Prem ka Purvabhas - 10 in Hindi Love Stories by Rakesh Rakesh books and stories PDF | प्रेम का पूर्वाभास - भाग 10

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प्रेम का पूर्वाभास - भाग 10

आदित्य को पैसों की तो टेंशन नहीं थी, क्योंकि अरुणा और अपनी शादी का सारा खर्चा वह दूर के मौसी सास और मौसा ससुर से लेने की तैयारी कर चुका था, यानी कि अरुणा की छोटी मां रणविजय से।

आदित्य अपने घर पहुंच कर देखता है, उसकी मां बहुत खुश और रोमांटिक मूड में हैं, इसलिए वह मां से पूछता है? मां पापा ने क्या नौलखा हार आपको लाकर दे दिया है।
"अरे नहीं हमारी शादी की 25वीं सालगिरह है 14 फरवरी को है तो तेरे पापा बड़ी पार्टी करने की कह रहे हैं। मां बताती है
यह सुनकर आदित्य को अफसोस होता है क्योंकि 13 फरवरी को अरुणा बालिग हो जाएगी और रणविजय बरसों से इस दिन का इंतजार कर रहा है, वह 14 फरवरी को अरुणा से शादी करने की पूरी कोशिश करेगा और 14 फरवरी को मैं अरूणा को रणविजय के जाल से निकलने के लिए अपनी जान पर भी खेल जाऊंगा, और भगवान ना करें 14 फरवरी मेरे जीवन का आखिरी दिन ना हो।

और दूसरे दिन आदित्य अरुणा के स्कूल की रिसेस (आदी छुट्टी) मैं अरुणा को फोन करता है अरुणा आदित्य का फोन रिसीव करके कहती है "मैं कब से आपके फोन का इंतजार कर रही थी, आपका नंबर मेरे पास नहीं था।"
"मैंने दीपाली से कहा था नया मोबाईल देने के साथ-साथ मेरा मोबाईल नंबर भी आपको देने के लिए।" आदित्य कहता है
"दीपाली की गलती नहीं है, कल गुरु पर्व (गुरु नानक जयंती) है वह उसकी तैयारी में व्यस्त है, वह तो नया मोबाईल मुझे देने और हम दोनों को अपने घर गुरु पर्व बनाने के लिए निमंत्रण (Invitation) कुछ देर के लिए स्कूल आई थी।"दीपाली बताती है
"ठीक है कल गुरु नानक जी की जयंती मनाते हैं, दीपाली के साथ।" आदित्य कहता है
अरुणा हंसकर कहती है "मेरा पति रणविजय मुझे इजाजत देगा तब तो मैं आपके साथ गुरु पर्व दीपाली के घर पर मनाऊंगी।
"आपका दीवाना यह काम करेगा।" आदित्य कहता है

तभी आदित्य को सामने से प्रेम आता हुआ दिखाई देता है आदित्य प्रेम से कहता है "कल गुरु पर्व है दीपाली के साथ धूमधाम से मनाने का इरादा है या नहीं।"
"इरादा तो बहुत है, लेकिन पैसे कहां है, पापा ने पिछले हफ्ते ही पॉकेट मनी दी थी वह सब खर्च होने के बाद मम्मी से भी पैसे ले लिए हैं अब दोबारा न मम्मी देगी न पापा।" प्रेम कहता है
"रूपयो का इंतजाम तो हो जाएगा बस तुझे एक काम करना होगा। आदित्य कहता है
"पैसों के लिए तो मैं तेरी जान भी जान ले सकता हूं।" प्रेम कहता है

