"मैं अभी सफ़र के लिए अपने कपड़े और सफ़र में काम आने वाला दूसरा सामान पैक करके अपने घर से लेकर आपकी कोठी पर आता हूं।" आदित्य कहता है
"यहां से भगाने के नए-नए बहाने मत ढूंढ लड़के तेरे कपड़े सब कुछ ही कुछ देर में यहां पहुंच जाएगा, अब जब तक तेरी मेरी शादी नहीं हो जाती तब तक तू यही रहेगा मेरी आलीशान कोठी में।" रूपाली उर्फ छोटी मां कहती है
आदित्य समझ जाता है रुपाली उर्फ छोटी मां रणविजय ने मुझे कैद कर लिया है, अब मुझे अपना अंत करीब नज़र आ रहा है, परमात्मा मेरी आखिरी इच्छा जरूर पूरी कर देना कि मैं अरुणा को रणविजय के चंगुल से छुड़ा दूं और रणविजय रूपाली को उनके किए की सजा दिलवा दूं।
फोन कि घंटी बज रही थी, लेकिन आदित्य फोन उठाने की जगह सोच में डूबा हुआ था तब आदित्य के सर पर धीरे से थप्पड़ मार कर रूपाली उर्फ छोटी मां कहती है "किस सोच में डूबे हो पतिदेव आपके मोबाइल की घंटी तीन-चार बार बज चुकी है।" आदित्य जल्दी से फोन नंबर देखकर फोन काट देता है, क्योंकि वह फोन अरुणा का था, इसलिए वह अरुणा को लोन में बने छोटे से तालाब के पास बैठकर दोबारा फोन करता है, अरुणा फोन उठाते ही पूछती है? "इतनी देर से फोन कर रही हूं, फोन क्यों नहीं उठा रहे थे, मैं स्कूल से घर जा रही हूं आप कहां हो मुझे रणविजय आपने साथ हिमाचल प्रदेश शीतला माता के मंदिर लेकर जा रहा है।" अरुणा बताती है
"मैं तुम्हारे घर पर हूं चिंता मत करो मैं भी तुम्हारे साथ शीतला माता के मंदिर चल रहा हूं, अब बिना कुछ पूछें मेरी एक बात ध्यान से सुनो मैं जो भी कर रहा हूं, दोनों के भले के लिए कर रहा हूं, यह तो तुम्हें पता ही है और छोटी मां रणविजय को हम दोनों पर शक हो गया है और मुझे तुम्हारे माता-पिता की पूरी जानकारी मिल गई है, मुझे मजबूरी में तुम्हारी छोटी मां यानी की मौसी के साथ प्रेम विवाह का नाटक करना पड़ रहा है।" आदित्य कहता है
"मुझे आप पर अपने से ज्यादा विश्वास है, आप जो करोगे सोचोगे हम दोनों के भले के लिए ही होगा।" अरुणा कहती है
अरुणा से फोन पर बात करने के बाद आदित्य प्रेम को फोन करके हिमाचल प्रदेश की सुंदर वादियां देखने के लिए कहता है "हिमाचल प्रदेश की सुंदर वादियां देखने चलेगा मुफ्त आना-जाना मुफ्त रहना खाना पीना चलना है तो बता।" मतलबी प्रेम कहता है"नेकी और पूछ पूछ।"
"तो जल्दी अपने कपड़े सफर का दूसरा सामान पैक करके अरुणा की कोठी पर आजा।" आदित्य कहता है
आदित्य प्रेम को इसलिए बुलाता है कि एक से भले दो दो से भले तीन अगर कोई बड़ा संकट आ गया तो प्रेम उस समय बहुत काम आएगा।
फिर आदित्य अपनी मां से फोन पर ऐसे बात करता है जैसे वह मां से आखरी बार बात कर रहा हो मां शीतला मां के मंदिर की बात सुनकर बहुत खुश हो जाती है और कहती है "बेटा मैं भी तेरे साथ चलती लेकिन तेरे पिताजी घर पर अकेले रह जाएंगे और हम दोनों बुड्ढे बुढ़िया तेरे कॉलेज के दोस्तों के बीच ऐसे लगेंगे जैसे मखमल में टाट का पैवद।" आदित्य ने झूठ बोला था कि वह अपने कॉलेज की तरफ से शीतला मां के मंदिर जा रहा है।
