Dream to real journey - 12 in Hindi Science-Fiction by jagGu Parjapati ️ books and stories PDF | कल्पना से वास्तविकता तक। - 12

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कल्पना से वास्तविकता तक। - 12




अगर आप इस धारावाहिक को पूरा पढ़ना चाह्ते हैं तो , आपको हमारी प्रोफाइल पर इसकी पूरी सीरीज शुरुआत से मिल जाएगी।

उम्मीद भी बहुत बुरी चीज़ है ,जब तक मिलती नहीं तब तक मिलने की तड़प रहती है ,और जब मिलकर टूट जाए तो नाउम्मीदी से भी ज्यादा दुःख देती है…. तभी तो कहते है कि

“”उम्मीद भले हमें कुछ देरी से दो या न ही दो,
पर यूँ देके उम्मीद हमें भी उसके साथ,
तोड़ जाने की गुस्ताख़ी तुम मत करना। “”


रेयॉन की बातें सुनकर सब के मन में एक बार फिर से उम्मीद की किरण जाग जाती है।

“आपके कहने का मतलब है कि मिशेल को हम सब मिलकर हरा सकते हैं ??” नेत्रा ने देखते हुए कहा।

“हाँ बिल्कुल ,मैंने यही कहा है और मेरे कहने का मतलब आपने भी बिलकुल सही समझा है।” रेयॉन ने नेत्रा के उत्साहित चेहरे को देखते हुए कहा।

“लेकिन कैसे ?? आपने तो कहा था कि वो बहुत शक्तिशाली है। …”कल्कि ने रेयॉन की तरफ देखते हुए कहा।

“ हाँ ये सवाल आपका अच्छा है ..... दुश्मन से भिड़ने से पहले उसकी खामियां ,खुबिया जान लेना भी बहुत जरूरी होता है..... मिशेल में खुबिया तो पता नहीं क्या क्या होगी लेकिन हाँ उसकी एक खामी ये है कि वो अपने अलावा हर दूसरे को खुद से कम ही हांकता है। और अब यही बात उसको हराने में हमारी मदद करेगी। “ रेयॉन ने कहा।

“और वो कैसे ??” नेत्रा और कल्कि एक साथ बोले।

रेयॉन ने बारी बारी से उनकी तरफ देखा “ वो ऐसे कि उसको लगता है हम सब उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते, लेकिन वो भूल गया है कि वो इतना शक्तिशाली भी मेरी ताक़त उसकी ताकत के साथ जुड़ने के बाद था। सोचो जब सिर्फ मेरा मिल जाना उसको वहां पहुंचा सकता है तो क्या हम सब मिलकर उसको उसकी औकात तक भी नहीं ला सकते है ??”

“हाँ क्यों नहीं बिल्कुल ला सकते है काका, आप बस हमें ये बताइये कि हमें क्या करना है....... हम सब गोलक्षी भी मिशेल को हराने में जितनी हो सकेगी आपकी मदद करेंगे ...... .और फिर हमेशा के लिए उसके चंगुल से खुद को और अपने गोलाक्ष को आजाद करा देंगे।” जिली ने एक हाथ की मुट्ठी भींचते हुए कहा.

“हाँ बिल्कुल काका हम सब आपके साथ है। ” वहां खड़े सभी गोलक्ष वासी भी एक आवाज़ जिली के साथ कहने लगे।

“लेकिन काका आप तो जानते ही है कि मिशेल को मारना इतना भी आसान नहीं है, क्या आपको पूरा यकीन है कि हम सब मिलकर भी उसे हरा सकते है ?” जिली ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा।

“अरे आप ऐसा क्यों कह रहे हैं ,अगर हम सब मिलकर प्रहार करेंगे जब उसकी शक्तियां भी आखिए कब तक उसका साथ देगी ??” कल्कि ने कहा।

“हाँ बिल्कुल सही कहा कल्कि ने, मिशेल है तो ही कोई है कि अमर ही हो गया हो। “ नेत्रा ने कल्कि की बात पर अपनी सहमति की मोहर लगाते हुए कहा।

“अगर तुम उसको अमर भी समझो तो गलत नहीं होगा, क्योंकि उसको मारना अमरता को भंग करने के ही समान है। “ जिली ने नेत्रा और कल्कि से कहा, और वहां खड़े सभी गोलक्षियों की आँखें निराशा से उनके मुँह को देखने लगी।

“मतलब, आप कहना क्या चाहते हो मैं आपकी बात का मतलब समझी नहीं। ” कल्कि ने कहा।

कल्कि और नेत्रा प्रश्न भरी नजरों से उनकी तरफ़ देखा।

“दरअसल , मिशेल एक ही जगह नहीं है वो फैला हुआ है। ” रेयॉन ने कहा।

“फैला हुआ है...... अब इसका मैं क्या अर्थ समझू अंकल ?” कल्कि ने कहा।

“उसने खुद को कई हिस्सों में बांटा हुआ है. सब के सब गोलक्ष की कुछ ख़ास जगहों पर रखें हुए है, और उन पर कड़ा पहरा भी लगाया हुआ है। ” रेयॉन ने कहा।

