ईश्वर या धन? आप क्या चाहते हैं?
एक बार एक नगर के राजा के यहाँ पुत्र पैदा हुआ। इस खुशी में राजा ने पूरे नगर में घोषणा करवा दी कि कल पूरी जनता के लिए राजदरबार खोल दिया जायेगा। जो व्यक्ति सुबह आकर सबसे पहले जिस चीज़ को हाथ लगाएगा वो उसी की हो जाएगी।
पूरे राज्य में ख़ुशी का माहौल छा गया। सारे लोग ख़ुशी से फूले ना समां रहे थे। कोई कह रहा था कि मैं तो सोने के कलश पर हाथ लगाऊंगा, किसी को घोड़ों का शौक था तो वो बोल रहा था घोड़े को हाथ लगाऊंगा। इसी तरह सारे लोग रात भर यही सोचते रहे कि सुबह वो किस किस चीज़ को सबसे पहले हाथ लगाएंगे।
सुबह जैसे ही दरबार खुला सारे लोगों का राजा ने राज दरबार में स्वागत किया। जैसे ही सबको अंदर आने का आमंत्रण दिया सभी लोग राजमहल में रखी कीमती चीज़ों पर झपट पड़े। सबके मन में डर था कि कोई दूसरा पहले आके उनकी पसंदीदा चीज़ों को हाथ ना लगा दे।
कुछ ही देर में दरबार का माहौल बड़ा अजीब हो गया। सारे लोग इधर उधर दौड़ रहे थे। राजा अपने सिंहासन पर बैठा ये सब देख रहा था और राजा को बड़ा ही आनंद आ रहा था अचानक एक छोटा सा बच्चा भीड़ से निकल कर आया और राजा की ओर आने लगा।
राजा उसे देख कर कुछ समझ नहीं पाया और इतने में वो बच्चा राजा के नजदीक आया और उसने राजा को हाथ लगा दिया। अब राजा उसका हो चुका था तो इस तरह राजा की हर चीज़ उसकी हो गई।
दोस्तों इसी तरह जैसे राजा ने जनता को मौका दिया वैसे ही हमारा ईश्वर हमें रोजाना मौका देता है कुछ पाने का। लेकिन हम नादान हैं और ईश्वर की बनायीं हुई चीज़ों को पाने में अपनी पूरी शक्ति लगा देते हैं। किसी को गाड़ी चाहिए तो किसी को बंगला, किसी को पैसा तो किसी को शान शौकत। रोज भगवान से प्रार्थना में भी भगवान की ही चीज़ें मांगते हैं।
जो लोग सत्य को जान लेते हैं वो भगवान की चीज़ें नहीं बल्कि भगवान को ही प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। भगवान को पा लिया तो उस मालिक की हर चीज़ आपकी ही हो जाएगी। तो फिर क्यों मूर्खों की तरह दिन रात उसकी बनायीं चीज़ों को पाने में अपना कीमती समय गंवाते हो?
उस ईश्वर की स्तुति करो, उसे पाने की कोशिश करो फिर उसकी हर चीज़ आपकी हो जाएगी
दोस्तों कहानियां हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा करती हैं। ये कहानी भी आपको एक अच्छी सीख देगी ऐसी हमें पूरी उम्मीद है। आप इस कहानी को पढ़कर नीचे कमेंट बॉक्स में अपना एक कमेंट जरूर लिखीये
धन्यवाद
भगवान से पहले कौन आया? शिव को आदि अनंत कहा गया है अर्थात जीस का कोई सुरुआत न हो और न ही जीस का कोई अंत हो। उत्तर है भगवान ही सबसे पहले थे।
भगवान सृष्टि की रचयिताशक्ति है जो ब्रह्मांड के कण कण में अदृश्य रूप में निवास करती है। उस शाक्ति के प्रति प्रेम व विश्वास जितना अधिक होगा,उतना ही उसकी उपस्थिति को अपने अंग संग महसूस किया जा सकता है। बाहरी आडम्बर और कर्मकाण्ड ईश्वर से मिलाने में असमर्थ हैं,