Sathiya - 35 in Hindi Fiction Stories by डॉ. शैलजा श्रीवास्तव books and stories PDF | साथिया - 35

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साथिया - 35




कॉलेज खत्म करके और भगवान के दर्शन करके सांझ अपने हॉस्पिटल पहुंच गई।

उसकी इवनिंग शिफ्ट में ड्यूटी थी। उसने अपने कॉस्ट्यूम चेंज किया और नर्स की ड्रेस पहनकर अपने मरीजों की सेवा में लग गई।
वैसे भी वैसे भी दूसरों की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म और सबसे बड़ा कर्म होता है और सांझ का दिल तो वैसे भी बहुत कोमल था। उसे पेशेंट की देखभाल करने में बहुत ही सुकून मिलता था। धर्म का तो पता नहीं पर उसने नर्सिंग को अपना कर्म क्षेत्र इसीलिए चुना था ताकि वह लोगों की सेवा कर सके।

हालांकि उसके चाचा जी की ऐसी कोई मंशा नहीं थी क्योंकि उनको यह लगता था कि नर्स की जॉब करना ठीक बात नहीं है पर सांझ का मन था और इसलिए नेहा ने भी उसका साथ दिया और उन्हें मना लिया। सांझ भी डॉक्टर बनना चाहती थी पर उसे एमबीबीएस की तैयारी कराने के लिए ना ही वो लोग पैसा खर्च करने को तैयार थे और ना ही उनका मन था। वह नहीं चाहते थे कि सांझ नेहा की बराबरी करें। तो इसलिए कंप्रोमाइज करके उन्होंने उसको नर्सिंग में एडमिशन दिला दिया था।

सांझ के लिए यह कोई कंप्रोमाइज नहीं था बल्कि उसके लिए यह खुशी थी क्योंकि उसे वाकई में दूसरों का सेवा करने में सुकून मिलता था फिर वो डॉक्टर बनकर करे या नर्स बनकर।


सांझ की ड्यूटी खत्म होने में अभी सिर्फ एक घंटा ही बकाया था कि तभी प्यून उसके पास आया।

"सिस्टर सांझ आपसे मिलने कोई आए हैं।" प्योन ने कहा।

"कौन आया है मुझसे मिलने के लिए? " सांझ ने कहा।


"वह तो मैं नहीं जानता पर आपको उन्होंने बाहर बुलाया है..!!आप एक काम कीजिए बैक डोर से चले जाइए क्योंकि फ्रंट में अभी डॉक्टर्स की विजिट चल रही है।" प्योन बोला।

"ठीक है जो कोई भी है उनको बोल दो कि वो इंतजार कर ले..! मै एक घंटे बाद चली जाऊंगी। वैसे भी मेरी ड्यूटी होने ही वाली है खत्म।" सांझ ने कहा।

"पर उन्होंने डायरेक्टर सर से परमिशन ले ली है आपको अपने साथ ले जाने के लिए। इसलिए अब आप ड्यूटी की फिक्र मत कीजिए आप चलिए।" प्यून ने कहा तो सांझ को बड़ा ही आश्चर्य हुआ कि ऐसा कौन है जो उसे मिलने आया है और उसने डायरेक्टर से उसे जल्दी ले जाने की परमिशन भी ले ली।

" कही चाचा जी तो नहीं आए? कोई प्रॉब्लम तो नहीं हो गई है घर में? भगवान सब सही रखना। " सांझ न मन ही मन सोचा और फिर ड्रेस चेंज करके अपना नॉर्मल सलवार सूट पहना और पीछे के दरवाजे की तरफ चल दी। जोकि बाहर पार्किंग में खुलता था और जिस से पीछे कॉरिडोर। फ्रंट में सभी ओपीडी थी और स्पेशल वॉर्ड्स जहां पर इस समय डॉक्टर की आवाजाही चल रही थी इसलिए सांझ को भी पीछे से जाना ही बेहतर लगा।