"मां फोन काट रहा हूं, क्योंकि पिताजी को भी फोन करके बताना है।" आदित्य कहता है
अरुणा के घर में आते ही रणविजय का फोन आ जाता है, इसलिए छोटी मां रणविजय से बात करने में व्यस्त हो जाती है और आदित्य को अरुणा को सब कुछ समझाने का मौका मिल जाता है अरुणा साथ में हिमाचल घूमने जाने की खुशी में आदित्य को पकड़ कर चूमने लगती है, इतने में वहां छोटी मां आ जाती है, छोटी मां सब कुछ देखकर अनदेखा कर देती है और अरुणा की तरफ गुस्से से देखते हुए आदित्य से कहती है "रणविजय किसी काम में फंस गया है, इसलिए रात के आठ बजे घर से हिमाचल के लिए निकलेंगे, अरुणा तुम घर पर आराम करो मैं आदित्य को शॉपिंग करवा कर लाती हूं, यह घर से अपना कोई भी समान नहीं लाया है।" फिर अरुणा को चिढ़ाने के लिए कहती है "कंगाल है मेरा आदित्य।"
छोटी मां जानबूझकर अपना मोबाइल घर पर छोड़कर जाती है ताकि मार्केट में फोन करने के बहाने देखूं कि आदित्य किस-किस से फोन पर बात करता है कहीं यह किसी हमारे पुराने दुश्मन से तो नहीं मिला हुआ है लेकिन बुद्धिमान आदित्य ने पहले ही अरुणा दीपावली के सारे नंबर डिलीट कर दिए थे, कहीं फोन किसी के हाथ चढ जाएं तो उसे अरुणा दीपावली का नंबर ना मिल जाए।
आदित्य छोटी मां के मार्केट जाने के बाद प्रेम अपनी हिमाचल घूमने जाने की तैयारी करके वहां आता है और अरुणा से हिचकिचाहते हुए कहता है "मुझे आदित्य ने जबरदस्ती हिमाचल प्रदेश शीतला मां के मंदिर चलने के लिए तैयार किया है।"
प्रेम के आने के कुछ देर बाद रणविजय का फोन छोटी मां के लिए आता है छोटी मां घर पर ही फोन छोड़ गई थी, इसलिए मजबूरी में प्रेम के कहने से अरुणा रणविजय का फोन उठाती है, क्योंकि प्रेम चाहता था कि दीपावली भी हमारे साथ चले। अरुणा रणविजय को बेवकूफ बनाने के लिए पत्नी जैसे जिद करके रणविजय से कहती है "देखो ना जी छोटी मां अपने सारे दोस्तों को हिमाचल प्रदेश शीतला माता के मंदिर लेकर जा रही है और आप मेरी एक सहेली को भी साथ ले जाने की इजाजत नहीं दे रहे और छोटी मां को डांट पड़वाने के लिए कहती है ऐसा छोटी मां कह रही है।"
"मेरी जान आप कहो तो पूरे गर्ल्स स्कूल को साथ लेकर चलु।" रणविजय कहता है
"ओके थैंक यू अब मैं फोन काट रही हूं।"अरुणा कहती है
"नहीं नहीं फोन मत काटना जानू पहले अपनी छोटी मां से मेरी बात करवाओ।" रणविजय कहता है
"वह तो अपने आशिक आदित्य के साथ बाजार घूमने गई हुई है।" अरुणा बताती है "सारे फ़साद कि जड़ यही तो औरत है, मैंने 17 वर्ष तुम्हें लड़कों से दूर रखा पढ़ाई भी करवाई तो गर्ल्स स्कूल में ईलाज भी करवाया तो लेडिस डॉक्टर से मैंने अपने भतीजे को छोड़कर आप पर किसी जवान गैर मर्द की परछाई भी पढ़ने नहीं दी और इस औरत ने जेंट्स डॉक्टर से तुम्हारा ईलाज करवाया और उसी दिन हॉस्पिटल से आदित्य नाम के युवक को पकड़कर ले आई अंग्रेजी सीखने के लिए और मेरी अरुणा इतनी खूबसूरत है कि कोई भी उसे अपना दिल दे बैठे, इसलिए आदित्य को साथ लेकर जा रहा हूं, क्योंकि वह तुम्हें अपना दिल दे बैठा है कहीं तुम्हें भी आदित्य से प्रेम हो गया और तुम मुझसे शादी करने के बाद आदित्य के साथ कहीं भाग गई तो मेरा क्या होगा बुढ़ापे में मैंने 17 वर्ष आपके साथ सुहागरात मनाने का इंतजार किया है।" फिर गुस्से में कहता है "हिमाचल की हजारों फीट गहरी खाई से आदित्य को फैंक कर आदित्य नाम की समस्या को जड़ से खत्म कर दूंगा।"
