Aehivaat - 26 in Hindi Women Focused by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | एहिवात - भाग 26

Featured Books
Categories
Share

एहिवात - भाग 26

पूरे गांव के लोग कुछ दूरी पर खड़े सारा नजारा देख रहे थे क्योंकि यदि शेरू बिगड़े मिज़ाज़ में आक्रामक हो भी तो बचा जा सके।
तीखा जुझारू भी भीड़ का ही हिस्सा किस्सा बनकर सारा नज़ारा देख रहे थे लेकिन जब शेरू शांत होकर सौभाग्य के पैर के पास बैठा तब जुझारू से गुस्से में तीखा बोली जब सौभाग्यवा मरी जाय तब जाब जानत ह कि शेरू सौभाग्यवा से केतना घुलल मिलल ह ऊ कौनो ऐसन बात जरूर जाने ह जेसे सौभग्यवा के लेना देना ह एहि लिए बिगड़ा ह चल हमन के कुछ नाही करी शेरू आखिर सौभग्यवा के माई बाबू हई हमन ई बात डेढ़ दु बारिश में शेरुओ अनबोलता जानत ह बहुत हिम्मत देने के बाद जुझारू ने हिम्मत दिखाई और गांव वालों के मना करने के बाद भी तीखा जुझारू सौभाग्य के निकट पहुंचे
तीखा जुझारू को देखते ही शेरू अश्रुपूरित नेत्रों के साथ अपनी दुम हिलाने लगा।

तीखा ने जुझारू से कहा देख शेरू कुछ कहत ह समझ जल्दी ही सौभाग्य के उठाव और घरे ले चल जुझारू ने बेटी सौभाग्य को उठाया और अपनी झोपड़ी पर ले गया और उसे होश में लाने की सारी कोशिशें करने लगा शेरू सौभाग्य कि चारपाई के किनारे बैठ गया ।

इधर दिल्ली पुलिस द्वारा कर्मबीर और चिन्मय को दिल्ली
सफदरजंग हॉस्पिटल ले जाकर भर्ती कराया कर दोनों के घरवालों कि तलाश शुरू किया दोनों अचेतावस्था में थे जिसके कारण उनके बिषय में कुछ भी पता कर पाना मुश्किल था और उनके पास कोई ऐसा पेपर भी नहीं था जिससे कि उनकी पहचान हो सके ।

दिल्ली पुलिस ने दोनों के घरवालों का पता करने के लिए सभी तौर तरीको का प्रयोग शुरू किया इधर शाम देर रात तक कर्मबीर जब घर नही पहुंचा तो जगबीर सिंह ने पत्नी सुमंगला से पूछा कि तुमसे कर्मबीर कुछ बता कर गया है हमसे से यही बताया था कि वह चिन्मय के साथ प्रोफेसर कृष्ण कांत झा से एडमिशन के सिलसिले में मिलने जा रहा है लेकिन रात के दस बजे तक नही लौटा कही कोई इतना कहते ही सुमंगला ने कहा अजी शुभ शुभ बोलिये और क्रुद्ध होते बोली आपने चिन्मय के साथ जाने ही क्यो दिया ?अकेले भी जाकर कर्मबीर एडमिशन कि बात कर सकता था जगबीर बोले भाग्यवान इस समय कीच कीच करने से क्या फायदा ? ये तो बाद में भी कर लेंगे सुबह भी तुम कर्मबीर से मात्र इस बात पर उलझ गई कि वह पराठा खाकर जाय और कर्मबीर दही रोटी खाने की जिद्द पर अड़ा था बेचारे को ना पराठा मिला ना दही रोटी इसीलिए मैंने हमेशा कहा है कि घर से बाहर जाते समय कीच कीच नही होनी चाहिए ।
शुमंगला ने झिझकते हुये कहा तुम तो हर बात में मेरा ही दोष खोजते रहते हो अब कर्मबीर के बारे में पता भी करोगे ? जगबीर ने अपनी चिरपरिचित मुद्रा में पत्नी शुमंगला से कहा हम कभी बिना अपनी शुभ सुमंगला के कही गए है कि आज कर्मबीर को खोजने जाय ।

सुमंगला पति कि बात तो पहले ही जानती थी तैयार थी ही बोली अब चलो भी जगबीर और सुमंगला साथ घर से निकले और नजदीक थाने पहुंचे थाने पर थानाध्यक्ष जागीर सिंह जोगट मौजूद थे जगबीर और सुमंगला ने बेटे कर्मबीर कि गुमशुदगी कि रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए थानाध्यक्ष जागीर सिंह जोगट से अनुरोध किया।

