Ch 5 Welcome to singhaniya family...!!
तानिया धीरे से बोली : " जैसे कि मुझे तो आपसे शादी करने का बहुत शौक है...!! "
आर्य उसकी तरफ घूर कर देखते हुए बोला : " कुछ कहा तुमने...?? "
अब आगे -
तानिया भोली बनते हुए बोली : " नहीं कुछ भी तो नहीं...!! " फिर तानिया की नज़र अपनी तरफ मासूमियत से देखते वेदांश पर गई। वेदांश उसे बहुत ही क्यूट लगा। तानिया को बच्चों से बहुत लगाव था। उसने अपने चेहरे पर स्वीट सी स्माइल लेकर अपनी दोनों बाहों को फैला कर वेदांश की तरफ करके अपने पास बुलाया। वह बिना देरी किए तानिया की गोद में आ गया। आर्य यह देख कर हैरान ही रह गया। क्योंकि वेदांश generally किसी अजनबी के पास नहीं जाता था।।
तानिया प्यारे से वेदांश को अपनी गोद में भर कर उसके प्यारे - प्यारे गोल - गोल गालों पर किस करते हुए बोली : " बेबी आपको पता है आप बहुत ही क्यूट हो...!! "
वेदांश अभी भी तानिया के चेहरे की तरफ ही देख रहा था। अभी भी वह काफी शांत था। generally इस उम्र के बच्चे ऐसे शांत नहीं रहते। तानिया इस बार में आर्य को पूछना चाहती थी। पर अभी उसने यह पूछना सही नहीं समझा।
तानिया : " ओफ्फो... मैं क्यूट बेबी को तो बताना ही भूल गई कि वो किसकी गोद में है...!! "
तानिया उसके चेहरे को निहारते हुए बोली : " बेटा, मैं आपकी नई मम्मा हूं।। "
पर यह क्या मम्मा शब्द सुनते ही वेदांश के प्यारे - प्यारे आँखों में आँसू आ गए। वन्या को भी यह समझ नहीं आया कि वेदांश के साथ क्या हो गया। वह उसे चुप कराते हुए बोली : " अलेले... मेरे बेबी को क्या हो गया...बच्चा क्या तुम्हें मम्मा पसंद नहीं आयीं...!! "
यह सुन कर वह तानिया के चेहरे की तरफ देखने लगा। पर उसकी आँखों में अभी भी आँसू बह रहे थे।
" अगर आपने अभी रोना बंद नहीं किया तो आपकी मम्मा भी रोने लगेंगी।। " तानिया का इतना कहना था कि वेदांश ने अपने छोटे - छोटे हाथों से अपने आँसू पोंछ लेता है।।
यह देख कर तानिया उसके दोनों गालों को चूमते हुए बोली : " गुड बाॅय...!! "
आर्य खड़ा होकर तानिया को देखने लगा जो वेदांश को अपने बच्चे की तरह ट्रीट कर रही थी। वह वेदांश को संभाल ही रही थी कि तभी उसके लहंगे की चोली उसके पीठ पर चुभने लगी।
" आहह... "
यह देख कर आर्य बोला : " जाओ तुम चेंज कर लो।। "
तानिया : " पर मेरे कपड़े...?
आर्य : " डोन्ट वॉरी... तुम्हारी जरूरत का सारा सामान मैंने इस कमरे में रखवा दिया है। यू कैन गो एंड चेंज नाव...!! "
आर्य तानिया से वेदांश को लेने के लिए हुआ। ताकि वह चेंज कर सके। पर वेदांश वन्या की गोद से उतरते के लिए तैयार नहीं था। तानिया को उसकी मासूमियत पर बहुत प्यार आ रहा था। वह उसके गालों को चूमते हुए बोली : " बेटा, मम्मा बस 10 मिनट में आ जाएंगी। तब तक आप डैडी के साथ रहो, ओके।। "
वेदांश ने हाँ में सिर हिलाया। तानिया चली गई और 10 मिनट बाद चेंज करके वापस आ गई। उसने लाइट पिंक कलर का प्रिंसेस नाइट गाउन पहना हुआ था। फिर वह वेदांश को अपनी गोद में ले लेती है। तब आर्य भी चेंज करने के लिए चला जाता है। तानिया वेदांश को कहानी सुनाने लगती है।।
10 मिनट बाद आर्य जब कमरे में वापस आया तो उसने देखा कि तानिया वेदांश को कहानी सुनाने में बिज़ी है। और वेदांश भी अच्छे बच्चे की तरह उसकी कहानी बड़े चाव से सुन रहा था। आर्य तो दोनों की बोंडिंग को देखता ही रह गया। तानिया ने एक ही दिन में वेदांश से इतनी अच्छी बोंडिंग बना ली थी।
तभी कहानी में एक मोंस्टर का जिक्र हुआ। जिससे वेदांश डर गया। अब तक आर्य भी बैड पर आकर लेट चुका था। उसकी नजरें बैड पर बैठी तानिया और अपने बेटे वेदांश पर थी। वेदांश को डरा हुआ देख तानिया उसे अपने सीने में छिपा लेती है और अपनी कहानी पूरी करने लगती है। कहानी पूरी होते - होते वेदांश की आँखें बंद हो चुकी थी। उसे सोया हुआ देख तानिया उसके माथे को चूम लेती है। और उसे यूं ही अपने सीने से लगा कर लेट जाती है।
आर्य थोड़ी देर तक तानिया और वेदांश को यूं ही निहारता है। फिर उनके करीब आकर वह भी सो जाता है।।
अगली सुबह,
सबसे पहले आर्य की नींद खुलती है तो उसकी नज़र तानिया पर पड़ती है। जो वेदांश को अपने सीने से लगा कर सो रही थी। वेदांश के चेहरे पर भी तानिया के पास सोने से एक अलग ही सुकून दिखाई दे रहा था। जो सुकुन आर्य भी अपने बेटे को नहीं दे पाया था।
वह एक नज़र दोनों को निहार कर वाॅशरूम में फ्रैश होने के लिए चला गया। फिर अपने जिम वियर पहन कर जिम की तरफ चला गया। इस वक्त जिम में कोई नहीं था। सिवाय आर्य के। 10 मिनट के अंदर ही वहाँ सभी बाॅयस आ गए। कल रात देरी होने की वजह से अनय और विवेक भी सिंघानिया मैंशन में रूक गए थे। इसलिए आज जिम में युवान, अनय विवेक, आस्तिक, भाविक, ध्रुव, एकांत सब थे।
सभी सुबह-सुबह आर्य को जिम में देख कर खुसूर - फुसूर करने लगे। आर्य भी समझ पा रहा था कि आखिर ये इंपोर्टेंट चर्चा किस पर हो रही होगी। पर उसने इस फालतू टाॅपिक पे टाइम वेस्ट करना नहीं चाहा।
अनय आर्य के कंधे पर हाथ रख कर बोला : " यार आर्य वैरी बैड...हमें लगा था कि कम से कम आज तो तू लेट आएगा। पर नहीं लगता है कल रात तूने भाभी को dissapoint कर दिया।। "
आर्य अच्छी तरह समझ रहा था कि अनय का इशारा किस तरफ है। वह एक नज़र घूर कर अनय को देखने लगा। इतने में युवान आ गया और सारी कसर पूरी करते हुए बोला : " भाई, भाभी के साथ आप दोनों को जोड़ी बहुत अच्छी लगती है। मैं बहुत खुश हूं कि आपने उस अवनी खुराना को डंप करके भाभी से शादी कर ली। भाभी तो बहुत ब्युटीफूल हैं। आई एम स्योर आपकी फस्ट नाइट का एक्सपीरियंस बहुत रोमेंटिक रहा होगा...!! "
