Hewaan se Mohabbat - 7 in Hindi Drama by Alam Ansari books and stories PDF | हैवान से मोहब्बत - 7

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हैवान से मोहब्बत - 7

Ch 7 Taniya aur vedansh ki bonding

तानिया : " डोन्ट वॉरी दादा जी। थोड़ी खीर बची हुई है, मैं उसे पैक कर देती हूँ।। " यह कहते हुए वह अंदर जाकर एक टिफीन बाॅक्स में खीर पैक करके ले आयी और उसे आर्य को दे दिया।।




आर्य ,अनय और विवेक अपने - अपने आॅफिस के लिए निकल गए। साथ में भाविक, ध्रुव और एकांत भी आॅफिस के लिए निकल गए।।




अब आगे -




तानिया सीढ़ियों से होते हुए अपने कमरे में आयी। वह बाल्कनी में खड़े होकर ठंडी - ठंडी हवाओं को अपने चेहरे पर महसूस करने लगी। अचानक उसे दृष्टि का ख्याल आया। वह समझ रही थी कि दृष्टि को उसकी बहुत फिक्र हो रही होगी। वह उसे बताना भी चाहती थी कि वह इस वक्त कहाँ है। पर उसका फोन तो ओलरेडी तोड़ा जा चुका था। इसलिए वह उससे contact भी नहीं कर सकती थी।।




वह मन ही मन बोली : " आई होप दृष्टि तुझे जल्द पता चल जाए कि मैं कहाँ हूं।। "




यह सोचते हुए वह ड्रैसिंग मिरर के पास गई और चेयर में बैठ कर खुद को निहारने लगी। माथे पर आर्य के नाम का सिंदूर और गले में उसके नाम का मंगलसूत्र... इस लुक में वह बेहद खूबसूरत लग रही थी। तानिया ने सुन रखा था कि इन दो श्रृगारों को पहनने के बाद हर लड़की की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। वह आज इसे देख भी पा रही थी।।




पर उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि वह किसी की हो चुकी है। उसे अपने मैरिड लाइफ का कोई आइडिया नहीं था कि यह किस तरह होने वाला है। क्योंकि वह आर्य के बारे में कुछ नहीं जानती थी सिवाय उसके नाम के। वह आर्य के बारे में ही सोच रही थी कि तभी वेदांश अपने छोटे - छोटे कदमों से सीढ़ियां चढ़ते हुए तानिया के कमरे में आ गया।।




उसने नीचे तानिया को किचन में भी ढूढ़ा था। पर वह वहाँ नहीं मिली थी। उसके बालमन ने यह अंदाज़ा लगाया कि वह इस वक्त अपने कमरे में होगी। वेदांश के नन्हें कदमों की आहट पाकर तानिया का ध्यान दरवाजे की तरफ गया। उसने जैसे ही वेदांश के क्यूट से चेहरे को देखा, तानिया के चेहरे पर एक स्माइल आ गई।।




सिंघनिया फैमिली में वेदांश ही एक ऐसा शख्स था जिससे तानिया इतना घुल - मिल गयी थी। तानिया ने चेयर में बैठे - बैठे ही अपनी दोनों बाहें वेदांश की तरफ फैला दी। जिससे वेदांश दौड़ कर तानिया के पास आया और तानिया ने उसे अपनी गोद में उठा लिया। वेदांश अपने नन्हें - नन्हें हाथों से वन्या की गर्दन को पकड़ लेता है।।




तानिया उसके सिर को प्यार से चूम लेती है। वह मन ही मन बोली : " कितना प्यारा बच्चा है। जरूर इसकी माँ बहुत खूबसूरत रही होंगी। पर इसकी माँ हैं कहाँ। इतना छोटा बच्चा है, बिना माँ के कैसे रहता होगा। क्या वेदांश की माँ और आर्य का डिवोर्स हो चुका है...?? "

तानिया ऐसा इसलिए सोच रही थी क्योंकि उसे लग रहा था कि आर्य की शादी पहले भी हो चुकी है। शायद उन दोनों के बीच डिवोर्स हो चुका है। इसलिए आर्य ने उससे शादी की ताकि वेदांश को उसकी माँ का प्यार मिल सके।। पर तानिया को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि वेदांश उसका खुद का बच्चा है या नहीं। वह तो उसे एक माँ की तरह प्यार करना चाहती थी।।




