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हरकत
पुलिस स्टेशन पर पहुँचने के बाद रुद्राक्ष ने अभिमन्यु को बड़े गौर से देखा और उसे बैठने के लिए कहाI उसके बैठते ही सवालों का सिलसिला शुरू हो गयाI
आप पल्लवी को जानते है?
जी, मेरे मॉल में काम करती थीं, मगर आज सुबह ही रिजाइन देकर गई हैI
क्यों ?
कह रह रहीं थीं कि उसकी शादी है I
और आपने यकीन कर लियाI
इसमें यक़ीन करने जैसा क्या नहीं हैI
उसके घरवाले, मंगतेर या किसी और को जानते है?
किसी उत्तराखंड के गॉंव से आई थींI यहाँ किराए पर रहती थींI इससे ज़्यादा कुछ नहींI
इतना तो हम भी जानते हैI यह बताए, उसकी किसी के साथ कोई दुश्मनी थीं?
शरीफ़ सी लड़की थीं, क्या दुश्मनी होगीI
हम आपके मॉल आकर बाकी लोगों से भी पूछताझ करेंगेI
मेरी बीवी नैना का कुछ पता चला? उन किडनैपर्स का क्या हुआ?
बहुत जल्द हम उन्हें पकड़ लेंगेI
अभिमन्यु ने अपनी भोंहे उचकाई तो रुद्राक्ष ने फ़िर ज़वाब दिया, बहुत जल्द I
अभिमन्यु तो चला गयाI मगर शिवांगी ने कहा, सर इसमें मिस्टर सिंह का कोई हाथ लगता है?
नहीं, इस स्टोरी का विलेन यह नहीं हैI पल्लवी का मंगतेर आने वाला था, उसका क्या हुआ? सर, वो अभी आता ही होगाI
अभिमन्यु को घर पहुँचकर नींद नहीं आईI वह प्रिया को फ़ोन करना चाहता था, मगर देर रात उसने उसे, फ़ोन करना ठीक नहीं समझाI
प्रिया को खबरों से पल्लवी की मौत का पता चल चुका थाI वह बेचैन सी करवट बदल रहीं हैI जब उसे लगा कि अब तो उसे नींद आने से रहीं तो उसने अभिमन्यु को फ़ोन करना बेहतर समझाI वह फ़ोन करने के लिए उठी पर एक आवाज़ सुनकर वह चौंक गईI उसने फ़ोन वहीं रखा और अपना गाउन पहनकर बाहर की ओर निकल गई I उसने हॉल में देखा तो कोई नहीं है, वह फ़िर हॉल के बाहर बनी बॉलकनी में गई तो उसे जतिन गेराज से बाहर की तरफ जाता हुआ दिखाई दियाI वॉचमन सो रहा था, तभी उसने मैन गेट ख़ुद खोला और फ़िर गाड़ी में बैठते हुए बाहर निकल गयाI यह इतनी रात को कहाँ जा रहा हैI प्रिया यहीं सोचते हुए सोफे पर बैठ गई और फ़िर वापिस कमरे में आकर उसने अभिमन्यु को फ़ोन करने का ख़्याल छोड़ दियाI कल पूछूँगी कि इतनी रात को कहाँ जाया जा रहा थाI प्रिया ने अपने कमरे की लाइट बंद कर दींI
सुबह अभिमन्यु के मॉल में पुलिस आई और सभी से पूछताझ करके चली गई I पता नहीं, बेचारी पल्लवी की किसके साथ दुश्मनी होगी? उसने वहीं कुर्सी पर बैठते हुए कहाI
नाश्ते की टेबल पर प्रिया ने जतिन से पूछा,
कल रात कहाँ जा रहें थें ?
तुम जाग रहीं थीं ?
जाग गई थींI आजकल देख रही हूँ, तुम सुबह लेट उठते होI इसका मतलब यह जाना रोज़ का हो रहा हैI
तुम्हें क्या करना है, तुम कौन सा मेरे साथ सोती हो, जो तुम्हारी नींद ख़राब हो जाती हैI
तुम्हारे साथ सोना शुरू कर दो तो बता दोंगेI जतिन ने उसे नफरत से देखा और गुस्से में बोला,
तुमने खुद को देखा है, जब से वो तुम्हारा बचपन का दोस्त अभिमन्यु मिला हैI उसके साथ तुम गुलछर्रे उड़ा रहीं होंI तुमने एक करोड़ भी उसी को दिया थाI
जबान संभालकर बात करोI वह सिर्फ़ मेरा दोस्त है और वो मेरा पैसा हैI मैं जिसको मर्जी दोI
वो मेरे बाप का पैसा है, तुम उसे किसी को भी नहीं दे सकतीI
बात को घुमाओ मत, कहाँ जा रहें हो रात-रात भर?
