एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक किसान रहता था। उसका नाम रामचंद्र था। रामचंद्र एक बहुत ही मेहनती और परिश्रमी किसान था। वह गांव के खेतों में दिन-रात मेहनत करता और अपने परिवार को आवश्यकताओं के लिए पूरी तरह से संतुष्ट करता था।
एक दिन, गांव में अकाल पड़ गया। बारिश नहीं हो रही थी और जमीन सूख गई थी। सभी किसानों को अपनी फसल के लिए चिंता होने लगी। लेकिन रामचंद्र डरने वाले नहीं थे। वह जानता था कि मेहनत से किया हुआ काम कभी बेकार नहीं जाता है।
रामचंद्र ने अपने खेतों को और अच्छे से सिंचित करना शुरू किया। वह रात दिन मेहनत करता रहा, पानी की बचत करता रहा और पौधों की देखभाल में विशेष ध्यान देता रहा। दूसरे किसान उसे हँसते और मजाक उड़ाते रहे, पर रामचंद्र अपने लक्ष्य के प्रति सदा संकल्पबद्ध रहा।
कुछ समय बाद, बादल उमड़ आए और बारिश शुरू हो गई। रामचंद्र की खेती के पौधे जीवंत हो गए और उनकी फसल बढ़ने लगी। वह खुशी से झूम उठा, क्योंकि उसका मेहनत और धैर्य उसे उनके सपनों की प्राप्ति तक पहुंचा रहे थे।
फसल काटने के बाद, रामचंद्र ने अपनी परिवार के साथ आराम से खुशहाल जीने का आनंद लिया। उसकी मेहनत और परिश्रम ने उसे गर्व महसूस करवाया। वह गांव के बाकी किसानों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गया।
आखिरकार, गांव की जनता ने उनकी मेहनत और समर्पण को मान्यता दी और उन्हें सम्मानित किया। रामचंद्र की कहानी और संघर्ष गांव के अन्य किसानों को भी प्रेरित करते रहे।
वह गरीब किसान एक धैर्य वाला व्यक्ति था। कभी भी उस बक्से से जरूरत से ज्यादा सामान नहीं लेता था।
कुछ दिनों बाद उस बक्से के बारे में गांव के जमींदार को पता चला। वह जमीदार एक लालची व्यक्ति था। उसने सोचा मेरे जमीदारे में किसी भी जादुई वस्तु पर तो मेरा अधिकार होगा।
जमींदार के कहने पर उसके आदमी उस किसान को पड़कर ले आए। उस जमींदार ने किस को धमकाया और कहा कि, “तुम्हारा खेत मेरी जमींदारी का हिस्सा है, इसलिए उस बक्से पर मेरा अधिकार बनता है। ”
जमीदार की बात सुनकर किसान डरते हुए बोला, “मालिक भले ही जमींदारी आपकी है, लेकिन उस खेत पर खेती मै करता हूं तो बक्से पर मेरा अधिकार है। ”
जमीदार समझने लगा कि यह किसान ऐसे नहीं मानेगा उसने किसान को धमकाया और उसके घर से बक्सा छीन लिया। किसान बेचारा रोता रह गया। बक्सा लेकर जमीदार खुश हो गया |
जमीदार ने बक्से से बहुत सारी वस्तुएं हासिल कर ली और मजे कर रहा था। थोड़े दिन बाद कुछ लोगों ने जादुई बक्से के बारे में मंत्रीजी को बता दिया। पहली बार तो मंत्रीजी ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन वापस कुछ दिनों बाद उन्होंने अपने एक आदमी को भेज कर बक्से की सच्चाई के बारे में पता करवाया |
जब उस मंत्रीजी के आदमी को बक्से की सच्चाई पता लग गई , तब उसने मंत्रीजी को जाकर बताया। मंत्री जी ने तुरंत जमीदार को बुलाया और कहा,” तुम्हारे पास जो बक्सा है, वह तुरंत मुझे दे दो |”
जमींदार ने मंत्री जी से हाथ जोड़कर निवेदन किया कि,” कृपया बक्सा मेरे पास ही रहने दीजिए, उस पर मेरा अधिकार है | ” लेकिन मंत्रीजी ने एक नहीं मानी और कहा कि,”यदि तुम मुझे नहीं दोगे तो मैं तुम्हारी जमीदारी समाप्त करवा दूंगा। ” जमींदार ने डरकर बक्सा सौप दिया।
उस बक्से को प्राप्त करने के बाद मंत्री और भी मस्त हो गया। अब तो विरोधियों को मंत्री की शिकायत करने का एक और अच्छा मौका मिल गया। विरोधियों ने मंत्री की शिकायत के साथ-साथ बक्से की बात भी राजा को बता दी।
राजा को जब पता चला कि यह बक्सा किसी गरीब किसान के खेत से मिला है, तब राजा तुरंत अपने सेनापति के साथ मंत्री के घर गया और मंत्री से कहा पूरे देश की जमीन पर राजा का अधिकार होता है, इसलिए उस बक्से पर मेरा अधिकार है। तुरंत बक्सा राजमहल भिजवा दो।
मंत्री ने तुरंत राजा की बात मान ली और सेनापति को बक्सा दिया। उस राजा ने बक्से से सबसे पहले खजाने के धन को बढ़ाया और सुख सुविधाएं बढ़ाई। कुछ दिनों के बाद राजा को बक्से की चिंता होने लगी कि इसे कोई चुरा ना ले |
राजा उस बक्से को हमेशा अपने साथ रखने लगा। एक दिन राजा ने सोचा इस बक्से में ऐसा क्या है? आखिर इसका रहस्य पता किया जाए |
उस बक्से का रहस्य जानने के लिए राजा उस बक्से में बैठ गया। बाहर निकला तो उसके जैसे अनेक राजा बाहर आ गए। लोग नहीं पहचान पा रहे थे कि असली राजा कौन है? सभी राजा राज्य करने के लिए आपस में लड़ने लगे।
यह बात किसान को पता चली तो वह बहुत दुखी हुआ। उसने स्वयं को कोसा और विचार किया कि अगर मैं उस बक्से को जमीन में गाड़कर रख देता तो बहुत अच्छा होता।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि मेहनत, परिश्रम और समर्पण किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यदि हम मेहनत करें और परिश्रम करें, तो हम सफलता के मार्ग पर चलने में सफल हो सकते हैं, चाहे कितना भी कठिनाईयां आएं।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि मेहनत, परिश्रम और समर्पण किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यदि हम मेहनत करें और परिश्रम करें, तो हम सफलता के मार्ग पर चलने में सफल हो सकते हैं, चाहे कितना भी कठिनाईयां आएं।