एक मेन्शन के अंदर, हॉल की सीढ़ियों पर एक लड़का और लड़की एक दूसरे को गुस्से में बुरी तरह से घूर रहे थे | सीढ़ियों पर खड़े लड़के ने अपने सामने खड़ी लड़की का हाथ कसकर पकड़ा हुआ था और वही वो लड़की उस लड़के से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी |
तभी उस लड़की ने अपने सामने खड़े लड़के से कहा - " रोहन मेरा हाथ छोड़िये, बता रही हूँ मैं आपको, आपकी ये हरकत आप पर बहुत भारी पड़ेगी | "
रोहन ने अपने सामने खड़ी लड़की का हाथ और कसकर पकड़ते हुए उससे कहा - " अच्छा, मुझे भी देखना है, कि मेरी ये हरकत मुझ पर कितनी भारी पड़ सकती है चाहत | आखिर मैं भी तो जानु, कि तुम मेरी इस हरकत पर मेरा क्या बिगाड़ सकती हो | लेकिन फिलहाल के लिए मेरी इस हरकत का अंजाम तुम मुझे बाद में फुर्सत से बताना | अभी तुम चुप चाप मेरे साथ मेरे रूम में चलो, मुझे तुमसे बहुत जरुरी बात करनी है | "
चाहत ने अपनी पूरी ताकत लगाकर रोहन के हाथ से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए उससे कहा - " नहीं करनी मुझे आपसे कोई भी बात और मुझे कही नहीं जाना है आपके साथ | मुझे अभी सिर्फ और सिर्फ दादी के पास जाना है, मुझे दादी से अभी के अभी बात करनी है | मुझे उन्हें बताना है, कि मुझे आपसे शादी नहीं करनी है, किसी भी कीमत पर नहीं | "
चाहत की बात सुनते ही रोहन का चेहरा गुस्से के मारे और ज्यादा सख्त हो गया और उसके हाथ की पकड़ चाहत के हाथ पर और ज्यादा कस गयी |
रोहन ने एक ही झटके के साथ चाहत का हाथ खींचकर उसे अपने बिलकुल करीब करके उसकी आँखों में देखते हुए कहा - " अब तुम्हारी मेरे सिवा किसी से कोई भी बात नहीं होगी, चाहत | अब जो भी होगा वो सब मेरी मर्जी से ही होगा | और रही बात तुम्हारी और मेरी शादी की, तो वो तो होकर रहेगी | चाहे उसमे तुम्हारी या फिर किसी और की मर्जी हो या ना हो | शादी तो होगी और वो भी आज के आज | फिलहाल के लिए तुम मेरे साथ हमारे होने वाले रूम में चल रही हो | क्यूकी वहां जाकर मैं तुम्हे बताऊंगा , कि वो क्या कीमत है, जो तुम्हे मुझसे शादी करने के लिए मजबूर करने वाली है | "
इतना कहकर रोहन जबरदस्ती चाहत का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ अपने रूम की तरफ ले जाने लगा | वही चाहत, रोहन की पकड़ से खुदको छुड़ाने की और ज्यादा कोशिश करने लगी | लेकिन उसकी उन कोशिशो में कही से भी उसके कामियाब होने के आसार नहीं दिखाई दे रहे थे | क्यूकि रोहन की पकड़ उस पर ढीली होने की बजाय और ज्यादा ही कसे जा रही थी |
इधर चाहत ने रोहन की पकड़ से छूटने की कोशिश करते हुए कहा- " रोहन छोड़िये मुझे, मुझे कहीं नहीं जाना है आपके साथ | ना ही आपके रुम मे और ना ही शादी के लिए कोर्ट | "
चाहत की बात सुनते ही, रोहन को और ज्यादा गुस्सा आने लगा और वो पीछे की ओर पलटकर चाहत को गुस्से में बुरी तरह से घूरने लगा | रोहन ने चाहत के चेहरे के करीब अपना चेहरा करा, जिससे चाहत को अभी उसकी आँखों में पहले से भी ज्यादा गुस्सा दिखाई दे रहा था | इधर रोहन ने जल्दी से चाहत को अपनी दोनों बाहो में उठाया और उसे जबरदस्ती अपने रुम की तरफ ले जाने लगा औऱ वही चाहत, उससे खुद को छुडाने की पूरी कोशिश कर रही थी |
