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मम्मी
तन्मय ने उस नंबर पर फ़ोन किया तो वह नंबर बंद बताने लगाI अब तो उसकी रातों की नींद उड़ गईI उसने सोचा पापा को बता देता हूँ, मगर पापा तो सीधे पुलिस के पास चले जायेंगे पर अगर पापा को नहीं बताया तो बाद में बहुत डाँट पड़ेगीI कुछ भी हो, एक बार मम्मी मिल जाए तो पापा भी कुछ कह नहीं सकेंगेI मगर मैं राघव को तो बता ही सकता हूँI अब मुझे सुबह का इंतज़ार हैI यहीं सोचते हुए तन्मय अपने फ़ोन पर आए उस मैसेज को बार-बार देखने लगाI
दिल्ली की सड़कों पर जतिन की गाड़ी तेज़ी से भाग रहीं हैं और उसकी गाड़ी के पीछे प्रिया की गाड़ी भी सरपट दौड़ती जा रहीं हैI एक मोड़ आते ही जतिन ने गाड़ी दूसरी तरफ घुमा दी और तभी बीच में लाल बत्ती आने से प्रिया की गाड़ी वहीं रुक गई और जतिन की गाड़ी आगे बढ़ गई I पाँच मिनट की लाल बत्ती ने प्रिया को उसकी मंजिल से भटका दियाI वह सुनसान पड़ती जा रहीं सड़कों पर जतिन की गाड़ी को ढूँढ़ती फ़िर रहीं है, मगर अब उसकी गाड़ी का कुछ पता नहीं चल रहाI प्रिया ने टाइम देखा और गाड़ी घर की तरफ मोड़ दींI घर पहुँचकर उसने गुस्से में अपने कमरे का दरवाजा खोला और बिस्तर पर लेटते हुए बोली, "कोई बात नहीं, आज नहीं तो कल सहींI क्या मुझे अभिमन्यु को बता देना चाहिए? नहीं, पहले मैं ख़ुद तो पता कर लो, उसके बाद ही उसे कुछ कह सकती हूँI यहीं सोचते हुए उसने आँखें बंद कर लींI
अगली सुबह अभिमन्यु अपने मॉल में बैठा हुआ सामान का कुछ हिसाब-किताब देख रहा हैI तभी राजीव शॉपिंग करने के बहानेअंदर आयाI गेरुआ रंग और मंझले कद का राजीव आँखों पर चश्मा लगाए खाने-पीने की वस्तुओं को गौर से देख रहा हैI जैसे ही उसकी नज़रे अभिमन्यु से टकराई उसने कहा,
मिस्टर सिंह, सब ठीक तो हैI
बस चल रहा हैI
नैना जी का कुछ पता चलाI
उसका कुछ पता चले तो ज़िन्दगी आसान न हो जाएI
मालिनी जी नहीं है इसलिए आपको शॉपिंग करनी पड़ रहीं हैI
हम्म, क्या करें रोटी तो खानी हैI
मेरी कल उनसे बात हुई थीं, कह रहीं है, अगले हफ़्ते तक आ जाएगीI
राजीव ने गुस्से में उसका कॉलर पकड़ते हुए कहा, "साले ! तुझे शर्म नहीं आती, दूसरे की बीवी के पीछे लगा रहता है I तू कौन सा दूध का धुला है, तेरी गन्दी नज़रे भी तो नैना पर लगी हुई हैI उसने एक ज़ोर का घूँसा उसके मुँह पर रसीद कर दियाI राजीव का बैलेंस बिगड़ा और उसे होश आया I राजीव जी आप ठीक तो है, उसने उसका हाथ पकड़ लियाI हाँ, वो बस ट्राली में पैर उलझ गया थाI उसने सामान की ट्रॉली की तरफ ईशारा करते हुए कहाI आप थोड़ी देर बैठ जाएI
नहीं, मैं ठीक हूँI उसे इस बात का एहसास हो चुका है कि वो जागती आँखों से सपना देख रहा थाI
थोड़ी देर उसने और शॉपिंग करने का नाटक किया और फ़िर बिल चुकाकर वहाँ से चला गयाI क्या काम करने आया था और कैसे जा रहा हूँI यह मालिनी भी कौन सा कम है, मुझे फ़ोन न करके उसे अपने आने का बता रहीं हैंI ख़ैर, बाद में देखता हूँI तभी उसे सामने से मेहरा जी आते दिखाई दिए और उसका दिमाग काम करने लगाI उससे मिलकर मेहरा जी सीधे अभिमन्यु के मॉल में घुस गएI अब मेरा काम हो जायेगा, यह पुलिस को बताएगा और पुलिस उस आदमी के जरिए नैना तक पहुँच जायेगीI
तन्मय को सुबह एक अलग नंबर से वहीं मैसेज आया, उसने उसे शाम पाँच बजे बैंकेट में मिलने के लिए बुलायाI तन्मय ने राघव को वह मैसेज दिखाया तो उसने कहा,
तनु! यह खतरनाक लोग भी हो सकते है, चल पुलिस के पास चलते हैI
पुलिस के पास जाने से मेरी मम्मी नहीं मिलेगीI
और न जाने से भी नहीं मिली तो ?