“तो ये तो और भी अच्छा हुआ ना अंकल , हम सब मिलकर धीरे धीरे जैसे ही उसके हिस्सों को खत्म करते जाएंगे वैसे वैसे ही, उसकी शक्तिया कम होती जायेगी।” कल्कि ने कहा।

“नहीं, हम ऐसा नहीं कर सकते ?”रेयॉन ने कहा।

“और वो क्यों भला ??” कल्कि ने पैक और प्रश्न करते हुए उनसे पूछा।

“क्यूंकि अगर हम किसी हिस्से को नष्ट भी तब भी उसका बचा हुआ हिस्सा उन सबको कुछ ही समय में पुनर्जीवित करने की काबिलियत रखता है। इस वजह से हमें उसके सभी एक साथ नष्ट करना होगा। “ रेयॉन ने कहा।

“ओह......!!” कल्कि ने आँखें बड़ी करते हुए कहा।

“इतना ही नहीं, हम सबने मिलकर उनको नष्ट करने की कोशिश भी की थी , और हमने उसके सरे छः के छः हिस्से समाप्त भी कर दिए थे। “ जिली ने कहा।

“अच्छा.. फिर वो अब तक जिन्दा कैसे हैं ??”

“क्यूंकि तब हमें पहली बार पता चला कि उसके छः नहीं कुल सात हिस्से हैं ,जिनमें से आखिरी हिस्सा कहाँ है और कौन सा है ये कोई नहीं जानता है। “ जिली ने फिर से बुझे से स्वर में कहा।

ये सुनकर सबको एक बार फिर से झटका लगा था।उनको पहले ही जितने की उम्मीद कम ही थी, और कहते है ना उम्मीद की किरण पर बादल अक्सर जल्दी छा जाया करते है, लेकिन उम्मीद को अवसर में बदल कामयाबी की राह पा लेने की भी अलग ही ख़ुशी होती है ,नेत्रा और कल्कि मुश्किल चीज़ों के आसान रास्ते बनाना अच्छे से जानती थी। बचपन से वो यही तो करती आई थी।

“तो क्या हुआ कि अभी हम नहीं जानते लेकिन जान तो सकते है ना ..... कोशिश करेंगे तो जान भी जायेंगे। कुछ नहीं करेंगे तो हार ही जायेंगे … और मैं बिना कुछ किये हार नहीं मान सकती ,क्यूंकि हमारी हार की कीमत हमें हमारे दोस्तों की जान से चुकानी पड़ेगी, अगर कोशिश में जान चली भी गयी तो गम तो नहीं होगा ना कि हमने कोशिश नहीं की थी। “ नेत्रा ने बुलंद आवाज में कहा। कल्कि और ग्रमिल ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाई।

“ ठीक है अगर आप सब तैयार है ,तो हम भी होने गोलक्ष की रक्षा के लिए आप सब के साथ है।” जिली और उसके साथियों ने अपनी आँखें लाल करते हुआ कहा।

“तो फिर हम सबको कम से कम सात भागों में बांटना होगा, ताकि मिशेल के हर हिस्से को एक ही समय पर नष्ट किया जा सके, और इसके लिए हम सब अपनी अपनी अलग खासियत का प्रयोग करेंगे।” रेयॉन ने कहा।

“अलग अलग खासियत जैसे ?” नेत्रा ने पूछा।

“ जैसे गोलक्ष वासियो में दिमाग पढ़ने की शक्ति सबसे ज्यादा तेज है ,उसके साथ ही ये आसानी से किसी दूसरे से ,चंद पलों में कुछ भी नया सिख भी सकते है और उन्हें कुछ नया सीखा भी सकते है। “ रेयॉन ने जवाब दिया।

“ओह, क्या सच में ?? “ कल्कि ने आँखें बड़ी करते हुए कहा।

“हाँ बिल्कुल “ रेयॉन ने जवाब दिया ।

“ तो फिर क्या ये ग्रमिल को हमारी भाषा मतलब हिंदी और हमें इसकी भाषा भी सीखा सकते है क्या ??” कल्कि ने पूछा।

“हाँ क्यों नहीं, आप बस कुछ समय रुकिए हम अभी सीखा देते हैं। “

जिली कहते कहते ग्रमिल की तरफ मुड़ गया , धीरे धीरे उसकी आँखों का रंग पहले लाल हुआ ,फिर गहरा काला होने लगा…. उसके साथ ही ग्रमिल के माथे पर भी अजीब सी दिखने वाली काली रेखाएं खिंच गयी ,और इस से पहले की कोई समझ पाता वह गायब भी हो गयी। जब उन्होंने जिली की तरफ देखा तो उसने अब आंखें बंद की हुई थी, उसने एक झटके से आंखी खोली तो ग्रमिल की माथे पर एक झटका महसूस हुआ ,जिसके साथ ही वो गिरते गिरते बचा। अब जिली और ग्रमिल फिर से सामान्य लग रहे थे। नेत्र और कल्कि ये किसी अनोखे चमत्कार से काम नहीं था , वो बिना पालक झपकाए ये सब देख रही थी.

