unmarried mother in Hindi Women Focused by Saritashukla51 Shukla books and stories PDF | बिन ब्याही मां

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बिन ब्याही मां


अनिका तुम सुन रही हो ना? मेरी बात तुम माँ बनने वाली हो अनिका ?

अनिका तुम सुन रही हो ना? मेरी बात तुम माँ बनने वाली हो अनिका?

डॉक्टर की ये शब्द सुनते ही 18 साल की अनिका की कमजोर आँखें एकदम से चोरी हो गयी। वो समझ नहीं पा रही थी कि वो आखिर प्रेग्नेंट कैसे हो सकती है? अभी तो उसकी शादी को 24 घंटे पूरे नहीं हुए थे और ना तो किसी लड़के ने आज तक उसे छुआ था। ऐसे में अनिका प्रेग्नेंट कैसे हो सकती है?जितनी शॉक्ड अनिका थी उतने ही शॉक्ड उसके पापा भी थे जो वही डॉक्टर के कैबिन में खड़े मानो आने वाले तूफान को दी तभी डॉक्टर ने गौतम से कहा।देखिए, मिस्टर गौतम को ले रही है मैं समझ सकती हूँ की आप दोनों इस वक्त बहुत परेशान हो मगर आप लोग कोई भी फैसला ले उसके पहले मैं एक बात बता दूँ कि प्रेग्नन्सी चार महीने पार हो चुकी है सो अबॉर्शन। इस आउट ऑफ क्वेस्चन अनिका को लग रहा था कि हो ना हो डॉक्टर से जरूर कोई गलती हुई होगी। इसीलिए नर्स के सहारे खड़ी होते हुए।कमजोर अनिका ने थोड़ी ताकत जुटाकर डॉक्टर को डांट दिया। ये आप क्या कह रही है? यह नामुमकिन है। लेकिन डॉक्टर कुछ बोले उसके पहले ही गौतम गुस्से से तिलमिला कर अनिका के पास जाये और उसे ज़ोर से थप्पड़ मार दी।

इसका जवाब डॉक्टर को नहीं तुम्हें देना है बेशर्म।

अक्सर कार की पैक सीट पर बैठने वाले गौतम आज अनिका को पीछे बिठाकर खुद ड्राइवर के साथ वाली सीट पर बैठ गए थे।मानो ऐसा करके वो अनिका को अपनी नाराजगी जताते रहे हो। अनिका जानती थी कि एक बेटी होने के नाते आज उसने अपने पिता को दुनिया का सबसे बड़ा दुःख दिया था।1 दिन बिहाई माँ बनकर।इतना दुख होनी अनिका की माँ के गुज़रने पर भी नहीं हुआ होगा।लेकिन यह सब जानते हुए भी अनिका फिलहाल कुछ भी करने के लिए फिजिकली या मेंटली सक्षम नहीं थी।उसका शरीर कार की पैक सीट पर कमजोरी के साथ साथ शर्म से मानो जम गया था।मनाली भारत का बेहद खूबसूरत शहर है। यहाँ देश विदेश से आए टुरिस्ट इसके कारण शहर में रौनक लगी रहती है।मगर अनिका को ऐसा लग रहा था। मानव आज मनाली का हर इंसानों से सवालिया नजरों से बस एक ही सवाल पूछ रहा हूँ की कौन है इस बच्चे का बाप?लेकिन इसका जवाब दो अनिका के पास भी नहीं था।वो बस नाम से एक ही बात सोचे जा रही थी की जब आज तक उसे कभी किसी लड़की ने छुआ तक नहीं तो वो प्रेग्नेंट कैसे हो सकती थी?अनिका इसी उधेड़बुन में थीं।तभी उसकी कार उसके घर के बहुत ही बड़े लेकिन पुराने और जंग लगे की पेन्टर होती है।