तानिया ने यह नोटिस किया था कि वेदांश उसकी उम्र के बाकी बच्चों की तरह ज्यादा बात नहीं करता था। इनफैक्ट वह अधिकतर समय चुप ही रहता था। तानिया जब से वेदांश से मिली थी। उसे मुस्कुराते हुए नहीं देखा था। जबकी वेदांश की उम्र के बच्चे आराम से हँसते - खेलते ही रहते थे।।




उसने वेदांश को अपनी बाहों में पकड़ कर उसके चेहरे को अपनी तरफ किया और उसके माथे को चूम लिया। और अपने नाक से उसके छोटे से नाक को रब करते हुए कहा : " मेला प्यारा बच्चा...!! "




वह बच्चों के बोलने लहजे में बोली : " मेरे क्यूट बेबी को क्या हो गया है...?? उसकी स्माइल किसने छिन ली...?? आप मम्मा को बताओ। वो उसकी खबर लेगी...?? "




तानिया ने इतना कहा ही था कि वेदांश उसके चेहरे की तरफ देखते हुए रोने लगा और रोते - रोते धीरे से बोला : " माँ...!! "




तानिया उसे इस तरह देख कर अपने सीने से लगाते हुए बोली : " अले क्या हुआ मेरे बेबी को... नहीं बेटा, ऐसे रोते नहीं... चुप हो जाओ मेरे बच्चे...क्यूट बेबीस रोते नहीं...!! " यह कहते हुए वेदांश को चुप कराने लगी।।




युवान जो थोड़ी देर पहले ही वेदांश को ढूंढ़ते हुए वन्या के कमरे की तरफ आया था। उसने वेदांश को, तानिया की गोद में देख कर वहीं दीवार पर टेक लगा कर दोनों को मुस्कुराते हुए देख रहा था। किस तरह तानिया उसे अपने बच्चे की तरह ट्रीट कर रही थी। पर वेदांश का रोना सुन कर वह दोनों के करीब आया।




तानिया उसे अपने सीने से लगा कर उसके सिर को सहला रही थी और बीच - बीच में उसके सिर पर भी किस कर रही थी। थोड़ी देर तक रोने के बाद वेदांश बिलकुल शांत हो गया। फिर उसकी नज़र आर्य के टी टेबल पर रखी पेन और व्हाइट पेपर्स पर गयी। वह उस तरफ देखने लगा तो तानिया ने उसकी तरफ देखते हुए बोली : " बेटा, आपको उस पर ड्राॅइंग करनी है...?? "




वेदांश ने हाँ में सिर हिला दिया तो वन्या उसे अपनी गोद से नीचे उतार कर ड्राइंग करने के लिए जाने देती है। जिससे वेदांश दौड़ते हुए उन पेपर्स के पास चला जाता है।।




तानिया और युवान उनके बैड पर बैठ गए और वेदांश की तरफ देखने लगे। जो सोफे पर बैठ कर इत्मीनान से उन पेपर्स पर पेन चला रहा था। तानिया उसकी तरफ देखते हुए बोली : " कितना क्यूट बच्चा है...?? पर युवान इसकी माँ कहाँ हैं...?? क्या इसकी माँ और तुम्हारे भाई का डिवोर्स हो चुका है...?? "




युवान तो हैरान होकर तानिया की तरफ देखने लगा और बोला : " भाभी, डिवोर्स और भाई का...?? "




तानिया भी सवालिया नजरों से युवान को देखते हुए बोली : " हाँ...!! "

जिंदगी में आयीं...!! "




यह कहते हुए वह तानिया के हाथों को अपने हाथों में ले लेता है। यह देख कर तानिया स्माइल करते हुए उसके सिर को प्यार से सहलाने लगती है। युवान आँखें बंद करके तानिया के इस टच को फील करने लगता है। उसे ऐसा एहसास तब होता था, जब सालों पहले उसकी माॅम उसके सिर को प्यार से सहलाती थीं। युवान आज भी अपनी माॅम को बहुत मिस करता था। ऐसा लगता था जैसे वेदांश की तरह ही उसे भी माँ की जरूरत है।।




