राम ने 11 वर्ष सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट के पास दंडकारण्य वन में गुजारे थे।
गोस्वामी तुलिदास ने भी रामचरित मानस कि रचना चित्रकूट में ही कि थी।हनुमानजी की कृपा से उन्हें भगवान राम के दर्शन हुए थे
चित्रकूट के घाट पर हुई सन्तन की भीड़
तुलसीदासचंदन घिसे तिलक करें रघुवीर
राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 11 साल तक चित्रकूट में रहे।वे ऋषि अगस्त्य के आश्रम में भी रहे थे।फिर वहा से पंचवटी चले गए।पंचवटी भी दंडकारण्य वन के अंदर ही आता है।पंचवटी में पांच वट व्रक्ष पास पास है इसलिए इस पंचवटी कहा जाता है।पंचवटी गोदावरी नदी के तट पर रमणीक क्षेत्र है।यहाँ पर लक्ष्मण ने पर्णकुटी का निर्माण किया था और वे इस कुटी में रहने लगे।
लक्ष्मण अपने भाई के साथ सेवक के रूप में गये थे।वे अपने भाई भाभी की सेवा को ही अपना धर्म समझते थे।
पंचवटी में एक दिन सूपर्णखा की नजर राम पर पड़ी।सांवले सौम्य सुदर्शन युवक को देखते ही सूपर्णखा उन पर मोहित हो गयी और राम को अपना बनाने की इच्छा मन मे जाग्रत हो उठी।एक दिन वह राम के पास जाकर बोली,"राम मैं तुम पर मोहित हो गयी हूँ
"अच्छा
"मेरी इच्छा है
"क्या इच्छा है
"मैं तुम्हे अपना बनाना चाहती हूँ
"क्या
"राम मैं तुम्हे पाना चाहती हूँ।तुम से शादी करना चाहती हूँ
"यह नही हो सकता
"क्यो नही हो सकता
"मैं पहले से ही विवाहित हूँ,"राम सीता की तरफ इशारा करते हुए बोले,"देख नही रही सीता को यह मेरी पत्नी है
"मैं इस औरत से ज्यादा सुंदर हूँ
राम उसे टालने का प्रयास करते रहे जब वह नही मानी तब बोले,"मेरे पास तो पत्नी है तुम उस युवक के पास जाओ
सूपर्णखा अब लक्ष्मण को मनाने का प्रयास करने लगी।जब लक्ष्मण नही माने तब उसने सीता को नुकसान पहुचाने का प्रयास किया तब लक्ष्मण ने उसकी नाक काट ली
और नाक काटने से उसकी सुंदरता खत्म हो गई।उसे अपने रूप पर बहुत गर्व था।वह नाक कटने से बदसूरत हो गयी थी।
वह रोती हुई खर दूषण के पास गई।खर दूषण लंका के राजा रावण के सौतले भाई थे और सूपर्णखा के भी
"बहना क्या हुआ तू रो क्यो रही है
"उस वनवासी ने मेरा अपमान किया है।मेरी नाक काट ली
सूपर्णखा ने रोते हुए अपने भाई को पूरा किस्सा सुनाया था
"उनकी इतनी मजाल।तू चिंता मत कर मैं तेरे अपमान का बदला लूंगाऔर
खर अपनी सेना लेकर आ गया।एक तरफ राम और लक्ष्मण दूसरी तरफ खर और उसकी सेना।दोनों भाइयों ने अपने बाण की वर्षा करके खर और उनकी पूरी सेना को मार डाला
ये बात दूषण को पता चली वह भी अपनी सेना के साथ युद्ध करने के लिए आ गया।लेकिन उसका भी अंजाम खर जैसा ही हुआ।
सारी सेना मारी गयी थी लेकिन अकम्पन नामक एक सैनिक ने जैसे तैसे अपनी जान बचा ली और वह युद्ध भूमि से सीधा लंका पहुंचा था
"महाराज
"क्या बात है।तुम बेहद घबराए हुए और बदहवास नजर आ रहे हो
"महाराज आपके दोनों भाई अपनी सेना के साथ मारे गय।बस मैं ही जैसे तैसे अपनी जान बचाकर आपके पास आ पाया हूँ।"अकम्पन ने रावण को पूरा व्रतांत सुनाया था
"अच्छा किसने मारा
"राम और लक्ष्मण
"और उनकी सेना भी होगी
"नही महाराज।उन दोनों युवकों ने ही सबको खत्म कर दिया