कुदरत प्रेम के मुंह से ऐसी बातें कहलावा कर आदित्य को सचेत कर रही थी।

"तो अपने मोबाइल से फोन करके अरुणा की छोटी मां से कह दे मेरी जगह आज तू उन्हें अंग्रेजी पढ़ने उनकी कोठी पर आएगा।" आदित्य कहता है
"छोटी मां फोन पर प्रेम से यह सुनकर तुरंत आदित्य को फोन करती है कि "आज आदित्य तुम क्यों नहीं आ रहे हो।" आदित्य कहता है "कल गुरु नानक जी की जयंती है आप जैसी लड़की जब मेरे जीवन में आएगी तो मैं गुरुद्वारे के सामने लंगर करूंगा। ऐसा मैंने गुरुद्वारे में माथा टेकने के बाद कहा था।"
प्रेम से थोड़ा दूर जाकर आदित्य छोटी मां से यह बात कहता है। आदित्य के मुंह से लड़की शब्द सुनकर रूपाली उर्फ छोटी मां बहुत खुश हो जाती है और कहती है "मैं अभी अपने पुराने आशिक रणविजय से तीस हजार रुपए मांगती हूं और मैं खुद भी गुरुद्वारा के सामने लंगर में तुम्हारा पूरा साथ दूंगी, तुम ठीक 4:00 बजे घर पर आ जाओ।"

छोटी मां के घर जाने से पहले आदित्य अरुणा को फोन करके कहता है कि "अपनी छोटी मां को उनकी पसंद का कुछ अपने हाथों से पका कर खिलाने के बाद कहना कल मेरी सहेली दीपाली ने गुरु पर्व की वजह से मुझे अपने घर आने का न्योता दिया है प्लीज रतविजय से कहकर मुझे इजाजत दिलवा दो। देखना फिर तुम्हारी छोटी मां कहेगी रणविजय कौन होता है, जा मेरी इजाजत है।"
अरुणा स्कूल से घर आने के बाद आदित्य के कहे अनुसार सारा काम करती है और गुरु पर्व की इजाजत मिलने के बाद आदित्य के अपनी कोठी पर पहुंचने से पहले आदित्य को फोन करके कहती है "सच कह रही हूं, तुम तेनालीरामा बीरबल हो अगर वकालत की पढ़ाई करोगे तो एक दिन बहुत बड़े वकील बनोगे।"

अरुणा से फोन पर बात करने के बाद आदित्य सोचता है दुनिया सच कहती हो की जुबान पर सरस्वती मां विराजमान होती है, अगर यह सच है, तो मैं बहुत बड़ा वकील बनुगा और अरुणा में दादा दादी वरना 14 फरवरी वैलेंटाइन डे मेरी जिंदगी का आखिरी दिन होगा।

रणविजय रूपाली उर्फ छोटी मां को तीस हजार रुपए तो दे देता है, किंतु उसे रूपाली उर्फ छोटी मां के ऊपर शक हो जाता है कि यह अंग्रेजी सीखने वाले टीचर आदित्य के साथ प्यार मोहब्बत का कोई चक्कर चल रही है, इसलिए वह नकली दाढ़ी पगड़ी पहनकर रूपाली और छोटी मां के पीछे-पीछे गुरुद्वारे तक पहुंच जाता है और अरुणा से ज्यादा अपनी पुरानी प्रेमिका रूपाली उर्फ छोटी मां पर ज्यादा ध्यान देता है।

आदित्य को यह भी पता था कि रूपाली का पुराना आशिक रणविजय की गुरुद्वारे जरूर पहुंचेगा, इसलिए आदित्य सबसे पहले श्रद्धालुओं की भीड़ में रणविजय को पहचान कर रूपाली उर्फ छोटी मां को बता देता है, ताकि वह रणविजय को चिढाने का और ज्यादा मजा ले और मैं अरुणा के साथ लंगर खिलाने के बाद गुरुद्वारे में साथ माथा टेकने के बाद गुरुद्वारे की रोशनी और गुरुद्वारे के आसपास की रौनक का पूरा आनंद उठाएंगे, क्योंकि मैं दुनिया का पहला आशिक हूं, जिसे पता है कि वह अपनी प्रेमिका के साथ सिर्फ दो महीने है और छोटी मां रणविजय को लंबी सजा होने के बाद अरुणा आजाद हो जाएगी इस बात की भी उसे खुशी थी।