Baarish, Chaai aur Tum - 1 in Hindi Love Stories by सिद्धार्थ रंजन श्रीवास्तव books and stories PDF | बारिश, चाय और तुम - भाग 1

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बारिश, चाय और तुम - भाग 1

"अरे यार अब ये चीनी का डिब्बा कहाँ रखा है? नीलू ने जाने कहाँ रखा है? फ़ोन मिला कर फिर से पूछना पड़ेगा।" आकर्ष किचन में डब्बो से उलझता हुआ बड़बड़ा रहा था।

अभी आकर्ष जेब में से फ़ोन निकाल कर निलांजना को कॉल करने ही वाला था कि सामने उसे चीनी का डिब्बा दिख गया।

"तुम सब उसके गुलाम हो, "चमचे" हो "चमचे" नीलू का नाम लेते ही खुद ब खुद सामने आ जाते हो। दरअसल तुम सब डरते हो नीलू से। " चाय बनाते बनाते आकर्ष खुद से ही बड़बड़ाए जा रहा था।

कुछ देर में चाय लेकर आकर्ष बालकनी में आ कर बैठ जाता है और बारिश की बूंदो को निहारता हुआ चाय की चुस्की लेने लगता है।

"वाह Mr. आकर्ष, नॉट बैड हाँ। नीलू जितना बढ़िया न सही लेकिन उसका एक चौथाई तो बना ही लेते हो तुम भी।" आकर्ष अकेले में खुद की पीठ थपथपा रहा था।

आकर्ष ने अब फ़ोन हाथ में लिया और एक नंबर डायल कर दिया।

"हेलो।" निलांजना की आवाज़ में चहक थी

"क्या कर रही हो नीलू?" आकर्ष ने पूछा

"माँ के साथ छत पर पापड़ डलवा रही थी, बहुत तेज़ धूप है आज। कहिये किस लिए फ़ोन किया?" निलांजना ने पूछा

"यहाँ खूब अच्छी बारिश हो रही है और मैं बालकनी पे हाथ में चाय लेकर बैठा हूँ।" आकर्ष ने ख़ुश होते हुए कहा

"बारिश? और चाय? चाय किसने बना कर दी?" निलांजना ने चौंकते हुए पूछा

"किसने दी का क्या मतलब है? हम खुद मास्टर शेफ हैं।" आकर्ष खुद पर गुमान करते हुए बोला

"ओये होये मास्टर शेफ, शादी के 5 साल हो चुके है मैंने तो आज तक नहीं देखा आपको चाय बनाते हुए? और मम्मी जी भी यही कहती थीं कि आपको कुछ भी नहीं आता।" निलांजना ने खिंचाई करते हुए कहा

"हाँ पता है पता है, कभी जरुरत ही नहीं पड़ी तो नहीं बनाई।" आकर्ष ने सूखे शब्दों में कहा

"तो आज ऐसी क्या जरुरत पड़ गयी हमारे मास्टर शेफ को?" निलांजना ने फिर से खिंचाई की

"अरे यार, आज मौसम बहुत दिनों बाद ऐसा बारिश का बना है ऊपर से आज संडे, तो बारिश और साथ चाय का मज़ा लेना था। बस तुम साथ होती तो मज़ा पूरा हो जाता, क्यूँ चली गयीं मुझे छोड़ कर?" आकर्ष उदास स्वर में बोला

"अरे? बच्चे बन जाते हैं आप भी। तीन दिन के लिए आई हूँ आप उसमें भी परेशान करने लगे।" निलांजना गुस्सा होते हुए बोली

"अरे बाबा मज़ाक कर रहा था, तुम एन्जॉय करो और जल्दी वपास आना।" आकर्ष ने कहा

"हाँ बाबा, परसो वापस आ जाउंगी मैं। एक भी दिन एक्स्ट्रा नहीं रहूंगी।" निलांजना ने समझाते हुए कहा

"अच्छा सुनो, तुम्हे हमारी पहली मुलाक़ात याद है ना?" आकर्ष ने प्यार से पूछा

"हाँ बिलकुल याद है, उस दिन की झमाझम बारिश, चाय की टपरी और हम दोनों का मिलना। वो दिन मैं कभी नहीं भूल सकती।" निलांजना की आँखों के सामने जैसे वो दिन उभर के सामने आ गया हो, "अच्छा अब फ़ोन रखिए, माँ धूप में परेशान हो रही हैं।" निलांजना वर्तमान में वापस आते हुए बोली

"हाँ ठीक है, फ्री होकर फ़ोन करना।" आकर्ष ने कहा और फ़ोन रख दिया

आकर्ष ने फिर से चाय का कप हाथ में उठा लिया और टेबल पर पैर रख कर बारिश का आनंद लेने लगा। आकर्ष को पता ही नहीं चला कब बारिश और चाय का आनंद लेते लेते वो ख्यालों की दुनियाँ में डुबकी लगाने लगा था।

फ्लैशबैक:


आकर्ष उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर का रहने वाला बहुत ही होशियार लड़का था, हमेशा से पढ़ने में काफ़ी अच्छा था और क्लास में अवल्ल आता था। कॉलेज में भी इस बार उसने टॉप किया था लेकिन इस बार मंदी के चलते कॉलेज में कोई भी कंपनी प्लेसमेंट के लिए नहीं आयी थी। इस बार सभी को जॉब पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी थी क्यूंकि मंदी की वजह से लोगों को पहले ही कंपनी से छांटा जा रहा था ऐसे में नयी जॉब मिलना बहुत ही टेढ़ी खीर होने वाली थी।

कॉलेज खत्म होने के कुछ महीने बाद बैंगलोर की एक बहुत बड़ी कंपनी में जॉब ओपनिंग आयी थी, आकर्ष को पता था ये जॉब इतनी आसानी से भी नहीं मिलने वाली थी क्यूंकि पुरे भारत से लाखों लोग इस जॉब के लिए कोशिश करने वाले थे। आकर्ष ने भी उस कंपनी में जॉब के लिए आवेदन कर दिया और तीन दिन बाद उसके मेल पर जॉब इंटरव्यू के लिए मेल आ गयी। कंपनी का रीजनल ऑफिस दिल्ली में स्तिथ था और इंटरव्यू के लिए उसे वहीं जाना था। आकर्ष ने इंटरव्यू की तारीख़ के हिसाब से ट्रेन की टिकट बुक करा ली और अपनी तैयारी में जुट गया।

चार दिन बाद आकर्ष दिल्ली के लिए रवाना हो गया, दिल्ली में आकर्ष के चाचा का लड़का युग भी रहता था तो उसे वहाँ रहने की कोई चिंता ना थी। आकर्ष सुबह 4 बजे नयी दिल्ली स्टेशन पहुंच गया और स्टेशन के बाहर से ही ऑटो बुक करके लक्ष्मी नगर युग के रूम के लिए निकल गया।

युग लक्ष्मी नगर में अकेले ही रूम लेकर रहता था, क्यूंकि उसकी जॉब अशोक नगर के एक मॉल में थी। आकर्ष युग के रूम पर पहुँच कर फ्रेश होता है और फिर इंटरव्यू पर जाने के लिए तैयार हो जाता है। 9 बजे युग अपनी जॉब के लिए निकलता है और आकर्ष इंटरव्यू के लिए। आकर्ष वहीं पास में एक छोटे से रेस्टोरेंट पर नाश्ता करता है और फिर ऑटो बुक करके लाजपत नगर के लिए निकल जाता है।

आकर्ष कंपनी के ऑफिस पहुँच कर देखता है की कंपनी का ऑफिस बहुत ही शानदार होता है। अंदर जाकर आकर्ष विस्टिंग फॉर्मेलिटी कम्पलीट करता है और वेटिंग रूम में जाकर अपने नंबर आने का इंतजार करने लगता है। एक घंटे बाद आकर्ष का नंबर आता है और वो इंटरव्यू के लिए अंदर चला जाता है।

वहाँ 4 लोगों का एक पैनल इंटरव्यू लेने के लिए बैठा रहता है। इतने इंटरव्यू लेने वालों को देख कर आकर्ष घबरा जाता है लेकिन फिर वो खुद को संभालता है। उसे ये जॉब चाहिए थी इसलिए वो खुद को हिम्मत देता है ताकि वो सबके जवाब सही और इफेक्टिव तरीके से दे सके। उसका इंटरव्यू तकरीबन 40 मिनट तक चलता है, उससे कई सारे सवाल पूछे जाते हैं जिसका वो बखूबी जवाब देता है। इंटरव्यू होने के बाद उससे कहा जाता है कि उसे इसके बारे में बाद में अपडेट किया जायेगा और अब वो जा सकता है। आकर्ष वहाँ से निकाल कर बाहर आ जाता है और फिर कंपनी से बाहर निकलता है।



To be continued.....