Dream to real journey - 15 in Hindi Science-Fiction by jagGu Parjapati ️ books and stories PDF | कल्पना से वास्तविकता तक। - 15

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कल्पना से वास्तविकता तक। - 15


अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं, तो आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से मिल जाएगी।

जीवन या मृत्यु का निर्धारण करना किसी के भी हाथ में नहीं होता है लेकिन अगर हमारे कर्म मृत्यु को प्राप्त करने योग्य है ,तो जीवन का मूल उद्देश्य अक्सर धुंधला पड़ जाता है ,और हमारे कर्म ही हमें मृत्यु की राह पर हर बार एक कदम आगे धकेल देते हैं ।

“तो आप सभी को कुछ तो अंदाजा होगा ही कि मिशेल ने अपने हिस्सों को किस तरह और कहाँ कहाँ रखा हुआ है ? ” नेत्रा ने काफी कुछ सुनने क बाद उन सब से प्रतिप्रश्न किया।

“ जी बिलकुल अंदाजा तो है ही ,जितना मैंने जाना है, उसके अनुसार अगर हम इस छोर से शुरुआत करते है तो मिशेल के लगभग सभी हिस्से इस सीधी रेखा में मिल ही जाते है। “ जिली ने एक दिशा में इशारा करते हुए कहा।

“ ओह सीधी रेखा में…. तो क्या छः के छः हिस्से बिलकुल सीधी रेखा में है ? “ कल्कि ने कुछ सोचे हुए पूछा।

“ जी बिल्कुल “

“ओके” कल्कि ने शून्य में देखते हुए ही खोये से स्वर में कहा ।

“ क्या हुआ क्या सोच रही हो तुम कल्कि ? “ नेत्रा ने कल्कि को किसी विचार में डूबा हुआ देखकर पूछा।

“ हम्म, अरे सोचने को दिमाग है ही कितना यार मेरे पास ,तुझे तो पता ही है मेरे दिमाग की वैल्यू , इस ऊपर वाले माले को तो कोई किराये पर भी नहीं लेता है,बस मैं तो मन ही मन मिशेल के दिमाग की दाद दे रही हूँ। “ कल्कि ने फिर से अधुरा सा जवाब देते हुए कहा।

“ एक तो तू ऐसे मौके पर भी पहेलियाँ मत बुझा कर कल्कि ,सीधे सीधे बता कौनसा रायता बना रही है। “नेत्रा ने थोड़े सख्त लहज़े से कल्कि से पूछा।

“ हूँ…रायता अभी तो कोई भी नहीं बना रही हूँ लेकिन अगर रायता बनाना भी पड़ा तो मैं बूंदी का बनाउंगी, जल्दी भी बन जायेगा और अच्छा भी लगता है खाने में। “ कल्कि ने एक आँख मींचते हुए मज़ाकिया लहज़े से कहा।

उसकी बातें सुनकर अब तक सब उलझन में आ गए थे , पहले तो उन्हे लगा था कि शायद कल्कि ने कोई कड़ी जोड़ ली है ,लेकिन अब उसकी हरकतों की वजह सबको थोड़ा बुरा भी लग रहा थे ,क्यूंकि वो ऐसे मौके पर भी मजाक कर रही थी।

“ कल्कि...... “ नेत्रा ने कल्कि की तरफ गुस्से से घूरते हुआ कहा।

“ अच्छा ठीक है बाबा , अब काम की बात करूं ? “

“ कबसे मैं भी तुझ शायद यही बोल रही हूँ , कि थोड़ा सीरियस हो जाया कर “

“चलो अच्छा ये बताओ की हमारे शरीर में कुल कितने चक्र होते है ? “ कल्कि ने सबकी तरफ देखते हुए पूछा।

“ सात “ जिली ने कहा।

“ अरे वाह, तुम्हे कैसे पता ? मुझे तो लगा था कि यहाँ बस मुझे ही इतना ज्ञान है। “ कल्कि ने आत्मगर्व से खुद को भरते हुए कहा।

“ मुझे इसलिए पता है ,क्यूंकि आपको पता है ,और जो आपको पता है हमें वो सब पता है , शायद आप भुल गयी हैं की हम गोलक्षी … “