आदित्य यही तो जानना चाहता था जो अरुणा ने प्यार से रणविजय से उगलवाया था। रणविजय कि दहशत से भरी बातें सुनते-सुनते अरुणा का सर दर्द से फटने लगता है, इसलिए फोन बिना कांटे सोफे पर फेंक कर अपने कमरे में जाकर लेट जाती है।
अरुणा मौका देखकर आदित्य को हिमाचल शीतला माता के मंदिर जाने का मकसद बता देती है कि रणविजय को डर है कहीं मैं उससे शादी करने के बाद भी तुम्हारे साथ उसे छोड़कर भाग ना जाऊं, इसलिए वह तुम्हें अपने रास्ते से हटाना चाहता है।" सच में दुनिया का बहुत बड़ा आशिक है रणविजय मां नहीं मिली तो बेटी सही नंदिनी नहीं तो नंदिनी की परछाई ही सही रणविजय को यह नहीं पता था कि मेरी हत्या करके क्या यह दुनिया के सारे युवाओं की हत्या कर देगा तुमसे शादी करने के बाद या शादी से पहले कोई दूसरा आशिक पैदा हो गया तो क्या करेगा।" आदित्य कहता है "मरने की बातें मेरे सामने मत किया करो मेरा दिल बैठ जाता है और र वैसे यह नंदिनी कौन है।" अरुणा पूछता ह?
"नंदिनी तुम्हारी मां का नाम है और यह तुमसे पहले तुम्हारी मां का आशिक था और अब ज्यादा मत पूछना धीरे-धीरे सब बता दूंगा।" आदित्य कहता है
तभी प्रेम बच्चों जैसे चिल्लाकर कहता है "दीपावली जल्दी अपने सामान का बैग उठा लो रणविजय अंकल गाड़ी लेकर आ गए हैं। दोनों खिड़की वाली सीट पर साथ बैठेंगे।"
आदित्य बाहर आकर देखकर मुस्कुरा कर कहता है "दुसरी गाड़ी में अपने साथ गुंडे भी रणविजय लाया है, तो वह भी अधेड़ उम्र के लाया है।" फिर अरुणा से कहता है "मैं रणविजय को जलाने के लिए तुम्हारी छोटी मां से प्रेम का नाटक करूंगा रणविजय की जगह तुम मत चिढ़ जाना।"
"अपनी हद पार करोगे तो पक्का जलफूक कर राख हो जाऊंगी।" अरुणा कहती है
आदित्य रणविजय के सामने आते ही छोटी मां का हाथ पकड़ कर कहता है "चलो डार्लिंग एक साथ सीट पर बैठेंगे।" और जब गाड़ी उसके पिताजी की सुनार की दुकान के आगे से गुजरती है तो रूपाली उर्फ छोटी मां से कहता है "डार्लिंग सर पर दुपट्टा से पाला करके आशीर्वाद ले लो आपके ससुर जी की दुकान है यानी की मेरे पिताजी की सुनार की दुकान। आदित्य रणविजय को चिढ़कर छोटी मां और रणविजय में झगड़ा करवाना चाहता था, इसलिए उसने पहले ही प्रेम और दीपाली को दूसरी गाड़ी में बिठा दिया था और तीसरी गाड़ी में रणविजय के अधेड़ उम्र के गुंडे थे।
ड्राईवर आदित्य की ऐसी बातें सुनकर जब हंसने लगता है तो रणविजय गुस्से में आदित्य से कहता है "लड़के तेरी सारी आशिकी अभी तुझे गाड़ी से नीचे फेंक कर उतार दूंगा, इसलिए चुपचाप बैठा रह।" तो आदित्य समझ जाता है कि अभी भी रणविजय के दिल में अपनी पुरानी महबूबा रूपाली उर्फ छोटी मां के लिए प्यार है। ज्यादा नहीं तो थोड़ा बहुत तो जरूर है, इसलिए दोनों को आपस में झगड़ा करवाने का मेरा काम आसानी से बना जाएगा।