बुलबुल के पापा मम्मी उससे मिलने घर से निकल पड़े। वह घर से यह सोचकर निकले थे कि उससे बात करके तुरंत ही रिश्ता पक्का कर देंगे।
उसके घर पहुँचने में उन्हें काफ़ी रात हो गई। जैसे ही प्रिया ने डोर बेल बजाई। बुलबुल नींद से उठी, इस वक़्त कौन होगा? सोचते हुए उसने दरवाज़ा खोला। अचानक अपने पापा मम्मी को देखकर वह बहुत ख़ुश हो गई।
"उसने कहा, वाओ इतना अच्छा सरप्राइज।"
प्रिया ने कहा, "तेरी बहुत याद आ रही थी, इसलिए आ गए।"
रात काफ़ी हो गई थी कुछ देर बात करके वह सो गए।
दूसरे दिन सुबह बातों ही बातों में उसकी मम्मी प्रिया ने पूछा, "बुलबुल तू किसी से प्यार करती है ना?"
"मम्मी आपसे किसने कहा?"
"किसने कहा, छोड़ यह, बता यह सच है या नहीं?"
"सच है मम्मी, मैं मेरे ऑफिस के एक लड़के से प्यार करती हूँ।"
अशोक ने प्रश्न किया, "उसके पापा-मम्मी को मालूम है?"
"नहीं पापा ..."
"फिर ...फिर कैसे तय होगा सब?"
"खैर चलो, लड़के और उसके पापा-मम्मी से मिलवा दो। हम ही बात करके सब फाइनल करके तुम्हारी सगाई कर देते हैं। तुम्हारी माँ की दिन-रात की चिंता तो ख़त्म हो जाए।"
"नहीं पापा, अभी नहीं ।"
"अभी नहीं, क्यों?"
"वह अभी आउट ऑफ इंडिया गया है।"
"तो क्या हुआ उसके पापा मम्मी से तो मिल लें।"
"नहीं पापा ..."
"नहीं पापा, आख़िर क्यों बुलबुल?"
"पापा दरअसल वह शादीशुदा है। अभी तलाक ..."
उसका वाक्य पूरा भी नहीं हुआ था कि अशोक और प्रिया उठकर खड़े हो गए।
प्रिया ने कहा, "यह क्या कह रही है बुलबुल तू? तू पागल हो चुकी है, किसी लड़की का घर तोड़ने का, उसका जीवन बर्बाद करने का, ख़्याल भी तेरे मन में कैसे आया? यह तो पाप है पाप।"
"पर मम्मा वह उसे तलाक ..."
"तलाक तेरी वज़ह से दे रहा है क्योंकि उसे तू पसंद आ गई।"
"नहीं मम्मा मेरी वज़ह से नहीं। वह उसे पहले से ही पसंद नहीं है।"
"फिर उसने शादी क्यों की?"
"उसके पापा-मम्मी की ज़िद के कारण।"
"तो अब तुझसे शादी करके वह उसके पापा-मम्मी से भी दूर हो जाएगा। क्या कर रही हो बुलबुल, यहाँ हमसे दूर आकर? हमने तुम्हें कभी इतना स्वार्थी, इतना खुदगर्ज नहीं बनाया।"
"पर पापा वह आठवीं तक ही पढ़ी है इसलिए ..."
"चुप हो जा बुलबुल, हम तुझे किसी लड़की का जीवन बर्बाद कभी नहीं करने देंगे। तू क्या अब खल नायिका बनना चाहती है और वह भी असली जीवन में? उस लड़के से शादी करने का तो हम सोच भी नहीं सकते। यदि उसे उस लड़की से शादी नहीं करनी थी तो डटकर उसी समय उन हालातों का सामना करता और इनकार कर देता। वह लड़का मुझे कतई पसंद नहीं है बुलबुल। उसका ख़्याल भी अपने मन से निकाल दे। तू रास्ता भटक गई है बेटा और हम तुझे सही रास्ता दिखा रहे हैं। क्यों किसी की बद्दुआएँ लेना चाहती है? यह बद्दुआ तुझे चैन से जीने नहीं देगी बेटा। लौट आ अपने कदमों को मोड़ कर।"
"अरे प्रिया, हम जिस लड़के से बुलबुल की शादी की बात कर रहे थे, उसका फोटो है ना तुम्हारे मोबाइल में?
हाँ मैं डिलीट करने का सोच रही थी फिर सोचा पहले यहाँ आकर सब देख लें, यदि यहाँ सब ठीक लगा तब डिलीट कर दूंगी। "
"अच्छा हुआ जो तुमने ऐसा सोचकर डिलीट नहीं किया। लाओ उस लड़के की फोटो दिखाओ इसे।"
"लेकिन पापा ..."
"बुलबुल बिल्कुल चुप रह, यदि तुम्हारा निर्णय सही होता, तुम्हारी पसंद, तुम्हारा चुनाव, सही होता तो हम कभी मना नहीं करते। यह तुम भी जानती हो लेकिन यह बेहूदा रिश्ता तो हरगिज़ नहीं हो सकता। चलो हमारे साथ, नहीं करना है यह नौकरी।"
बुलबुल अपने पापा-मम्मी के ठोस इरादे और सच्ची बातों के आगे, एक भी शब्द ना बोल सकी और उनके साथ जाने के लिए तैयार हो गई।
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः