Prem Vivah - 2 in Hindi Love Stories by Rajesh Rajesh books and stories PDF | प्रेम विवाह - भाग 2

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प्रेम विवाह - भाग 2

जैसे ही मधु की मूर्ति दोनों से बात करने लगती है, तो शिवम घबराकर आदित्य के कमरे से निकलकर बाहर भागने लगता है इंदु मधु की मूर्ति के अंदर प्रवेश करके मूर्ति के चेहरे के होंठ हिलाकर कहती है कि "मुझसे बिल्कुल भी मत डरो मैं तुम्हारी बचपन की दोस्त इंदु हूं, मैं मरने के बाद भी तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगी।" मधु की मूर्ति के द्वारा आदित्य और शिवम से इंदु की आत्म बात करके उनके दिल से अपनी आत्मा का खौफ निकाल देती है, इसके बाद दोनों दोस्त शिवम और आदित्य अपनी बचपन की दोस्त इंदु से उसकी पति के साथ मौत कैसे हुई यह पूछने के बाद अपने बचपन से लेकर अब तक की सारी यादें ताजा करते हैं और बातों बातों में ही आदित्य मधु और अपनी प्रेम की कहानी इंदु कि आत्मा को सुना देता है।

आदित्य की प्रेम कहानी सुनाने के बाद इंदु आदित्य से कहती है कि "मैं जब तक इस मूर्ति के अंदर रहूंगी जब तक तुम्हारी शादी मधु से नहीं हो जाती है और इंदु कि यह बात सुनने की बात अचानक आदित्य और शिवम को महसूस होता है जैसे कि इंदु की आत्मा उनसे बात करते करते गायब हो गई है और इस वजह से आदित्य और शिवम दुखी होकर बार-बार मधु की मूर्ति के सामने खड़े होकर इंदु को वापस बुलाते हैं, लेकिन इंदु की आत्मा गायब होने बाद वापस नहीं आती है।

बचपन की एक दोस्त से जुदाई के बाद शिवम नहीं चाहता था कि उसका दुसरा बचपन का दोस्त आदित्य मधु नाम की लड़की के प्रेम में दीवाना होकर कहीं अपनी जान ना दे दे, इसलिए शिवम आदित्य के साथ मोटरसाइकिल पर जगह-जगह मधु को ढूंढने जाता है।

शिवम और आदित्य रोज मधु को ढूंढने गांव गांव कस्बों में जाते थे, लेकिन मधु के ना मिलने के बाद निराश होकर अपने गांव वापस लौट आते थे।

उन्हीं दिनों शिवम की शादी का रिश्ता एक सुंदर सुशील घरेलू आशा नाम की लड़की के साथ तय हो जाता है, शिवम की शादी में आदित्य बहुत खुशी से शामिल होता शिवम कि शादी के बाद आदित्य के दोनों भाई भाभियां आदित्य पर शादी करने का दबाव डालने लगते हैं, परन्तु आदित्य वही बात दोबारा अपने भाई भाभियों से दोहराता है कि अगर मुझे मधु ढूंढने से नहीं मिली तो मैं मधु की मूर्ति के साथ अपना पूरा जीवन जी लूंगा।

इधर जो हाल मधु कि जुदाई में आदित्य का था, वही हाल मधु का आदित्य का प्यार पाने के लिए था। मधु को अपने सच्चे प्रेम पर यकीन था कि एक दिन मुझे ढूंढते ढूंढते आदित्य मेरे पास जरूर आएगा, परंतु मधु की मां को मधु के इस विश्वास पर बिल्कुल भी यकीन नहीं था, वह आदित्य को बहुत पसंद तो करती थी, लेकिन मधु की मां को अब ऐसा लगने लगा था कि अब आदित्य का मिलना असंभव है, इसलिए वह नए-नए तरीकों से मधु पर शादी करने का दबाव डालने लगती है, लेकिन जैसे उधर आदित्य मधु के प्रेम में दीवाना हो गया था, वैसे ही इधर मधु आदित्य के प्रेम में दीवानी हो गई थी। मधु भी दिन रात आदित्य के ख्यालों में खोई रहती थी और उसने अपने मन से आदित्य को अपना जीवन साथी मान लिया था, मधु ने दिल ही दिल में यह फैसला ले लिया था कि अगर मुझे किसी भी कारण से आदित्य नहीं मिला तो मैं संसार को त्याग कर सन्यासन बन जाऊंगी और अपना बाकी का जीवन वृंदावन मथुरा या ऋषिकेश में बिताऊंगी बांके बिहारी की शरण में।