गुलेरिया हाउस ब्रिटिश के जमाने का मकान था, कहा जाता था

यहाँ इंग्लैंड के अधिकारी वेकेशन मनाने आते थे। पुराने मगर शानदार एंटीक्स बड़ा गार्डन और बीच में फव्वारा।लेकिन अच्छे से मेंटेन ना करने की वजह से पिछले कुछ सालों से थोड़ा बंजर सा लगने लगा था।गौतम नें घर में एंटर होते ही अनिका की रिपोर्ट को गुस्से से सोफे पढ़ने का और अपने सर पे हाथ रख कर एक गुर्राते हुए शेर की तरह हॉल में इधर से उधर टहलने लगे।अनिका कमज़ोर शरीर और भारी कदमों से गौतम के पीछे पीछे घर में दाखिल हुए।आज अनिका को उसका शरीर रोज़ के मुकाबले कुछ ज्यादा ही भारी लग रहा था।वैसे अनिका का वजन उसकी उम्र की लड़कियों से कम से कम तीन गुना ज्यादा था। गोलमटोल से चेहरा, मोटा पेट और छुट्टी इतनी वज़नदार की अनिका की पूरी गर्दन छिप जाती 120 किलो की अनिका की तुलना अक्सर लोग अनाज की भरी हुई बोरी से करते लेकिन नानी का शरीर जितना मोटा था।उसकी शकल उतनी ही मासूम और क्यों थी चेहरे के दोनों तरफ एक एक रसगुल्ला लगाया हो वैसे नरम मुलायम सफेद गाल।ठंड की वजह से हमेशा लाल रहती है उसकी नाक और पूरे जहाँ की मासूमियत को समेटकर बनाई गई हो, वैसे उसकी दो आंखें। लेकिन आज तक किसी को उसका मासूम चेहरा नहीं देखा।देखा था तो बस उसका शरीर बेडौल और निराकार बिन माँ की बच्ची। अनिका को आज सबसे ज्यादा जरूरत थी तो उसके पापा के इमोशनल सपोर्ट की। इसलिए अनिका नाम आँखों से गौतम की तरफ बढ़ी ही थी कि तभी गौतम भारी पहाड़ी आवाज़ में उस पर गरज पड़ी।मुश्किल से एक मौका मिला था। हमें हमारी जिंदगी को थोड़ा बेहतर बनाने का नसीब वाली थी तो जो डोगरा खानदान के इकलौते वारिस कुणाल डोगरा से तुम्हारी शादी हुई थी।डू यू नो? कितने पॉवरफुल है वो लोग?मनाली का सबसे पावरफुल खानदान डोगरा आज हमारी सारी कर्ज, पेंटिंग, कोर्ट केस हमारी हर तकलीफ से हमें बाहर निकाला था उन लोगो ने, लेकिन शादी के 24 घंटे में ही तुमने हमारी जिंदगी वापस जा।बना दें।

उनको तुम्हारे इस कारनामे के बारे में पता चलेगा तो पता नहीं क्या होगा?

और तुम्हारी छोटी बहन कामिनी।उसके साथ कौन शादी करेगा?भले ही वो तुम्हारी सौतेली बहनों, लेकिन तुम्हारे इस कारनामे की वजह से उसकी भी तो बदनामी होगी।नहीं नहीं, जब तक ये मामला खत्म नहीं हो जाता तब तक मैं तुम्हारी छोटी बहन कामिनी को और तुम्हारी नई माँ मनीषा को उसके भाई के घर भेज दूंगा, लेकिन आज नहीं तो कल सबको पता चल ही जाएगा। ये बोलते हुए गौतम अपना सिर पकड़कर सोफे पर बैठ गए थे। अब उनकी आवाज़ में रोज़ सा कम ऑर्डर ज्यादा सुनाई दे रहा था।लेकिन गौतम के आंसू मानो करारे शब्द में बदलकर उसके मुँह से निकल रहे थे। तेरा पति कुणाल तो शादी करते ही 1 घंटे के अंदर ही शहर चला गया था। अब इस प्रेग्नेंसी के बारे में जब तेरे ससुराल वालों को पता चलेगा तो भगवान जाने वो लोग क्या करेंगे? समाज में इज्जत तो चलेगी मगर हम फिर से उसी दलदल में फंस जाएंगे जहाँ से निकाल कर लाए थे वो लोग हमें।काश तुम भी अपनी माँ के साथ ही।मनिका वो सुन चुकी थी, जो गौतम कहते कहते रुक गया था। अनिका को कड़वे शब्द सुनने की आदत तो थी ही, मगर आज सवाल उठा था उसके चरित्र पर उसकी पवित्रता पर आने का। इस चक्रव्यूह से जल्द से जल्द बाहर निकलना चाहती थी, मगर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे?वो सोच रही थी कि जो कुछ भी हो रहा है, अगर वो झूठ था तो फिर उसके पेट में सांस लेने को उत्सुक के सच क्या था?अगले दिन गौतम ने घर में लगे सारे सीसीटीवी कैमरे के पिछले पांच महीने की फुटेज मंगाई और बारीकी से देखने के बाद वो ये जानकर हैरान हो गया था

कि पिछले पांच महीनों से छोटी मोटी बिमारी के चलते अनिका घर के बाहर कहीं गयी नहीं थी।

ये देखकर गौतम का गुस्सा अब।आश्चर्य में बदल गया था। उसको इतना तो समझ में आ गया था कि कहीं कुछ तो गडबड थी लेकिन उससे कहीं ज्यादा उसे ये चिंता थी कि अब डोगरा खानदान क्या करेगा? जल्दी अनिका की देखभाल के लिए एक नर्स रखी गई। लगातार देखभाल और दवाइयों से अनिका की तबियत में सुधार आ रहा था।लेकिन साथ ही उसे ये बात रोमांचित कर रही थी कि उसके अंदर एक जीव सांस ले रहा था।अनिका की उम्र भले ही ***** हो मगर उसके अंदर की एक माँ जल्दी ही जन्म लेने को थी। उसकी जिंदगी में आखिरकार वो आने वाला था जो सिर्फ और सिर्फ उसका होगा।और चार महीने बीत चूके थे।अनिका अपनी प्रेगनेंसी में लगभग सब कुछ भूल चुकी थी। ना वो किसी से मिलती, ना कोई उससे मिलता सिर्फ वो अपने अंदर पनप रही उस नन्ही सी जान से बात करती रहती।ऐसे में एक तो नानी का पाइप से अपने घर के बाहर के गार्डन में पानी छिड़क रही थी, तभी अचानक उसने अपने पैरों के नीचे कुछ हलचल महसूस की। वो कुछ समझ पाती उसके पहले उसके घर के मेन गेट से एक स्पोर्ट्स बाइक अंदर आई।मशीन गन से जैसे गोलियां निकलती है, वैसे बाइक की आवाज सुनकर ऐसा लगा मानो बॉर्डर पर जंग शुरू हो गई हो। बाइक की आवाज सुनकर अनिका ने पानी का पाइप जोड़ दोनों हाथों से अपना पेट पकड़ लिया। जैसे अपने डरे हुए बच्ची को आंचल में छुपा रही हूँ।