जागीर सिंह जोगट ने पति पत्नी को ढांढस बढ़ाते हुऐ कहा कि रिपोर्ट लिखवाने से पहले आप बेटे कि हुलिया बताए जिससे कि थाने के पास जिन लापता के बारे में जानकारी है उनसे मिलान करते है शायद कर्मबीर उन्ही में हो जगबीर और सुमंगला ने बेटे कर्मबीर का हुलिया बताया जागीर सिंह जोगट ने तुरंत अपने ड्राइवर को गाड़ी निकालने का आदेश दिया और जगबीर और सुमंगला से गाड़ी में बैठने का अनुरोध किया जगबीर और सुमंगला बार बार यही पूछते रहे कि इंस्पेक्टर साहब क्या बात है ?बताइए कर्मबीर ठीक तो है ?जागीर सिंह जोगट ने डांटते हुये सिर्फ इतना ही कहा कि शांति से कुछ देर बैठिये कुछ देर में सब कुछ स्प्ष्ट हो जाएगा ।

जगबीर और सुमंगला किसी अशुभ अनहोनी कि आशंका से शांत मन से ईश्वर से प्रार्थना करने लगे कुछ ही देर में जागीर सिंह जोगट ने ड्राइवर को सफदरजंग हस्पताल में गाड़ी रोकने का आदेश दिया और जगबीर एव सुमंगला को गाड़ी से उतरने का आदेश दिया और स्वंय हॉस्पिटल के स्वागत काउंटर पर पहुंचे पीछे पीछे सुमंगला और जगबीर भी थे जागीर सिंह जोगट ने वार्ड नं पूछा और पति पत्नी को साथ चलने का इशारा किया वार्ड में पहुंचते ही सर्विस नर्स को बुलाया और जगबीर और सुमंगला को सुबह दुर्घटना में घायल नौजवानों कि पहचान हेतु ले जाने को कहा सिस्टर मांडवी ने जगबीर और सुमंगला को साथ चलने का सकेत दिया ।
सिस्टर मांडवी ने इशारे से अगल बगल बेड पर लेटे कर्मबीर और चिन्मय को दिखाया सुमंगला बेटे कर्मबीर को देखते ही चीख चीख कर रोने लगी बाहर खड़े थानाध्यक्ष जागीर सिंह जोगट को पक्का विश्वास हो गया कि जगबीर और सुमंगला का बेटा दुर्घटना में घायल दोनो में कोई है सीधे वार्ड के अंदर दाखिल होते हुए जागीर सिंह जोगट ने जगबीर सिंह से कहा आपका बेटा तो मिल गया लेकिन इसके साथ जो नौजवान है वह कौन है ?वह कैसे आपके बेटे के साथ था? जगबीर सिंह ने बताया कि वह चिन्मय है मेरे बेटे का दोस्त दोनों सुबह अपने एडमिशन के सिलसिले में बात करने के लिये प्रोफेसर कमलाकांत झा से मिलने जा रहे थे जागीर सिंह जोगट ने पुनः सवाल किया जगबीर सिंह से क्या आप चिन्मय के माँ बाप को जानते है ?जगबीर सिंह ने इंस्पेक्टर जागीर सिंह जोगट को बताया कि चिन्मय के पिता पण्डित शोभराज तिवारी और वो दोनों बचपन के दोस्त है साथ साथ पढ़े बड़े हुए शोभराज तिवारी जमींदार है उन्हें नौकरी या व्यपार कि जरूरत नही उन्हें तो सिर्फ अपनी जमीदारी ही सम्भालना बड़ी जिम्मेदारी है अतः उन्होंने ही मुझे अपनी पूंजी लगाकर व्यवसाय के लिए दिल्ली भेजा और कहा जगबीर तुम दिल्ली रहोगे तो बच्चों को शिक्षा दीक्षा में सुविधा होगी दो दिन पहले ही चिन्मय दिल्ली आया है और वह अभी किसी लाज में है मेरे ही घर रहेगा भी ।

इंस्पेक्टर जागीर सिंह जोगट ने कहा तुरंत आप चिन्मय के माँ बाप को किसी तरह बुलावे कि व्यवस्था करे।।