Uljhan - Part - 8 in Hindi Fiction Stories by Ratna Pandey books and stories PDF | उलझन - भाग - 8

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उलझन - भाग - 8

अपने पापा मम्मी की बातें सुनकर बुलबुल को यह एहसास हो गया कि वह गलती कर रही है। 

तब उसने अपने पापा मम्मी से कहा, “मुझे माफ़ कर दीजिए।” 

बुलबुल की इस तरह की बातें सुनकर प्रिया ने उस लड़के का फोटो दिखाते हुए कहा, “बुलबुल हम इस लड़के के साथ तेरी शादी की बात कर ही रहे थे कि हमें तेरे बारे में यह …! खैर लड़का बहुत हैंडसम है। बड़ी अच्छी नौकरी करता है, अकेला रहता है। माता-पिता गाँव में हैं, एक बहन है जिसकी शादी हो चुकी है। तू बहुत ख़ुश रहेगी। बहुत अच्छे लोग हैं। जब हम मिलने गए थे, तब उसके माता-पिता भी आए हुए थे। तेरा फोटो उन लोगों को पसंद है। उनकी तरफ़ से तो हाँ जैसा ही है। उस लड़के की मम्मी की तबीयत थोड़ी खराब रहती है इसलिए उन्हें शादी की जल्दी है ताकि माँ कम से कम बहू को देख ले। बिटिया मना मत करना।” 

तभी उसके पापा ने कहा, “बुलबुल तूने फोटो देखा, तुझे लड़का कैसा लगा?” 

“हाँ पापा ठीक है।” 

अगले ही दिन बुलबुल को उस लड़के गोविंद से मिलाया गया। गोविंद को देखकर बुलबुल ने पहले सोचा इसे सच बता दूं लेकिन फिर अपने पापा मम्मी के विषय में सोच कर वह शांत रही। 

गोविंद ने ही बात शुरू करते हुए पूछा, “कहाँ जॉब कर रही हैं आप?” 

“जी मैं आई टी में हूँ और आप?” 

“मैं बैंक में मैनेजर हूँ।” 

दोनों के बीच कुछ देर बातें होती रही फिर गोविंद ने उससे सीधे पूछ लिया, “क्या आप इस रिश्ते के लिए तैयार हो?” 

“पहले आप बताइए,” बुलबुल ने कहा। 

“मुझे तो मना करने का कोई कारण नज़र नहीं आ रहा है। मेरी तरफ़ से तो हाँ है।” 

बुलबुल को उसके पापा मम्मी की बोली बातों की पूरी सच्चाई समझ में आ गई थी कि वह तो खल नायिका जैसा काम कर रही है और वह कभी भी खल नायिका नहीं बनना चाहती थी। किसी लड़की की ज़िन्दगी बिगाड़ने का उसे कोई हक़ नहीं है। 

यह सोचते ही उसने कहा, “मुझे भी मना करने का कोई कारण नज़र नहीं आ रहा है।” 

दोनों ने अपनी-अपनी रज़ामंदी से इस रिश्ते पर हाँ की मोहर लगा दी। घर वालों को जब यह बात मालूम हुई तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था। 

गोविंद के घर विवाह की जल्दी इसलिए थी कि उसकी माँ आरती बीमार रहने लगी थी लेकिन कमला और गोपी को जल्दी इसलिए थी कि वह चाहते थे उस लड़के के आने से पहले यह विवाह हो जाना चाहिए। 

बुलबुल ने अपने फ़ोन का सिम ही बदल दिया ताकि प्रतीक उसे फ़ोन ना कर सके। वह जानती थी कि उसकी शादी की बात सुनकर प्रतीक भड़क जाएगा और तुरंत सब कुछ छोड़कर वापस आ जाएगा। 

दोनों परिवारों की रज़ामंदी से 15 दिन के अंदर ही शादी का शुभ मुहूर्त निकाला गया। बुलबुल ने जो लाल रंग का जोड़ा अपने लिए सिलने डाला था, वह तैयार हो चुका था। बुलबुल बहुत ख़ुश नहीं थी। लेकिन ज़्यादा दुखी भी नहीं थी क्योंकि उसे उसकी गलती का एहसास हो चुका था। 

उधर प्रतीक बहुत परेशान था। वह बुलबुल को फ़ोन लगाता तो उसका फ़ोन स्विच ऑफ ही आता। बार-बार फ़ोन स्विच ऑफ आने से कई तरह के नकारात्मक विचारों ने उसके दिमाग में हलचल मचाना शुरु कर दी। क्या करूँ, कैसे पता लगाऊँ वह इसी उधेड़बुन में था।

 
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः