Sayarana - 2 in Hindi Love Stories by Abhishek Joshi books and stories PDF | शायराना - 2

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शायराना - 2

आज फिर जिंदगी ने मुजे  उसी  मोड पे  लाके खड़ा कर दिया है । 

जहा से मैंने  जिंदगी की  कभी  सरुआत  की थी  शून्य से । 

अपने आप को शून्य शा  महेसुस  कर रहा हु । 

ऐशा लगता है  जैसे कल की ही  बात हो । 

 

पाँच साल पहले :-

18 -जून -2016 

HI I AM ANANT , अनंत जोषी  , नाम तो सुना ही होगा । 

आज मेरे कॉलेज का पहला दिन था । 

इसलिए  मे  घर से आधा घंटा पहले ही  निकल गया था । 

यू तो मेरे लिए  सबकुछ  नया था । 

क्युकी मे हाल ही मे  बॉयज होस्टेल से 12th  पास  करके  निकला था । 

बोले तो मार्केट मे अपुन फ्रेस पीस की  तरहा था । 

मन मे रह - रह कर  बहोत ख्याल उभर रहे थे । 

उसमे  सब से  पहेला खयाल था की  कॉलेज  कैसी होगी । 

ओर दुशरा लड़किया कैसी होगी । 

इन सब खयालों का ज़ोला उठाए मे  बस -स्टॉप पे  आ गया । 

घड़ी मे देखा तो सुबह के  साढ़े छे बजे थे । 

मे एक ही टक -टकी लगाए बस की राह देख रहा था । 

ओर तब ही कुछ ऐसा हुआ की  मानो बॉयज हॉस्टल की तपस्या का फल मिल गया । 

पाँच साल सन्यासी रहने के बाद आज साक्षात रंभा प्रगट होकर  मेरे सामने  आ रही थी । 

दिल मे गाना  बजने  लगा । 

"दिल गार्डन - गार्डन  हो गया

भवरा बगीअन मे खो गया "

सुबह का खुशनुमा महोल था । 

सूरज अब भी ठीक से नहीं निकला था । 

बस सूरज की लालिमा प्रसरी हुई थी । 

धीरे -धीरे एक धुंधला शा चहेरा करीब आ रहा था । 

जैसे ही वो नजदीक आई । 

मानो समय ने अपने आपको रोक लिया । 

एक संगेमरमर  सा चहेरा  मेरी बगल मे खड़ा  था । 

उसे देखकर मानो मुजे ऐशा लगा की जैसे मेरे वर्षों की तलाश खत्म हो गई । 

वो चाँद सा मुखड़ा , वो रेशमी बाल , वो गुलाबी गाल । 

हिरनी जैसी आंखे , वो शर्मीली अदा । 

मानो की जैसे कोई स्वर्ग की अप्सरा आज समय निकाल के मेरेलिए  जमीन पर आई है । 

उसकी जुलफ़े हवा मे उड़  रही थी । 

ओर उसकी लटे लहराकर उसके गाल को चूम रही थी । 

वो अपने कमल से कोमल हाथों से अपने बालों को अपने गालों से हटा रही थी । 

और इन सब के बीच सूर्य की लालिमा इस तरह बिखरी हुई थी की वो उसके सौन्दर्य को ओर निखार रही थी । 

मै तो उसे देखता ही रह गया । 

मन मे रह -रह कर बार -बार एक ही ख्याल आता था  की बोल दु । 

मानो की ऐशा लग रहा था की आज दिल का इजहार कर दु । 

और मेरे जहन मे एक गाना  भी  बज रहा था की । 

" आज कहेंगे दिल का फ़साना ,

    जान भी ले ले चाहे जमाना ,

    मौत वही जो दुनिया देखे ,

   चुप - चुप के आहे भरना क्या ,

 जब प्यार किया तो डरना क्या (2 )