वह एक छोटे बच्चे की तरह तानिया को देखता है, जैसे कि वह अपनी माँ को देख रहा हो। उससे रहा नहीं जाता और वह तानिया की गोद में अपना सिर रख देता है। और तानिया के हाथों को पकड़ कर अपने सिर पर रख देता है। यह देख कर तानिया को कुछ समझ नहीं आता। पर युवान की इस हरकत से उसके फेस पर एक स्माइल आ जाती है।।




वह प्यार से अपने हाथ को उसके सिर पर फेरते हुए बोली : " तुम्हें क्या हुआ...?? "




युवान अपनी आँखें बंद किए हुए ही बोला : " आई डोन्ट नो भाभी पर मुझे आपकी गोद में सिर रख कर ऐसा फील हो रहा है कि मैं अपनी माॅम की गोद में सिर रख कर सो रहा हूँ।।"

यह कहते हुए वह शांत हो जाता है। आज सालों बाद वन्या की गोद में सिर रख कर उसे अपनी माँ के पास होने जैसा सुकून मिल रहा था। युवान ने जो अभी - अभी वेदांश के बारे में बताया था। जिसे सुन कर तानिया की आँखें नम - सी हो गई थी।




उसे वेदांश के लिए बहुत बुरा लग रहा था। साथ ही उसे आर्य पर प्राउड फील भी हो रहा था कि उस मुश्किल वक्त में भी आर्य ने खुद को संभाल कर वेदांश की जिम्मेदारी उठायी और उसे माँ - बाप दोनों का प्यार वेदांश को दिया। तानिया को यह जान कर भी बहुत अच्छा लगा कि आर्य ने उसके साथ शादी वेदांश के लिए की है। ताकि उसे एक माँ का प्यार मिल सके।।




इन सबको सोचते हुए तानिया की आँखों में आँसू आ गए और एक बूंद युवान के माथे पर भी गिर गई। जिसे महसूस करके युवान ने अपनी आँखें खोलीं तो उसने पाया कि तानिया की आँखों में आँसू हैं। वह उसके आँसू पोंछते हुए बोला : " भाभी आप रो रही हैं...?? "




तानिया उसके सिर को सहलाते हुए बोली : " नहीं तो...बस वेदांश के बारे में सोच कर थोड़ी इमोशनल हो गई थी। अच्छा तुम अपनी माँ के बारे में कुछ कह रहे थे। माॅम कहीं गई हैं क्या... वो दिखाई नहीं दीं।। "




युवान एक गहरी साँस लेने लगा। जैसे कि वह उस हादसे को दुबारा याद करना न चाहता हो। शायद वह उसकी जिंदगी का सबसे दर्दनाक दिन था। जिससे वह आज तक उबर नहीं पाया था। वह बोला : " हाँ भाभी, हमारी माॅम हमसे बहुत दूर जा चुकी हैं। इतनी दूर की वो दुबारा लौट कर कभी नहीं आएंगी।। "




तानिया : " आई एम सो साॅरी युवान...मुझे नहीं पता था कि माॅम अब इस दुनिया में नहीं हैं...!! "




युवान तानिया की तरफ देखते हुए बोला : " कोई बात नहीं भाभी...माॅम तो अब वापस नहीं आ सकतीं। लेकिन मैं खुश हूं कि भगवान ने हमारे लिए आपको भेज दिया।। "




तभी दोनों की नज़र सामने सोफे की तरफ जाती है। उन्हें वेदांश वहाँ नहीं मिलता। यह देख कर दोनों बैड से उठ जाते हैं और वेदांश को इधर - उधर ढूंढ़ने लगते हैं।।




To be continued...




युवान और आर्य की माॅम की डैथ कैसे हुई... ?? क्या यह नोर्मल डैथ थी या प्लान्ड मर्डर...?? क्या तानिया वेदांश के चेहरे पर वह क्यूट सी स्माइल लाने में कामयाब हो पाएगी...?? जानने के लिए पढ़ते रहिए " हैवान की मोहब्बत" और बने रहिए कहानी पर।।




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see you in the next chapter till then take care..




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