सांझ अभी कॉरीडोर में पहुंची ही थी कि उसकी नजर कॉरीडोर के दोनों तरफ खड़ी कई सारी नर्सों पर गई जो कि अपने हाथों में गुलाब के फूल लिए हुई थी।

सांझ को उन्हें देखकर बड़ा ही अजीब लगा।

सांझ जैसे ही आगे बढ़ी सभी सिस्टर्स ने गुलाब के फूल सांझ को देने शुरू कर दिए।

"हैप्पी बर्थडे सांझ मैडम ...!! हैप्पी बर्थडे सांझ मैडम ..!!" सब बोलते जा रहे थे और सांझ को गुलाब देते जा रहे थे।

सांझ की आंखों में खुशी की चमक थी और उसका चेहरा एकदम से खिल गया था, पर उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि इन सब लोगों को उसका बर्थडे कैसे पता चला? उसने अब तक अपना बर्थडे शालू को ही बताया था बाकी और किसी को नहीं...!! और किसी को उससे कोई मतलब भी नहीं था।


"हैप्पी बर्थडे सांझ। " तभी आगे की तरफ खड़ी दूसरी सिस्टर्स ने भी कहा और फिर एक-एक करके वो लोग चली गई।

तभी सांझ की नजर वही कॉरीडोर में जमीन पर रेड रोज की पेटल्स से बने इस खूबसूरत से हार्ट शेप पर गई और सांझ की नजर वहां पर ठहर गई। पर उसे समझ नहीं आया यह सब किसने किया है? वह हिम्मत करके थोड़ा और आगे बढ़ी की तभी उसे अक्षत दिखाई दिया और सांझ का दिल एक अलग लय मे धड़क उठा।

अक्षत हैंडसम और गुड लुकिंग तो था ही। आज उसने ब्लू कलर का बिजनेस सूट पहना हुआ था तो वह और भी ज्यादा अट्रैक्टिव लग रहा था।।


सांझ ने आंखें बड़ी करके अक्षत को देखा और अगले ही पल अक्षत उसके सामने आ खड़ा हुआ।

सांझ को समझ में नहीं आया कि यह सब क्या हो रहा है? तभी अक्षत ने अपना घुटना मोड़ा और जमीन पर एक घुटने के बल बैठ गया और अपनी पॉकेट से डायमंड रिंग निकाल सांझ के आगे कर दी।


सांझ के लिए यह एक सपने जैसा ही था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है ? और साथ ही साथ उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि यह सब उसके साथ हो रहा है? उसने जिंदगी में कभी कल्पना भी नहीं की थी कि उसके बर्थडे को कोई इतना खास बनाएगा। आज तक नेहा के अलावा किसी ने उसे विश नहीं किया था ।

जब से वह दिल्ली आई थी तब से शालू उसे रेगुलर विश करने लगी थी पर आज दर्जनों सिस्टर्स और हॉस्पिटल स्टाफ ने उसे बर्थडे विश किया था वह भी बहुत खूबसूरत अंदाज में और अक्षत चतुर्वेदी भी उसके सामने घुटनों पर बैठा हुआ था हाथ में डायमंड रिंग लिए।

सांझ के चेहरे पर आश्चर्य आ गया और आंखों में नमी उतर आई।

" सांझ..!" अक्षत की आवाज सांझ के कानों मे पड़ी तो सांझ मानो होश मे आई।

"तुमसे कुछ कहना चाहता हूं अगर तुम्हारी इजाजत हो तो?"अक्षत ने कहा ..!

