(रात की रानी और किस )
चॉपर रायजादा मैंशन के टेरेस पर आ कर लैंड होता है। अर्जुन और राजू दोनों ही अपने अपने रूम में फ्रैश होने चले गए । थोड़ी देर बाद जब अर्जुन फ्रैश होकर हॉल में आया तो उसकी मां माया सिंह रायजादा चेहरे पर तनाव के भाव लिए इधर से उधर टहल रही थी । अर्जुन सीढ़ियों से नीचे आते हुए अपनी मां को ही देख रहा था ।
माया की नजरों ने जैसे ही अर्जुन को देखा उनकी पलके भीग गई । माया ने अर्जुन को गले लगाते हुए कहा " भला मां को भी कोइ इतना तड़पाता है आंखे तरस गई थी तुझे देखने के लिए । पुरे एक महिने बाद तुझे देख रही हुं " । अर्जुन के सिर पर हाथ फेरते हुए अर्जुन की माथे की चोट जिसके निशान हलके हो गए थे पर फिर भी एक मां की नजरों से वो निशान छुप ना सके । माया ने उस निशान को देखते हुए अर्जुन से पुछा " अर्जुन तुझे ये चोट कैसे लगीं । मां की बातें सुनते ही अर्जुन के एक्सप्रेशनलेस चेहरे पर तनाव आ गया और वो एक महिने पहले देहरादून में हुए अपने एक्सिडेंट के बारे में सोंचनेे लगा ।
अर्जुन नहीं चाहता था उसकी मां उसे इस हालत में देखें होश में आते ही अर्जुन ने राजू को कॉल किया और उसके साथ अपने प्राइवेट जेट से इंग्लैंड चला गया । आज जब वो पुरी तरह से ठीक हो गया तब वो वापस इंडिया आया है । अर्जुन जानता था उसकी मां उससे कीतना प्यार करती है उसकी मां उसे उस हालत में ना देखे इसलिए ही वो इण्डिया छोड़ कर चला गया था ।
"बताओ बेटा कैसे लगीं तुझे ये चोट "
"मां ठीक हुं मैं आप कुछ ज्यादा ही सोच रही है मामूली सी चोट थी ठीक भी हो गई । निशान भी कुछ दिनों में चले ही जाएंगे" । बात को टालते हुए अर्जुन डाइनिंग टेबल के पास आया और अपनी चेयर पीछे कर बैठ गया ।
"भाभी क्या अर्जुन आ गया है " हॉल में आते हुए अर्जुन के चाचा जगदीश ने पुछा ।
"हां भाई साहब अर्जुन आ गया है , खाना खा रहा है " , खाना खा रहे अर्जुन की तरफ इशारे करते हुए माया ने कहा ।
जगदीश गया और अर्जुन के बराबर वाली चेयर पर बैठ गया । जगदीश को देख कर अर्जुन अपनी चेयर से उठा और जानें लगा । तभी माया ने अर्जुन को रोकते हुए कहा " बेटा तुने तो अभी सही से खाना भी नहीं खाया ऐसा आधा खाना बिच में छोड़ कर नहीं उठते "
"मां मेरा खाना हो गया । मैं यहां सिर्फ आपसे मिलने आया था आपको देखने आया था। मैं अब जा रहा हुं , विला में ही रहुंगा । आपका जब भीं दिल करे आप वहां आ कर मुझसे मिल सकती है " अर्जुन के लहजे में शिकायत और करवाहट दोनों ही थी । अर्जुन अपनी बात कह कर चला गया और माया बस उसे जाते हुए देखती रह गई ।
राजू रेडी होकर नीचे आया तो अर्जुन उसे वहा भी नहीं दिखा राजू माया के पास आते हुए बोला " मां अर्जुन कहा है वो अपने रूम में भी नहीं था, यहां भी नहीं दिख रहा "।
"अर्जुन चला गया बेटा तु खाना खा कर जाना " माया की बात सुन कर राजू डाइनिंग एरिया की तरफ़ बढ़ गया । जगदीश को देखते ही राजू समझ गया अर्जुन यहां से क्यों चला गया । राजू बैठा और अपनी प्लैट सीधी कर उसमे खाना सर्व करने लगा ।
"पता चला किसने अर्जुन पर हमला करवाया था " जगदीश ने खाते हुए राजू से पुछा ।
"अभी तक तो नहीं पर जल्दी ही मैं पता कर लुंगा। फिर मेरा हाथ होगा और उसकी गर्दन " राजू ने अपने शब्दों पर जोर देते हुए कहा ।
जगदीश ने मन ही मन खुद से कहा " उसका पालतू कुत्ता जो ठेहरा तु उसके लिए ये सब तो करेगा ही तु "
राजू जगदीश का चेहरा देख कर उसका मन का हाल जान रहा था । राजू ने खाते हुए कहा " वैसे अंकल अब उस अटैकर को बच के रहना चाहिए । डेविल वापस जो आ गया है , वो उन्हें तड़पा तड़पा कर मारेगा जिसने उसकी जान लेने की कोशिश की है , अब आप तो जानते है ना अर्जुन की डिक्शनरी में माफी जैसे शब्द है ही नहीं " अपनी बात कह कर राजू ने सर्कास्टिक स्माइल जगदीश को दी और उठ कर चला गया ।
राजू के जाने के बाद जगदीश ने गुस्से से कहा " इसे क्या लगता है अर्जुन पर हमला मैने करवाया था । भतीजा है वो मेरा जितना प्यार मैं उससे करता हुं ,उससे कहीं ज्यादा प्यार मैं उसकी प्रॉपर्टी से करता हुं और उसकी सारी प्रॉपर्टी हासिल करने के लिए फिर चाहे मुझे अपने लाडले भतीजे को मारना ही क्यों ना पड़े तो भी मैं पीछे नहीं हटूंगा " कहते हुए जगदीश के होठों पर शैतानी मुस्कुराहट थी।
हाथ में सिगरेट लिए अर्जुन अपने रूम की बालकनी में खड़ा उसके धुएं उड़ा रहा था तभी ।
"मुझे क्यों अकेला छोड़ कर आ गया वहा " कहते हुए राजू अर्जुन के पास आया ।
"यार तु मां को यहां क्यों नहीं ले आता क्यों छोड़ा हुआ है । तुने उन लोगों के बीच मां को " राजू ने अर्जुन के हाथ से सिगरेट लेते हुए कहा । तुझे क्या लगता मैं मां को यहां नहीं लाना चाहता वो खुद वहा अपनी मर्जी से है , वो उस परिवार को एक करने में लगीं है जो सालो पहले टूट कर बिखर गया है "
"मैने पता किया है जगदीश अंकल का हाथ नहीं था तेरे एक्सिडेंट के पिछे " राजू ने सिगरेट के कस लेते हुए कहा तो अर्जुन ने कहा " जानता हुं , उनका हाथ नहीं था " । "अब सवाल ये उठता है तेरी गाड़ी का ब्रेक फेल करने की हिम्मत किसमे आ गई "।
"ये सब तु मुझ पर छोड़ दे ! उस लड़की का कुछ पता चला "
"नहीं यार एक तो उसने सारी इनफॉर्मेशन गलत फील की थी । उपर से उस हॉस्पिटल के सीसीटीवी कैमरे को भी उसी दिन खराब होना था । मेरे आदमियों ने तो पुरा देहरादून छान लिया पर तेरी वो रात की रानी कहीं ना मिली"।
अर्जुन ने राजू के हाथ से सिगरेट ली और उसके कस लेते हुए कहा " ढूंढ उसे मुझे वो चाहिए "।
"तुझे कुछ याद है उसके बारे में कुछ ऐसा जिससे हम उसकी पहचान कर सकें " राजू ने अर्जुन से पुछा । राजू की बात सुन कर अर्जुन को वो लम्हा याद आया जब उसे थोड़ी देर के लिए होश आया था और उसने सना का चेहरा देखा था ।
पर्दे की दीवार के इस तरफ अर्जुन और दीवार के उस तरफ सना थी । अर्जुन को जब हल्का हल्का होश आया तब पंखे की हवा से हिल रहे पर्दे के बिच से उसे सना की एक झलक दिखी थी । अर्जुन अपनी अर्धखूली आंखो से सना को देखता रह गया । सना को देखते देखते कब अर्जुन की आंखे दुबारा बंद हो गई उसे पता ही नहीं चला । अगली सुबह जब अर्जुन पूरी तरह होश में आया तब उसे सना कहीं नहीं दिखी ।
अर्जुन ने उन पलों को याद करते हुए कहा " मुझे कुछ याद नहीं बस तु उसे ढूंढ कैसे भी "।
राजू ने अर्जुन की बातों पर बस धीरे से हां में अपना सिर हिला दिया ।
दुसरी तरफ सना और आरिफ के बीच जंग छिड़ी हुई थी । सना ने पिलो को आरिफ के उपर फेंकते हुए कहा " आरिफ के बच्चे तुमने फिर से हमारी चॉकलेट खाई हम तुम्हें छोड़ेंगे नहीं " ।
"आपा आप भी हमारी आईस क्रीम खाना बन्द कर दे । हम आपकी चॉकलेट को हाथ भी नहीं लगाएंगे " आरिफ ने सना को पिलो से मारते हुए कहा ।
तभी दोनों के कानों में एक आवाज़ आई। सना ने आवाज़ की तरफ देखा और सही से खड़ी हो गई ।
"अहद ( सना के अब्बु) अंदर आए और सना और आरिफ को देखने लगे तभी उन्होंने दोनों को देखते हुए अपने हाथ आगे बढ़ाए उनके एक हाथ में चॉकलेट तो दुसरे में आईस क्रीम थी। सना और आरिफ ने अपनी अपनी चीज लेते हुए अहद से शुक्रिया कहा ।
अहद सना के करीब आए और प्यार से सना के सिर पर हाथ फेरते हुए उन्होनें सना से पुछा " पढ़ाई कैसी चल रही है बेटा आपकी "।
सना ने अपनी झुकी पलके उठा कर अहद को देखा और मुसकुराते हुए कहा " अच्छी चल रही है अब्बू "।
अहद ने अपने पीछे खड़ी जन्नत को देख कर कहा " हमने तुमसे कहा था ना जन्नत हमारी सना हमारा गुरुर है एक दिन वो हमारा नाम रोशन करेंगी । हमे हमारी सना पर पुरा भरोसा है "।
सना को अहद की यहीं बाते डरा जाती है।
अगली सुबह ,
एक लड़की ने सो रहे लड़के के होठों पर धीरे से अपने होठों को रखते हुए उसे किस किया । वो लड़की किस कर जानें लगीं तभी लड़के ने उस लड़की को अपनी बाहों में भरते हुए कहा " नहीं जाने दुंगा मैं तुम्हें बहुत मुश्किल से मिली हो तुम मुझे " कहते हुए उस लड़के ने लड़की को कसकर अपनी बाहों में भर लिया । तभी एक आवाज़ उसके कानों में गई। और उस लड़के ने धीरे से अपनी आंखें खोली ।
वो आवाज़ अलार्म की थी। उस लड़के ने देखा तो उसकी बाहों में कोई लड़की नहीं थी । वो लड़का समझ गया ये उसका सपना था। उस लड़के ने होठों को तिरछा कर हल्की सी स्माइल की । वो बेड से उठा और अपने बराबर में सो रहे लड़के को देखा । टेबल पर रखे पानी से भरे जग को उठाया और उसके लड़के उपर उड़ेल दिया । वो लड़का जल्दी से उठा और घबराते हुए इधर उधर देखने लगा । सामने खड़े लड़के को देख कर उस लड़के ने कहा " यार अर्जुन ऐसे कोन जगाता है " ।
अर्जुन ने राजू की बातों पर कहा " जैसे तेरा ये अलार्म हर रोज मुझे जगाता है " अपनी बात कह कर अर्जुन बाथरूम की ओर बढ़ जाता है। राजू जो पुरा भीग गया था वो अर्जुन को जाते हुए देख कर मन ही मन कहता है " क्या है ये लड़का ना जानें वो बेचारी लड़की कैसे इस डेविल को झेलेगी "।
सना ने आईने में एक नजर खुदको देखा और लाल दुपट्टे को पहनते हुए कहा " चल सना जल्दी कर आज फिर से तु लेट हो गई" । कहते हुए सना निचे आई और बिना नाश्ता किए चली गई।
"ना जाने हमारी ओर ऑटो वालो की क्या ही दुश्मनी है जिस दिन हम लेट होते है कोई ऑटो भी नहीं मिलता उस दिन हमे " सना ने ऑटो का इंतजार करते हुए खुद से कहा । बीस मिनट बाद सना को एक ऑटो मिला । जैसे ही सना ऑटो में बैठने गई उसे कुछ याद आया और उसने फॉरन ऑटो वाले से पुछा " जेएनयू के कितने पैसे लोगे "।
ऑटो वाले ने कहा " चालीस रुपए मैडम " सना स्माइल करते हुए ऑटो में बैठ गई ।
सना कुछ ही दूर गई थी की आगे ट्रैफिक मिल गया । ट्रैफिक को देख कर सना के दिल से सिर्फ एक ही आवाज़ निकली " लो बस अब इसी की कमी थी । तैयार हो जा सना आज फिर से तुझे प्रोफेसर शर्मा की डांट खानी पड़ेगी "।
खुद से बातें करती सना का फोन रिंग हुआ । सना ने देखा निशा की कॉल है । कॉल पिक कर सना निशा से बात करने लगीं ।
"यार ये दिल्ली का ट्रैफिक मुंबई के ट्रेफिक को भी फेल कर देगा किसी दिन " राजू ने अर्जुन से कहा ।
अर्जुन जो आज अपनी कार खुद ड्राइव कर रहा था। उसकी काली आंखे सामने के ट्रैफिक पर ही थी । अर्जुन राजू से बातें करने लगा । तभी एक कपड़ा उड़कर उसके मुंह पर आया। अर्जुन उस कपड़े को अपने हाथ से हटाने लगा । तभी उसमे से आ रही स्मेल उसे जानी पहचानी लगीं । अर्जुन उस कपड़े को हाथ में लेकर उसे देखने लगा। तभी राजू ने कहा " ये लाल दुपट्टा किसका है" । अर्जुन ने दुपट्टे को देखते हुए कहा " पता नहीं " ।
अर्जुन जो अभी दुपट्टे को हाथ में लिए देख रहा था के तभी वो दुपट्टा उसके हाथ से रेत की तरह फिसल गया। ट्रैफिक क्लियर होते ही ऑटो चलने लगा था। ऑटो के आगे बढ़ते ही अर्जुन के हाथ से सना का दुपट्टा फिसल गया। अर्जुन ने देखा सामने जा रहे ऑटो में से वो दुपट्टा अभी भी हवा में उड़ रहा था। अर्जुन ने धीरे से कहा " ये वहीं है " ।
तभी पीछे से गाड़ियों के हॉर्न की तेज आवाजे आने लगीं । अर्जुन ने कार स्टार्ट की और ऑटो का पीछा करने लगा।
राजू ने चौंकते हुए कहा" अर्जुन ये क्या कर रहा है कहा जा रहा है मीटिंग है हमारी आधे घण्टे में करोड़ो का नुकसान हो जाएगा यार" ।
"हो जाने दे " अर्जुन ने कहा और वो ऑटो का पिछा करता रहा ।
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❤️❤️❤️
क्या अर्जुन और सना एक दुसरे के सामने आ जाएंगे ?
क्या सना अपने अब्बू के गुरुर को कायम रख पाएगी ?
आखिर कोन थे वो लोग जिन्होंने अर्जुन की जान लेने की कोशिश की थी?
To be continued...
आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिए " किस एंड सेफ लाइफ " और बने रहिए कहानी पर।।
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See you in the next chapter till then take care...
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