understand your value in Hindi Motivational Stories by ᴀʙнιsнᴇκ κᴀsнʏᴀᴘ books and stories PDF | अपनी वैल्यू को समझे

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

Categories
Share

अपनी वैल्यू को समझे

अक्सर हम दूसरे की खूबियों को देखकर अपनी खूबियों पर शक करने लगते है। हमे लगता है की दूसरों में हमसे ज्यादा खूबियां हैं और हम इस दुनियां में बस ऐसे वैसे ही हैं। जब हम अपनी तुलना दूसरों से करने लगते हैं या फिर दूसरों की जिंदगी की अच्छी चीजें देखकर, खुद की जिंदगी को बेकार समझने लगते हैं, ऐसा करके हम अपनी ही नज़रों में अपनी वैल्यू गिरा देते हैं।

जब हम ऐसा करते हैं तो हमारा confidence कम हो जाता है। हम खुद को एक नाकारा और हारा हुवा इंसान समझने लगते हैं। हम ये सोचने लगते हैं की हम अपनी जिंदगी में बेकार की ही चीज़ें कर रहे हैं और जो दूसरे कर रहे हैं वही सही है।

आज की स्टोरी हमे सिखाएगी कि इस दुनिया मे सबकी कुछ ना कुछ वैल्यू है। ना ही किसी की जिंदगी बेकार है और ना ही कोई व्यक्ति।

ये कहानी एक समुराई की है। जो की अपने शौर्य, पराक्रम, निष्ठा, अनुशासन और साहस के लिए जाना जाता था। उस समुराई ने बहुत सारे युद्धों में विजय पाई थी।

एक दिन उस समुराई की मुलाकात एक सन्यासी से हुई। वो सन्यासी उस समय ध्यान में बैठे थे। जब वो अपने ध्यान से उठे तो समुराई उनके पास गया और बोला, ‘अपनी जवानी में, मैने बहुत सारी लड़ाइयां जीती, बहुत लोगों की मदद भी करी। जब भी मुझसे हो सका मैने लोगों के लिए कुछ ना कुछ अच्छा ही किया। लेकिन अब जब मेरी उम्र हो चुकी है तो मुझे अपने अंदर बहुत सी कमियां नजर आती हैं।

मैं खुद को छोटा समझने लगा हूं। मैं जब दूसरे लोगों को देखता हूं तो लगता है की इनके सामने में कुछ हूं ही नहीं ।और मैने अब तक जो किया उसकी कोई value ही नहीं है। दूसरों को देखकर मुझे लगता है की मेरी खुद की कोई वैल्यू ही नही है।

समुराई की बात सुनकर वो सन्यासी बोले, ‘तुम थोडी देर इंतजार करो। मुझसे मिलने और भी कई लोग आए हैं, मैं पहले उनकी समस्या सुन लेता हूं। उसके बाद तुम्हें तुम्हारी समस्या का समाधान देता हूं।

ऐसा कहकर वो चले गए। समुराई उनका इंतजार करता रहा और इंतजार करते करते दिन से रात हो गई। धीरे धीरे सब लोग भी चले गए।

समुराई, सन्यासी के पास गया और बोला, ‘क्या अब आपके पास मेरे लिए समय है?’
सन्यासी बोले, ‘तुम मेरे साथ चलो। मैं तुम्हें कुछ दिखाता हूं।’

रात के अंधेरे में चांद की रोशनी में बाहर का माहौल एकदम शांत था। सबकुछ बड़ा मोहक लग रहा था। आसमान की तरफ इशारा करते हुवे, संन्यासी ने समुराई से कहा, ‘तुम चांद को देख रहे हो, वो कितना खूबसूरत है. वो सारी रात यूं ही अपनी चमक बिखेरता रहता है लेकिन कल जब सुबह होगी और सूरज निकल जाएगा।

सूरज की रोशनी इस चांद से ज्यादा तेज होगी, जिसकी वजह से हम पेड़ों, पहाड़ों और पूरी प्रकृति को साफ साफ देख पाएंगे। मेरा मानना है कि हमें इस चांद की जरूरत ही नहीं है। उसका अस्तित्व ही बेकार है। सूरज इससे कहीं ज्यादा बेहतर है। चांद नही भी होगा तो हमे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा’

सन्यासी की बाते सुनकर समुराई बीच में ही बोल पड़ा, ‘ये आप क्या कह रहे हैं, ऐसा नहीं है।’ चांद और सूरज बिलकुल अलग- अलग हैं, दोनों की अपनी-अपनी वैल्यू अलग है. आप ऐसी तुलना नहीं कर सकते।’

संन्यासी बोले, “बस यही बात तो तुम्हें भी समझनी है।”