नया साल आया खुशियां मनाओ l
आज घर आँगन फूलों से सजाओ ll
नव स्फूर्ति भर दो नव चेतना भरो l
खूबसूरत रंगबिरंगी रंगोली रचाओ ll
नये साल के स्वागत के लिए आओ l
होठों पर हसी मुस्कराहट लगाओ ll
होगीं हर उम्मीद पूरी आशा रहो l
हृदय में हज़ारों अरमान जगाओ ll
आने वाला हर लम्हा सुकून लायेगा l
खुशी और उमंगों के दीप जलाओ ll
१-१-२०२४
खुशी में भी आँखों से बहता पानी है l
जी ले मौज से जिन्दगी दुनिया फानी है ll
हर घड़ी जिन्दगी रूप बदल सामने आती l
जिसे पूछो सब की एक जैसी कहानी है ll
मौसम दोस्ती का भरपूर जायका दे गया l
सुख दुख में हँसाती गाती जिन्दगानी है ll
एसे तो नहीं भेजा है ख़ुदा ने धरती पर तो l
क़ायनात से कुछ कर जाने की ठानी है ll
झूम रहा है उम्मीदों के वातावरण में यहाँ l
रूख हवाओ का देख फिझाएं तूफानी है ll
२-१-२०२४
आज बस्ता हुआ है बहुत नाराज l
कई सालों के बाद खोला है आज ll
मुड़कर कभी नहीं देखा एक बार भी l
आज क्या पड़ गया है काम काज ll
बस्ता-school beg
चिपकी रहती थी हमेंशा साथ मेरे l
कभी मुझ पर हुआ करता था नाज़ ll
कौन कह सकता है याराना था कभी l
अपनी साड़गांठ पर आती हैं लाज ll
अनकही दास्ताँ सुनाने को जी किया l
थक गया तब आया मुझ में साज ll
३-१-२०२४
बात मानो समय बड़ा बलवान है l
मुकम्मल वक्त वक्त का ही मान है ll
खुशियाँ जितनी भी मिले बटोर ले l
वक्त के हाथों में फंसी हुई जान है ll
बिना रुकावट बिना थकान चलती l
समय की रफ़्तार का मीठा गान है ll
ताकत और अपनी अहमियत दिखाने l
वो कभी कभी करवाता रस पान है ll
छोटा बड़ा अमीर गरीब सब को नचाता l
साँसों के जैसी सुरम्य सुरीली तान है ll
४-१-२०२४
लम्बी तन्हाई का मुआवजा लेगे l
तोहफे के बदले में तोहफ़ा देगे ll
वैसे कभी ना भरपाई कर सकोगे l
गिनके हर लम्हें का हिसाब करेगे ll
हृदय में पड़े हुए घाव को भरना है l
तो बहुत सारा प्यार देकर भरेगे ll
आज होशो हवास में एलान करते हैं l
दिलो जान की वसीयत देके मरेंगे ll
प्यार की चिंगारी एसे भड़काएगे कि l
फ़िर कभी भी जुदा होने से डरेगे ll
मुहब्बत की जंजीरों में एसे जकड़ेगे l
मुकम्मल तोबा से पहले तोबा कहेगे ll
५-१-२०२४
आंसूं जो बहते नहीं वो सुनामी लाते हैं l
हाल जो कहते नहीं वो सुनामी लाते हैं ll
यार दोस्तों की महफिल में थोड़ा सा भी l
मजाक सहते नहीं वो सुनामी लाते हैं ll
आँधियों के सामने खुद चलकर जाते l
आप में रहते नहीं वो सुनामी लाते हैं ll
परिस्थिति, वक्त और हालात के साथ l
ख़ुद को ढह्ते नहीं वो सुनामी लाते हैं ll
हर बार हर लम्हा बेचैन ओ ख्यालों में l
जो सुकून पहते नहीं वो सुनामी लाते हैं ll
६-१-२०२४
तन्हाई में तन्हाई के साथ तन्हा जीता हूँ l
तन्हाई में तन्हाई के साथ तन्हा सोता हूँ ll
महफिल में पीने के बाद बहक ना जाऊँ तो l
तन्हाई में तन्हाई के साथ तन्हा पीता हूँ ll
तन्हाई के साथ तन्हा रहने की आदत नहीं l
तन्हाई में तन्हाई के साथ तन्हा बीता हूँ ll
दर्दे तन्हाई का कायनात में एक ही इलाज l
तन्हाई में तन्हाई के साथ तन्हा सीता हूँ ll
तन्हाई में एक बार तन्हा हो पढ़ कभी कि l
तन्हाई में तन्हाई के साथ तन्हा गीता हूँ ll
७-१-२०२४
फिझाओ में कोहरे की चादर छाई हुई है l
धरती पर बादलों की चादर बिछाई हुई है ll
ठंडे देशों से होकर दूर से संग हवाओ के l
साथ अपने शीत लहरों को लाई हुई है ll
खेत खलियान में ओस की बूंदे चमकती l
कई दिनों के बाद सख्त ठंड पाई हुई है ll
थरथराती कांपती मधुर आवाज में तान l
