Wo Ankahi Bate - 8 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 8

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वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 8

अब चलो जा कर सो जाओ और हां सन्डे को रिचा को बुलाया है हमारे साथ घुमने जाएंगी।
यश ने गले लगा लिया और फिर बोला आई लव यू डैड।।
इसलिए मम्मी ने आपको पसंद किया था।
बिमल ने मुस्कुराते हुए गुड नाईट बोल कर सोने लगे।
यश भी बेड लैंप जलाकर अपने कमरे में चला गया।
काफी देर तक पढ़ाई करने के बाद यश सो गया।




इसी तरह से यश और रिचा की दोस्ती हुई और फिर झगड़ा हुआ और फिर सन्डे को सब तैयार हो गए थे।
यश ने कहा पापा बड़ी वाली गाड़ी निकाल लेना है ना?
बिमल ने कहा हां, बेटा और बहादुर को बोलो कि गाड़ी आज वो ही डाइव करेगा।
मोना ने कहा हां और क्या यश करेगा क्या वो तो घुमाएगा।यश ने कहा हां, ठीक है पर रिचा अभी तक नहीं आई?
बिमल ने कहा हां, आएगी जरूर।
फिर बेल बज तो सरिता ने दरवाजा खोला तो देखा रिचा मुस्करा रही थी और फिर अन्दर आते ही कहा सबको नमस्ते।।
यश के दादा जी और दादी मां ने कहा हां ठीक है हम यश के दादा जी और दादी मां है।
बिमल ने कहा हां पापा ये है यश की खास दोस्त रिचा।।
मोना ने थोड़ा सा मुंह बनाकर बोली
अरे बाबा अब चलो।।
फिर सब लोग लिफ्ट में जाकर खड़े हो गए।
फिर नीचे पहुंच कर बहादुर ने बड़ी वाली गाड़ी तैयार रखा था।
यश ने कहा आप सब बैठ जाइए आगे बैठ जाता हूं।
बिमल ने कहा हां पापा, मम्मी मोना बैठ जाओ।
मैं और रिचा बैठ जाते हैं।
फिर सब बैठ गए और गाड़ी निकल पड़ी।

बहादुर ने कहा सबसे पहले लोटस टेंपल चलते हैं।
बिमल ने कहा हां, ठीक कितने सालों बाद फिर वही दिन याद आ गया।
मोना ने पूछा बहादुर यहां जाने का रास्ता कैसे हैं?


बहादुर ने कहा यहां पहुंचने के लिए आप मेट्रो का प्रयोग कर सकते हैं। नेहरू प्‍लेस से कालका जी मेट्रो स्‍टेशन पहुंचने के बाद 5 मिनट में पैदल चलकर या फिर कोई रिक्‍शा करके आप यहां पहुंच सकते हैं।

दादी मां ने कहा अच्छा किसी समय खुलते हैं?

बहादुर ने कहा लोटस टेंपल खुलने का समय
गर्मियों के मौसम में सुबह 9 बजे से शाम को 7 बजे तक मंदिर खुलताबहादुर ने कहा लोटस टेंपल खुलने का समय
गर्मियों के मौसम में सुबह 9 बजे से शाम को 7 बजे तक मंदिर खुलता है और वहीं सर्दियों में सुबह साढ़े 9 बजे से शाम को साढ़े 5 बजे तक के लिए खोला जाता है। यहां पर किसी प्रकार की एंट्री फीस नहीं ली जाती है।
बस फिर क्या था कुछ देर बाद ही सब लोटस टेंपल पर पहुंच गए।
सब लोग उतर गए।
यश और रिचा का इशारों में बातें हो रहा था ये सिर्फ बिमल समझ रहे थे।
पापा जी ने कहा वाह क्या बात है बहुत खूब!