सांझ ने कोई जवाब नहीं दिया बस एकटक उसे देखती रही।


"पहली बार जब तुम कॉलेज में आई थी और तुम्हारी सीनियर तुम्हारी रैगिंग ले रहे थे तब पहली बार तुम्हारी आवाज सुनी थी..!! तुम्हारा चेहरा नहीं देखा था और तुम्हारी वह आवाज मेरे दिल में अंदर तक उतर गई। और पहली बार दिल किया किसी लड़की को देखने का और मैंने पलट कर तुम्हारी तरफ देखा।" अक्षत बोला।

सांझ बस उसकी आँखों मे देखती रही।


"तुम्हारा यह सौम्य प्यारा सा चेहरा न जाने कैसे पहली नजर में ही मेरे दिल में उतर गया और तुमसे मुझे बेइंतहा मोहब्बत हो गई।" अक्षत ने कहा तो सांझ की आंखों में भरे आंसू।

अपनी अनकही मोहब्बत को यूँ मुकम्मल होते देख सांझ को यकीन ही नही हो रहा था।

आंसू निकल के उसके गालों पर आ गए और उसने जल्दी से अपनी हथेलियों से उन आंखों को साफ किया

"तुम्हें अपने दिल की बात तभी बताना चाहता था पर नहीं चाहता था कि तुम्हारी स्टडी डिस्टर्ब हो, इसलिए इतने सालों तक इंतजार किया था कि तुम जिस उद्देश्य को लेकर यहां आई हो वह पूरा कर सको ना कि मेरे साथ प्यार मोहब्बत में पड़कर अपना अपनी लाइफ गोल न भूल जाओ।

जानता हूं थोड़ी सी देर की है मैंने पर इतनी भी नहीं..!" अक्षत मुस्कराया तो सांझ भी भरी आँखों से मुस्करा दी।

"दो कारण थे इसके एक तो मैं खुद भी अपना एग्जाम क्लियर करना चाहता था ताकि खुद को तुम्हारे लायक बना सकूँ और दूसरा मैं चाहता था कि तुम भी अपनी पढ़ाई पूरी कर लो।"
अक्षत ने कहा तो सांझ के आंसू वापस से उसके गालों पर आ गए।


"तुम्हें आज के दिन रुलाने का मेरा कोई इरादा नहीं था बस आज के दिन को बहुत खूबसूरत बनाना चाहता था ताकि तुम कभी ना भूलो...!! ना ही अपना बर्थडे और ना ही यह मेरा प्रपोजल।"अक्षत ने कहा।।

सांझ का दिल धड़क उठा।

"कॉलेज छोड़ने के बाद भी रोज कॉलेज आता था मानसी को छोड़ने के बहाने ताकि तुम्हारी एक झलक देख सकूं क्योंकि तुम्हारी एक झलक मेरे जीने का सहारा थी। अगर कभी तुम्हें ना देख पाऊँ तो ऐसा लगता था कि अब जिंदा ही नहीं रहूँगा।" अक्षत ने कहा।


" नही चतुर्वेदी जी..! प्लीज...!!" सांझ के मुंह से निकला।


" चतुर्वेदी जी?" अक्षत आँखे छोटी कर बोला।

" सॉरी... !! ऐसे नही बोलते जज साहब..!" सांझ ने धीमे से कहा।

" जज साहब.... !यह चलेगा ।।" अक्षत बोला।

सांझ खामोश रही

"तो अभी मेरी बात पूरी नहीं हुई...! तुम्हारी एक झलक देखने के लिए रोज कॉलेज जाता था पर मजबूर था अपने दिल की बात नहीं कह पा रहा था। पर अब कोई मजबूरी नहीं है। तुम्हारी स्टडी पूरी हो चुकी है। तुम जॉब करने लगी हो। मेरा एग्जाम क्लियर हो गया है और मैं अब ट्रेनिंग पर चला जाऊंगा कुछ दिन बाद। बस जाने से पहले तुम्हें अपने दिल की बात बताना चाहता था ताकि तुम मेरा इंतजार करो और जैसे ही मैं वापस आऊंगा वैसे ही हम दोनों शादी कर सके।" अक्षत ने कहा तो सांझ की आँखे बड़ी हो गई।



"हां साँझ आज जो कुछ भी तुमसे कहा है उसका एक एक लफ्ज़ सच है, हर एक बात मेरी रूह से निकली हुई है वहीं यह सारी बातें सालों से मैंने अपने दिल में छुपा कर रखी थी...।