पँखीओने मंद मंद मुस्कराके गाई हुई है ll
धवल सा घेरा मध मास के सुहानी सहर में l
सफेद मलाई सी मलमली जाल भाई हुई है ll
प्यार से धरा को आलिंगन में लेने के लिए l
लगता है सूरज ने लालिमा को खाई हुईं हैं ll
८-१-२०२४
आँखें चार हुईं दिल की बीमारी लग गई l
ख्वाबों में उम्मीदे ओ ख्वाइशे जग गई ll
सखी बड़े चाव से ख़ुद को सजाया था l
आज मुलाकात के अरमान को ठग गई ll
एक नज़र जीभर के देखने की ख्वाहिश में l
हुश्न की गली में पाँव की चप्पल रग गई ll
दो पल के मिलन की तलप और जुनून ने l
बेताब धड़कने साथ साजन के भग गई ll
दर-ब-दर भटकते रहे मुहब्बत को पाने l
बेलगाम आरज़ू ए निगाहों की खग गई ll
९-१-२०२४
शराब पुरानी नशेदार लुफ्त देती है l
ज्यादा पीने के बाद ठोकरें सहेती है ll
नशा कुछ एसा सिर चढ नचाने लगा l
भीतर की बात सरे आम कहेती है ll
शराब पीना बड़ा महगा पड़ जाता है वो l
तन मन ओ बुद्धि को हर कर रहती है ll
पागलपन की हद तक पीना मना है कि l
फ़िर नस नस में साथ लहू के बहेती है ll
तब्दीली की गुंजाईश भी रखनी चाहिये l
आदत बन जाने पर नशे को पहेती है ll
१०-१-२०२४
इश्क़ के बाज़ार में अश्क मिलते हैं l
दिल के बगिया में कांटे खिलते हैं ll
जलवे दिखाता है बेवफा हर लम्हा l
मुहब्बत करने वाले पागल दिखते हैं ll
लाइलाज दर्द से वास्ता जो पड़ा तो l
शराब से टूटे जिगर को सिलते है ll
बेइंतिहा और बेपन्हा प्यार को पाने l
पर्दा नशी नये करतव सिखते हैं ll
मन की शांति को बनाये रखने के लिए l
अश्कों की बारिश से दर्द मिटते है ll
११-१-२०२४
देख लीला कुदरत की क्या तारीफ़ करूँ?
खूबसूरती उसकी दिलों दिमाग में भरूँ ll
बहती नदियाँ, उफनता समंदर सभी का l
रूप अनोखा देखकर ख्वाबों में सरूँ ll
प्राकृति की सुंदरता ने मन मोह लिया l
रंग बिरंगी फूलों की चादर पर मरूँ ll
संग हरियाली के खेतों में लहराऊ ओ l
बसंत के स्वागत को हर्षो उमंग से खरूँ ll
बादलों के पीछे से इन्द्रधनुष है चमकता l
संग मछली के सप्तरंगी सरोवर को तरूँ ll
१२-१-२०२४
मौसम का इशारा है साथ बैठकर गुफ़्तगू करे l
मुकम्मल सुहानी प्यारी यादों को दिल में भरे ll
आख़िर कर दी है खुलकर बग़ावत धड़कनों ने l
आजतक बड़े से बड़े सुनामी से नहीं है डरे ll
लौट गया वापस हकीक़त से वाबस्ता होकर l
अब सफ़ीना ख्वाबों का साथ समय के सरे ll
सचमुच वक़्त नही मिला मुलाकात के लिए l
इतने भी नादां नहीं है कि सुकून को हरे ll
ये दिल कितने ही इन्तहानौ से गुज़रा हुआ है l
हम वो नहीं जो कभी अपनी जुबान से फरे ll
१३-१-२०२४
ज़िंन्दगी में ख्वाईशो का कारवाँ चलता रहता है l
जो मिला है साथ उसके खुश रहने को कहता है ll
पाने की धुनेंमें उम्रभर यहां वहां दौड़ता रहता है l
अरमानो के भंवर में फंसकर ही बहुत सहता है ll
ना जाने कौन सा बड़ा बोझ सीने से लगा रखा है?
नासमझ नादाँ छोटी छोटी भावनाओमें बहता है ll
उत्साह का धागा और प्यार की पतंग है l
छोटे बड़े सब को उत्तरायण पसंद है ll
जुनून में आकर छोड़ दिया हवा के साथ l
उत्साही पतंगों का सितारा आज बुलंद है ll
फिजाओं में रंगबिरंगी रंगत देखकर सखी l
छत पर सभी के दिलों में हर्षो उमंग है ll
नूर किलकारी करते बच्चों के चहरे पर है l
क़ायनात में चारो ओर खिली बसंत है ll
बादलो से मुलाकात करने उड़ी है पतंग l
जैसे आसमान से सालों पुराना सबंध है ll
१४-१-२०२४
चाह की तलाश में हस्ती बदलता रहता है l
एक नज़र दीदार के लिए तड़पता रहता है ll
१५-१-२०२४