खडा रहकर घर के अंदर की हलचल देखने लगा।कुछ देर बाद उन्नीस बीस साल का एक लडका ड्राइंगरूम में आया ।उसे देखकर रोशन दंग रह गयां, जैसे अपने आप को ही देख रहा हो। वही नयन नक्स वही घुंघराले बाल।

थोडी देर बाद मा बेटे मै बहस छीन गई। वह लडका बोल रहा था" मैं नहीं जाउंगा ढूंढने , कहीं पी कर पडा होगा या पीटकर पडा होंगा।" सीमा बोली " तुम्हारा बाप है" लडका चिल्लाया " वह मेरा बाप नहीं है ये तुम भी जानती हो, मै भी जान गया हुं।" "मेरा वीजा लग जाए तो मैं चला जाउंगा और उम्रभर तुम्हारी शक्ल न देखुंगा।"वह तो वैसे भी मरने वाला है, तुम भी मेरे लिए मर ही गई हो।

रोशन दबे पांव वापस लोट गया जिंदगी की ओर, उसका बदला तकदीर ने ले लिया था।

डो.चांदनी अग्रावत 6/2/2024

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प्यार.कोम
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सीमा परेशान हो कर बार बार अपना ईस्टा चेक कर रही थी। उसका मैसेज न आया नहीं वह ओनलाईन दीखा। वह अपने आप को कोसती थी मै ही बेवकुफ हुं..न्युज पढे है कितने किस्से सुने है फीर भी ओनलाईन मीली और प्यार हो गया।


एकबार मिली और शादी करने की सोच ली। अब फोन भी नहीं लग रहा। सब दोस्त आते होंगे क्यां मुह दीखाउंगी। चली जाती हुं । लास्ट पांच मिनट रुकुंगी वर्ना यही रजीस्टार आफिस मै मेरा तमाशा बन जाएगां।

थोडी देर मै दीपाली, सुनिल ,सोनाली सब दोस्त आ गए।उसे अपने हाथो मे रखी फुलो की माला मुरझाती हुई लगी।उसकी भरी आंखे देख सब दोस्त सहम से गए। जाने की सोच रही थी पर पता नहीं कदम क्यो साथ नहीं दे रहे थे। मन उसके दीमाग से सहमत न था।

आधा घंटा और बीत गया। उसने जानेकी सोची सीडी उतरी ही थी। की एक एम्बुलेंस उसके पैरो के करीब आ खडी हुई।
उसमे से व्हीलचेयर पर सावन को देखकर ही वह डर गई उसके पैर और हाथ पे प्लास्टर था और शर पे पट्टीयां।वह रो पडी क्यां हुआ मुझे क्युं न बताया ? सवाल की झडीयां बरसाती वह सावन के गले लग गई।

सावनने हल्की मुस्कान से धीरे से बोला" क्युं ?जा रही थी। बस ईतना ही भरोसा था मुज पर?

डो.चांदनी अग्रावत