Prem ka Purvabhas - 7 in Hindi Love Stories by Rakesh Rakesh books and stories PDF | प्रेम का पूर्वाभास - भाग 7

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प्रेम का पूर्वाभास - भाग 7

और एक घंटे बाद प्रेम गुस्से में तमतमाता हुआ आदित्य के पास आकर कहता है "तू शेर नहीं चालाक लोमड़ी है, तूने दीपाली को क्यों बताया कि तूने नहीं मैंने अस्पताल में अरुणा का हाथ पकड़ा था।

आदित्य समझ जाता है कि दीपाली का फोन आ गया है दीपाली के पास मेरा नंबर नहीं है, इसलिए उसने प्रेम को फोन किया है, मेरी बात अरुणा से करवाने के लिए।

इसलिए वह प्रेम का गुस्सा शांत करने के लिए कहता है "अच्छा ही है ना दीपाली से तेरा पीछा छूट जाएगा फिर आजादी से अरुणा से प्रेम करियो।"
"बात में तो तेरी बहुत दम है, अच्छा मैं क्लास में जा रहा हूं, दीपाली का मोबाइल नंबर ले उससे बात कर लेना और मेरे खिलाफ दीपाली को अच्छी तरह भड़का दियो।"

कॉलेज में चारों तरफ भीड़भाड़ होने की वजह से आदित्य सपोर्ट ग्राउंड में लगे कॉलेज की दीवार की किनारे बरगद के पेड़ के नीचे बिछी बैंच पर बैठकर शांत माहौल में अरुणा से बात करने के लिए दीपाली को फोन करता है दीपाली अनजान नंबर देखकर पूछती है? "आप कौन बोल रहे हैं।"
"मैं आदित्य बोल रहा हूं, अरुणा ने बताया होगा कल रात को हमारी मुलाकात हुई थी।"
"कश्मीरी शॉल मफ़लर वाली बात तो मुझे पता चल गई है, लेकिन प्रेम से मेरी बात जरूर करवाना उसने अस्पताल में अरुणा के साथ इतनी बदतमीजी क्यों की इसका जवाब मुझे प्रेम से चाहिए।" दीपाली ने कहा
"आप गलत मत समझो प्रेम ने जो कुछ भी किया मेरे कहने से किया।" झूठ बोलकर आदित्य प्रेम को दीपाली के प्रकोप से बचा लेता है। "फिर तो ठीक है दस मिनट रुको मैं अरुणा से आपकी बात करवाती हूं, अभी अरुणा क्लास में है बस उसकी क्लास ही खत्म होने वाली है।"दीपाली बोली

अरुणा से बात करने की बेचैनी में आदित्य को दस मिनट भी दस घंटे जैसे लगते हैं अरुणा फोन पर आते ही पूछती है? "कैसे हैं आप।"
इतनी मधुर सुरीली आवाज सुनकर आदित्य अपने होश खो बैठता है और अपने पर काबू करके कहता है "मैं ठीक हूं आप कैसी हो। आदित्य पूछता है?
"मैं तो ठीक हूं, लेकिन घर पर कुछ भी ठीक नहीं है, मैं जब सुबह स्कूल आ रही थी तो छोटी मां रणविजय से फोन पर बात कर रही थी कि कितने बजे कोठी पर आओगे रात की कार का शीशा टूटने वाली सीसीटीवी फुटेज देखने रणविजय ने कहा लंच से पहले।"अरुणा बताती है
"आप चिंता मत करो मैं सब ठीक कर दूंगा लेकिन यह रणविजय है कौन।" आदित्य पूछता है?
अरुणा अपने से ही नाराज होकर कहती है "जिसकी कार का शीशा अपने तोड़ा था और मेरा होने वाला पति है।"
आदित्य हल्का सा हंस कर कहता है "वह बुढा आपका होने वाला पति कैसे हो सकता है क्योंकि आपका होने वाला पति मैं हूं।"आदित्य कहता है
"लेकिन मैं ऐसा नहीं होने नहीं दूंगी।" अरुणा उधर से कहती है
"क्या मैं रणविजय से कम हैंडसम हूं।" आदित्य पूछता है?
"मैं अपने स्वार्थ के लिए आपकी जान को खतरे में नहीं डाल सकती हूं।" अरुणा फोन पर कहती है
"आप कहना क्या चाह रही हैं।" आदित्य पूछता है?
"आप मुझे पागल समझ रहे होंगे कि आपको जाने पहचाने बिना आपसे पहली बार मिलने के लिए मैंने अपनी कोठी कि सीढ़ियो से जानबूझकर गिरा कर घायल क्यों कर लिया जबकि आप मेरे लिए बिल्कुल ही अजनबी थे लेकिन आप मेरे लिए अजनबी नहीं हो मैं पांच वर्ष की आयु से आपको जानती हूं।" अरुणा फोन पर बताती है
"लेकिन कैसे।" आदित्य पूछता है? "मुझे बचपन से एक सपना दिखाई देता आ रहा है कि कुछ गुंडे देखने में भयानक आपको ऊंचे पहाड़ों से हजारों फीट गहरी खाई में जान से मारने के लिए घसीटते हुए फेंकने लेकर जा रहे हैं और मुझे कुछ गुंडो ने मजबूती से पकड़ रखा है, मैं रो रो के चिल्ला चिल्ला कर कह रही हूं, मेरे पति आदित्य को कोई तो बचाओ मेरे पति आदित्य को कोई तो बचाओ।" अरुणा बताती है
"आपकी यह बात सुनकर मेरा इरादा और मजबूत हो गया है, क्योंकि मेरे होते हुए कोई भी ऐरा गैरा मेरी पत्नी को छू भी नहीं सकता है और अब फोन काट दो मैं आपकी कोठी पर जा रहा हूं, सीसीटीवी फुटेजका काम तमाम करने।" और आदित्य अरुणा की एक भी बात सुने बिना फोन काट देता है।

आदित्य कॉलेज से सीधा अपनी सुनार की दुकान पर पिता जी के पास जाता है और पिता जी से कहता है "एक बहुत अमीर महिला सोने चांदी के जेवर अपनी बेटी की शादी के लिए खरीदना चाहती है, इसलिए मुझे कुछ सुंदर-सुंदर ज्वेलरी दे दो उन्हें पसंद आ गई तो वह तुरंत खरीद लेंगी।

सोने चांदी के जेवरो कि बात सुनकर छोटी मां बिना कुछ सोचे समझे आदित्य को कोठी के अंदर आने की इजाजत दे देती है।

आदित्य छोटी मां को सोने चांदी की ज्वेलरी में उलझा कर सीसी टीवी का शीशा तोड़ने वाली सीसी टीवी फुटेज काट देता है।

छोटी मां आदित्य से बहुत खुश होती है कि यह मुझे अंग्रेजी भी बोलना सिखाएगा और अपनी ज्वेलरी शॉप से सुंदर-सुंदर जेवर भी लाकर दिया करेगा यह लड़का तो बहुत काम का है, इसलिए दोपहर का खाना खाए बिना आदित्य को अपने घर से नहीं आने देती जैसे ही आदित्य डिनर टेबल पर खाना खाने बैठता है वहां रणविजय आ जाता है और बिना कुछ कहे इशारे से छोटी मां को सीसी टीवी फुटेज दिखाने के लिए कमरे में ले जाता है और जब कमरे में रणविजय और छोटी मां के बीच झगड़ा होने की आवाज़ें आने लगती हैं कि एक हफ्ते की सीसी टीवी फुटेज कैसे गायब हुई है और सीसी टीवी कैमरे कैसे अचानक खराब हो गए तो दोनों का आपस में झगड़ा इतना बढ़ जाता है कि दोनों एक दूसरे के राज खोलने लगते हैं।

जैसे की छोटी मां कहती है "मैं भी पागल हूं, जो आपके प्रेम में दीवानी होकर आपकी रखैल बनाकर खुशी से आपके साथ रह रही हूं।
"तो इसके बदले मैंने तुम्हें दुनिया के सारे ऐशो आराम सुख दिए हैं नहीं तो रेगिस्तान में कहीं भूखी प्यासी भटक रही होती और अभी एक व्यक्ति महंगी ज्वैलरी खरीदने के लिए बाहर बैठा रखा है और मैंम साहब उससे अंग्रेजी भी सीखने की तैयारी कर रही है। रणविजय कहता है
"तो कौन सा एहसान मुझ पर कर दिया मेरी पूरी जवानी लूट ली और अब मेरी भतीजी से शादी करके उसका भी जीवन बर्बाद करने पर तुला हुआ है नीछ।" छोटी मां कहती है
उसी समय रणविजय का कोई जरूरी फोन आ जाता है इसलिए वह झगड़ा बीच में छोड़कर वहां से चला जाता है।

आदित्य को छोटी मां की दुखती रग पर हाथ रखने का मौका मिल जाता है और वह छोटी मां का सच्चा है हितेषी बनाकर छोटी मां से उसके और अरुणा के जीवन के सारे राज उगलवाने लगता है।