The Author DINESH KUMAR KEER Follow Current Read हवा और सूरज By DINESH KUMAR KEER Hindi Comedy stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books સુધા મૂર્તિ (મનની વાત) માંથી ભારતભરની બધી જ ભાષાઓમાં સંસ્કૃતના એક બહુ જ वाज्यनु लाषांतर थ... નિતુ - પ્રકરણ 63 નિતુ : ૬૩ (આડંબર)નિતુની નજર સામે વિદ્યાની અશ્રુ ભરેલી આંખો... જીવન પ્રેરક વાતો - ભાગ 09 - 10 શિક્ષકનું મહત્ત્વ: ભારતીય સંસ્કૃતિમાં શિક્ષકની ભૂમિકા - 09 ... પ્રેમ થાય કે કરાય? ભાગ - 35 મમ્મી -પપ્પાસુરત :"આ કેવિન છે ને અમદાવાદ જઈને બદલાઈ ગયો હોય... ભાગવત રહસ્ય - 146 ભાગવત રહસ્ય-૧૪૬ અજામિલ નામનો એક બ્રાહ્મણ કાન્યકુબ્જ દેશમાં... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share हवा और सूरज (2) 1.3k 3.8k 1 1. कर्म बड़ा या भाग्यएक बार देवर्षि नारदजी वैकुंठधाम गए, वहां उन्होंने भगवान विष्णु का नमन किया । नारद ने श्रीहरि से कहा, 'प्रभु! पृथ्वी पर अब आपका प्रभाव कम हो रहा है। धर्म पर चलने वालों को कोई अच्छा फल नहीं मिल रहा। जो पाप कर रहे हैं, उनका भला हो रहा है ।' तब श्रीहरि ने कहा, 'ऐसा नहीं है देवर्षि, जो भी हो रहा है, सब नियति के जरिए हो रहा है।' नारद बोले, मैं तो देखकर आ रहा हूं, पापियों को अच्छा फल मिल रहा है और भला करने वाले, धर्म के रास्ते पर चलने वाले लोगों को बुरा फल मिल रहा है । भगवान ने कहा, कोई ऐसी घटना बताओ । नारद ने कहा, अभी मैं एक जंगल से आ रहा हूं, वहां एक गाय दलदल में फंसी हुई थी। कोई उसे बचाने वाला नहीं था। तभी एक चोर उधर से गुजरा, गाय को फंसा हुआ देखकर भी नहीं रुका, वह उस पर पैर रखकर दलदल लांघकर निकल गया। आगे जाकर चोर को सोने की मोहरों से भरी एक थैली मिली। थोड़ी देर बाद वहां से एक वृद्ध साधु गुजरा। उसने उस गाय को बचाने की पूरी कोशिश की। पूरे शरीर का जोर लगाकर उस गाय को बचा लिया लेकिन मैंने देखा कि गाय को दलदल से निकालने के बाद वह साधु आगे गया तो एक गड्ढे में गिर गया । प्रभु! बताइए यह कौन सा न्याय है? नारदजी की बात सुन लेने के बाद प्रभु बोले, 'यह सही ही हुआ। जो चोर गाय पर पैर रखकर भाग गया था, उसकी किस्मत में तो एक खजाना था लेकिन उसके इस पाप के कारण उसे केवल कुछ मोहरें ही मिलीं । ' वहीं, उस साधु को गड्ढे में इसलिए गिरना पड़ा क्योंकि उसके भाग्य में मृत्यु लिखी थी लेकिन गाय को बचाने के कारण उसके पुण्य बढ़ गए और उसकी मृत्यु एक छोटी सी चोट में बदल गई। इंसान के कर्म से उसका भाग्य तय होता है। सीख - इंसान को कर्म करते रहना चाहिए, क्योंकि कर्म से भाग्य बदला जा सकता है। 2. हवा और सूरजएक बार हवा और सूरज में बहस छिड़ी। हवा ने कहा "मैं तुमसे अधिक बलवान हूं।" सूरज ने कहा "नहीं, मैं तुमसे अधिक बलवान हूं।" उसी समय वहाँ से एक आदमी जा रहा था, उसने एक शॉल लपेटी हुई थी। हवा ने उस आदमी की ओर देखकर कहा कि जो भी आदमी के शरीर के ऊपर से शॉल को अलग कर देगा, वही अधिक बलवान होगा।सूरज ने हवा की बात मान ली। हवा ने पहले पहल की। हवा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी शॉल को चीरने में किन्तु हवा तेज चलने के कारण उस आदमी ने और जोर से शॉल को पकड़ लिया। हवा कुछ न कर पाई। अब सूरज की बारी आई। सूरज मुस्कुराते हुए गर्म होने लगा। आदमी ने भी मुस्कुराते हुए सूरज की गर्मी को महसूस किया और जल्द ही शॉल को अपने से थोड़ा अलग कर दिया। अब सूरज ने और मुस्कुराते हुए अपने गर्मी तेज की, गर्मी तेज होने के कारण आदमी को अब शॉल की जरूरत नहीं थी उसने मुस्कुराते हुए अपनी शॉल को जमीन पर फेंक दिया। इस प्रकार सूरज को अधिक बलवान घोषित किया गया।- Download Our App