कुछ ही हो, मैं वहाँ अकेला जाऊँगा, वैसे भी मैं किसी से नहीं डरताI तन्मय ने बड़े विश्वास के साथ कहाI
पर मैं डरता हूँ, मुझे यह लोग ठीक नहीं लग रहेंI तू अकेला नहीं जायेगाI मैं भी साथ जाऊँगाI
मैं तेरी जान खतरे में नहीं डाल सकताI
जो भी है तनु, तू सिर्फ मेरा दोस्त नहीं है, भाई भी हैI
तन्मय ने उसे गले लगा लिया और दोनों दोस्त शाम को एकसाथ जाने के लिए तैयार हो गएI
जतिन आज बड़ा ही खुश नज़र आ रहा है, उसे प्रिया ने गौर से देखा और पूछा,
क्या बात है, अभी तो प्रॉपर्टी भी तुम्हारे नाम नहीं हुई और तुम अभी से इतने खुश नज़र आ रहे हों?
क्यों तुम्हे जलन हो रही है, मैं तुम्हारे बिना भी खुश रह पा रहा हूँI उसने उसे घूरकर देखा, तो वह मुस्कुराने लग गयाI उसने फ़िर पूछा,
लगता है, तुम्हें नैना मिल गई है!!!!
यह सुनते ही वह हड़बड़ाते हुए बोला, "नैना कहाँ से बीच में आ गईI अब वह प्रिया को वापिस घूरता हुआ ऑफिस के लिए निकल गयाI वो तो बहुत पहले से ही बीच में आ चुकी हैI मगर यह बात तुम नहीं समझोंगे, प्रिया ने दाँत पीसते हुए कहाI
शाम के चार बज चुके हैंI तन्मय और राघव दोनों स्टेडियम में खेल रहें हैंI मगर दोनों का ध्यान आसपास भी है I तन्मय हर आने जाने वाले व्यक्ति पर नज़र रख रहा हैI राघव भी मुस्तैदी से इधर-उधर देखता हुआ खेल रहा हैI आज शाम के लिए दोनों दोस्तों ने भी एक प्लान सोचा हुआ हैI तभी उसका फ़ोन बजता है और उस पर एक मैसेज आता है,
ठीक पाँच बजे अकेले आनाI ज़्यादा होशियारी मत करना, समझेI
तन्मय को मैसेज पढ़ता देखकर राघव समझ गया कि मैसेज किसका हैI उसने आँखों से तन्मय को ईशारा किया कि वह उसके साथ हैI पाँच बजते ही दोनों दोस्तों ने एक दूसरे को गले लगाया और तन्मय बैंकेट की तरफ़ मुड़ गयाI राघव भी स्टेडियम से बाहर निकल गयाI तन्मय अपनी तेज़ होती धड़कनों से आगे बढ़ रहा हैI यह बैंकेट तो कबसे बंद पड़ा हैI पता नहीं, मेरी मम्मी किस हाल में होगीI तन्मय ने देखा तो बैंकेट का ताला टूटा हुआ थाI उसने धीरे-धीरे उसका गेट खोला, अंदर देखा तो कोई नहीं है, वह थोड़ा अंदर गया तो उसे एक कुर्सी नज़र आई I उसने दूर से देखा तो उसे उस पर कोई बैठा नज़र आयाI मगर उसकी पीठ उसकी तरफ़ हैI तभी उसे एक औरत की आवाज़ सुनाई दी.....
तन्मय बेटा, बचाओI बचाओI तन्मय ज़ोर से चीखा, मम्मी!!!!!!