वही रोहन, चाहत को अपनी बाहो में उठाये हुए जबरदस्ती अपने रुम मे लेकर आया और उसने रूम के अंदर जाकर उस रुम का डोर अंदर से लॉक कर लिया | ऐसा होते ही चाहत घबराकर उसकी तरफ देखने लगी | तभी चाहत ने देखा कि, रोहन उसे अपनी बाहो में उठाये उस रूम में मौजूद बड़े से किंग साइज बेड की तरफ ले जा रहा था | ये देखते ही चाहत काफी ज्यादा घबरा गयी थी, उसे आज अपने साथ कुछ बुरा होने का अंदाजा हो रहा था | इधर रोहन, चाहत को अपनी बाहो में उठाये अपने बेड की तरफ आया और उसने उसे एक ही झटके के साथ उस बेड के मैट्रेस पर फेंक दिया |
6 महीने पहले,
भारत की देवभूमि में बसा एक ऐसा शहर 'ऋषिकेश', जिसे ऋषियों की धरती कहा जाता है। ये शहर अपने तप, योग और आध्यात्म के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की हरी – भरी सुंदर वादिया, यहाँ की बहती नदियाँ और झरनों के नजारे आँखों के साथ – साथ दिल को भी भा जाते है। गंगा किनारे पर बसे और हिमालय की निचली पहाड़ियों से घिरे इस खूबसूरत शहर को देखने और घूमने दूर - दूर से भारत से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी कई लोग आते है और इसी खूबसूरत शहर से शुरु होती है, चाहत और रोहन की नफरत, प्यार और जूनून से भरी ये कहानी।
ऋषिकेश, त्रिवेणी मार्केट
एक लड़की जिसने वाइट कलर का नेट वाला अनारकली सूट पहना हुआ था और उसके काले लम्बे घने खुले बाल उसकी कमर तक लहरा रहे थे | वो लड़की एक किराने की दूकान में खड़ी हुई थी | वो उस किराने की दूकान में मौजूद उस दूकान के मालिक को, अपने हाथ में पकड़ी हुई लिस्ट में से पढ़कर, कुछ सामान पैक करने को कह रही थी | वही वो दूकान का मालिक अपने एक employee से वो सभी सामान पैक करने को कह रहा था | वो लड़की देखने में बहुत ही सुन्दर और प्यारी थी |
सभी सामानो के नाम पढ़कर, उस दुकानदार को बताने के बाद, वो लड़की उस दुकानदार से बोली - " जगदीश अंकल, आप प्लीज ये सारा सामान शाम के सात बजे तक घर पहुँचवा दीजियेगा और रही बात इन सभी सामानों के पेमेंट की | "
उस लड़की का इतना कहना हुआ ही था, की तभी वो दुकानदार उस लड़की से बोला - " जानते हम तन्वी बिटिया | इन सभी सामानो की पेमेंट हमे चाहत बिटिया ही देगी, वो भी खुद दूकान पर आकर | पिछले सात सालो से यही तो होता आ रहा है | चाहत बिटिया के अलावा कोई और हमसे पेमेंट की बात करता ही नहीं है | वैसे एक बात कहे बिटिया, चाहत बिटिया है तो बहुत साफ़ और अच्छे दिल की | हर किसी से प्यार से बात करती है, और हर वक्त सभी की मदद के लिए आगे रहती है, चाहे कैसी भी सिचुएशन हो | लेकिन, उसकी एक आदत ना हमको बिलकुल भी पसंद नहीं है | "
उस दूकानदार की बात जो लड़की सुन रही थी, उसका नाम तन्वी था |
तन्वी ने सवालिया नजरो से उस दुकानदार को देखते हुए उनसे पुछा - " कौनसी आदत जगदीश अंकल ? क्या किया है चाहत ने अब ?"
