Baarish, Chaai aur Tum - 2 in Hindi Love Stories by सिद्धार्थ रंजन श्रीवास्तव books and stories PDF | बारिश, चाय और तुम - भाग 2

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बारिश, चाय और तुम - भाग 2

आकर्ष बाहर आ कर देखता है बादल बहुत घने हो चुके होते हैं और हवा भी काफ़ी तेज़ चल रही होती है, बारिश किसी भी पल शुरू हो सकती थी।


आकर्ष को बहुत ज़ोर की भूख भी लगी होती है लेकिन वो सोचता है अगर बारिश शुरू हो गयी तो वो भीग जायेगा। जब वो घर से निकला था तो मौसम बिलकुल साफ था इसलिए उसने रेन कोट या छाते के बारे में सोचा भी नहीं था। उसने अब ऑटो ढूढ़ना शुरू किया ताकि बारिश शुरू होने से पहले वो ऑटो में बैठ जाये और उस बेकार बारिश में उसे भीगना ना पड़े क्यूंकि आकर्ष को बारिश बिलकुल नहीं पसंद थी।


बहुत कोशिश करने के बाद भी कोई भी ऑटो खाली नहीं मिल रहा था लेकिन शायद आज आकर्ष की किस्मत सही थी क्योंकि एक ऑटो ठीक उसी ऑफिस के गेट पर आकर रुका और उसमें से एक सवारी निकल कर उस ऑफिस में चली गयी। आकर्ष ने उस ऑटो से बात की तो वो लक्ष्मी नगर जाने के लिए तैयार हो गया, आकर्ष के ऑटो में बैठते ही जोरदार बारिश शुरू हो गयी। आकर्ष के चेहरे पर अनायास ही एक मुस्कान दौड़ गयीं क्यूंकि वो बारिश में भीगने से बच गया था। आकर्ष खुद की किस्मत पर मुस्कुरा रहा था और किस्मत आकर्ष पर मुस्कुराने वाली थी।

ऑटो अपनी गति से दौड़े जा रही थी और बारिश उसे दुगनी गति से बढ़ रही थी, ऐसा लग रहा था मानो आज ही इंद्र देव को अपना टारगेट पूरा करना था पानी बरसाने का। ऑटो सराये काले खां को पार करते हुए इंद्रप्रस्थ के करीब पहुँच चूका था जहाँ से उसे लक्ष्मी नगर जाने के लिए कॉमन वेल्थ विलेज के सामने से होकर गुजरना था। मोड़ पर रेड लाइट होने की वजह से ऑटो कुछ देर वहीं रहा फिर लाइट के ग्रीन होते ही कॉमन वेल्थ विलेज की तरफ मूड गया।


अभी ऑटो मुश्किल से 200 मीटर ही गया होगा कि ऑटो झटके लेने लगा और देखते ही देखते ऑटो का इंजन बंद हो गया। ऑटो वाला बार बार इंजन स्टार्ट करने की कोशिश कर रहा था लेकिन इंजन स्टार्ट नहीं हो रहा था, अब ऑटो वाला ना चाहते हुए भी इस बारिश में ऑटो से बाहर निकला और ऑटो के पीछे जाकर इंजन चेक करने लगा।
"साहब इंजन में पानी चला गया है, CNG की वजह से इंजन अब स्टार्ट नहीं हो रहा।" ऑटो ड्राइवर ने वापस आकर आकर्ष से कहा


"अब क्या होगा भईया?" आकर्ष ने लाचारी से देखते हुए पूछा


"साहब यहाँ से आप किसी और साधन से चले जाना, मुझे यहाँ तक के पैसे दे दो।" ड्राइवर ने कहा


"भईया इस बारिश में और क्या साधन मिलेगा? बड़ी मुश्किल से आप मिले थे।" आकर्ष ने फिर लाचारी दिखाते हुए कहा


"लेकिन साहब अब ये ऑटो नहीं बढ़ पायेगा आगे, आप एक काम करो वो सामने बस स्टॉप दिख रहा है आप वहीँ इंतजार करो। शायद कोई दूसरा ऑटो नहीं तो कोई बस मिल जाएगी।" ड्राइवर ने आकर्ष को समझाते हुए कहा

