Dream to real journey - 10 in Hindi Science-Fiction by jagGu Parjapati ️ books and stories PDF | कल्पना से वास्तविकता तक। - 10

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कल्पना से वास्तविकता तक। - 10

1.पूरी कहानी समझने के लिए आप पिछले भाग, हमारी प्रोफ़ाइल विंडो से पढ़ सकते हैं

हर बार सत्य का अटल होना जरूरी नहीं होता है...क्योंकि जिसे हम सत्य मान कर चल रहे होते हैं...हो सकता है वो संपूर्ण सत्य ना होकर सत्य का सिर्फ एक पहलू मात्र ही उजागर करता हो...और पहलू दर पहलू सत्य का रूप बदल जाता हो... हां लेकिन ये कहना भी गलत नहीं होगा कि संपूर्ण सत्य हमेशा अटल होता है।

रेयॉन अंकल का विथरपी और गोलक्ष दोनों जगह होना ..कल्कि और नेत्रा को एक सत्य को नकारने पर विवश कर रहा था।

जीली और ग्रमिल पीछे खड़े हुए थे...ग्रमिल भले ही एक शब्द नहीं बोल रहा था...पर वो भी रेयॉन अंकल को देखकर थोड़ा असमंजस में आ गया था।

कल्कि और नेत्रा के मुंह से अपना नाम सुनकर रेयान भी थोड़ा हैरान हो गया था। उन्होंने भी अपनी दुविधा दूर करने के लिए उनसे पूछा।

" तुम मेरा नाम कैसे जानती हो??"

"अंकल क्या आप सच में हम सबको नहीं जानते हो ? मेरा मतलब आपको कुछ भी याद नहीं है ?" नेत्रा ने फिर से अपना चश्मा ठीक करते हु कहा।

" अरे जानना या न जानना तो एक अलग बात है यार तू ये सोच ना कि ये यहाँ कैसे हैं ....मेरा मतलब ये तो विथरपी पर थे ना ?" कल्कि ने नेत्रा की एक बाजू को हाथ से पकड़ कर उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा।

"क्या?? लेकिन ये कैसे संभव है, काका तो कितने ही सालों से हमारे साथ ही रह रहे हैं।..तो उनके उस ओर जाने का तो कोई मतलब ही नही है।" जिली ने उसी गरजती सी आवाज़ में अपनी बात रखते हुए सर खुजलाया, जिसने कल्कि की बात सुन ली थी ।

सब अब एक दूसरे की तरफ अचरज भरी निगाहों से देख रहे थे , सब समझना इतना आसान था भी नहीं , उनमें से किसी ने भी रेयॉन अंकल के यहाँ मिलने की उम्मीद कभी नहीं की थी, नेत्रा ,कल्कि,और ग्रमिल सबके मन में एक ठगे जाने का डर धीरे धीरे घर कर रहा था। उन सबको अब कहीं न कहीं लग रहा था कि कहीं फिर से उनके साथ, कोई चाल तो नहीं खेली जा रही है।

"हम्म , तो तुम्हारे कहने का मतलब है तुमने मुझे कहीं और भी देखा है ??" रेयॉन ने उनकी तरफ सवालिया निगाहों से देखा ।

"अरे अंकल सिर्फ देखा नहीं है, बल्कि वो आप ही तो थे जिन्होंने हमें यहाँ भेजा है ,और आने का रास्ता बताने वाले भी तो आप ही ..मेरा मतलब आप नहीं वो आप जैसे ही थे, लेकिन फिर आप दोनों के नाम कैसे एक जैसे ही है, इतने इत्तेफ़ाक़ एक साथ तो नहीं हो सकते है ना ....आआ मैं सोच सोच का पागल हो जाउंगी । " कल्कि ने अपने बाल नोचते हुए कहा ।

" हाहाहा ..क्यूंकि ये इत्तेफ़ाक़ का नहीं सब साइंस का खेल है । " रेयॉन ने कुछ सोचते हुए कहा ।

"आप कहना क्या चाहते है अंकल....अअ ..मेरा मतलब सर , हम समझे नहीं " नेत्रा ने भारी समझदार से उनकी तरफ़ देखा।

"कोई बात नहीं मैं समझाता हूँ, लॉ ऑफ़ कंज़र्वेशन सुना है ,मेरा मतलब ऊर्जा रूपांतरण का मतलब जानते हो ??"

"हाँ बिल्कुल , वो तो सबको ही पता होता है ?"कल्कि ने कहा ।

"नहीं ,ऐसा नहीं है कि सबको पता हो ..... चलो वो सब छोड़ो, बस ये समझ लो उसी की वजह से आप सब ने मुझे यहाँ और वहां भी देखा है, वो भी मेरा ही एक रूप होगा। "

"अरे ऐसे कैसे कह सकते है आप, और हम कैसे माने कि आप सही ही बोल रहे है।" नेत्रा ने उनकी बात पर उन्हें टोकते हुए कहा ।

"देखो मैं बताता हूँ ,कि मैं कैसे सही बोल रहा हूँ,मुझे पूरी तरह तो यकीन नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि जब मैं धरती से यहाँ आया होऊंगा तब मेरी स्पीड प्रकाश से भी तेज़ थी, जिसकी वजह से मेरे शरीर का पूरा भार ऊर्जा में बदल गया होगा, लेकिन जब स्पीड कम होने पर ये वापिस भार में बदलने का प्रयास कर रहा होगा, तब तक मेरी ऊर्जा दो हिस्सों में बंट चुकी होगी, और एकदूसरे के विपरीत जा रही होंगी ,और वो दोनों ही हिस्से एक ही ऊर्जा के थे तो जब वो वापिस से मेरे शरीर में बदले होंगे, तो एक जैसे ही दो रूप ले लिए होंगे ....और नतीजन आप मुझसे दो अलग अलग जगह मिल पा रहे हो ..समझे अब ??" रेयॉन ने नजर भर सबकी तरफ देखते हुए कहा ।

भले ही कोई समझा हो या ना समझा हो लेकिन नेत्रा जानती थी कि रेयॉन अंकल जो कह रहे हैं ,उसके होने की संभावना बहुत ज्यादा बनती है, उसने ये सब किताबों में पढ़ा तो था, लेकिन अपने सामने ही सब होता देख, उसको भी यक़ीन करना मुश्किल लग रहा था। कल्की को भी कहीं ना कहीं उनके सही होंने का आभास हो गया था।

"क्या हुआ ??" रेयॉन ने उन दोनों को खोया हुआ सा देखकर पूछा ।

"हूँ, वो कुछ नहीं बस आपकी कही बातों पर यक़ीन करने की कोशिश कर रहे हैं । " कल्कि ने उनकी तारा देखते हुए कहा ।

"तो आप हमारी मदद कैसे कर सकते है अंक ....मेरा मतलब सर ???" नेत्रा ने जिली की बातों को याद करते हुए कहा, जिसने उन्हें उनकी मदद करने का आश्वासन दिया था।

"कोई बात नहीं तुम मुझे भी अंकल बुला सकती हो, पर..मदद ?? कैसी मदद ??",

उनके इतना कहते ही नेत्रा और कल्कि के चेहरे पर कई रंग बदल गए थे।

"इन सब बातों में हम जिस काम के लिए आये थे वो तो भूल ही गए ....दरअसल अंकल हुआ यूँ कि जब हम यहाँ आए तो हमारी एक दोस्त .........."और धीरे धीरे नेत्रा, रेयॉन अंकल को शुरू से आखिर तक पूरी घटना बताती चली गयी। रेयॉन के चेहरे पर एक साथ कई भाव आ जा रहे थे।

"मैं सोच भी नहीं सकता कि मिशेल की मक्कारी इस हद तक बढ़ जाएगी,वो अपने मतलब को पूरा करने क लिए इस हद तक गिर जायेगा मैंने सोचा भी नहीं था । " रेयॉन न उनकी पूरी बात सुनने के बाद नफ़रत भरे लहज़े से कहा ।

"मिशेल ?? "

"हाँ ,मिशेल उसी की हरकत है ये .."

"लेकिन आप उसको कैसे जानते है अंकल ??"

"हूँ.... भला मैं उसको कैसे नहीं जानूंगा। "

"मतलब, हम समझे नहीं आपकी बात .." नेत्रा और कल्कि दोनों ने सवालिया निगाहों से रेयॉन अंकल की तरफ देखते हुए कहा ।

"मतलब ये कि हम कभी बहुत गहरे दोस्त थे, यहाँ आने के बाद वो पहला सख्स था जो मुझसे मिला था। शायद अगर वो मुझे ना मिला होता, और मेरी मदद ना करता तो आज मैं ही नहीं होता ....लेकिन मुझे नहीं पता था कि वो मदद भी उसने अपने मतलब के लिए की थी ....लेकिन वो तब मेरी कमी की वजह से कामयाब नहीं हो पाया......।और अब मुझे अपनी वो कमी भी समझ आ गई है।" रेयॉन ने कड़वाहट भरे स्वर में कहा।

"आप हमे साफ़ साफ़ क्यूँ नहीं बता रहे है अंकल,कैसी कामयाबी और आपकी क्या कमी??"कल्कि ने झल्लाते हुए कहा ।

"यही कमी कि मैं अपूर्ण हूँ....।" रेयॉन ने पहली बार हल्की मुस्कुराहट के साथ कहा।

वो सब अब भी उसकी कही बातों का अर्थ समझने की कोशिश कर रहे थे ।

© jagGu prajapati ✍️