Shalini (cute girl) in Hindi Moral Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | शालिनी (प्यारी सी बालिका)

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शालिनी (प्यारी सी बालिका)

शालिनी ( प्यारी सी बालिका )

बात हाल ही के कुछ वर्ष पहले की है । जब हमारे विद्यालय में शालिनी का प्रवेश कक्षा एक में हुआ था । एक बहुत सुंदर - सी, बहुत प्यारी - सी और विद्यालय का गृह कार्य समय पर काम करने वाली छोटी सी बालिका थी । वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है । उसके पिता जी मजदूरी करते है और घर चलाते है । उसके परिवार में कुल चार सदस्य है । शालिनी व शालिनी के पिता जी और शालिनी के बुजुर्ग दादा जी - दादी जी है । दादा जी व दादी जी लम्बें समय से बीमार चल रहे है । शालिनी जब दो साल की थी तब दुर्घटना में माँ की मृत्यु हो गयी थी । शुरुआती सालों में शालिनी नियमित विद्यालय आती थी । अब वह कक्षा तीन में आई तो उसने विद्यालय बहुत कम आना शुरूकर दिया । बहुत पूछने पर पता चला कि उसके पिताजी ने दूसरा विवाह कर लिया है और अब उसकी माता उसको पढ़ाई कराने में असमर्थ है । शालिनी को अब घर का सारा काम करना पड़ता है । पढ़ाई के लिए समय नहीं मिल पाता । तब मैंने उससे कहा कि तुम काम करके जब भी समय मिला करे तो विद्यालय आ जाया करो । अपनी पढ़ाई को जारी रखो । समय बीतता गया और अब शालिनी पाँचवी कक्षा में आ गई थी। उसमें कला और निपुणता बढती जा रही थी । वह बहुत सुंदर चित्र बनाया करती है और वह जितनी भी प्रतियोगिता में प्रतिभाग करती हमेशा प्रथम स्थान प्राप्त करती थी। पाँचवी कक्षा की परीक्षा पूरी होने के बाद एक बार गर्मियों की छुट्टी में शालिनी की कॉल मेरे पास आई । उसने बताया कि - " सरजी ! मेरे पिताजी मेरी कुछ पैसों के लिए शादी कर रहे हैं, जबकि मैं पढ़ना चाहती हूँ । आप कृपया मेरे पिता जी को समझायें !" मैंने शालिनी के पिता जी को घर जाकर बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने, आखिर एक दिन मुझे गर्मी की छुट्टी में फिर से सर्वे के लिए उनके घर जाना पड़ा और मैंने शालिनी हालचाल पूछा तो उसने विवाह में आने के लिए कहा । हमारे को इसके बारे में पता चलते ही, शालिनी के पिता जी से कहा - " अगर आपने बाल - विवाह किया तो फिर आप के खिलाफ शिकायत करनी पड़ेगी और तब उस का विवाह खत्म करा कर, पास ही के उच्च प्राथमिक विद्यालय में शालिनी का नाम लिखवाया । जब यह बात मैने दूसरे अध्यापकों से साझा की तो बालिका शिक्षा प्रोत्साहन कार्यक्रम के अंतर्गत शालिनी को और मुझको गाँव के सदस्यों की तरफ से प्रशस्ति पत्र दिया गया । आज भी शालिनी एक अच्छे विद्यार्थी की तरह से उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई कर रही हैं और सभी प्रतियोगिताओं में श्रेष्ठ स्थान पर आती है । इस बार ज्ञान भारती परीक्षा में भी उसने प्रतिभाग किया और उसमें सफलता हासिल की ।

संस्कार संदेश : -
अपने अधिकार के लिए हमें संघर्ष करना चाहिए, तभी सफलता हमारे कदम चूमती है । ।