Hidden Incompleted love - 1 in Hindi Love Stories by Ruhi Pandey books and stories PDF | Hidden Incompleted love - 1

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Hidden Incompleted love - 1

कहते हैं अगर प्यार हकीकत में पूरा ना हो तो कल्पनामें पूरा होता है ऐसे ही दो लोगों की कहानी है जिनका प्यार अधूरा रह गया । प्यार करने वाला अगर पावरफुल हो बिजनेसमैन हो या फिर माफिया पॉलिटिक्स में हो तो वो चल कपट शाम साम दाम दंड भेद करके अपने प्यार को किसी भी कीमत पर हासिल कर ही लेता है लेकिन क्या हो जब प्यार ऐसे दो लोगों को हो जाए जिसके पास कोई पावर नहीं हो और ना ही कोई सपोर्टर हो बस आंखों से शुरू हुआ प्यार दिल में सिमट कर ही रह जाए जहां प्यार दोनों को एक दूसरे से वे हिसाब है लेकिन कहने की हिम्मत दोनों में नहीं है तो ऐसे ही इन दो लोगों की कहानी जहां दोनों एक दूसरे से पूरी तरह से अलग है एक गंगा की तरह शांत है तो दूसरा समुद्र की तरह तूफान दोनों मिलते हैं और बिछड जाते हैं फिर मिलते हैं फिर बिछड जाते हैं तो चलो देखते हैं कैसे क्या होता है इन दोनों की कहानी में क्या दोनों बिछड़ने के फिर मिल पाएंगे या रह जाएगी इनकी अधूरी कहानी हिडन इनकंप्लीट लव में

बारह ज्योतिर्लिंग में से एक जहां महाकल स्वयं विराजमान है जिसे महाकाल की नगरी कहते हैं इस उज्जैन शहर में एक संपन्न सभ्य घर के अंदर अठारह साल की लड़की जल्दी-जल्दी खुशी से अपनी पैकिंग कर रही थी और उसकी मां उससे पैकिंग करते हुए देखकर उदास हो रही थी

थोड़ी देर में अपनी पैकिंग पूरी हो जाने के बाद वो अपनी मां के पास आकर प्यार से कहती हैं

" मम्मी सब ठीक है बस छः दिन के लिए ही तो जा रही हूं और कौन सा अनजान जगह पर रहूंगी आपकी बहन के घर पर ही जा रही हूं अभी या मायूस चेहरा मत बनाओ नहीं तो मैं जा भी नहीं पाऊंगी "

उसकी बात को सुनकर वो अपनी बेटी का कान पकड़ते हुए कहती हैं " बदमाश वो मेरी बहन है तो तुम्हारी भी मौसी है ऐसे नहीं कहते और मुझे तो तकलीफ होगी ना तुम पहली बार हम सब से दूर जा रही हो "

तभी पीछे से एक पैंतालिस साल के आदमी की आवाज आती है " गायत्री तुम्हारा अभी से ये हाल है जब हमारी बेटी गृहु विदा हो कि तब तुम्हारा क्या हाल होगा ' "

गायत्री जी अपने पति की बात को सुनकर कहती हैं
" हां तो हम नहीं है आपकी तरह मजबूत की अपने दिल की जज्बात को किसी के सामने नहीं आने दे "

" अच्छा जी ठीक है आप उदास हो जाइए "

अपने मम्मी पापा की बात को सुनकर गृहु तपाक से कहती है "वो हेलो मैं ना आप सब से अभी बता रही हूं ग्रेजुएशन कंप्लीट होने के बाद में IPS की तैयारी करूंगी ठीक है मुझे शादी नहीं करनी है "

तभी इक्कीस साल का लड़का रूम में आते हुए कहता हैं
" शादी तो तुम्हें करना होगा गृहु कब तक तुम हमारे घर का खाना खत्म करोगी अपने पति के घर का खाना खत्म करना " वो उसे टीस करते हुए कहता है

तो गृहु नाराज होते हुए अपने बड़े भाई की तरह मुंह फुला कर पापा से शिकायत कहती है " पापा आपने देखा भाई हर बार ऐसा ही करते हैं "

तो संजय जी जो की गृहु और उस लड़के के पापा है वो अपने बेटे को घूरते हुए कहते हैं " खबरदार संभव जो तुमने मेरी बेटी को कभी परेशान किया "

थोड़ी देर उनकी ऐसी बातें होती है उसके बाद गुहु अपने पापा मम्मी के पैर छूकर वहां से बाइक पर बैठकर अपने बड़े भाई के साथ मौसी के घर जाने के लिए निकल गई जो उसके घर से लगभग पचास मिनट का रास्ता था


संभव गृहु अपने मौसी के घर पर पहुंचते हैं तो मीणा जी जो उन दोनों की मौसी थी वो गृहु और संभव को देखकर बहुत खुश होती हैं दोनों बच्चे जल्दी से आकर उनके पैर छुते हैं तो वो उन्हें खुश रहने का आशीर्वाद देती है


लगभग तीस मिनट बाद चाय नाश्ता करने के बाद संभव वहां से अपने घर के लिए चला जाता है क्योंकि वो बस अपनी बहन को मौसी के घर पर छोड़ने के लिए आया था संभव के जाने के बाद गृहु थोड़ी उदास हो गई क्योंकि यहां पर उसके मौसी दो बच्चों के अलावा उनकी एक देवरानी थी बस । दोनों बच्चे जिसमे बडा बेटा दस साल का था और द छोटा आठ साल का दोनो मोसी के देवरानी के बेटे थे

मौसी का एक बेटा था जिनकी उम्र शादी करने के लायक तो हो गई थी लेकिन अभी हुई नहीं थी और वो नागपुर अपनी मेडिकल इंजीनियर की पढ़ाई कर रहे हैं

दोनों मौसा जी मुंबई में रहकर अपना बिजनेस संभाल रहे थे तीनों कल घर आने वाले थे तो अभी घर खाली लग रहा था इसलिए गृहु थोड़ा उदासी हो रही थी और एक वजह ये भी था कि यहां वो अपने मम्मी पापा भाई को भी मिस कर रही थी

गृहु बच्चों के रूम में अपना सामान रख रही थी और अपनी मोसी से मुस्कुराते हुए बात कर रही थी इस बात से अनजान की उसकी लाइफ में एक नया मोड़ आने वाला जो उसे सबसे बेगाना कर देगा वो जल्दी ही एक ऐसे शख्स से मिलने वाली है जिससे मिलने के बाद सबके साथ होने के बाद भी तनहा हो कर रह जायेंगी बस उस एक इंसान की होकर रह जाएगी