तन्वी की बात सुनकर जगदीश दुकानदार बोला - " वही जो वो पिछले सात सालो से करती आ रही है | मेरी इस दूकान का नुक्सान | "
तन्वी, जगदीश दुकानदार की बात सुनकर जल्दी से बोली - " नुक्सान, वो कैसे ? "
तभी जगदीश दुकानदार, चाहत की शिकायत करते हुए तन्वी से बोला - " एक तो ये चाहत बिटिया, मुझे एक पैसा भी किसी सामान पर बढ़ाने नहीं देती है | हमेशा, उतना ही सामान का पैसा देती है जितना उस सामान का actual रेट होता है | और अगर मैं नहीं मानता हूँ, तो मुझे consumer कोर्ट जाने की धमकी देती है और उनके रूल्स समझाने लगती है | और पिछली बार तो वीडियो बनाकर मुझे धमकी देने लगी की, वो मेरे और मेरी दूकान के खिलाफ पूरी सोशल मीडिया में ये बताएगी की, इस दूकान में कभी सामान खरीदने कोई मत जाना, क्युकी यहां का दुकानदार जगदीश सर्मा अपने ग्राहकों से ज्यादा पैसे लेकर उन्हें लूटता है | और उप्पर से, वो अपने सभी टूरिस्ट को अपने साथ मेरी ही दूकान पर लेकर आती है, और उन्हें भी एक पैसा ज्यादा नहीं देने देती है | अब तुम ही बताओ बिटिया, अगर मैं एक - दो पैसा किसी सामान पर ज्यादा कमा लूंगा तो चाहत बिटिया का क्या जाएगा भला |"
जगदीश दूकानदार की बात सुनकर तन्वी कुछ देर तो सीरियस फेस एक्सप्रेशंस के साथ जगदीश दुकानदर को देखने लगी | लेकिन उसके बाद वो जोर - जोर से हंसने लगी |
तन्वी को इस तरह हँसते देख, जगदीश दुकानदर मुँह बनाते हुए तन्वी से बोला - " देखो बिटिया ऐसे हंसो तो मत | अब तो हम सोच लिए है, की अब हम इस बारे में सीधा शुचिता जी से ही बात करेंगे | और उनसे साफ़ - साफ़ कह देंगे | कि वो अगर हमरी दूकान से अगली बार राशन का सामान चाहती है ना, तो वो हमसे और हमरी दूकान से चाहत बिटिया को तो दूर ही रखे | अगर उनके पास हमरी दूकान में आने का टाइम नहीं है ना, तो हम अपने दूकान के employee को भेज देंगे, सामान घर तक पहुंचाने के लिए और साथ - साथ उस सामान का पेमेंट लाने के लिए | "
जगदीश दुकानदर की बात सुनकर तन्वी अपनी हंसी रोकने की कोशिश करते हुए उनसे बोली - " आप ऐसा ही करिये जगदीश अंकल | लेकिन हां, आप ये याद रखियेगा | मासी से बात करने से पहले, ये बात गलती से भी चाहत के कानो में नहीं पड़नी चाहिए, की आप चाहत की चुगली मुझसे कर चुके है और अब मासी से करने वाले है | वर्ना मैं ये गारन्टी के साथ कह रही हूँ, बहुत जल्द ही आपकी दूकान का केस कंस्यूमर कोर्ट तक पहुंच जाएगा | और उस कोर्ट में आपके खिलाफ जो वकील होगा वो खुद चाहत ही होगी | "
तन्वी के ये बात कहते ही जगदीश दुकानदार बोला - " शुभ - शुभ बोलो बेटा, शुभ - शुभ बोलो | शाम की संध्या आरती का समय होने वाला है | कही तुम्हारी बोली हुई बात सही हो गयी तो, फिर मेरा और मेरी दूकान का क्या होगा ?"
