Wo Ankahi Bate - 4 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 4

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वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 4


फिर इसी तरह से एक दिन बीत गया।यश सुबह- सुबह जल्दी कालेज चला गया और फिर बिमल घर में पुरे समय कुछ न कुछ काम किया करते थे और फिर शांता को यह समझा दिया कि बाबूजी का कमरा भी एक दम साफ़ सुथरा कर दो,पर्दे,सोफा कवर, बेडशीट वैगरह सब बदल का ठीक ठाक कर दो।
शांता ने सर हिलाते हुए सब कुछ ठीक कर के चली गई।
बिमल ने दोपहर को सरिता को कह कर सब बाबूजी के पसंद का खाना भी बनवा दिया !
सरिता ने कहा शाम को आठ बजे तक आकर चाय नाश्ता सब कर दूंगी।
बिमल ने कहा हां ठीक है।
फिर इसी तरह दोपहर बिता और फिर चार बजे तक यश भी आ गया और आते ही पापा की खबर लेने लगा खाना खाया,दवा ली?
बिमल ने कहा बिल्कुल अपनी मां पर गया है यशु।
यश ने हंसते हुए कहा अरे हां ,मां बेटा हुं जाउंगा ही ना।।
बिमल ने कहा टेबल पर खाना रखा है माइकोबेब में गर्म करके खा लो।
यश ने कहा ओके पापा।।
फिर यश खाना खाने के बाद कुछ देर तक लैपटॉप पर काम किया और फिर पांच बजे तक तैयार हो गया।
बिमल ने कहा गाड़ी लेकर जाना।
यश ने कहा जी पापा।।
फिर यश स्टेशन निकल गया।
स्टेशन पहुंच कर प्लेटफार्म टिकट निकाल कर प्लेटफार्म नंबर छह पर पहुंच गया और कुछ देर बाद ही गाड़ी आ गई।
फर्स्ट क्लास के बोगी में पहुंच गया यश और अपनी दादी मां को देख कर गले लगा लिया और फिर दादू भी हंसने लगे।
मोना तो मोटी हो गई है ऐसा यश ने कहा।।
मोना ने कहा हां, बन्दर। फिर सब हंसने लगे।
यश ने पहले ही एक कुली कर लिया था ।
फिर सारा सामान कुली लेकर जाने लगा।
यश अपने दादा और दादी का हाथ पकड़ कर बाहर अपने गाड़ी तक ले आया।
दादी और दादाजी दोनों पीछे बैठ गए।कुली ने सारा लगेज डिक्की में रख दिया और फिर यश ने पैसे दे दिया।
मोना आगे की सीट पर बैठ गई।
यश सिर्फ शरारत भरी मुस्कान से मोना को देख रहा था।
फिर यश सबको लेकर घर पहुंच गया।


बिमल ने कहा आइए पापा जी, मम्मी जी, कैसे हैं आप लोग?
यश ने बैग रखते हुए कहा अरे पापा सब बढ़िया है और ये देखिए मोना भी आई है।।
मोना ने बिमल के पैर छुए और फिर बोली कैसे हो चाचा जी?
बिमल ने कहा ठीक हुं मोना बेटा।
फिर यश ने सबका सामान गेस्ट रूम में जाकर रख दिया।
फिर सब फ्रेश होकर आ गए और सरिता भी आ गई और बोली बड़े बाबू जी कैसे हैं सब?
यश की दादी निर्मला ने कहा हां ठीक है बस चाय पिला दो।
सरिता ने कहा हां ,हां बस अभी लाती हूं।
फिर सरिता किचन में जाकर जल्दी से चाय तैयार किया और साथ में नाश्ता भी लेकर आ गई।
फिर सब ने चाय पिया और फिर बिमल से बात करने लगे।
बिमल ने कहा पापा जी रात को रोटी या चावल लेंगे?बिमल के पापा अखिल ने कहा हां, तुम भी बहू की तरह पुछ रहे हो वो भी पुछा करती थी हमेशा?
बिमल ने कहा हां, पापा जी चांदनी तो बस सुगहणी थी, मैं कहां कुछ कर पाता हूं।।
निर्मला ने कहा बेटा तेरी तबियत ठीक है?.
यश ने कहा हां, दादी मां आप ही समझा दो पापा को।
निर्मला ने कहा हां, और क्या एक शादी कर लेता तो एक देखभाल करने वाली तो रहतीं।।

क्रमशः