अपने काम से काम रखो और वह गुस्से में खाने की प्लेट को झटककर वहाँ से चला गयाI प्रिया ने भी अपने गुस्से को दबाने के लिए पानी का घूँट पियाI
अभिमन्यु तन्मय के मैच के लिए घर से निकल गयाI स्टेडियम पहुँचकर उसने देखा कि वहां काफ़ी भीड़ हैI सभी स्कूलों के बच्चे आए हुए हैंI तन्मय की टीम बैटिंग कर रहीं हैI उसे आने में थोड़ी देर हो गई, जिसकी वजह से मैच शुरू हो चुका हैI प्रिया का फ़ोन आया और उसने तन्मय के मैच के बारे में बतायाI अब तन्मय की बेटिंग है, उसने भी दूर से अपने पापा को देख लिया हैI अभिमन्यु भी खुश होकर ताली बजा रहा हैI तभी प्रिया भी वहीं आ गई और वह भी अभिमन्यु के साथ हूटिंग करने लगीI थोड़ी देर में मैच खत्म हो गया और तन्मय की टीम विजयी हुई I उसके पापा ने उसे गले लगा लियाI प्रिया ने भी उसे बधाई दीI तन्मय ने उसे देखते हुए कहा,
आंटी मैंने आपको पहले भी अपने स्कूल के बाहर देखा हैI
मुझे ? नहीं बेटा तुम्हें कोई गलतफहमी हो रहीं हैंI मैं तो तुमसे पहली बार मिली हूँI प्रिया ने उसे आश्वस्त करते हुए कहाI
तन्मय ने कोई जवाब नहीं दिया और दोनों के साथ स्टेडियम के बाहर निकल गयाI तभी एक लड़के ने उनका रास्ता रोकते हुए कहा,
सर कुछ बात करनी है ?
क्या मैं तुम्हें जानता हूँI
जी, मैं पल्लवी का मंगतेर योगेश I
ओह! पल्लवी के बारे में सुनकर अफ़सोस हुआI
उसने भी रोआँसी आवाज़ में कहा,
सर उसके माँ-बाप बड़े दुःखी हैI वो एकलौती बेटी थींI अगर आप कुछ मदद कर देतेI मैं पल्लवी को उसकी सैलरी से ज़्यादा दे चुका होंI अब इससे ज्यादा और क्या कर सकता हूँI उसने प्रिया को देखते हुए कहाI तन्मय बड़े गौर से योगेश को देखता रहाI
सर अगर नौकरी मिल जाए तो मैं हर महीने उसके बूढ़े माँ-बाप को कुछ न कुछ दे सकता हूँI
अभिमन्यु को कुछ समझ नहीं आया पर उसने बात को टालते हुए कहा, तुम कल मॉल में आ जानाI देखते हैंI यह सुनकर वह खुश होता हुआ, वहाँ से निकल गयाI प्रिया ने अभिमन्यु को कहा,
इसे नौकरी पर मत रखना, अभी पुलिस केस चल रहा हैI बेकार में कोई बवाल न हो जाए I
उसने प्रिया की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा, कल इसे कुछ पैसे देकर चलता कर दूंगाI I आज तो मैं अपने बेटे की जीत सेलिब्रेट करने वाला हूँI तन्मय ने राघव को भी अपने साथ ले लियाI चारों जुरैसिक पार्क गएI दोनों बच्चो के साथ अभिमन्यु और प्रिया ने भी खूब एन्जॉय कियाI फ़िर वहाँ से निकलकर अब चारों एक रेस्ट्रा में खाना खाने लगेंI तभी उसी रेस्ट्रा में रेवती भी आई और अभिमन्यु के पास आकर बोली,
अपनी पत्नी के जाने का गम सेलिब्रेट कर रहें हो ?
अभिमन्यु ने उसे देखा तो हैरान हो गयाI
तुम ? यहाँ ?
हाँ मैंI मुझे तो हमेशा से ही पता था कि तुम किस किस्म के आदमी होंI उसने उसे नफरत से देखते हुए कहाI
अपनी बकवास बंद करो और दफा हो जाओI
मैं तो तन्मय से मिलने आई हूँI उसने तन्मय से उसका हालचाल पूछा और तन्मय ने भी मुस्कुराते हुए उसे जवाब दिया I अब रेवती ने एक नज़र प्रिया पर डाली और अभिमन्यु को नफरत से देखती हुई वहाँ से चली गई I उसके जाने के बाद उसने प्रिया को बताया कि वह नैना की दोस्त हैI
पर मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि यह तुम्हे पसंद नहीं करती है? उसने दोनों बच्चों को देखा और उन्हें बोला, बेटा जाओ, जाकर ऑर्डर देखनाI उन दोनों के जाते ही अभिमन्यु ने प्रिया से कहा, मैंने इसकी हरकतों का वीडियो इसके पति को दिखा दिया थाI
क्या !!!! कैसी हरकते ? प्रिया ने हैरानी से पूछाI