जगदीश दुकानदार की बात सुनकर तन्वी को कुछ याद आया, और वो जल्दी से उस दुकानदार से बोली - " अच्छा याद दिलाया आपने अंकल, मैं तो भूल ही गयी थी, कि चाहत मेरा घाट पर शाम की आरती के लिए इंतजार कर रही होगी | अगर मैं लेट हो गयी ना, तो वो आपसे पहले, कही मेरी ही क्लास ना लगा दे | "
इतना कहते हुए तन्वी ने जगदीश दुकानदर को बाय कहा और वो जल्दी से अपने सामने, थोड़ी ही दूर में खड़े एक रिक्शे में जाकर बैठ गयी |
तन्वी ने उस रिक्शे वाले से कहा - " भैया, जल्दी से रिक्शा, घाट के मेन गेट की तरफ ले चलिये | "
तन्वी के इतना कहते ही, रिक्शे वाले ने जल्दी से अपना रिक्शा चालू किया और वो तन्वी को अपने रिक्शे में बैठाकर घाट की तरफ जाने लगा |
वही दूसरी तरफ
Melbourne, Australia
एक बड़ी सी बिल्डिंग के 48 फ्लोर पर मौजूद.. एक ऑफिस केबिन में खड़ा एक शख्स.. केबिन के गिलास विंडो से बाहर की ओर देख रहा था | वो शख्स देखने में काफी हैंडसम और डैशिंग लग रहा था | उसकी मस्कुलर फिट बॉडी और उसके फेस की परफेक्ट जो लाइन उसे काफी अट्रैक्टिव बना रही थी | वही उस शख्स के पीछे मौजूद बड़ी सी डेस्क के पास खड़ा उसका असिस्टेंट अपने हाथ में पकड़ी फाइल में से कुछ क्लाइंट्स के साथ होने वाली अपकमिंग मीटिंगस से रिलेटेड इम्पोर्टेन्ट पॉइंट पर उस शख्स से डिस्कशन कर रहा था |
उस अस्सिस्टेंट का नाम सुधीर शर्मा था |
सुधीर अपने बॉस की तरफ देखते हुए उनसे बोला - " रिवान सर सनशाइन इंडस्ट्रीज के M. D मिस्टर लॉरेंस.. पिछले दो हफ्तों से आपसे या फिर रोहन सर से मीटिंग के लिए अपॉइंटमेंट लेने की कोशिश कर रहे है | आप दो हफ्ते से पेरिस गए थे मिस्टर स्मिथ के साथ गोवा में बनने वाले 50 फ्लोर appartment वाली बिल्डिंग के अपकमिंग प्रोजेक्ट से रिलेटेड कॉन्ट्रैक्ट साइन करने | इसलिए मैं आपसे इस बारे में बात नहीं कर सका | और वही रोहन सर पिछले दो हफ्तों से स्कॉटलैंड वाले होटल के प्रोजेक्ट में बिजी है | इसलिए मैं अभी तक मिस्टर लॉरेंस को कोई जवाब नहीं दे पाया | मिस्टर लॉरेंस.. अब दो हफ्ते बाद दिल्ली जा रहे है अपनी किसी इम्पोर्टेन्ट मीटिंग के लिए इसलिए अब वो वहां डायरेक्ट प्रशांत सर से ही कांटेक्ट करने की सोच रहे है | "
क्यूँ रोहन, चाहत की मर्जी के बिना उससे शादी करना चाहता है ? और रोहन ऐसी क्या सिचुएशन लाने वाल है चाहत के सामने जिसकी वजह से चाट को रोहन से शादी करने के लिए हां कहना पड़ेगा ? क्या जगदीश दुकानदार, चाहत की शिकायत चाहत और तन्वी की शुचिता मासी से कर देंगे ? ऋषिकेश में रहने वाली चाहत और तन्वी मुंबई कैसे पहुंची और वहां रोहन और चाहत के बीच ऐसा क्या हुआ, जिसके चलते रोहन जबरदस्ती चाहत से शादी करना चाहता है ?