पीछे आस्तिक और भाविक मुंह दबा कर हँस रहे थे। क्योंकि सबके सब आर्य की फस्ट नाइट के एक्सपीरियंस के पीछे पड़ गए थे। विवेक भी बार - बार यक्षित से बस यही पूछे जा रहा था।।
आर्य ने सौ सवाल का एक जवाब देते हुए कहा : " Enough... मुझे समझ नहीं आ रहा कि तुम लोगों को मेरे फस्ट नाइट के एक्सपीरियंस पर इतना इंटरेस्ट क्यों आ रहा...मैं तुम सबको यही सजेस्ट करूंगा कि तुम लोग भी शादी कर लो। फिर खुद ही जान जाओगे।
तुम सब कान खोल कर सुन लो, मैंने ये शादी सिर्फ़ और सिर्फ़ वेदांश के लिए की है। ताकि उसको उसकी माँ मिल जाए। बस इसके अलावा इस शादी का और कोई मतलब नहीं है।।"
सभी एक दम साइलेंट हो गए, क्योंकि अगर अभी किसी ने कुछ भी कह दिया या पूछ लिया तो मामला गड़बड़ हो सकता था। सभी जिम करने के बाद अपने - अपने रूम की तरफ चले गए।
आर्य के जाने के बाद वन्या की नींद भी खुल चुकी थी। उसे अपने घर में जल्दी उठने की आदत थी। क्योंकि घर का सारा काम उसे ही करना पड़ता था। वह सुबह उठ कर वेदांश को खुद से अलग करके बैड पर अच्छी तरह सुला दिया। फिर फ्रैश होने के लिए वाॅशरूम में चली गई। जब वह बाहर आयी तो एक सर्वेंट उसके रूम के डोर पर नोक करने लगा।
तानिया ने दरवाजा खोला तो सामने एक सर्वेंट एक पैकेट लेकर खड़ा हुआ था।
" मैडम, ये बड़े साहब ने आपके लिए भिजवाया है।। "
तानिया हाँ कहते हुए वह पैकेट सर्वेंट से ले लेती है। यह चैतन्य दादा जी ने तानिया के लिए भिजवाया था। तानिया शाॅवर लेकर तैयार होने लगी। यह रेड कलर की साड़ी थी। जो न तो बहुत हल्की थी और न ही ज्यादा भारी। तानिया को साड़ी पहननी पहले से आती थी। इसलिए उसे प्रोब्लम नहीं हुई। उसने आराम से यह साड़ी पहन ली।
फिर ड्रैसिंग मिरर के पास आकर बाकी जूलरीज़ पहनने लगी। गले में उसने आर्य के नाम का मंगलसूत्र पहना और दादा जी का भिजवाया साड़ी से मैच करता हुआ कुंदन का हार। कानों में मीडियम साईज की ईयरिंग्स पहने। बालों को उसने खुला ही रखा था। इस लुक में वह काफी खूबसूरत लग रही थी।।
वेदांश अभी भी सो ही रहा था। उसने उसे अपनी गोद में उठाया और नीचे की तरफ जाने लगी। नीचे सभी खड़े थे। चैतन्य जी, अनिल जी, युवान, आर्य, विवेक, अनय, आस्तिक, भाविक, ध्रुव, एकांत सभी थे।
जैसे ही तानिया वेदांश को गोद में लेकर नीचे उतरने लगी। सबकी नजरें यकायक उस पर टिक गई। वो बिलकुल वेदांश की माँ लग रही थी। सबको अपनी तरफ यूं देखता देख तानिया अनकंफर्टेबल टेबल हो गई। उनकी तरफ देख कर वह मन ही मन सोचने लगी : " क्या यहाँ के सभी फैमिली मैंबर लड़के ही हैं...!! "
तानिया का यह सोचना जायज था। क्योंकि वहाँ सभी फैमिली मैंबर मेल ही थे। वहाँ पर फीमेल के नाम पर काम करने वाली सर्वेंट्स ही थीं। मतलब उसके अलावा और कोई फीमेल मैंबर सिंघानिया फैमिली में नहीं थी।
नीचे आकर तानिया सबसे पहले दादा जी के पैर छू लेती है। वे उसे आशीर्वाद देते हैं। फिर वह अनिल जी के भी पैर छू लेती है। वह भी उन्हें आशीर्वाद देते हैं, पर उनका चेहरा पूरी तरह भावहीन होता है।