“ हाँ हाँ पता है तुम गोलक्षी वो सब जानते ही हो जो हम जानते है। “ कल्कि ने उसकी बात पूरी करते हुए कहा, जिली ने कल्कि से कुछ नहीं कहा बस उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया जिसकी वजह से उसके दांत और भी भयानक लग रहे थे। कोई आम पृथ्वीवासी उसको इस तरह देखता यक़ीनन डर से ही उसके प्राण पखेरू हूँ जाते, पर कल्कि वो देख कर बिलकुल भी नहीं डरी थी। क्यूंकि उस भयानक चेहरे के पीछे की मासूमियत को वो भली भाँती जानती थी। अक्सर यही तो होता है कि पहली नजर पहले भले ही चेहरे पर टिकती हो पर साथ रहते रहते नजरे चेहरों से ज्यादा व्यक्तित्व में झांकने लगती है।

“ अब इतना बता ही दिए हो तो तनिक नाम भी बताई दो गट्टू के पापा “ कल्कि ने जिली को थोड़ा मजाकिया लहज़े से अपनी भाषा और हाव् भाव बदलते हुए कहा। उसकी इस हरकत पर जिली एक बार फिर से मुस्कुरा देता है, सबको भले ही कल्कि का इस तरह बोलना अजीब लगा हो लेकिन जिली को कुछ भी अलग नहीं लगा था, क्यूंकि वो तो कल्कि को , कल्कि से भी बेहतर तरीके से जान चूका था।

“ क्यों नहीं आप कही अऊर हम नाही बताई अईसन हो सकत का ?? “ जिली ने भी कल्कि के क़दमों के निशान पर चलते हुए उसी की भाषा में कहा।

“ प्लीज “

“ तो हमारे शरीर में कुल सात चक्र होते हैं, जिनमें पहला है मूलाधार, फिर स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा, और सबसे आखिरी होता है सहस्त्रार।” जिली ने एक सांस मेंअपनी उसी भारी आवाज से कहा।

“ बिलकुल सही बताया “ कल्कि ने अपने हाथ का अंगूठा ऊपर की तरफ करते हुए जिली से कहा।

“ वो सब तो ठीक है लेकिन चक्रों का इन सब से क्या लेना देना है कल्कि ?” नेत्रा ने पूछा।

“ चक्रों का ही तो सब लेना देना है मेरी जान “ कल्कि ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

“ मतलब”

“ मतलब मैं समझाती हूँ, देखो हमारे शरीर में कुल सात चक्र होते हैं ,जो बिल्कुल सीधी रेखा में हमारे शरीर में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते है। और हमारे शरीर की लगभग पूर्ण ऊर्जा इन्ही चक्रों में विद्यमान होती है। “

“ हाँ तो ?” रेयॉन अंकल ने भी बिच में पड़ते हुए कल्कि को टोका।

“ और मिशेल ने भी तो अपने हर हिस्से को बिल्कल सीधी रेखा में रखा हुआ है , और मेरे अनुसार तो वो हिस्से कुछ और नहीं बल्कि मिशेल के ऊर्जा चक्र ही होंगे।”

“ हाँ बिलकुल ऐसा हो सकता है क्यूंकि हमारा आधार ऊर्जा ही तो है। “ रेयॉन ने कल्कि की बात को समझते हुए कहा।

“ बिलकुल अंकल, और इन सबमें से ऐसा माना जाता है कि सबसे ज्यादा शक्तिशाली चक्र सहस्त्रार चक्र होता है ,क्यूंकि यही हमारी बुद्धि का आंकलन भी करता है। तो अगर गोलक्षी छः चक्रों का वास स्थान जानते है तो यकीनन सहस्त्रार ही मिशेल का सातवां ऊर्जा चक्र होगा। “ कल्कि ने भारी समझदारी के साथ कहा।

“चलो अगर ऐसा मान भी ले की ऐसा ही कुछ होगा , लेकिन फिर भी सहस्त्रार ही क्यों , कोई दूसरा चक्र भी तो हो सकता है न कल्कि ?” नेत्रा ने कहा।

