Dream to real journey - 13 in Hindi Science-Fiction by jagGu Parjapati ️ books and stories PDF | कल्पना से वास्तविकता तक। - 13

Featured Books
  • तमस ज्योति - 51

    प्रकरण - ५१मेरे मम्मी पापा अब हमारे साथ अहमदाबाद में रहने आ...

  • Lash ki Surat

    रात के करीब 12 बजे होंगे उस रात ठण्ड भी अपने चरम पर थी स्ट्र...

  • साथिया - 118

    अक्षत घर आया और तो देखा  हॉल  में ही साधना और अरविंद बैठे हु...

  • तीन दोस्त ( ट्रेलर)

    आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं हम एक नया उपन्यास जिसका...

  • फाइल

    फाइल   "भोला ओ भोला", पता नहीं ये भोला कहाँ मर गया। भोला......

Categories
Share

कल्पना से वास्तविकता तक। - 13

अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं, तो आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से मिल जाएगी।

हर घटना के होने का एक सही समय निर्धारित होता है, न ही उस से पहले तो, ना ही उसके बाद उस घटना के होने का कोई औचित्य ही रह जाता है। अब रात ढलने के बाद अगर सूरज दोपहर को उगे तो ?? या आधी रात को ही उग आये तो …तो शायद उसका आना सभी के लिए परेशानी देने वाला वाला ही होगा। इसलिए हर होनी की अच्छाई उसके होने के समय पर भी निर्भर करती है।

ग्रमिल शायद किसी और समय हिंदी सीखता या उन सबकी बातें समझ पाता ,तो शायद ही किसी को इतनी ख़ुशी होती ,जितनी की अब सबको हो रही थी। क्यूंकि यही उस घटना के होने का सही समय था। नेत्रा और कल्कि कितने ही दिन से उनके साथ थे लेकिन वो आज ही जान पाए कि विथरपी वासी ऐसा भी कुछ क़र सकते है ,क्यूंकि सही समय आने में तब वक़्त था।

“ओह तेरी..... सही है दोस्त, तुम तो चलते फिरते मोबाइल ही हो मतलब, तुमने हमें पहले क्यों नहीं बताया ये?? हम भी अपनी धरती पर बात वात कर लेते कभी किसी से " कल्कि ने ग्रमिल के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। ग्रामील उसकी ये बात सुनकर मुस्कुरा दिया “ वो कभी बताने की जरूरत ही नहीं पड़ी, और वैसे भी बात करने में काफी समय लगता है, बात के पहुंचने की दर बिच की आपसी दूरियों पर निर्भर करती है ,और धरती तक बात पहुंचाने में तो शायद हफ्ते लग जाते ,और बिना कीसी सटीक पते के हो सकता है कि हमारी आवाज लम्बे समय तक आकाश में ही गूंजती रहती और हर धरती वासी उसे सुन पाता “ उसने कहा।

“हूँ ,तुम तो डब्बा फोन हो फिर ,हमारे यहाँ ये मॉडल कबके बंद हो चुके है ,आजकल तो एंड्राइड फोन चलते है धरती पर, यूँ चुटकियों में किसी से भी बात कर लो। " कल्कि ने चुटकी बजाते हुए कहा।

“ कल्कि बस करो अब " नेत्रा ने कल्कि को आँखें दिखाते हुए कहा। ”ग्रमिल तुम ये बताओ कि वहां नित्य तक अपनी बात पहूंचाने में तुम्हे कितना समय लगेगा ?” नेत्रा ने ग्रमिल की तरफ मुड़ते हुए कहा।

“जहाँ तक मेरा ख्याल है नेत्रा जी ,नित्य हमसे कुछ ज्यादा दूर नहीं है तो कुछ मिनटों में मेरी आवाज उस तक पहुंच जाएगी।”

“बढ़िया, और तुम्हे कैसे पता चलेगा की उसको बात सुन गयी है या नहीं ?”

