Tanmay - In search of his Mother - 29 in Hindi Thriller by Swati books and stories PDF | Tanmay - In search of his Mother - 29

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Tanmay - In search of his Mother - 29

29  

 डेड बॉडी

 

 

तन्मय और राघव कंपनी के गार्ड के पास गए और तन्मय उसके पास जाकर एक कुर्सी पर बैठ गयाI गार्ड की त्योरियाँ चढ़ गईI उसने गुस्सा दिखाते हुए कहा,

 

क्यों बे ! छोकरे, यहाँ क्यों बैठा है? तेरा काम हो गया तो निकल यहाँ से I 

 

नहीं भैया, कहाँ काम हुआ?

 

स्कूल से  भागकर आए हों?

 

नहीं, भैया हम तो बहुत अच्छे लड़के हैंI

 

हम्म, दिखता है, चलो अब निकलो यहाँ सेI 

 

भैया, हम बच्चों  को कोई सीरियसली नहीं ले रहा है, यह  जो अफसर लोग  होते हैं न, वो कुर्सी पर बैठ तो जाते हैंI  मगर इन्हे काम करना नहीं आताI  इसलिए  हमने  सोचा  आपसे बात करेंI 

 

मस्का  मारने की ज़रूरत नहीं हैI समझे, चलो अब निकलो यहाँ से I  उसने मुँह बनाते हुए कहाI  राघव तन्मय की ओर  देखने लगाI

 

उसने फ़िर भैया की बाजू को प्यार से दबाते हुए अपनी जेब से 1000 रुपए  निकाले और उसे थमाते  हुए कहा, भैया हमारा काम करवा दोI  उसने  दोनों छोकरो का मुँह देखा और फ़िर  नोट जेब में  डालते हुए कहा, 

 

ठीक है, क्या काम हैI

 

यह  अड्रेस कहाँ का है और पत्ते  का फ़ोन नंबर मिल जायेI  मुझे दस मिनट  दो अगर कुछ हो गया तो ठीक,  वरना  पैसे वापिस  नहीं  मिलेंगेI  समझे,

 

कोई नहीं, भैया, चलेगाI  वह गार्ड तो चला गया पर राघव ने तनु से पूछा, इतने पैसे कहाँ से आएंI 

 

पॉकेट मनी है, भाईI

 

तुझे लगता है, हमारा काम होगाI काम नहीं हुआ तो पैसे तो गएI

 

देखते है क्या होता I तन्मय ने गहरी साँस  लेते हुए कहाI

 

रुद्राक्ष की टीम  सीलमपुर पहुँच गई I  पूरे  इलाके को घेर लिया गयाI  जगह-जगह की तलाशी ली गई I  मगर कहीं कुछ पता न चलाI

 

पता नहीं, वो चूहा कौन से बिल  में  छिप  गया हैI 

 

तभी खबरी ने एक सँकरी  गली की तरफ़ ईशारा किया और पुलिस अपनी टीम के साथ  वहीं  पहुँच गई I  उस घर को चारों  तरफ से  घेर लिया गयाI

पुलिस ने बड़ी सावधानी से दरवाज़ा खोला पर अंदर अँधेरा थाI लाइट जलते ही एक आदमी  पिछले दरवाजे से बाहर की ओर भागाI  पुलिस ने वही जाकर उसको दबोच  लियाI  मगर वह योगेश नहीं थाI  उसने  उसके सिर पर बन्दूक रखते हुए कहा,

 

कहाँ है, वो ?

 

उसने कोई जवाब नहीं दिया I 

 

तो उसने  ट्रिगर पर रखे अँगूठे को हिलायाI

 

वो  पुरानी  दिल्ली  से  बिहार जा  रहा हैI

 

कब निकला ?

 

अभी अभीI

 

रेलवे पुलिस को अलर्ट करोI  जल्दीI  उस आदमी को पकड़कर जीप में  बिठा दिया गया और एक जीप  रेलवे स्टेशन की ओर  निकल  गई I

 

थोड़ी  देर बाद  गार्ड वापिस आयाI  उसने तन्मय को गौर से  देखते हुए कहा,

 

और बच्चे तेरी किस्मत अच्छी है, काम हो गयाI 

 

ले पकड़, वो पार्सल जर्मनी से आया था और यह  उस आदमी का नंबर हैI भैया नंबर भी बाहर  का लगता हैI

 

बिल्कुल  सही पहचानाI 

 

थैंक यू  भैयाI  तभी तन्मय का फ़ोन बज गयाI 

 

हाँ, पापाI

 

मैं तुम्हे लेने आ रहा हूँI

 

नहीं, पापा मैं पहुँच  जाऊँगाI 

 

नहीं, आज मैं फी हूँ, मैं आ जाता हूँI तन्मय के चेहरे का रंग फीका पड़ गया I

 