आकर्ष ने अनमने मन से 100 रूपये निकाल कर ड्राइवर को पकड़ा दिया और अपना बैग लेकर ऑटो से निकला और बारिश से बचने के लिए बस स्टॉप तक बेतहाशा दौड़ लगा दी। बारिश इतनी तेज थी की 50 मीटर की दुरी में ही आकर्ष पूरी तरह से भीग गया, पुरे सड़क पर काफ़ी पानी बह रहा था। आकर्ष की बेतहाशा दौड़ भी उसे इस नापसंद बारिश से ना बचा सकी थी, वो बस स्टॉप पहुँचने ही वाला था की उसका पैर जाने किस चीज पर पड़ा और वो फिसल कर सड़क पर बह रहे पानी में गिर पड़ा। अब तो आकर्ष सिर्फ भीगा ही नहीं था बल्कि पानी में पूरी तरह सराबोर हो चूका था।

इधर आकर्ष फिसल कर पानी में गिरा उधर बस स्टॉप पर उसे किसी के ज़ोर से हॅसने की आवाज़ सुनाई दी, हसीं सुन कर आकर्ष को बहुत गुस्सा आया। खुद को सँभालते हुए वो गुस्से में बस स्टॉप पहुंचा और सोचा हॅसने वाले का मुँह तोड़ दे लेकिन जैसे ही बस स्टॉप में दाखिल हुआ उसका गुस्सा जाने कहाँ गायब हो गया। बस स्टॉप पे जो आकर्ष को गिरता हुआ देख कर हँसा था वो एक लड़की थी। 23-24 साल की एक सावले रंग की तकरीबन 5फिट 4इंच हाईट की, शरीर थोड़ा भरा हुआ, आँखे जैसे हिरणी की, पीले रंग का सूट पहने बहुत खूबसूरत लग रही थी। आकर्ष की नज़र जैसे ही उस लड़की पर पड़ी उसका सारा गुस्सा गायब हो गया और उसका मुँह खुला का खुला रह गया। आकर्ष ने देखा वो लड़की भी पूरी तरह भीगी हुई थी।


"आई ऍम रियली सॉरी, मुझे आप पर हँसना नहीं चाहिए था।" उस लड़की ने आकर्ष से कहा


आकर्ष को सिर्फ उसके होंठ हिलते दिखे, उसने क्या कहा वो आकर्ष को कुछ भी सुनाई नहीं दिया।


"आई सेड, आई ऍम सॉरी।" उस लड़की ने फिर से कहा
आकर्ष अपने ख़्वाबों की दुनियाँ से बाहर आया


"इट्स ओके, लेकिन ऐसे किसी पे हँसना नहीं चाहिए।" आकर्ष ने खुद को सँभालते हुए कहा


उसकी आवाज़ इतनी सुरीली थी की आकर्ष उसपे मोहित हो चूका था


"मैं इसलिए नहीं हसीं थी की आप गिर गए थे।" उस लड़की ने कहा


"फिर?" आकर्ष ने पूछा


"मैं इसलिए हसीं क्यूंकि कुछ देर पहले मैं भी उसी जगह ठीक ऐसे ही गिर चुकी थी।" इतना कह कर वो फिर हॅसने लगी


ये सुन कर आकर्ष को भी हसीं आने लगी और वो भी अपना दर्द भूल कर हॅसने लगा।


आकर्ष उस खूबसूरत लड़की से बात करना चाहता था, वैसे भी बारिश बंद होने तक उसे वहाँ रुकना ही था।


"क्या आप का भी ऑटो ख़राब हो गया था या आप बस का इंतजार कर रही है।" दोनों की हसीं बंद होने के बाद आकर्ष ने पूछा

"नहीं।" इतना कह कर उस लड़की ने कुछ दूर खड़ी एक रॉयल एनफील्ड बाइक की तरफ इशारा किया, "बाइक बंद हो गयीं, और बहुत कोशिश की पर स्टार्ट नहीं हो रही।" उसने अपनी बात पूरी की


"ओह्ह, कौन है आप के साथ?" आकर्ष ने सवाल किया

"कोई नहीं, मैं अकेली ही हूँ।" उस लड़की ने जवाब दिया

"तो फिर?.. ये बाइक...?" आकर्ष कुछ हिचकिचाते हुए बोला

"क्यूँ? एक लड़की रॉयल एनफील्ड नहीं चला सकती क्या? जब आप लड़के स्कूटी चला सकते है तो हम लड़कियां बाइक क्यूँ नही?" उस लड़की ने जवाब दिया

"हां हां क्यूँ नहीं, आप तो प्लेन भी उड़ा सकते है। मैं तो बस यूँ ही पूछा रहा था।" आकर्ष ने झेपते हुए कहा और बाहर हो रही बारिश को देखने लगा

कुछ देर के लिए दोनों शांत रहे।

"कैसा था इंटरव्यू Mr. आकर्ष?" उस लड़की ने पूछा

"क्या? आपको मेरा नाम कैसे पता?" आकर्ष ने चौंकते हुए पूछा😳