एक दिन मधु का मन बहलाने के लिए मधु की मां मधु को किसी करीबी रिश्तेदार की बेटी की शादी में अपने साथ जबरदस्ती लेकर जाती है।

मधु मधु की मां मधु का छोटा भाई जिस बस के अंदर बैठते हैं, उस बस में ड्राइवर और एक अपराधी किस्म के युवक के अलावा एक भी यात्री नहीं था, वह युवक बस ड्राईवर के पास खड़ा होकर ड्राईवर से बातें करते हुए बस ड्राईवर के साथ शराब पी रहा था रहा था। मौसम खराब होने की वजह से मधु जल्दी से अपनी मां और भाई के साथ खाली बस देखकर उस बस में चढ़ गई थी, बस में चढ़ने के बाद वह अपनी मां छोटे भाई के साथ सबसे पीछे की खाली सीट पर जाकर बैठ जाती है मधु और उसकी मां ने कान गले हाथों में सोने के बूंदे चैन कड़े पहन रखे थे, वह अपराधी किस्म का हष्ट पुष्ट युवक बस ड्राईवर के साथ शराब पीते पीते मधु की तरफ बार-बार घूर-घूर कर देख रहा था, मधु उसकी मां को साफ समझ आ रहा था कि यह युवक यात्रियों से लुटपाट करने वाला कोई लुटेरा है बस ड्राइवर और उस लुटेरे के हाव-भाव से मधु को एहसास हो गया था कि यह बस ड्राईवर भी इस लुटेरे के साथ मिला हुआ है, लेकिन इस संकट में मधु समझ नहीं पा रही थी कि मैं अपने परिवार के साथ इस संकट से कैसे बाहर निकलूं क्योंकि अगर बस से नीचे उतरती हूं, तो बाहर मौसम खराब है बहुत तेज आंधी तूफान है और तेज़ बारिश हो रही है और अगर बस से नहीं उतरते तो यह दोनों अपराधी हमारे साथ कुछ भी कर सकते हैं, अब इस संकट की घड़ी में हमें यहां कौन बचाने आएगा, इसलिए इस उलझन में मधु मदद के लिए बस कि खिड़की से झांक कर बाहर इधर-उधर देखने लगती है, तो उसे दिखाई देता है कि एक पुलिस इंस्पेक्टर अपनी बुलेट बाइक पर पुलिस की वर्दी और बरसात से बचने के लिए काले रंग का ओवरकोट पहने बस का अपनी बुलेट मोटरसाइकिल से पीछा कर रहा है, जिस बस में मधु और उसकी मां छोटा भाई बैठे हुए हैं, लेकिन यह मधु की गलतफहमी थी कि वह मोटरसाइकिल वाला शम्मी नाम का पुलिस इंस्पेक्टर हमारी बस का पीछा कर रहा है, क्योंकि वह पुलिस इंस्पेक्टर कुछ ही देर में बस को ओवरटेक करके तेजी से बस से आगे निकल जाता है।
ऊपर से तूफानी बारिश कम या बंद होने का नाम ही नहीं ले रही थी, शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर के अपनी बस से आगे निकलने के बाद बस ड्राईवर और वह अपराधी जैसा दिखने वाला युवक आपस में खूब हंस-हंसकर कुछ बातें करते हैं और वह लुटेरा नशे की हालत में लड़खड़ाता हुआ मधु उसकी मां के पास उनसे लूटपाट करने उनके पास आने लगता है।

उसी समय मधु को बस के सामने वाले बड़े शीशे से दिखाई देता है कि शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर पुलिस जीप के साथ खड़ा होकर शायद इसी बस का आने का इंतजार कर रहा है और जैसे ही बस पुलिस इंस्पेक्टर शम्मी के करीब पहुंचती है तो वह बस को हाथ दिखाकर रुकने का इशारा देता है, लेकिन बस ड्राईवर बस रोकने की जगह बस को वहां से लेकर भागने लगता है बस के वहां से निकलने के तुरंत बाद शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर और जीप में बैठे पुलिस वाले बस का पीछा करना शुरू कर देते हैं और जब बस उनकी पहोच से दूर जाने लगती है तो शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर अपनी रिवॉल्वर से गोली चला कर बस के दो टायरों को पंचर कर देता है, बस के रुकते ही शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर बाकी पुलिस वाले दोनों अपराधियों को धरदबोचते हैं, उन दोनों अपराधियों को शम्मी पुलिस जीप में बिठा कर पुलिस वालों के साथ थाने भेज देता है।