लोटस टेंपल की इंट्री
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मार्च का महीना था हल्की -हल्की हवाएं चल रही थी तो दिल को एक शुकून मिल रहा था।

यश ने कहा आप लोग सब एक जगह हो जाओ तो मैं सेल्फी ले लेता हूं।


सब एक साथ खड़े हो गए और यश ने एक दो कि्ल्क ले लिया।
यश ने कहा दादी मां और दादाजी वो देखिए वहां एक गाइड है जो सब कुछ अच्छी तरह से समझा रहा है।
दादी मां ने कहा हां चलिए चल कर सुन ले इस लोटस टेंपल के बारे में।
यश ने जान कर सबको भेज दिया ताकि रिचा के साथ कुछ समय बिता सकें।


वहां सब पहुंच गए तो देखा कि एक अठारह साल का लड़का सब लोगों को अपनी बातों पर आकर्षित कर रहा था।
बिमल तो अपनी चांदनी को लेकर आए थे शादी के बाद बस वो सोच कर अपने में मुस्कुरा रहे थे।
कहते हैं ना कि इन्सान चला जाता है पर उसकी यादें रह जाती है।

मेरा नाम भुवन चंद्र है मैं यहां का रहने वाला हूं तो आप सब को लोटस टेंपल के बारे में कुछ जानकारी देने जा रहा हुं।।।।।।।।।।।।।।।।
भुवन बोलना शुरू किया-

भारतीय परंपराओं में कमल को शांति और पवित्रता के सूचक और ईश्‍वर के अवतार के रूप में देखा जाता है। मंदिर का वास्‍तु पर्शियन आर्किटेक्ट फरीबर्ज सहबा द्वारा तैयार किया गया था। दुनिया भर में आधुनिक वास्‍तु कला के नमूनों में से एक लोटस टेंपल भी है। इसका निर्माण बहा उल्‍लाह ने करवाया था, जो कि बहाई धर्म के संस्‍थापक थे। इसलिए इस मंदिर को बहाई मंदिर भी कहा जाता है। बावजूद इसके यह मंदिर किसी एक धर्म के दायरे में सिमटकर नहीं रह गया। यहां सभी धर्म के लोग आते हैं और शांति और सूकून का लाभ प्राप्‍त करते हैं। इसके निर्माण में करीब 1 करोड़ डॉलर की लागत आई थी। मंदिर आधे खिले कमल की आ‍कृति में संगमरमर की 27 पंखुड़ियों से बनाया गया है, जो कि 3 चक्रों में व्‍यवस्थित हैं। मंदिर चारों ओर से 9 दरवाजों से घिरा है और बीचोंबीच एक बहुत बड़ा हॉल स्थित है। जिसकी ऊंचाई 40 मीटर है इस हॉल में करीब 2500 लोग एक साथ बैठ सकते हैं। वर्ष 2001 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसे दुनिया की सबसे ज्‍यादा देखी जाने वाली जगह बताया गया था।
'


सब ने तालियां बजाकर खुशी जाहिर किया।
भुवन ने कहा अब आप लोग अच्छे से मंदिर घुमिएगा।

फिर सब मिलकर लोटस टेंपल कोपुरी तरह से घुमने लगें।

उधर रिचा ने कल की बात पर नाराजगी जताई कि मोना को लेकर बहुत घुम रहे हो?
यश ने कहा हां ज़रूर क्यों नहीं।।
रिचा ने कहा हां,हा कर लो , बाद में बताती हूं।
यश ने कहा हां ठीक है चलो अब चलते हैं पापा लोग आगे बढ़ गए हैं।

फिर सब घुमने के बाद सब फिर गाड़ी में बैठ गए।
अब कहां जाना है?
बहादुर ने कहा एक चिड़िया घर है चलें।।
फिर सब चिड़िया घर पहुंच गए।
बिमल ने कहा कितने सालों के बाद यहां आया पता है यशु।।
यश ने कहा हां, पापा मम्मी भी आई थी क्या?
बिमल ने कहा हां, एक बार आई थी।
फिर काफी देर तक रंग -बिरंगी चिड़िया, सफेद बाघ, हाथी और बहुत कुछ।।।।
फिर सब घर वापस आ गए ।
रिचा को छोड़ने यश चला गया।
बिमल ने कहा आप लोग सब नहाकर आ जाईए फिर एक साथ खाना खाते हैं।
क्रमशः