रघु भाग,  स्कूल पहुँचना है, पापा आ रहें हैI

 

काश ! मम्मी वे स्कूटी  दिलवाई  होती तो हम  कबके पहुँच जाते I तन्मय ने राघव के साथ ऑटो में  बैठते हुए कहाI

 

स्कूटी होती, तब भी  बिना  लाइसेंस के यहाँ तक कहाँ आ पाते हैं I राघव ने उसकी बात का ज़वाब  दियाI

 

भैया, तेज़ चला लोI

 

यह  कोई हवाईजहाज़ तो है नहींI ज़मीन पर तो ऐसे ही चलेगाI ऑटोवाले ने चिढ़कर ज़वाब  दियाI

 

रेलवे पुलिस भी अलर्ट हो गईI एक आदमी  गमछे से मुँह छिपाए ट्रैन की तरफ़ जा रहा हैI रुद्राक्ष भी अपनी पूरी  टीम लेकर स्टेशन के कोने-कोने  को देख  रहा हैI  तभी  उसने ट्रैन के अंदर देखने के बारे में  सोचाI अब एक-एक डिब्बे के अंदर पुलिस झाँकते  हुए जा रहीं है कि कहीं  भी वो  मुज़रिम दिख जाए  तो उसे धर  दबोचेI  तभी  शिवांगी की नज़र कपड़े से मुँह लपटें आदमी की ओर  गई और उसने उसका  कपड़ा  हटा दियाI कपड़ा हटते ही वह शिवांगी को ज़ोर से  धक्का मारकर भागने लगाI  शिवांगी ज़ोर से चिल्लाई,

 

सर यही है और यह  सुनते ही रुद्राक्ष उसके पीछे भागने लगाI

 

अभिमन्यु तन्मय के स्कूल पहुँचने वाला हैI ऑटो में  बैठे तन्मय के चेहरे का रंग ही फीका पड़  चुका  हैI अगर पापा ने स्कूल गार्ड से  मैच प्रैक्टिस के बारे में  पूछ  लिया तो उसकी  तो आज शामत आ जाएगी और उसके साथ राघव बेचारा भी फँस जायेगाI उसने एक फ़िर  ऑटो वाले को कहा कि  तेज़ चलोI तभी  रेड लाइट पर अभिमन्यु की गाड़ी और तन्मय का ऑटो दोनों एक ही लाइन में  आकर रुक गएI राघव की जैसे ही नज़र पड़ी उसने उसे दिखाते  हुए कहा,

 

तनु ! अंकल I

 

तन्मय  ने  जल्दी से  ऑटो वाले को पैसे दिए और दोनों वहीं अभिमन्यु की गाड़ी  से बचते-बचाते  उतर गएI

 

हम  गलियों से  चलते हैंI पापा मैन  रोड से आ रहे हैंI दोनों  ने  गलियों का रास्ता पकड़ा और वह स्कूल की तरफ़  भागने लगेI अभिमन्यु की गाड़ी  की स्पीड भी तेज़  हो गई और वह  स्कूल वाली गली में मुड़ गई I वहीं  दूसरी ओर  दोनों तेज़ भागते हुए स्कूल की ओर आ रहें हैI

 

वह आदमी  प्लेटफार्म से  उतरकर  ट्रैक पर भागने लगाI रुद्राक्ष भी पूरी फुर्ती से  ट्रैक पर भागने लगाI तभी उसने ट्रैक  बदल दियाI उस  ट्रैक पर दूर से रेलगाड़ी आती नज़र आ रहीं  हैI उसने सोचा पकड़ा गया तो फाँसी तो पक्का होगीI इससे अच्छा है कि अपनी जान ही दे दो और पुलिस को यह भी पता चल  जायेगा  कि  यह सब उसने किसके कहने  पर किया है, उसने यही सब सोचते हुए रेलवे ट्रैक पर भागना शुरू कर दियाI रुद्राक्ष उसकी मंशा समझ चुका  था, वह भी पूरी स्पीड से  उसकी पीछे भागा I गाड़ी  उसके पास आती जा रही है, दो  सेकंड में  उसकी कहानी ख़त्म हो जाएगीI तभी गाड़ी  पास  आ गई  और  वह ज़ोर  से चिल्लाया I पुलिस की टीम समझ गई  कि वह गाड़ी  के नीचे  आकर मर चुका  हैI  शिवांगी को उसे न पकड़ने का अफ़सोस हुआI गाड़ी  अपनी  स्पीड से  जा रहीं  हैंI  पुलिस की टीम को रुद्राक्ष भी कहीं नहीं दिखाई दे रहा I

 

 

सर कहा गए?

 

गाड़ी गुज़रे  तो पता चले कि  सर कहाँ है और उस योगेश की डेड बॉडी कहाँ है I दूसरे इंस्पेक्टर ने उतर दियाI