ग्रमिल के कुछ सामान्य होते ही , कल्कि ने उसके चेहरे के सामने हाथ हिलाते हुए कहा “हेलो ! ग्रमिल क्या तुम मुझे समझ पा रहे हो ?”

ग्रमिल कुछ पल के लिए शांत रहा फिर उसने कहा “ हाँ कल्कि जी ,मैं आपको सिर्फ समझ ही नहीं सकता बल्कि अपनी बात आपको समझ सकता हूँ “ और उसके चेहरे पर काफी समय बाद एक हल्की से मुस्कान दिखाई दी थी। उसको देख कर कोई नहीं कह सकता था की वो पहली बार हिंदी बोल रहा था।

कल्कि तो मानो बूत बनी हुई उसकी तरफ देख रही थी। उसको बिल्कुल शांत देखकर नेत्रा ने उसके कंधे पर हल्की से थपकी देते हुए कहा “कल्कि, तुम ठीक हो। “

“आह. ओह माय गॉड ,कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही ,ग्रमिल हिंदी बोल रहा है,.... वाऊ “ कल्कि ने अपने दोनों गलों को पकड़ते हुए कहा।

उसकी इस हरकत पर इतने तनाव के माहौल में भी सबके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान चा गयी थी।

“अच्छा तो विथरपी वासियों की खासियत क्या है बताओ ?” रेयॉन ने फिर से मुद्दे की बात पर सबका ध्यान लगाते हुए कहा।

“हूँ, इनकी स्पेशलिटी है इनकी तरंगे, यही है जो इन्हे सबसे अलग बनाती है। “ नेत्रा ने जवाब देते हुए कहा।

“हाँ सही कहा उसका नमूना तो कुछ समय पहले हम देख ही लिया है। “ रेयॉन ने ग्रमिल के कुछ समय पहले गुस्से में उसके बढ़ते तापमान को याद करते हुए कहा।

“और अंकल हम ,हममे तो कुछ भी ख़ास नहीं है ,ना ही इनकी तरह कोई सुपरपावर ही है हमारे पास। “ कल्कि ने मासूम सा चेहरा बनाते हुए कहा।

“किसने कहा की हम में कुछ खास नहीं है ? हमारी सबसे बड़ी खासियत है हमारा दिमाग।।। मत भूलो की गोलक्षी सिर्फ उतना ही जान सकते है ,जितना हम सोचते है ,लेकिन हमारे सोचने की क्षमता असीमित है। “ रेयॉन ने बुलंद आवाज से कहा , और सच भी था इंसान का दिमाग वो भी कर सकता है ,जो इंसान खुद भी नहीं जानता कि वो क्या क्या कर सकता है।

“लेकिन अब भी एक समस्या है। “ जिली ने कहा।

“और वो क्या है “ रेयॉन ने भी असमंजस से जिली की तरफ देखते हुए कहा।

“वो ये है काका ,कि तरह खत्म करने के लिये हम में से एक को तो मिशेल के पास भी जाना होगा… लेकिन उसने तो खुद को अभी उस पिंजरे में कैद कर रखा है, और पता नहीं कितने दिन वो तो वही रहेगा ? “ जिली ने कहा।

रेयॉन को भी उसकी बात में दम लगा , वो सोच ही रहा था तभी नेत्रा ने कहा “ अरे उसके बाहर आने का इंतज़ार क्या करना , वहां पर युवी और नित्य है तो सही ,वो वहां संभाल लेंगे। “

“हाँ सही कहा “ कल्कि ने कहा।

“संभाल तो लेंगे बेटा लेकिन उन्हें बताएगा कौन, बाहर से आवाज पहुंचना तो दूर की बात वो हमें देख भी नहीं सकते है ?” रेयॉन ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा।

ये सुनकर नेत्रा भी कुछ परेशान सी हो गयी ,तभी ग्रमील ने कहा “उसकी चिंता आप सब मत करिये वो मैं संभाल लूंगा “

ये सुनके सबने उसकी तरफ देखा मानो पूछ रहे हों कि वो कैसे देख लेगा ?

“अरे ! ऐसे क्या देख रहे हो ,नेत्रा जी ने सिर्फ हमारी एक खासियत आप सबको बताई है, हम विथरपी वालों में एक और खास बात है की हम एक दूसरे से मन ही मन भी बात कर सकते हैं, भले ही दूसरा व्यक्ति कहीं भी हो। बशर्ते वो जिन्दा होना चाहिए,और हमसे बात करने का इच्छुक भी होना चाहिए।।।।” ग्रमिल ने कहा।, और सब उसकी तरफ एक अलग ही भाव से देखने लगे।

क्यूंकि एक बार फिर से उन सब को उम्मीद की किरण मिल गयी थी।



© jagGu parjapati ✍️