Indian Police Force Web Series Review in Hindi Film Reviews by Mahendra Sharma books and stories PDF | इंडियन पुलिस फोर्स वेब सीरीज रिव्यू

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इंडियन पुलिस फोर्स वेब सीरीज रिव्यू

यह वेब सीरीज सच्ची कहानी पर आधारित नहीं है और फिर भी इसका नाम भ्रमित करता है। एमेजॉन प्राईम पर रिलीज हुई इस वेब सीरीज का निर्माण रोहित शेट्टी ने किया है इसलिए यह वेब सीरीज आने से पहले चर्चा में रही। पर आने के बाद चर्चा में नहीं रहेगी ?

रोहित शेट्टी अपने कोप वर्ल्ड के लिए जाने जाते हैं। उनकी बनाई गई सिंघम अजय देवगन को मुख्य पात्र बनाकर पेश की गई जिसमें विलन थे प्रकाश राज। हीरो और विलन दोनों ही बहुत दमदार थे और कहानी भी दमदार थी, पर सबसे ज्यादा दमदार था निर्देशन। रोहित शेट्टी ने पुलिस पर बनी फिल्मों में एक नया इतिहास अंकित कर दिया। शायद इस फिल्म को देखकर लोगों में पुलिस के प्रति सम्मान बढ़ गया।

अब यह सिलसिला शुरू हुआ और सिंघम रिटर्न, सिम्बा और सूर्य वंशी फिल्में आईं और रोहित शेट्टी का कोप वर्ल्ड बन गया। मतलब पुलिस वालों की दुनिया जैसा स्पेशल सेगमेंट जिसमें लगता है रोहित शेट्टी और भी काम करने वाले हैं। इन फिल्मों में पुलिस वाले बहुत ही कड़क, वर्दी वाले और ईमानदार दिखाए जाते हैं और उनका चित्रण एक महनायक का होता है।

अब आते हैं इंडियन पुलिस फोर्स वेब सीरीज की कहानी और प्रभाव पर। प्रमाणिकता से कहा जाय तो इस सीरीज के 7 एपिसोड में से केवल अंतिम एपिसोड ही ऐसा है जिसे रोहित शेट्टी का निर्देशन कहा जा सकता है। अन्य एपिसोड दूर दूर तक रोहित शेट्टी के निर्देशन से बने हैं ऐसा बिल्कुल नहीं लगता।

कहानी साधारण है, संवाद बहुत ही साधारण है और कलाकारों की अदाकारी भी कुछ खास प्रभावित नहीं कर रही। सिद्धार्थ मल्होत्रा, शिल्पा शेट्टी और विवेक ओबेरॉय जैसे अपने खाली समय में आकर कहानी में अपनी जगह बनाने आए हों ऐसा लगा और उन्हें अपनी अदाकारी पर कोई प्रशंसा मिले ऐसे कोई प्रयत्न नहीं लगते या फिर निर्देशक को उनसे काम करवाना नहीं आया। शिल्पा तो अपनी जवानी में कुछ खास नहीं कर पाईं तो अब उनसे ज्यादा उम्मीदें नहीं थीं पर विवेक अन्य वेब सीरीज में अच्छा काम कर चुके हैं। सिद्धार्थ के पीछे निर्देशकों को हमेंशा बहुत काम करना पड़ता होगा, उनकी बॉडी और आवाज़ पर उनका केरियर नहीं चलने वाला, अदाकारी दो दिखानी होगी।

एक दृश्य में पुलिस वाले आतंक वादियों से भिड़ रहे हैं , वे स्पेशियल सेल से हैं और उन्होंने बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं पहना यह बात बिल्कुल लॉजिक से परे लगी। एक तरफ पुलिस वाले कह रहे थे जब तक केस सॉल्व नहीं होगा कोई घर नहीं जाएगा और फिर केस अधूरा छोड़ कर खत्म कर दिया जाता है , ऐसा कैसे भाई?

एक दृश्य है जिस में गोवा में पुलिस को पता चलता है एक लोकल गुंडा आतंकियों को मदद कर रहा है, उसकी पूछताछ करने पुलिस उसकी फेक्ट्री पहुंचती है पर उनके पास कोई कोर्ट ऑर्डर नहीं। अकेले 3 पुलिस अधिकारी गुंडे के अड्डे आ गए और सबको मारकर उसे पकड़ लिया, भाई थोड़ा लॉजिक तो दर्शकों के पास आ गया है, फिर पुलिस मत दिखाओ, कोई भी दिखा दो जो आतंकियों को पकड़ेगा, मारेगा और मसीहा बन जाएगा। पुलिस को कुछ तो कानून से चलना पड़ता है की नहीं।

सीरीज में vfx का प्रयोग भरपूर मात्रा मे किया गया है , क्या असली क्या नकली पता नहीं चलता, सबकुछ नकली है ऐसा ही लगता है, मतलब लोकेशन पर बिल्कुल खर्च नहीं हुआ। vfx पहले कुछ एपिसोड में निम्न कक्षा का है। अंत में तो हद ही हो गई, किसी देश की सरहद उसके दरवाजे तोड़ कर कर रहे हो और वे आपको कुछ कर नहीं पाते ? बजरंगी भाईजान तो आम आदमी थे और प्रजा का सहयोग था पर पुलिस वाले ऐसा क्यूँ करेंगे ? 

मुझे तो सीरीज के नाम पर ही प्रश्न है, क्यों इंडियन पुलिस फोर्स रखा? भ्रमित करने वाला नाम है, अपेक्षा थी की असली पुलिस ऑफिसर की कहानी दिखा देंगे पर वैसा हुआ नहीं।

श्वेता तिवारी को विवेक ओबेरॉय की पत्नी का रोल दिया गया है, टीवी सीरियल्स की इतनी प्रतिभाशाली और प्रभावशाली अभिनेत्री को इतना छोटा रोल उनके कद को शोभा नहीं देता। टीवी पर उनका बहुत बड़ा फैन फॉलोइंग है। शरद केलकर की एंट्री थोड़ा रोमांच लेकर आई और अंतिम एपिसोड ने पूरी सीरीज की लाज रख दी। अन्यथा इसका बहुत बुरा हाल होने वाला था।

अन्य कलाकारों में मयंक टंडन मुख्य आतंकी बने थे, अदाकारी ठीक लगी, आंखे बिल्कुल सौम्य थीं, ब्रेन वॉश किए हुए आतंकी ऐसे नहीं दिखते, वे इमोशन लैस और खूंखार होते हैं। वैदेही परशुरामी बनी थीं नफीसा, आतंकी ज़रार की पत्नी और प्रेमिका, उन्होंने बहुत प्रभावित किया। मुकेश ऋषि मंझे हुए कलाकार हैं। ऋतुराज सिंह आतंकियों के बॉस थे पर उनसे भी ठीक से काम नहीं लिया गया।

कुल मिलाकर मज़ा नहीं आया भाई, आप अपने बहुत ही खाली समय में देखना चाहें तो आपकी इच्छा, मेरी मानो तो मत देखो, सैम बहादुर ओटीटी पर आ चुकी है, उसमें सच्चाई और इतिहास तो दिख जाएगा ।

समीक्षा कैसी लगी अवश्य कमेंट में लिखकर बताएं।

– महेंद्र शर्मा