नमस्कार दोस्तों आज फिर मैं आप सभी के सामने एक नयी कहानी लेकर आया हूँ। दोस्तों आज मैं आपके सामने एक इवेस्टीगेशन से संबधित सच्ची कहानी रख रहा हूँ। जिसको आप यू ट्यूब के माध्यम से भी देख सकते है। ये बात है आज से 4 वर्ष पहले की। ज़ब मैं वेस्ट बंगाल के एक संस्थान मे कार्यरत था। उस समय मेरे मन मे परानार्मल इन्वेस्टीगेशन को लेकर एक जनून हुआ करता था। मैं ज़ब भी किसी अजीबो गरीब जगह को देखता तो एक अंदर इन्वेस्टीगेटर बाहर आ जाता। यू ट्यूब बढ़ रहे फर्जी इन्वेस्टीगेशन वीडियो को देखकर मन में एक अलग सा गुस्सा सा रहता था। क्योकि ये सब वीडियो परानार्मल विज्ञान को आधार मानकर किये जाने वाले इन्वेस्टीगेशन से काफ़ी अलग होती थी। क्योंकि वैज्ञानिक पद्द्ति से होने वाले इन्वेस्टीगेशन एक अलग ही इन्वेस्टीगेशन होते थे। परन्तु यू ट्यूब कोई भी व्यक्ति मात्र एक उपकरण के माध्यम से इन्वेस्टीगेशन को अंजाम दे देता है। सबसे मुख्य बात ये भी रही की हमने जितने भी इन्वेस्टीगेशन किये उसमे मे केवल कुछ ही इन्वेस्टीगेशन मे हमको पक्के सबूत मिले। लेकिन जो यू ट्यूब इन्वेस्टीगेशन होते थे। उनको हर इन्वेस्टीगेशन में कभी किसी प्रकार की कभी किसी प्रकार entity उनके सामने आ ही जाती थी। जहाँ तक हमारी समझ थी ये इन्वेस्टीगेशन केवल और केवल व्यूज बनाने के मकसद से बनाई जाती थी। जो की परा विज्ञान के नियमों के खिलाफ थी।
एक दिन इसके बारे मे मैने अपने सीनियर से बात की और एक चैनल के साथ इन्वेस्टीगेशन रखने की मांग की। सर ने मेरी बात को सहमति देते हुए मुझे इन्वेस्टीगेशन की अनुमति प्रदान कर दी। अब हमारे सामने ये चुनौती थी इसकी शुरुवात कैसे की जाये। मैंने अपनी जानकारी के अनुसार किसी रिपोर्टर से बातचीत की और अपनी राय उनके सामने रखी। मेरे द्वारा रखी गयी बात उनके समझ में आ गयी। उन्होंने अपने ऑफिस मे इसके वारे मे बात कर वहा से अनुमति ले ली। दूसरी चुनौती हमारे सामने ये थी की इसके लिए लिए कोई ऐसी लोकेशन ली जाये जहाँ हम अच्छे से इन्वेस्टीगेशन कर सके। आखिरकर चैनल के लोगो ने एक जगह फाइनल करके इन्वेस्टीगेशन की तारिक तय की। अब वो दिन आ गया था जिसका मुझे इंतजार था। मैं अपनी टीम और न्यूज़ टीम के साथ उस लोकेशन पर पहुँच गया। समय था रात्रि के 11 बजे ज़ब हमने इन्वेस्टीगेशन शुरू किया। सबसे पहले तो जैसे मैंने अपना एक उपकरण जाँच के लिए खोलना चाहा तो मेरे उपकरण ने काम करना बंद कर दिया। जबकि मैं उसको जाँच करके लाया था। फिर मैंने उसकी बैटरी चेंज करके उपयोग करने लगा परन्तु उसने कोई काम नहीं किया। लेकिन जैसे ही हम उस लोकेशन से निकले वो तुरंत काम करने लगा. उससे हमारी समझ मे आया की यहां कुछ अलग तो है। बार बार EMF का लेवल घट और बढ़ रहा था। जिससे टेंम्प्रेचर भी कम ज्यादा हो रहा था। कुछ ही देर बाद हमारे एक इन्वेस्टीगेटर के साथ कुछ समस्या होने लगी। उनको चक्कर और कुछ भारीपान महसूस हुआ जो की ऐसे जगह पर अकसर होता है जहाँ ये ऊर्जा होती। K2 मीटर के माध्यम से हमारी बातचीत चल तो रही थी परन्तु उसको एक अच्छा सम्पर्क नहीं कह सकते। ऐसे में फिर हमारे एक इन्वेस्टीगेटर उस जगह पर एक पैर का निसान दिखा जो की कुछ अलग ये देख हम लोग काफ़ी हैरान थे लेकिन इससे भी ज़्यादा शॉक हमको तब लगा की ज़ब हमने देखा हमारे सामान के साथ किसी ने छेडछाड की। मेरा एक बैग भी पूरा फाड़ दिया गया। और हमारे सामान इधर उधर फेक दिए गए। ऐसे में हमने यही निर्णय लिया की हमको यहां से निकलना चाहिए। जैसे ही हम लोग उस जगह से निकल ही रहे थे तभी हमारी नजर एक तांत्रिक पर पड़ी जो की वहा बैठ कर कुछ क्रिया कर रहा था। हम वहा उसके पास गए और उससे बातचीत की। उसका कहना था की वो वहा क्रिया करने आया था। ज़ब हमने उसका सच जानने की हमने कोशिश की और अपने उपकरणों से वहा का स्तर समझा तो वास्तव मे काफ़ी अलग था। उसके बाद हम वहा से पूरी टीम के साथ वापस लौट आये और वहा से मिले सबूतों के आधार मानकर जो आशय निकाला उससे यही लगता था की उस स्थान पर कुछ ना कुछ तो अलग है। तो दोस्तों कैसी लगी मेरी ये कहानी हमको कमेंट करके ज़रूर बताना अगर पसंद आये तो रेटिंग देख लाइक ज़रूर करे। आपसे पुनः किसी नयी कहानी के साथ मिलेंगे।
वैभव भारद्वाज
डायरेक्टर
कौंसिल फॉर परानार्मल एंड स्पिरिचुअल रिसर्च