फिर मधु से कुछ पल बात करने के बाद शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर मधु को अपना दिल दे बैठता है, और मधु कि मां को भी शम्मी मधु के साथ विवाह करने के लिए इतना अधिक प्रसंद आता है कि मधु कि मां शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर को अपने गांव का पता दे देती है और जब भी शम्मी को मौका मिलता था, वह मधु की मां के हाल-चाल पूछने के बहाने मधु से मिलने उनके गांव पहुंच जाता था और जब भी शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर मधु के घर मधु से मिलने आता था, तो मधु के पड़ोस की मधु की सबसे अच्छी सहेली खुशबू शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर से मिलने जरूर मधु के घर आती थी और कुछ ही दिनों कि मुलाकात में मधु की सहेली खुशबू को शम्मी से प्रेम हो जाता है।

और एक दिन मौका देखकर शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर मधु के सामने अपनी शादी का प्रस्ताव रखता है, शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर जिम्मेदार और ईमानदार अच्छे खानदान का युवक था, इसलिए मधु इस तरीके से शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर को अपने दिल का हाल सुनाती है, जिससे कि शम्मी का अपमान ना हो और अपने प्रेम के प्रस्ताव को ठुकराने की बात को भी वह समझ जाए कि वह आदित्य नाम के लड़के से बहुत प्रेम करती है और उसी से शादी करेगी अगर आदित्य से उसकी शादी नहीं हुई तो वह जीवन भर कुंवारी ही सन्यासन बनकर उसकी यादों के सहारे अपना पूरा जीवन काट लेगी।

मधु आदित्य नाम के अजनबी युवक से सच्चा प्रेम करती है, यह बात सुनकर शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर के दिल को बहुत ठेस पहुंचती है और उसे पहले से ज्यादा अकेलापन महसूस होने लगता है, क्योंकि मां-बाप के निधन के बाद शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर इस दुनिया में बिल्कुल अकेला रह गया था, लेकिन मधु से मिलने के बाद उसका अकेलापन बहुत हद तक खत्म हो गया था।

मधु की यह दिल दुखाने वाली बात सुनकर शम्मी तुरंत मधु के घर से अपनी बुलेट मोटरसाइकिल स्टार्ट करके मधु के गांव की नदी के किनारे जा कर रूक जाता है और नदी के किनारे पर अपनी बुलेट मोटरसाइकिल खड़ी करके उस पर बैठ जाता है, बुलेट मोटरसाइकिल पर बैठने के बाद शम्मी अपनी लेदर कि जैकेट से सिगरेट की डिब्बी निकाल कर उसमें से एक सिगरेट अपने लेटर से जलाकर पीने लगता है और सिगरेट पीते पीते मधु के ख्यालों में वह खो जाता है।

उस समय शम्मी मधु को खोने के बाद बहुत अकेलापन महसूस कर रहा था, उसी समय मधु की सहेली खुशबू शम्मी के सामने आकर खड़ी हो जाती है और शम्मी को पहली बार मधु की सहेली खुशबू की आंखों में अपने लिए बे इंतेहा मोहब्बत नजर आती है, खुशबू और मधु दोनों बचपन कि सहेलियां थी, इसलिए कहीं-कहीं स्वभाव और चाल ढाल से दोनों एक जैसी लगती थी तो इसलिए शम्मी को उस समय ऐसा एहसास होता है कि अगर मधु नहीं मधु जैसी लड़की खुशबू मेरे जीवन में आ जाए तब भी मुझे दुनिया कि सारी खुशियां मिल जाएंगी, इसीलिए शम्मी उसी वक्त खुशबू के सामने अपने साथ शादी करने का प्रस्ताव रख देता है।

खुशबू तो पहले ही मन ही मन में शम्मी से प्रेम करने लगी थी, शम्मी के मुंह से शादी का प्रस्ताव सुनकर खुशबू थोड़ा सा शरमा कर खुशी से हां कह देती है।

खुशबू के परिवार वाले बहुत धूमधाम से शम्मी के साथ खुशबू कि शादी करवा देते हैं।

और जब शादी के कुछ दिनों के बाद शम्मी खुशबू को उसके मायके घूमने लाता है तो खुशबू के परिवार वालों से मिलने के बाद शम्मी अपनी पत्नी खुशबू के साथ मधु और उसकी मां से मिलने उनके घर आता है, किंतु उस समय मधु का घर पर नहीं थी। खुशबू मधु की मां के हाल-चाल पूछने के बाद मधु कि मां से पूछती है? "अब मधु का शादी का क्या इरादा है।"
"मधु पहले जैसी थी आज भी वैसे ही आज भी रात दिन आदित्य के ख्यालों में खोई रहती है, इस वजह से हमेशा उसके चेहरे पर दुख निराश झलकती साफ दिखाई देती है।" मधु की मां बताती है

कुछ देर बाद मधु अपने छोटे भाई को विद्यालय से लेकर अपने घर आ जाती है, खुशबू शम्मी को अपने घर देखकर मधु बहुत खुश हो जाती है और खुश होकर अपनी सहेली खुशबू को अपने गले से लगा लेती है और जल्दी से रसोई घर में जाकर सबके लिए चाय पकाती है और जब सब साथ बैठकर चाय पीते हैं तो शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर मधु से कहता है कि "अगर आप आदित्य के बारे में उसके रंग रूप चाल ढाल के बारे में मुझे ठीक से जानकारी दे दो तो मैं किसी भी हालत में आदित्य को ढूंढ कर आपके सामने लाकर खड़ा कर दूंगा।" शम्मी कि इस बात से आदित्य से मिलने की मधु की उम्मीद जाग जाती है और वह खुशबू शम्मी के साथ एक शांत जगह बैठकर आदित्य की छोटी से छोटी बात स्वभाव कि पूरी जानकारी शम्मी को दे देती है।

मधु से आदित्य की पूरी जानकारी लेने के बाद शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर रेलवे स्टेशन बस अड्डे होटल मार्केट आदि स्थानों पर आदित्य को खोजना शुरू कर देता है और एक दिन आदित्य को ढूंढते ढूंढते आदित्य जैसे रंग रूप वाला युवक शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर को मिलता है, लेकिन वह युवक आदित्य नहीं एक बहुत बड़ा अपराधी था और वह शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर से कहता है कि "कल इसी समय मेरा ड्राईवर मेरी गाड़ी लेकर आएगा आप मधु को मेरी गाड़ी में बिठा कर मेरे घर भेज देना।" शम्मी को वह युवक चाल ढाल स्वभाव कहीं से भी पसंद नहीं आता है, लेकिन वह मधु के दुख के आगे मजबूर था, इसलिए वह सोचता है कि एक बार मधु को इस युवक से मिलवा ही देता हूं क्योंकि मधु के इस युवक से मिलने के बाद मेरे मन की भी यह शंका दूर हो जाएगी कि यह आदित्य है या कोई और।

शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर मधु को सब कुछ बताने से पहले अपनी पत्नी खुशबू को बताता है कि "मुझे आज आदित्य जैसा युवक मिला है, लेकिन मुझे शक है कि वह मधु का आदित्य है या नहीं है, क्योंकि वह मुझे हर तरफ से एक अपराधी जैसा लग रहा था।" शम्मी की पूरी बात सुनने के बाद खुशबू शम्मी से कहती है कि "मैं कल किसी भी हालत में मधु को उस युवक के ड्राईवर के साथ अकेले नहीं जाने दूंगी, मैं खुद मधु के साथ उस आदित्य जैसे दिखने वाले युवक से मिलने जाऊंगी उस युवक कि असलियत का पता लगाने के लिए।"

शम्मी खुशबू को मधु के साथ भेजने के लिए तैयार हो जाता है और दूसरे दिन शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर मधु और खुशबू को लेकर उस जगह खड़ा हो जाता है, जहां उस युवक का ड्राईवर मधु को लेने पहुंचने वाला था। ड्राईवर मधु और खुशबू को अपनी गाड़ी में बिठाकर आदित्य जैसे दिखने वाले युवक के पास ले जाने लगता है, तो शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर अपनी बुलेट मोटरसाइकिल उस गाड़ी के पीछे लगा देता है।

जब ड्राईवर गाड़ी को शहर से जंगल की तरफ मोड़ देता है तो शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर समझ जाता है कि यह आदित्य हो या कोई और लेकिन जो भी है यह कोई अपराधी है, इसलिए शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर पुलिस कंट्रोल रूम में फोन करके सूचित कर देता है और कुछ किलोमीटर गाड़ी चलने के बाद ड्राईवर जंगल में बंद पड़े एक सुनसान गोदाम के आगे गाड़ी रोक देता है अपनी गाड़ी को पहचान कर गोदाम के अंदर से तीन चार अपराधी जैसे दिखने वाले युवक बाहर आते हैं और उनके साथ आदित्य जैसा दिखने वाला वही युवक भी आता है और मौका देखकर उन अपराधियों पर शम्मी पुलिस इंस्पेक्टर अपने पुलिस बल के साथ हमला बोला देता है और कुछ ही मिनटों में सारे अपराधियों को गिरफ्तार कर लेता है और आदित्य कि कद काटी वाले युवक को हिरासत में लेकर मधु से पूछता है? "क्या यह तुम्हारा आदित्य है।" मधु अपनी आंखों से आंसू पोंछ कर कहती है "नहीं आदित्य कभी भी ऐसा नहीं हो सकता है, यह मेरा आदित्य नहीं है।"
मधु को दुखी देखकर शम्मी और खुशबू मधु का हौसला बढ़ाते हुए कहते हैं कि "आज नहीं तो एक दिन तुम्हारा आदित्य तुम्हें जरूर मिलेगा।"

मधु को उसके घर छोड़ने के बाद शम्मी अपनी पत्नी खुशबू के साथ अपने घर चला आता है।

उधर आदित्य को पूरे दिन मधु से मिलने की इतनी बेताबी रही थी की रात को उसे नींद भी ठीक से नहीं आती है और वह रात को मधु के ख्यालों में खो जाता है, आदित्य सोचता है कि उस दिन जब में रेलवे जंक्शन पर मधु की मां भाई के लिए चाय पकौड़े और चाय की दुकान के दुकानदार से पुराने टूटे-फूटे सिल्वर के बर्तन में कोयले सुखी लड़कियों की आग लेकर आया था तो कड़ाके की ठंड में मधु मधु की मां छोटा भाई और मैं जब सबके साथ गरमा गरम चाय के साथ पकोड़े खा रहा था और हम सब आपस में इधर-उधर की बातें कर रहे थे तो उस समय मधु बार-बार प्यार भरी नजरों से मुझे देख रही थी, मधु की मां भी कितनी अच्छी है मां शब्द आने के बाद जैसी मां की हम कल्पना करते हैं बिल्कुल वैसी ही मधु की मां मधु का छोटा भाई देखने में भोला वाला लगता है, लेकिन वह है बहुत शरारती है उस समय जब वह सबसे कह रहा था कि जल्दी सुनसान रेलवे जंक्शन से चलो मुझे भूत के यहां आने का डर लग रहा है, रात को भूत यहां जरूर आता होगा उसकी यह बात सुनकर हम सब हंस कर लोटपोट हो रहे थे और मधु जब मेरी तरफ देखकर हंस रही थी तो उसके मोतियों जैसे सफेद दांत गुलाब की पंखुड़ियां जैसे होंठ मुस्कुराहट ऐसी जैसे चंपा चमेली के पेड़ से फूल खुद झाड़कर जमीन पर गिर रहे हो हो अदभुत सुंदरी है मधु।

मधु की मां ने मुझसे कहा था कि तुम्हारे आने के बाद इस सुनसान रेलवे जंक्शन पर हमें बहुत हिम्मत मिली है, मधु ने भी अपनी मां की इस बात का मुस्कुरा कर समर्थन किया था, लेकिन सच मधु का छोटा भाई देखने में तो बहुत भोला भाला दिखता है परंतु है बहुत शरारती है मधु और अपनी मां के कहने के बावजूद उसने मुझे बाय नहीं किया था, मधु के छोटे भाई के विषय में सोचते सोचते आदित्य के दिमाग में मधु को ढूंढने का एक नया तरीका आता है।