unspoken words in Hindi Anything by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | अनकहे शब्द

Featured Books
  • किट्टी पार्टी

    "सुनो, तुम आज खाना जल्दी खा लेना, आज घर में किट्टी पार्टी है...

  • Thursty Crow

     यह एक गर्म गर्मी का दिन था। एक प्यासा कौआ पानी की तलाश में...

  • राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 14

    उसी समय विभीषण दरबार मे चले आये"यह दूत है।औऱ दूत की हत्या नि...

  • आई कैन सी यू - 36

    अब तक हम ने पढ़ा के लूसी और रोवन की शादी की पहली रात थी और क...

  • Love Contract - 24

    अगले दिन अदिति किचेन का सारा काम समेट कर .... सोचा आज रिवान...

Categories
Share

अनकहे शब्द

1.
कुछ भी नहीं मिला सफर में मैं फिर भी चलता रहूंगा।
माना सफर पूरा धूप का सही मैं फिर भी जलता रहूंगा।।

2.
यही दुख है तुम्हारा कि तू सावली है न दोस्त।
पर दिल से किसी पर तू बावली है न दोस्त।।

3.
जो मिलीं थी मुझे यूं लगा मिल गया खुदा हमें।
आज वही पाकर रकीब का साथ चांद तारे हो गयें।।

4.
मैं क्यों कहूँ किसी की बेटी या बहन को बेवफा,
एक दिन खुदा हमें भी एक बेटी का पिता बनाएगा।

5.
उसने कहा था आपके लिए हम मम्मी पापा को भी मना लेगें,
उनका मतलब आप समझते हैं न।

7.
अब जिसे हम चाहेंगे उसे हम ताउम्र चाहेंगे।
खुद पर हम उसकी यारो हुकूमत करायेंगे।।

8.
हर कोई अपनी जिंदगी में ऐ है मंजर झेला हुआ।
जिसको चाहा सच्चे दिल से उससे वो अकेला हुआ।।

9.
मेरे मन में कुछ सालों से एक ही ख्याल आता है।
कैसे मेरे दिल के साथ एक अजीब सा खेला हुआ।।

10.
झूठे थे सब कसमें तेरे झूठे थे सब वादे तुम्हारे,
जिसे समझता रहा गुलाब मैं वही आज अलबेला हुआ।

11.
पुकारता रहा मुफलिसी पर तब किसी ने सुना नहीं,
आज वही शख्स गुजर गया तो ऐ लगा कैसा मेला हुआ।

12.
जिसको चाहा मैनें उसे दिल से पूजा भी हूँ,
उसके अलावा दिनेश ने किसी पर आंख नहीं डाला।

13.
सारे दुख दर्द दिनेश भूल जाता है।
जब अपने माँ के हाथों से एक निवाला खाता है।।

14.
मैं रहूं उदास उसके कुछ पल सामने तो,
मेरी खुशी के लिए खुदा के सामने मेरा नाम जपती।

15.
दोस्ती किया है जिसने वह खुश है बहुत,
मोहब्बत तो आज बस जान लेने पर पड़ी है।

16.
लाख समझाये माता - पिता आजकल के बच्चों को,
जब तक न लगे ठोकर माता - पिता की बात कोई नहीं मानता।

17.
कभी अजमेर कभी जयपुर भटक रहा मै आठ सालों से।
कुछ कम खाया कुछ कम पहना पर एक पैसा नहीं मांगा मैं घरवालों से।।

18.
तुम चल दिए छोड़ कर मेरे बुरे हालात पर,
इतना कर दीजिए करम हमपर दे जाओ दिन सुहानी मेरी।

19.
तोड़ कर दिल मेरा अब वही किनारे हो गयें।
जिनसे नफरत थी पहले उनकों वही आज प्यारे हो गयें।।

20.
जो मिलीं थीं मुझे तो यूँ लगा मिल गया खुदा मुझे।
अब वही पाकर रकिब का साथ चांद तारे हो गयें।।

21.
दिल मेरा अब फिर किसी पर आता ही नहीं,
अब तो इस जहाँ में बेवफा सारे के सारे हो गयें।

22.
सोचा था दिनेश अपना गम सुनाकर भेजेंगा तुम्हें।
खामोशी तो तब छाई लबों पर जब कहा कि गैर हमारे हो गयें।।

23.
न जाने कौन सा दिन वो मेरा होगा,
जब मेरे चेहरे से ऐ उदासी जायेगी।

24.
जिंदगी में ऐसा कुछ मैं काम कर जाऊंगा।
लोग खोज करके देखेंगे एक दिन मैं ऐसा नाम कर जाऊंगा।।

25.
जो चलाते हैं परिवार भला वो कैसे दिन गुजारते होगें।
बस यहीं सोच सोचकर बीमार हो गयें हम।।

26.
एक शख्स की तलाश में मैं कहाँ कहाँ नहीं भटका,
मिला भी तो पता चला वो किसी और का हमसफ़र था।

27.
वो भी क्या दिन थे जब शहर के नाम से अंजान थे,
और अब घर की जिम्मेदारियां गाँव जाने नहीं देतीं।