the writer inside me in Hindi Anything by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | मेरे अन्दर का लेखक

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मेरे अन्दर का लेखक

1.
आप किताबों में प्रकृति को चुनते हैं।
पद्मश्री प्रकृति से किताबें चुनी है।।

2.
खामोशी छाई है समुंदर पर
और क़तरे बहुत उछलते हैं।
यह तो दुनिया की रस्म है 'दिनेश'
जो अकड़ते हैं वह फिसलते हैं।

3.
पैरों का क्या हैं, साथ चल ही देंगे,
दिल से पूछो, साथ चलेगा क्या...?

4.
गुजरा हुआ कल हूं,
में याद तो आऊंगा,
पर लौट के नहीं।

5.
जरूरी नहीं कि हर रिश्ता लड़ाई झगड़े से खत्म हो,
कुछ रिश्ते किसी की खुशी के लिए भी खत्म करने पड़ते हैं।

6.
संघर्ष की रात जितनी ज्यादा अंधेरी होती है,
सफलता का सूरज उतना ही तेज चमकता है।

7.
खुद का बेस्ट वर्जन बनो,
किसी और की कॉपी नहीं।

8.
जहाँ से गुज़रों, वहाँ काँटे कभी मत बोना,
क्या पता वापस पर, तुम्हारे पाँव नंगे हो।

9.
हर बात ! दिल पे लगाओगें, तो रोते रह जाओगें।
जो जैसा है, उसके साथ वैसा बनना सीखे।

10.
चाहत की हसरत पूरी हो ना हो साहब,
मुस्कुराहट को जिंदा रखना जरूरी है।

11.
जो बार - बार गिरते हैं, वह आसमान में उड़ान भरते हैं,
जो गिरने से डरते हैं, वह जमीन पर रेंगने में गर्व महसूस करते हैं।

12.
जिंदगी ऐसे जियो कि, आप एक मिसाल बन जाएं।
कदम जहां भी रुक जाएं, सपनों के हाईवे बन जाएं।।

13.

ये वक्त की तन्हाई भी, कितना सवाल पूछती है मुझसे।
क्यों ? कोई बिछड़कर दूर चला गया है तुझसे।।

14.

एक पूरा संसार बसा दिया तुमने, अपनी मोहब्बत के चलते।
कि अब किसी कमी की, कमी ना रही।।

15.
मैं रूठ जाऊँ...
तुम मना लेना...
और ये सिलसिला...
यूँहीं चलाते रहना...

16.
पसंद को यार की अपना मान लिया।
इश्क़ को मैंने ख़ुदा जान लिया।।

17.
कोई भी देश यस 'शिखर' पर तब तक नहीं पहुंच सकता।
जब तक उसकी 'महिलाएं' कंधे से कंधा मिलाकर नही चले।।

18.

इतना आसान नही हैं...
अपने ढंग से ज़िन्दगी जीना...
अपनो को भी खटकने लगते हैं...
जब हम अपने लिये...
जीने लगते हैं...

19.
दिमाग ठंडा हो...
तो फैसले गलत नहीं होते...
और भाषा मीठी हो तो...
अपने दूर नहीं होते...


20.
मैं जो सुना रहा था, ये मैरी दास्तान थी साहब।
तुमने तालीया बजा कर तमाशा बना दिया।।

21.
उन्हेँ ठहरे समंदर ने डुबो दिया।
जिन्हेँ तूफ़ाँ का अंदाजा बहुत था।।

22.
मेहनत का फल और समस्या का हल,
देर से ही सही पर मिलता ज़रूर है।

23.
वक्त की धुंध में छुप जाते हैं ताल्लुक,
बहुत दिनों तक किसी की आँख से ओझल ना रहिये।

24.
खामोशियों का शोर इतना ज्यादा था,
कि बाहर का शोर तो खामोशियों में दब गया।

25.
बस कुछ नहीं कहना...
जो समझना है समझ लीजिए...
शायद यह तस्वीर आपको समझा सके...
आप हमारी खामोशी पढ़ सके...

26.
खुद को इतना कमजोर मत बनाएं।
कि दूसरे तुम्हारी कमजोरी का फायदा उठाएं।।

27.
कुछ और दिन बालों को ज़रा लम्बा रहने दो।
कुछ पन्ने खाली पड़े हैं डायरी में, भर जायेंगे।।

28.
रिहा हो गई वो बाइज्ज़त कत्ल के इल्जाम से,
निगाहों को अदालत ने हथियार ही नहीं माना।

29.
जीवन की किताबों पर,
बेशक नया कवर चढ़ाइये,
पर...
बिखरे पन्नों को,
पहले प्यार से चिपकाइये...

30.
तुम्हारा भी अलग ही मसला था 'साहिबा'।
हाथ मेरा पकड़ा पर थामा किसी और का।।

:- दिनेश कुमार कीर