तुम्हारी सूरत के साथ अपने दिल में कई सारे सपने भी बसा कर रखे है मैंने।।

तुम्हें बहुत पहले से चाहता हूं मैं पर कहने के लिए बहुत लंबा इंतजार किया है मैंने ताकि तुम्हारी तरफ से मना ना हो और ना ही मेरी तरफ से कोई कमी रहे।

आज तुम्हारे सामने अपना दिल खोल दिया है मैंने सांझ। फाइनल डिसीजन तुम्हारा ही होगा तुम्हें किसी बात के लिए मजबूर नहीं करूंगा, पर ना जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है कि जो मेरे दिल का हाल है वही हाल तुम्हारे दिल का भी है।

जिस तरीके से मेरा दिल सालों से सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए धड़क रहा है ठीक उसी तरीके से तुम्हारी भी हर धड़कन में सिर्फ और सिर्फ अक्षत चतुर्वेदी का यही एहसास है और अगर यह बात सच है तो मेरे प्यार को कुबूल कर लो साँझ...!! और मेरी जिंदगी को खूबसूरत बना दो। तुम्हारे साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहता हूं।

हम दोनों की जिंदगी को खुशियों से भरना चाहता हूं क्योंकि खुशियों वही होती हैं जहां प्यार होता है और मैं सिर्फ तुम्हें प्यार नहीं करता बल्कि तुम्हारी बहुत इज्जत करता हूं। इन सालों में तुम्हें बहुत अच्छी तरीके से जाना है मैंने और मुझे समझ में आ गया है कि मेरी जिंदगी सिर्फ और सिर्फ तुम से शुरू होकर तुम पर खत्म है साँझ..!!

आई लव यू साँझ ...!!

"आई लव यू!"अक्षत ने अंगूठी आगे करके कहा और साँझ की तरफ उम्मीद से देखा।



साँझ को समझ नहीं आया कि वह क्या जवाब दें दिल उसका इतनी तेजी से धड़क रहा था कि धड़कन बाहर तक सुनाई दे रही थी। हाथ पैर उसके हल्के कांप रहे थे और आंखों में आंसू भर आए थे।
वह बहुत कुछ बोलना चाहती थी पर लब खामोश हो गए थे और आवाज नहीं निकल रही थी होंठ हिल रहे थे पर शब्द नही मिल रहे थे।


अक्षत ने कुछ पल इंतजार किया पर जब साँझ ने जवाब नहीं दिया तो अक्षत के चेहरे पर मायूसी आ गई।

उसे लगा कि शायद साँझ के दिल में उसके लिए कोई भी फीलिंग्स नहीं है।

" कोई बात नहीं साँझ यह सिर्फ मेरे मन की बात थी जो मैंने कह दी। अगर तुम्हारे दिल में ऐसा कुछ भी नहीं है तो मेरी तरफ से कोई प्रेशर नहीं है।
भूल जाना यह सब जो भी मैंने कहा..!" अक्षत बोला और उठ खड़ा हुआ।

सांझ का दिल किया उसे रोके पर उसके मुंह से आवाज नहीं निकली।

अक्षत पलट कर जाने लगा कि तभी साँझ मानो होश में आई और उसे समझ में आया कि उसने क्या किया।


उसने अक्षत के प्रपोजल का कोई जवाब नहीं दिया और उसे मायूस किया था और इस बात का अहसास होते ही साँझ ने जल्दी से अपनी आंखें पोंछी और अक्षत को आवाज लगाई।


" जज साहब...! साँझ बोली तो अक्षत ने पलटकर देखा और अगले ही पल साँझ एकदम से उसकी तरफ दौड़ पड़ी और उसके सीने से लग गई।

अक्षत को विश्वास ही नहीं हुआ था हुआ एक बार को की साँझ उसके इतने करीब है।

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव