सिर्फ दोस्तमैं उसके लिए बस just friend की तरह था, उसके हेडफोन के replacement की तरह था. उसको सफर में कोई टाइम काटने को बात करने वाला चाहिए था, मुझ में कोई ऐसा उसको intrest-vintrest नहीं था. पर उससे बस Hi - Hello वाली तो मेरी बात ही नहीं होती थी. मुझे ऐसा लगता था, कि वह अपनी पर्सनल बातें मुझसे शेयर करती थी. मैं फिर just friend वाला relation उसको कैसे मान लेता, पर वह तो बस just friend की रट लगाए रखती थी. मैं भी अपने दिल से रोज कहता था कि उसको friend की नजर से देखाकर, लेकिन उसकी हंसी इतनी कातिल थी दिल से सिर्फ एक ही जवाब आता था : "Bro - it's impossible" वो जब आती थी तो उसके चेहरे के glow से मेरा चेहरा glow करने लगता था. वह पूरे दिन न जाने इतनी fresh-fresh कैसी रहती थी, उसकी वजह से मैं भी ताजा दिखने लगता था. वह class में बैठती तो अपने फ्रेंड के साथ थी, पर मैं अपने crush के साथ बैठता था. मेरा दिल अंदर ही अंदर मचलता रहता था और उसको कोई फर्क ही नहीं पड़ता था. मेरी age के लड़कों को तो वह भैया कह कर बुलाती थी. मैं भी उससे उतना ही 1 साल बड़ा था फिर मुझे मेरे नाम लेकर क्यों पुकारती थी?? लेकिन में friend के tag से खुश नहीं था. पहली बार कोई लड़की मेरे पास आई थी, तो मुझे लगा कि यह मौका था. थोड़ी ज्यादा हिम्मत करके मैंने थोड़ा healthy वाला फ्लर्ट करना उससे शुरू कर दिया. सोचो क्या हुआ होगा!!! दरअसल वो गुस्सा भी नहीं हुई, उसे अजीब भी नहीं लगा. मेरा सोचना था कि यह फार्मूला तो काम कर गया. वह मेरी बातों पर अब ज्यादा मुस्कुराती थी और मुझे पागल भी कहती थी. तो अब just friend के level पे यह मेरे लिए बहुत बड़ी progress थी. मैं चाहता था कि वह भी मेरे लिए वही फील करें जो अभी मैं उसके लिए फील करता हूं. मेरे भगवान मेरी बस इतनी सी तो wish थी. में जो उसका हाथ पकड़ लेता था, तो उसको जरा भी अजीब नहीं लगता था. अब मेरे मन में भी यह बात आने लगी थी कि मैं अब उसके लिए बस just friend की तरह तो नहीं हो सकता था. उसको भी तो कुछ अंदर से फील हो रहा होगा ना, मुझसे कुछ कहने को उसके मन में भी तो कुछ हो रहा होगा ना. इसी suspense ने तो बस मेरी excitement को बढ़ा रखा था, कि कब मेरी crush मेरी गर्लफ्रेंड में बदलेगी. और वो hint देने के नाम पर तो superb थी. जब उसका अचानक ही मन हुआ कि वह मेरे मुंह से कोई non-veg joke सुने, तब बाहर से में शर्मआ जाता और मन ही मन excited हो कर यह सोचता, था कि कौन-कौन से बढ़िया जोक्स मुझे उस वक्त याद थे. मैं उससे अब इस level की बातों पर पहुंच चुका था कि जो अब आम नहीं थी. अब मैं उससे जो थोड़ी दूर भी चला जाता तो वह खुद मेरे पास आ जाती थी, और अब कोई यह कैसे कह सकता था कि वह मुझ में interested नहीं थी. अब मेरे और उसके चर्चे थोड़े मशहूर हो गए, औरों की नजरों में हम रिलेशनशिप में आ गए थे और वह अभी भी अपनी बातों पर अड़ी हुई थी कि हम बस just friend हैं. "नहीं!! ऐसा तो नहीं हो सकता" फिर मैंने खुद ही दिमाग लगाया कि शायद! वह दुनिया को नहीं बताना चाहती होगी, और अंदर ही अंदर मुझे चाहती होगी. लड़कियों के फंडे तो वैसे भी मेरे सर के ऊपर से जाते हैं, तो मैंने भी सोचा क्यों ना इस रिश्ते को "सीक्रेट रिलेशनशिप" नाम दे जाते हैं. पर अभी तक मैंने उससे अपने दिल की बात कही नहीं थी. क्या करता कोई perfect timing ही नहीं मिल रही थी. पर अब यह दोस्ती उस मुकाम तक पहुंच चुकी थी कि मुझे यकीन था कि वह मेरे प्रपोजल पर "हां" ही करेगी. मैं बहुत खुश रहने लगा था, हमेशा बिना बात की smile करने लगा था. उसको अब seriously दिल से चाहता था. यह सब कुछ ऊपर-ऊपर से नहीं था, वो indication देती रहती थी और मेरे कॉन्फिडेंस बढ़ता रहता था. मैं पूरी रात बस यही सोचता रहता था, कि अब कल तो उसे प्रपोज कर ही दूंगा. मैंने भी एक दिन final कर दिया कि अब जो भी होगा बस इसी दिन होगा और finally वह दिन जल्दी आ ही गया. क्योंकि अब मुझसे इंतजार ही नहीं हो रहा था, दिल उसे प्रपोज करने के लिए बेकरार हो रहा था. दो चॉकलेट रख ली मैंने बस प्यार से उसे खिलाने को, मेरी चॉकलेट से ही जेब खाली हो गई लेकिन काफी था impression जमाने को. पूरी तैयारी पूरी रिहर्सल सिर के बाल ठीक-ठाक किए, और जा ही रहा था उसके पास कि अचानक नजरें पड़ी कोई और था उसके साथ. दीवार के उस कोने खड़े थे, जहाँ जगह भी नहीं थी दो लोगों की खड़े होने की. यह देख कर मेरा दिल थोड़ा सा उदास हुआ, लेकिन मैंने अपने दिल को समझाया कि "वो कोई दोस्त भी तो हो सकता है, इतनी क्या जल्दी है टूटने की". में उनके थोड़ा पास गया और एक side में चुपके से उनकी बातें सुनने की कोशिश करने लगा. शायद वह जो लड़का था उसका birthday था....! और वो उस को गिफ्ट कर रही थी बड़ी expensive घड़ी. मेरी जेब में चॉकलेट पड़ी-पड़ी पिघलने लगी, और वो चॉकलेट जिसकी वजह से पिघल रही थी वह किसी और के साथ थी खड़ी. उनकी बातें सुनकर लग रहा था कि वो बस दोस्त तो नहीं थे. क्योंकि उनकी सारी बातें रोमांटिक टाइप की और बेबी-बेबी करके हो रही थी. आंखों में आंसू लिए मैं वहां से चला गया. क्योंकि वो तो उससे गले मिलने में busy थी. चॉकलेट कब पिघल कर पानी हो गई पता ना चला, मुझे बस इतना मालूम था कि अब मुझे उससे attraction नहीं प्यार हो गया था. "Set life upset हो गई, Life थोड़ी सी wet हो गई. वह इतना close होकर मुझसे, किसी और से set हो गई." पहली बार इतनी खुशी की वजह मेरी जिंदगी में आने वाली थी, पर किस्मत ही मेरी ऐसी निकली कि यह भी सब की तरह committed निकली. उसने indication भी तो इतने दिए कि जैसे मुझमें intrested थी और गलती भी तो उसकी थी कि उसने कभी बताया नहीं कि वह committed थी. मेरी जो भी थोड़ी बहुत excitement थी, आज उन सबका end हो गया था! मैं उसका सिर्फ दोस्त था ना, अब सिर्फ दोस्त बनकर ही रह गया था!!