Tanmay - In search of his Mother - 25 in Hindi Thriller by Swati books and stories PDF | Tanmay - In search of his Mother - 25

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Tanmay - In search of his Mother - 25

25

मंगेतर

 

राजीव अपने घर में  बेचैन घूम रहा हैI पता नहीं, उस मेहरा ने उसे कुछ बताया भी होगा या नहींI मैं दोनों में से किसी से पूछ भी नहीं सकताI  तभी उसकी नज़र गैस पर रखी  चाय पर गई  तो उसने झट से गैस ऑफ कर दियाI  उफ़!  इस मालिनी के जाने  से तो  घर का सारा काम मुझे ही करना पड़ रहा हैI  कामवाली भी ग़ायब हैI  कल ऑफिस की छुट्टियाँ भी ख़त्म हो जाएगी, उस मालिनी से बात करो I उसने चाय को कप में  डालते हुए कहाI  उसने फ़िर सोसाइटी के मैनेजर को कहा कि कोई कुक या फुल टाइम मैड भेज देंI  मैनेजर ने उससे कल तक का समय माँगाI "अब रहें अपने मायके महीने भर कौन पूछ रहा हैI"  यह कहते हुए वह चाय की चुस्कियाँ लेने लग गयाI

 

अभिमन्यु अपने मॉल में  कुछ न्यू  जॉइंग रख रहा हैI आज अविनाश भी छुट्टी पर है, जबसे पल्लवी गई है, यह  भी बहुत छुट्टियाँ लेने लगा हैI महेश  ने बताया कि "वह बेचारा सदमे में  है, पल्लवी की मौत से उसके मन में  ख़ौफ़ बैठ गयाI"  "क्या कर  सकते है,  यह  दुनिया शरीफ़ लोगों  को साँप की तरह डस जाती हैI  अभिमन्यु ने इंटरव्यू की लिस्ट को देखते हुए कहा I  ख़ैर, तुम बाहर  बैठे, उस लड़के को अंदर भेजो I"  थोड़ी देर तक इंटरव्यू लेने के बाद उसने एक लड़के माधव को नौकरी पर रख  लियाI  उसने उसका आधार कार्ड और सभी  ज़रूरी कागज़ कल साथ में  लाने के लिए कहाI

 

तन्मय मम्मी! मम्मी ! चीखते हुए उस कुर्सी की तरफ़ दौड़ा तो उसने देखा कि उस रस्सी से बंधा हुआ एक डमी पड़ा हैI  फ़िर उसे उस औरत की आवाज़  सुनाई दी तो वह समझ  गया कि  यह उसकी मम्मी की आवाज़ नहीं हैI तभी उसने चीखते हुए कहा, "बताओ ! मेरी मम्मी कहाँ है, वरना अच्छा नहीं होगा"I  यह  कहते हुए उसके  होंठ काँप रहें है और पसीने से वह पूरी तरह भीग रहा हैI उसे लग रहा है, उसने फिल्मों में  जो देखा है, वह उसके साथ सच में हो रहा है पर वो कोई  फिल्म का हीरो नहीं है एक स्कूल जाता बच्चा हैI  जिसे हालात ने बड़ा बनने पर मजबूर कर दिया हैI उसने फ़िर रोते हुए कहा, मेरी मम्मी कहाँ है? मेरी मम्मी कहाँ है? मगर उसे कोई आवाज़ सुनाई नहीं दे रहीं I चारो तरफ सिर्फ़ सन्नाटा हैI वह समझ गया कि यहाँ से निकलना चाहिएI वह बाहर  के गेट की ओर  लपका  तो  दरवाजा बंद हो चुका  थाI उसने दरवाजा खोलने की भरपूर कोशिश कीI मगर उसकी सारी कोशिश बेकार हो गई I उसके फ़ोन पर  नेटवर्क भी नहीं  है, अब  उसे अपने दोस्त राघव की याद आने लगी है I उसने राघव को समझाया था कि अगर वह आधे घंटे में  बाहर  न आए तो वह पुलिस को बता देंI पता नहीं, पुलिस आएगी भी या नहीं ? अब डर के मारे उसका बुरा हाल हो रहा हैI

 

कितनी देर से राघव बैंकेट से थोड़ी दूर एक जगह पर छिपकर तन्मय का इंतज़ार कर रहा हैI उसे ना कोई अंदर जाते दिख रहा है न ही कोई बाहर आतेI  तभी उसने अपनी  घड़ी देखी  तो शाम के साढ़े पाँच बज रहें हैंI  मुझे पुलिस को बताना चाहिए या मैं ख़ुद अंदर जाकर देखो, अभी वह ऐसा सोच ही रहा है कि  मुँह  ढके कुछ  लोग  तन्मय  का मुँह और हाथ पैर  बाँधे उसे एक गाड़ी  में  बिठा रहें हैंI वह गाड़ी के पीछे भागा और ज़ोर से चिल्लाया, तनु! मगर गाड़ी  आगे निकल  गई I  उसने गाड़ी  की फोटो खींची और जल्दी से पुलिस को  फ़ोन मिला दियाI

 

रुद्राक्ष ने यह  सुना तो वह  सकते में  आ  गयाI उसने  गाड़ी की फोटो हर चेक पोस्ट पर भेजीI गाड़ी  में  बैठा तन्मय वहाँ से निकलने के लिए पूरे हाथ-पैर  मार रहा हैI  उसे इतना आक्रामक देखकर एक आदमी ने उसके मुँह पर थप्पड़ जड़ दिएI हर चौराहे, हर रास्ते पर पुलिस अलर्ट हो गई  हैI  हर गाड़ी  पर नज़र रखी  जा  रहीं  हैI  तभी गाड़ी में  बैठे, एक आदमी ने फ़ोन मिलाया,

 

हेल्लो सर,

 

लड़का तो अपने कब्ज़े में  है पर  यह  बहुत शाणा निकला, इसने पुलिस को बता दिया हैI  सब जगह बहुत चेकिंग हैI तभी पुलिस की गाड़ी का हॉर्न  सुनकर  किडनैपरों  ने गाड़ी  की स्पीड बढ़ा दीI  रुद्राक्ष ने अपनी पुलिस की गाड़ी, उस गाड़ी के पीछे लगा दींI तभी ड्राइव करते आदमी ने दूसरे से पूछा कि "अब क्या करें ?""करना क्या है, सर ने कहा है कि छोकरे को  हाईवे पर फेंको और गाड़ी  को दिल्ली का बॉर्डर क्रॉस करवा दोI  यह साला भी अपने बाप की तरह चालाक निकलाI  जब इसकी हड्डी पसली टूटेगी, तब इसे पता चलेगाI" उसने तन्मय को घूरते हुए कहाI अब उनकी  गाड़ी हाईवे पर पहुँच गईI  दो आदमियों ने तन्मय को बाहर फेंकने की कोशिश की, मगर तन्मय ने खुले दरवाजे से  एक आदमी को ज़ोर से लात मारी कि  वह गिरते-गिरते बचाI  अब उन्होंने तन्मय को कसकर पकड़ा और  हाईवे के बीचो-बीच फ़ेंकने लगेI  जैसे ही उन्होंने उसको फेंकने के लिए गाड़ी  का दरवाजा खोला और उसे धक्का देने लगे I  तभी पुलिस की गाड़ी आगे आ गई और  डाइवर को ब्रेक लगानी पड़  गईI  पुलिस ने फुर्ती  दिखाते हुए, सबको वहीं  धर दबोचा और तन्मय को बचा लियाI  रुद्राक्ष ने सबको डंडे से मारा और अपनी जीप में  बिठा दिया और अपने साथ तन्मय को भी लेकर पुलिस स्टेशन  पहुँच गया I 

 

अभिमन्यु को जब स्टेशन से फ़ोन आया तो वह पागलों की तरह भागता हुआ वहाँ पहुँचा और तन्मय को ठीक-ठाक देखकर उसने उसे गले लगा लियाI  "तन्मय  बेटा, तुम ठीक  हो, ये सब कैसे हुआ? इंस्पेक्टर यह सब क्या है? कौन है वो लोग? जिन्होंने मेरे बेटे के साथ ऐसा किया हैI उसकी आवाज भर आईI  उन आदमियों को तो हमने पकड़ लिया हैI अंदर उनकी खातिरदारी चल रहीं है, अभी पता चल जायेगा कि यह  किसकी हरकत हैI

 

मगर इंस्पेक्टर यह हुआ कैसे?

 

यह तो आप अपने बेटे से पूछिए!

 

उसने तन्मय की ओर  देखा तो  डरते हुए सारी  बात बता दीI  अभिमन्यु का पारा चढ़ गया और उसने ज़ोर से एक थप्पड़ तन्मय के मुँह पर जड़ दियाI  थप्पड़ इतना ज़ोर से  लगा  कि  वह गिरते-गिरते बचाI 

 

रुद्राक्ष ने उसे सँभालते हुए कहा, "यह सब करने की क्या ज़रूरत हैI  इसे प्यार से समझाएI  इस तरह मारने से कुछ नहीं होगाI  वैसे भी आपका बेटा काफ़ी  बहादुर हैI  आज इसकी वजह से एक गैंग पकड़ा गयाI "

 

इसकी बहादुरी तो मैं घर जाकर निकालूँगाI  उसने दाँत पीसते हुए कहाI तभी शिवांगी अंदर से आई और बोली, सर  उन्होंने किसी योगेश का नाम बताया हैI 

 

योगेश!!!! यह नाम तो सुना हुआ हैI 

 

याद आया, यह पल्लवी के मंगतेर का नाम हैI  कुछ दिनों पहले वह मेरे पास काम माँगने आया था और तन्मय ने उसे पल्लवी का हाथ मोड़ते हुए देखा थाI  उस  कुत्ते  को काम नहीं दिया तो उसने इतनी जलील हरकत कीI

 

मगर पल्लवी के मंगतेर का नाम तो  सोहम है पर उसने तो खुद को पल्लवी का मंगतेर ही बताया थाI आप इस आदमी का स्केच बनवा दें, हम सोहम के हुलिए से इसका हुलिया मिलवाते हैंI