“वो हमें अपने आप ही मन में महसूस हो जाता है नेत्रा जी " ग्रमिल ने नपा हुआ सा जवाब दिया।

“ठीक है तो फिर तुम उस से एक बार संपर्क करने की कोशिश करो। " नेत्रा ने कहा।

“जी " ये कहते हुए ग्रामील आराम से अपनी आँखें बंद कर लेता है।

“नित्य अस्तु ग्रमिल , नित्य वसु ग्रमिल “(नित्य मैं ग्रमिल , नित्य क्या तुम ग्रमिल को सुन पा रहे हो ) .

ग्रमिल काफ़ी देर तक नित्य से बात करने कोशिश करता है, सब एकटकी लगाए उसकी तरफ ही देख रहे थे ,ग्रमिल के चेहरे पर एक साथ कईं भाव आ जा रहे थे। कुछ देर बाद ग्रमिल आँखें खोलता है ,तब उसके चेहरे का रंग फीका पड़ा हुआ होता है।

“क्या हुआ ग्रमिल, नित्य से बात हुई आपकी ??” कल्कि ने उसके उठते ही उस पर सवाल दागते हुए कहा।

“नहीं .... ” ग्रामील ने मायूस स्वर में कहा।

“क्या ? लेकिन क्यों ??” रेयॉन ने पूछा।

“पता नहीं क्यों , लेकिन उसके पास हमारी आवाज पहुंच तो रही है , पर वो सुन नहीं रहा है। “

“ओह , नित्य और युवी ठीक तो होंगे ना,,,,,कहीं......... “

“नहीं कल्कि जी , उहने कुछ नहीं हुआ होगा ,अगर हुआ होता तो हमें पता चल जाता , हो सकता है नई जगह हो तो आसानी से आवाज उस तक पहुंच ही ना पा रही हो , मैं एक बार दोबारा कोशिश करता हूँ ,आप चिंता ना करें। " ग्रमिल ने कल्कि के उतरे चेहरे को देखते हुए कहा , और एक बार फिर से नित्य से बात करने की कोशिश करने लग जाता है।

वहीं दूसरी ओर.....

नित्य को बामी ने बुरी तरह से जख़्मी कर दिया था,वो अधमरा सा बेहोशी की हालत में था, युवी ने उसको अपनी गोद में लेटाया हुआ था। वहां उन दोनों के अलावा बस वो अजीब डरावनी किस्म की दीवारें दिख रही थी। युवी बुरी तरह से डरी हुई थी , उसकी आँखों से आंसू सूखने का नाम ही नहीं ले रहे थे। वो बार बार नित्य के कभी माथे, तो कभी गाल पर हाथ फिरा रही थी। बीच बिच में वो उसके हाथ भी रगड़ रही थी ,जो बर्फ की तरह ठंडे पड़ चुके थे, नित्य का जामुनी रंग भी अब हल्का गुलाबी सा लग रहा था ,मानो किसी ने उसके शरीर से खून ही चूस लिया हो। नित्य की बंद आंखें भी धीरे-धीरे हिल रही थी ,मानो वो खुद भी जागने का प्रयास कर रहा हो ।

“नित्य प्लीज आंखें खोलो, नित्य क्या तुम मुझे सुन पा रहे हो नित्य ? " युवी ने नित्य के गाल को सहलाते हुए कहा।

“नित्य प्लीज़ उठ जाओ , यहाँ मैं अकेली सब कुछ कैसे सम्भालूंगी। “ युवी ने फिर से नित्य को जगाने की कोशिश से कहा। युवी अब सच में डर गयी थी ,वो लगातार रोये जा रही थी। वो जानती थी कि उसका कहा एक शब्द भी नित्य समझ नहीं सकता है ,लेकिन फिर भी वो बार बार उसको उठाने का प्रयास कर रही थी।