“ नहीं कोई और नहीं हो सकता ,क्यूंकि इस समय मिशेल को अपनी बुद्धि से ज़्यादा कुछ भी प्रिय नहीं होगा, तुम ही देखो न नेत्रा, सहस्त्रार चक्र के अलावा जितने भी चक्र मौजूद है उन सब के बिना मिशेल किसी न किसी तरह गुजार भी सकता है, लेकिन अगर उसे अपना राज्य स्थापित करना है तो सबसे ज्यादा उसे बुद्धि की ही जरूरत होगी।और वैसे भी उसने अपना कोई भी ऊर्जा चक्र पूरी तरह खुद से अलग नहीं किया होगा , बल्कि वो बस हर चक्र का कुछ हिस्सा मात्र होगा, केवल उतना जिसके बिना वो जीवित भी रह सकता होगा ,और उतने ही जिसके बिना कोई उसे पूरी तरह नष्ट भी नहीं कर सकता होगा । “ कल्कि ने अपने दिमाग पर पूरा जोर डालते हुए कहा।

नेत्रा के साथ साथ सभी ने उसकी तरफ एक भारी उत्साह के साथ देखा, उनको देखकर लग रहा था कि मानो कल्कि उन सब को कोई परियों की कहानी सुना रही है ,जिसमें राक्षस की जान उसके तोते में होती है। एक पल के लिए कल्कि ने उन सब की तरफ देखा।

“आप सब मेरी तरफ ऐसे क्यों देख रहे हो ? “

“कुछ नहीं बस तुम्हारी कही बातों पर यकीन करने की कोशिश कर रहे है बेटा “ रेयॉन अंकल ने कहा।

“ तो फिर अब इतना दिमाग लगा ही दिया है तो अब ये भी बता ही दो की मिशेल ने अपना सातवां चक्र कहाँ छुपाया होगा ?” नेत्रा ने कहा।

“ आहाँ , मेरे में तो दिमाग है ही नहीं ,वो तो मैं बस मिशेल के दिमाग की बता रही हूँ। “ कल्कि ने फिर से मजाकिया लहज़े में हँसते हुए कहा।

“ ठीक है मेरी माँ यही बता दे की मिशेल ने वो सातवां हिस्सा कहाँ छुपाया होगा ?”

“ कहीं भी नहीं, मिशेल उसको छुपा ही नहीं सकता। “

“ क्या मतलब “ नेत्रा ने कहा।

“मतलब यही कि जहाँ मिशेल वहीँ उसकी बुद्धि। “

“ इसका मतलब मिशेल खुद ही वो सातवां हिस्सा है। “ रेयॉन अंकल ने कहा

“बिलकुल सही पकडे हो अंकल ,क्यूंकि बिना बुद्धि मिशेल खुद किसी काम का ही नहीं रहता, और अपने शरीर से अपने सभी चक्रों को दूर कर देना मूर्खता ही होगी , और जहाँ तक मेरा ख्याल है तो मिशेल इतना मुर्ख तो बिलकुल भी नहीं है। “ कल्कि ने दोनों हाथ घुमाते हुए कहा।

“ बिल्कुल, मिशेल का दिमाग कितना तेज है ये कहने वाली बात थोड़ी है। “ जिली ने नफरत से कहा।

गौर से देखने पर रेयॉन के चेहरे पर भी मिशेल के लिए कड़वाहट साफ़ देखी जा सकती थी।

“ ग्रमिल तुम नित्य से पुनः संपर्क साधने की कोशिश करो, हम जल्द से जल्द इस पुरे काम को अंजाम देना होगा ,हमसे अब उस मिशेल की हरकते और ज़्यादा बर्दास्त नहीं हो रही है, उसको भी तो पता चलना चाहिए कि हर बार वही नहीं होता है , जो वो चाहता है ,और इस बार तो बिलकुल भी नहीं। “ नेत्रा ने गुस्से से कहा ,और कहते कहते उसके शरीर का तापमान बढ़ गया था। क्यूंकि थी तो नेत्रा भी एक विथरपि वासी ही..... और अब धीरे धीरे विथरपी पर रहने की वज़ह से उसकी तरंगे भी मजबूत हो रही थी।

“ जी नेत्रा जी “ ग्रमिल ने कहा।

आख़िरकार ,मिशेल को भी उसके सम्पूर्ण जीवन काल के कर्मो ने उसको मृत्यु की तरफ एक कदम और आगे धकेल ही दिया था।

क्रमशः
यह भाग आपको कैसा लगा हमें समीक्षा लिखकर ज़रूर बताइए....और कहानी पूरी होने तक बने रहिए आपकी अपनी जग्गू के साथ...मिलते हैं अगले भाग पर..!🤪
© jagGu prajapati ✍️