तानिया दादा जी को कह कर वेदांश को उसके कमरे में रैडी करने के लिए ले जाती है। वह सबसे पहले उसे नींद से जगाती है। पर वह नींद में कुनकुनाते हुआ वापस अपने छोटे - छोटे हाथों से तानिया की गर्दन को थाम लेता है।।
पर तानिया उसे प्यार से उठाते हुए बोली : " वेदांश बेटे अगर आप ऐसे ही मम्मा की बाहों में सोते रहोगे तो आपको मम्मा के हाथों से आपकी फेवरेट डिश खाने को नहीं मिलेगी। क्या आप ऐसा चाहते हो...?? "
फेवरेट डिश का नाम सुन कर वेदांश ने जल्दी से अपनी आँखें खोल ली। और मासूमियत में न में सिर हिला दिया। यह देख कर तानिया उसके गाल पर थपकी देते हुए बोली : " गुड बाॅय...!! "
फिर उसे रैडी करने के लिए वाॅशरूम में ले गयी। थोड़ी देर बाद वह उसे रैडी करके बाहर ले आयी। तब तक घर के सभी लोग रैडी हो चुके थे और हाॅल में हाजिर थे। युवान, वेदांश को तानिया के गोद से ले लेता है।।
चैतन्य जी तानिया का वैल्कम करते हुए बोले : " आपका इस घर में स्वागत है बेटा...!! "
तानिया उनकी तरफ देखते हुए मुस्कुराती है और थैंक्यू कहती है।।
चैतन्य जी तानिया का सबसे परिचय करवाने के अंदाज में कहते हैं : " आइए सबसे पहले हम आपका सबसे परिचय करवाते हैं।। पर इससे पहले हम आपका परिचय जानना चाहेंगे।। "
तानिया : " जी मेरा नाम तानिया मलहोत्रा है...!! "
चैतन्य जी मुस्कुराते हुए बोले : " बेटा आज से आप तानिया आर्य सिंघानिया हैं।। "
तानिया मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला देती है।
चैतन्य जी अपना इंट्रोडक्शन राऊंड जारी रखते हैं : " सबसे पहले हम अपने आप से शुरूआत करते हैं। बेटा हम हैं आपके दादा जी मिस्टर चैतन्य सिंघानिया ... ( तानिया उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेती है) फिर अनिल जी की तरफ इशारा करते हुए बोले... ये हैं आपके डैड मिस्टर अनिल सिंघानिया ( वह अनिल जी के भी पैर छू लेती है) फिर युवान की तरफ देखते हुए बोले... ये है हमारा सबसे शैतान पोता, आर्य का छोटा भाई और आपका देवर युवान सिंघानिया। ( युवान खुश होकर तानिया को हग कर लेता है, पर उसे इस बात का अंदाज़ा नहीं होता कि आर्य की जलती आँखें उसे ही घूर रही हैं )
फिर एक - एक करके दादा जी वन्या को विवेक से, अनय से मिलवाते हैं। दोनों अपनी भाभी से हैंडसेक करते हैं और उन्हें सिंहानिया फैमिली में वैल्कम करते हैं। इसी तरह वे तानिया का परिचय आस्तिक, भाविक, ध्रुव और एकांत से करवाते हैं।।
आस्तिक राजवंश आर्य का चीफ बाॅडी गार्ड है। जो आर्य और सिंघानिया फैमिली के सभी मैंबर्स की सिक्योरिटी देखता है। भाविक मुखर्जी, ध्रुव सिंघल और एकांत राजदान आर्य के वंडरफुल टीम black jaguar squad के तीनों squad के हैड्स हैं। इस टीम का हैड आर्य खुद था। ये तीनों भी सिंघानिया मैंशन में ही रहते थे।।
To be continued...
आगे के चैप्टर में हम वेदांश के बारे में जानेंगे कि क्या वह आर्य के खुद का बेटा है या उसने उसे गोद लिया है...तब तक के लिए पढ़ते रहिए " हैवान की मोहब्बत" और बने रहिए कहानी पर।।
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see you in the next chapter till then take care..