उधर से ग्रमिल की आवाज भी बार बार नित्य के कानो से टकरा कर जा रही थी ,ग्रमिल की उस आवाज की वजह से बेहोशी में भी उसकी चेतना पूरी तरह बेहोश नहीं थी। वो युवी के रुदन की आवाज़ हल्की हल्की सुन पा रहा था ,बस तकलीफ़ की वजह से उसकी आँखें नहीं खुल रही थी। जैसे जैसे उसकी चेतना जाग रही थी वैसे वैसे ही उसके जख्मों का दर्द भी कम हो रहा था,और धीरे धीरे जख्म भर भी रहे थे। नित्य का दर्द कम होते ही वो धीरे से अपनी आंखें खोलता है। कुछ पल के लिए तो उसको याद ही नहीं आता है कि वो कहाँ है ? लेकिन जब वो युवी को रोता हुआ देखता है , तब उसके दिमाग में कुछ ही क्षण में पूरी यादें घूम जाती है ,और एक बार फिर से गुस्से में उसकी मुठियाँ भींच जाती है। जब उसको एहसास होता है कि वो युवी की गोद में लेटा हुआ है , और युवी रो रही है, वो अचानक से उठ जाता है। जिसकी वजह से युवी ,जो कब से शून्य में निहारते हुए उदास सी बैठी थी ,लेकिन उसकी आँखों से आंसू तब भी बह रहे थे , उसका ध्यान एक बार फिर से नित्य की तरफ जाता है। युवी जल्दी से अपने आंसू पोंछती है, वो दोनों ही खड़े होते है, तभी अचानक ही युवी नित्य के गले लग जाती है।

“नित्य, तुम्हे होश आ गया ?, तुम ठीक हो नित्य?? पता है मैं कितना डर गयी थी..... अगर आज तुम्हे कुछ हो जाता तो मैं कभी खुद को माफ़ नहीं कर पाती ,क्यूंकि तुम अभी जिस भी हालत में हो उन सबकी जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ मैं हूँ। “एक बार फिर युवी के गालों से दो बून्द आंसू के लुढ़क गए थे।

“अस्तु विणा युवी ,नस्तु जेकरि। “(मैं ठीक हूँ,तुम इतना चिंता न करो युवी ) नित्य ने युवी के सर पर हाथ फिराते हुए कहा। जब युवी को अपनी हरकत का एहसास व तो जल्दी दूर हो गयी।

नित्य आगे बढ़कर युवी के गाल से आंसू साफ़ किये और हल्का सा मुस्कुराया । भले ही उन दोनों को , एक दूसरे का कहा एक लफ्ज भी समझ नहीं आया था लेकिन वो एक दूसरे की आँखों में खुद के लिए फ़िक्र को साफ़ समझ सकते थे।

युवी उसकी बातें सुनकर कुछ पल के लिए बिलकुल शांत सी खड़ी हो गयी थी ,उसके मन में एक साथ कई भावनाएं उमड़ रही थी ,लेकिन किसी को भी वो समझ नहीं पा रही थी , नित्य के होश में आते ही वो खुद नहीं जानती थी कि क्यों वो खुद को इतना महफूज सा महसूस कर रही है ,क्यों उसके सिर्फ आंसू पोंछने से उसके मन से मानो सारे दर्द तो गायब ही हो गए थे। दोनों ही एक दूसरे की तरफ एक मासूम से भाव से देखे जा रहे थे, और उनके होंठो पर खुद ही हल्की सी मुस्कान बिख़र गयी थी।

“नित्य अस्तु ग्रमिल , नित्य वसु ग्रमिल?? “(नित्य मैं ग्रमिल , नित्य क्या तुम ग्रमिल को सुन पा रहे हो ) नित्य के कानो में जब एक बार फिर यही आवाज गुंजी तब उसका ध्यान युवी की तरफ से हट कर उस और गया और वो तुरंत समझ गया कि ग्रमिल उस से बात करना चाहता है ,उसने तुरंत आँखें बंद की और कहा “ग्रमिल वसु नित्य “.

“निजा यु अने युवी ?“ ( क्या तुम और युवी ठीक हो नित्य ?) ग्रमिल ने कहा।

“अस्तु विणा ,अने विणा युवी ग्रमील ,विणा वस्तु निजा? “ (हाँ मैं ठीक हूँ, और युवी भी ठीक है ग्रमिल ,क्या तुम सब उस और सुरक्षित हो ग्रमिल ??)

