she was like a champion in Hindi Love Stories by Your Dreams books and stories PDF | चैंपियन सी थी वो

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चैंपियन सी थी वो

चैंपियन सी थी वो
बड़ी मुद्दतों के बाद मिला था कोई ऐसा, आया जिसकी करीब बड़ी मुश्किलों से। वैसे किसी भी गेम में माहिर नहीं थी वो, फिर भी चैंपियन की तरह खिल गई मेरे दिल से।। मैंने जब अपना दिल निकाल के रखा उसके सामने, उसने तब अपना दिल संभाल के रखा मेरे सामने। हां तो उसने कहा ही नहीं कभी ना भी उसने किया नहीं, मैं तरस गया उसके सिर्फ एक जवाब के लिए। कोई खास है वो जो नींद ना आने पर भी, मैं सोया बस उसके ख्वाब के लिए।। उसने तो सिर्फ हाथ पकड़ा था, मैंने ही समझा थाम लिया उसने। उसको शायद सफर का एक साथी चाहिए था, ऊब.... गई तो छोड़ दिया।। पर हकीकत है वो नकाब नहीं, कुछ हटके है सबसे उसका कोई जवाब नहीं। जज्बातों को अल्फाजों में तब्दील करना आसान हो जाता है, जब इंसान जरा सा टूट जाता है।। मैं भी कितना अजीब हूं, Available रहता हूं जब उसको जरूरत होती है। वो भी कितनी हसीन है, इग्नोर करती है जब मुझे कोई बात करनी होती है।। मेरे एहसासों को मुकम्मल करने वाली भी वो, अधूरी छोड़ने वाली भी वो, मुझे पलट कर ना देखने वाली भी वो, मुस्कुराकर इग्नोर करने वाली भी वो।। जब मेरे लिए कोई और ही बना होगा, तो उसकी आरजू भी करना वाजिब नहीं। उसके ख्याल में निपटे रहने पर, दिल भी अपनी जगह मुनासिब नहीं।। अपने शब्दों के इस्तेमाल से, उसकी एक तस्वीर बना रखी है। खुद अनजान है वो इस बात से, मेरे लिए वह कितनी Lucky है।। कई मुद्दतों के बाद मिला था कोई ऐसा, आया था जिसके करीब बड़ी मुश्किलों से। वैसे किसी भी गेम में माहिर नहीं थी वो, पर एक चैंपियन की तरह मेरे दिल से खेल गई।।

ढोला-मारू
ढोला मारू की कहानी उत्तर भारत की लोक कथाएं और लोकगीतों के अनुसार नरवर से जुड़ी हुई है. बताया जाता है कि नरवर के राजा नल के पुत्र साल्हकुमार का विवाह बचपन में महज 3 साल की उम्र में पूंगल क्षेत्र (बीकानेर) के पवार राजा पिंगल की पुत्री से हो गया था. पुरानी लोक कथाओं में बताया जाता है, कि बाल विवाह होने पर लड़की की विदाई लड़के और लड़की के जवान हो जाने पर की जाती थी जिसे "गौना" कहा जाता है. जब तक लड़की-लड़का दोनों जवान नहीं होते तब तक लड़की पिता के घर रहती है और गौना हो जाने के बाद लड़की पति के घर चली जाती है. इन्हीं रस्मोरिवाज के चलते राजा नल के पुत्र साल्हकुमार का बाल विवाह होने के कारण गौना नहीं हुआ और राजा पिंगल की पुत्री गौना होने तक पिता के घर पर बड़ी होने लगी, लेकिन जैसे-जैसे साल्हकुमार बढ़े हुए धीरे-धीरे बाल विवाह और पहली रानी को भूल गए. इसी दौरान साल कुमार ने दूसरी शादी कर ली और नरवर में सुखमय जीवन व्यतीत करने लगे. दूसरी तरफ राजा पिंगल की पुत्री वयस्क और अत्यंत खूबसूरत दिखने लगी थी, राजा पिंगल ने नरवर में कई संदेशवाहक गौने की सूचना पहुंचाने के लिए भेजे लेकिन साल कुमार की दूसरी रानी उन्हें बड़ी चतुराई से साल्हकुमार तक संदेश पहुंचाने से पहले मरवा देती थी क्योंकि उसे डर था कि साल्हकुमार अपनी पहली रानी की सुंदरता पर मोहित होकर उसे छोड़कर कहीं पहली रानी के पास में चला ना जाए. इसी तरह काफी समय बीत गया और पिंगल कि बेटी और भी जवान और खूबसूरत होती गई. पिंगल की पुत्री को इंतजार और विश्वास था कि साल्हकुमार उससे से गौना करने जरूर आएगा. लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद राजकुमारी साल्हकुमार के वियोग में तड़पने लगी. पुत्री की यह हालत देख राजा पिंगली ने साल्हकुमार तक संदेश पहुंचाने की कई प्रयत्न किए लेकिन हर बार रानी संदेशवाहकों को मरवा डालती. राजा पिंगल को कुछ गलत होने का आभास हो गया. तब उन्होंने एक चतुर ढोली को नरवर भेजने का फैसला किया जो गाकर साल्हकुमार तक बड़ी चतुराई से संदेश पहुंचा सके. संदेश को गुप्त तरीके से पहुंचाने के लिए पिंगल की पुत्री ने ढोली को मारु रांग में कुछ दोहे बना कर दिए. जिसके माध्यम से वह गाकर साल्हकुमार को पुरानी यादें याद दिला सके और साल्हकुमार को बता सके कि किस प्रकार पहली रानी उनकी याद में तड़प रही है. ढोली ने नरवर को रवाना होती समय राजकुमारी को वचन दिया कि वह साल्हकुमार तक संदेश पहुंचा कर ही वापस आएगी. ढोली मध्य प्रदेश के नरवर राज्य में जा पहुंची. बरसात का समय था साल्हकुमार रात्रि के समय अपने किले की छत पर बरसात का आनंद ले रहे थे. तभी ढोली ने सही मौका देखकर मारु राग गाना शुरू किया. मधुर संगीत होने के कारण साल्हकुमार उसे बड़े ध्यान से सुनने लगे. इसी गायन में ढोली ने राजकुमारी का जिक्र किया और ढोली ने गाते हुए बताया कि कैसे पिंगल पुत्री उनके वियोग में तड़प रही है. जब यह दोहे साल्हकुमार ने सुने तो उन्होंने सुबह होते ही उस ढोली को बुलवाया. तब डोली ने राजकुमारी की सुंदरता और उन्हें राजकुमारी किस प्रकार वह याद करती है इस विषय में सब कुछ बताया. ढोली की बातें सुनने के पश्चात साल्हकुमार को पहली रानी से मिलना चाहत हुई. इसीलिए वह तैयार होकर पुंगल राज्य के लिए रवाना होना चाहते थे. लेकिन उनकी दूसरी रानी ने उन्हें कुछ समय बाद जाने के लिए कहकर रोक लिया. कुछ दिनों बाद एक दिन पहली रानी साल्हकुमार के सपनों में आई. तब साल्हकुमार से रहा न गया और वह पुंगल की राजकुमारी से मिलने पुंगल राज्य में जा पहुंचे. जब राजकुमारी ने अपने प्रियतम साल्हकुमार को देखा तो वह खुशी से झूम उठी और दोनों पुंगल के महलों में एक दूसरे के प्यार में खो गए. कुछ दिनों पुंगल में रहने के बाद साल्हकुमार ने अपनी पहली रानी के साथ नरवर के लिए प्रस्थान किया. पुरानी कहानियों में बताया जाता है कि जब साल्हकुमार और पहली रानी रेगिस्तान के रास्ते से होते हुए नरवर वापस आ रहे थे, तब उन्हें उमरा-सुमरा नामक रेगिस्तान का मशहूर ठग मिला. जो रानी को बंधक बनाना चाहता था. लेकिन रानी भी राजस्थान की बेटी थी! वह इन सब घटनाओं से भली भांति परिचित थी. जब रानी को उमरा-सुमरा पर संदेह हुआ तो उन्होंने साल्हकुमार को आगाह किया. साल्हकुमार को खतरा महसूस होने पर रानी और साल्हकुमार ऊंट पर बैठकर वहां से भाग निकले. उमरा-सुमरा ने उनका पीछा करने का काफी प्रयत्न किया. लेकिन वह उनके हाथ न लगे. उमरा-सुमरा नामक ठग वहीं पर हाथ मलते रह गया. जब साल्हकुमार और रानी नरवर पहुंचे तो दोनों का भव्य स्वागत किया गया और दोनों खुशी-खुशी नरवर में रहने लगे. इस प्रेम कहानी को राजस्थान और उत्तर भारत में काफी प्रसिद्ध प्रेम कहानियों में से एक माना जाता है. इस ढोला मारू की प्रेम कहानी का जिक्र आपको राजस्थान के लोकगीतों में साफ-साफ देखने को मिल जाएगा.