fox and hen in Hindi Short Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | लोमड़ी और मुर्गी

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लोमड़ी और मुर्गी

1. लोमड़ी और मुर्गी की मजेदार कहानी

एक बार एक जंगल में एक मुर्गी और लोमड़ी कहीं बाहर भोजन की तलाश में जा रही थीं । उन दोनों में गहरी दोस्ती थी । मुर्गी पेड़ पर चढ़ जाती और जैसे ही उसे लोमड़ी के अनुरूप कोई शिकार दिखायी देता तो वह बाँग देती । बाँग की आवाज सुनकर नीचे छिपी लोमड़ी शिकार को पास आते देखकर उस पर हमला करती । इस प्रकार लोमड़ी अपने लिए भोजन का प्रबन्ध करती ।

एक बार मुर्गी कहीं बाहर जा रही थी । तभी वहाँ कँटीली झाड़ियों में फँस गयी । वह लाख कोशिशों के बाद भी निकल न सकी। तभी लोमड़ी ने इस शर्त पर उसकी जान बचायी थी कि वह भविष्य में हमेशा शिकार करने में उसकी मदद करेगी । इसी कारण दोनों एक - दूसरे के मित्र बन गयीं और समय आने पर दोनों एक - दूसरे की सहायता करतीं ।

एक दिन वे दोनों कहीं गाँव से बाहर जा रही थीं । शाम का समय हो चुका था । धीरे - धीरे रात्रि का अन्धकार छाने लगा था । तभी किसी की आहट मिलने पर मुर्गी झट - पट से पेड़ पर चढ़ गयी । शिकार के पास आने पर मुर्गी ने बाँग दी । मुर्गी की बाँग सुनकर, जैसे ही शिकार को नजदीक देखकर, लोमड़ी उस पर झपटी । वह आश्चर्यचकित हो कर, वह डर से काँपने लगी । अरे ! यह तो जंगली कुत्ता है । जंगली कुत्ते के जोर से भौंकने पर लोमड़ी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। अगले ही पल जंगली कुत्ते ने लोमड़ी पर जोर से हमला किया । मुर्गी विवश हो यह सब देख रही थी कि मैंने यह क्या कर दिया ? कुछ ही देर में मुर्गी को, बेसुध लोमड़ी जमीन पर पड़ी दिखाई दी । जंगली कुत्ता उसे खींचकर जंगल के भीतर ले गया । मुर्गी वहाँ से तुरन्त उड़ी और अपने घर आ गयी । सभी के पूछने पर उसने यही कहा कि -, "मुझे भी कई दिनों से लोमड़ी दिखाई नहीं दी । मैं स्वयं भी परेशान हूँ ।" जंगल के सभी जानवरों को मुर्गी पर शक तो हुआ, लेकिन वे भी लोमड़ी की हरकतों से बहुत ही ज्यादा परेशान थे, इसलिए सब चुप रहे ।


सीख : - हम जिसके साथ जैसा बर्ताव करते हैं । एक दिन हमारे साथ वैसे ही घटना घटती है ।

बाल कहानी

प्रेरक कहानी

शिक्षा प्रद कहानी

मजेदार कहानी



2. ईमानदारी

एक आदमी समुद्री जहाज में यात्रा के लिए निकला। आदमी विद्वान था व अपनी ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध भी। उसने अपने पास एक हजार मुद्राओं की एक पोटली भी रख ली।

यात्रा के दौरान उस आदमी की एक यात्री से अच्छी दोस्ती हो गई। एक दिन बात-बात में आदमी ने साथी यात्री को साथी को लालच आ गया। एक दिन सुबह-सुबह उसने चिल्लाना शुरू कर दिया कि हाय मेरा पैसा चोरी हो गया। उसमें एक हजार मुद्राएं थी।

कर्मचारियों ने कहा, 'तुम घबराते क्यों हो, चोर यहीं होगा। हम सबकी तलाशी लेते हैं। चोर है तो यहीं पक्का मिल जाएगा।'

यात्रियों की तलाशी शुरू हुई। जब बारी विद्वान आदमी

की आई तो कर्मचारी बोले, 'अरे साहब, आपकी तलाशी क्या ली जाए? आप पर तो शक करना ही गुनाह है।' लेकिन, विद्वान आदमी ने कहा, 'आप तालाशी लीजिए। वरना, साथी यात्री के दिल में एक शक बना रहेगा।' तलाशी ली गई, पर कुछ न मिलदन बाद साथी यात्री ने उदास मन से पूछा, 'आपकी वो पोटली कहां गई ?'

आदमी ने मुस्करा कर कहा, 'उसे मैंने समुद्र में फेंक दिया। मैंने जीवन में दो ही दौलत कमाई है, एक ईमानदारी व दूसरा, विश्वास। अगर मेरे पास मुद्राएं मिलती तो हो सकता है कि लोग मुझ पर यकीन कर लेते, पर शक बना ही रहता। मैं दौलत गंवा सकता हूं अपनी प्रतिष्ठा नहीं।'