“अजु विणा “ (हाँ हम सब ठीक है )

“श्रुतबे नित्य, ओन निदरि पलापे ,अजु गेदर जना मिरति, इष्ठा ? ‘(अब ध्यान से सुनो नित्य, तुम अब निरन्तर मेरे संपर्क में रहोगे ,हमसब मिलकर तुम्हे आजाद करा लेंगे, योजना का मिशेल वाला हिस्सा तुम दोनों संभालोगे ,ठीक है। )

“इष्ठा “(हाँ ठीक है ) ये कहते हुए नित्य आंखें खोल लेता है , युवी अब भी उसकी तरफ ही देख रही थी ,वो युवी के मासूम जामुनी चेहरे को देखकर एक बार फिर से मुस्कुरा देता है।

वहीं दूसरी और ग्रमिल वहां सभी को बताता है की उसका नित्य के साथ सम्पर्क हो गया हिअ और वो दोनों सुरक्षित है। ये सुनकर सभी को एक सुकून भरी राहत मिलती है।

“क्या सच में वो दोनों ठीक है , युवी भी ? और वहां सब कैसा है , वो मिशेल उन्हें कोई नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा है ना ? और युवी…. “ कल्कि लगातार फ़िक्र से बोले जा रही थी।

“कल्कि बस कर एक साथ कितने करेगी ? ग्रमिल ने अभी बताया तो कि वहां सब ठीक है ,और तेरी युवी भी ठीक है उसकी इतनी फ़िक्र मत कर। “ नेत्रा ने युवी के सर पर हाथ रखते हुए कहा।

“मैं , मुझे फ़िक्र, नहीं तो ,मुझे उसकी फ़िक्र थोड़ी हो रही है मैं तो बस वैसे ही पूछ रही थी। “कल्कि ने नजरे हुए कहा।

“अच्छा ,तो तुझे उस की फ़िक्र नहीं है हाँ?, झूठी कहीं की , अपनी जुबान के साथ साथ इन आँखों को भी झूठ बोलने की नसीहत दे दिया कर तू ,वरना तेरे झूठ में ये तेरा साथ नहीं देती। “ नेत्रा ने कल्कि की आँखों की तरफ इशारा करते हुए कहा। कल्कि नेत्रा की इस बात से ऐसे घबराई मानों उसकी कोई बड़ी चोरी पकड़ी गयी हो।

“ चलो ये सब तो छोडो, भगवान का शुक्र है कि सब ठीक है। “ नेत्रा ने कहा।

“हाँ सही कहा अब तो ये देखो कि अब आगे हम सबको मिलकर उस मिशेल से सबको छुटकारा कैसे दिलवाना है। “ कल्कि ने कहा।

“सिर्फ छुटकारा नहीं उसे अपने किये की सजा भी मिलनी चाहिए ,और सज़ा मौत से भी इतनी भयंकर होनी चाहिए कि वो तड़पता हुआ खुद मौत की भीख मांगे। विथरपी पर राज करने से पहले उसको वहां रहे वालों का भी तो पता होना चाहिए। “ ग्रमिल ने मिशेल की सोच पर व्यंग्य कसते हुए कहा।

“बिल्कुल, मुझे भी उस से अपने कईं हिसाब छुट्टे करने है। “ रेयॉन ने आँखों में जहाँ भर नफरत भरते हुए कहा।

लेकिन कब तक सब ठीक रहेगा ,ये कोई नहीं जानता था, क्यूंकि हर घटना के होने का अपना एक निर्धारित समय होता है, न उस से पहले न उसके बाद , निर्धारित समय पर होती है।

“ सुनो तुम नित्य के दिमाग़ का क्लोन बनाने की विधि शुरू करो…. “ तरफ़ मिशेल बामी को कह रहा था।

सब ठीक है लेकिन कब तक ??

क्रमशः
यह भाग आपको कैसा लगा हमें समीक्षा लिखकर ज़रूर बताइए....और कहानी पूरी होने तक बने रहिए आपकी अपनी जग्गू के साथ...मिलते हैं अगले भाग पर..!🤪

© jagGu prajapati ✍️