बंगले की सीढ़ियों के पास रखी।लेदर शूज़, टाइट जीन्स, डार्क ब्लू टी शर्ट और चेहरे पर लगे पीले चश्मे के आरपार लड़के की केहरी लाल आंखें साफ दिखाई दे रही थी।

अनिका ने जैसे ही इस लड़के को देखा उसकी धड़कन मानो डर और टेंशन से तेज हो गई। ये लड़का और कोई नहीं बल्कि अनिका का पति कुणाल डोगरा था। 21 साल का कुणाल अपनी नज़र अनिका पर कड़ाई हुए। बड़े ही स्टाइल के साथ बाइक से उतरा और अनिका की तरफ धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा।अनिका और कुणाल दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे। कुणाल की शादी अनिका से भले ही उसकी मर्जी के खिलाफ़ करवाई गई थी, लेकिन अपनी बीवी की कोख में किसी और का बच्चा देखना कोई भी मदद शायद बर्दाश्त न कर पाये। कुणाल शादी के बाद मंडप से सीधा दिल्ली अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने चला गया था।और वही पहुँचकर शादी के दूसरे दिन उसे अनिका की प्रेग्नेंसी की खबर मिली थी। अनिका उस दिन से लगभग रोज़ सोचती कि जीस दिन उसका सामना कुणाल से होगा। उस दिन पता नहीं वो कैसे रिऐक्ट करेगा। आज जब कुणाल उसके सामने आ रहा था तब पता नहीं क्यों निर्दोष होने के बावजूद।डर और शर्म के मारे कनिका कोई एक अजीब सी बेचैनी महसूस होने लगी थी।अनिका तुरंत अपने पापा को फ़ोन लगा दे लेकिन उनका फ़ोन नहीं लग रहा था। कुणाल को अपनी ओर बढ़ता दे। अनिका की घबराहट इतनी बढ़ गई थी कि वो डर के मारे बड़बड़ाने लगी।वो पापा तो नहीं है घर पे? ऐसे में कुणाल अनिका के सामने आकर पैरों की नसें खड़ा था। वो अनिका को ऊपर से नीचे तक देख रहा था।सूजा हुआ चेहरा, आठ महीने की प्रेग्नेंसी वाला मोटा पेट गद्दी जैसे मोटे हाथ और पांव।प्रेग्नेंसी की वजह से आने का पहले से भी ज्यादा मोटी नजर आ रही थी। आने का को देखकर कुणाल ने अपने होंठों को दबाएँ।और एक गहरी सांस लेकर ज़ोर से जमीन पर थोपती।यह देखते हैं अनिका की कमजोरी मानो अचानक से वापस आ गई हो। वो ठीक से अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पा रही थी मानो जैसे उसे खुद का बोझ लग रहा।कुणाल गुस्से में घूरते हुए जैसे जैसे आगे बढ़ रहा था, वैसे वैसे आने का एक डरे सहमे मेमनी की तरह घबरा कर पीछे होती जा रही थी।ऐसा लग रहा था मानो कुणाल के नुकीले लेटर शूज़ किसी भी वक्त अनिका के नंगे मुलायम को कुचल देंगे। ये तभी मेन गेट से गौतम की कार अंदर आकर रुकी।गौतम कहाँ से उतरकर तेज कदमों से कुणाल के पास आया जैसे कोई सेक्रिटेरी अपने बॉस के पीछे भाग रहा हो हो? अनिका ने अपने पापा को ऐसा पहले कभी नहीं देखा था।गौतम कुणाल के पास आकर उसको कहता है और एक कुणाल बेटा आज अचानक से तुमने फ़ोन किया की तुम आ रहे हो, तुम्हारे कॉलेज में छुट्टियाँ शुरू हो गयी क्या?कुणाल लिए गुर्राकर कहा पूरे चार महीने बाद आया हूँ ऐसा बोलकर अपने दामाद को वेलकम करोगे आप?वैसे ही काफी कुछ बदल गया है यहाँ पे।

गुणा लिए अनिका के पेट की तरफ देखकर अपनी जेब से रंग की बोतल निकाली और मुँह से लगा ली।

बुआया तब से उसकी नजर अनिका के पेट पर ही जमी हुई थी। माहौल को थोड़ा ठीक करने के लिए गौतम ने कुदाल से कहा।आओ कुणाल बेटा अंदर चलकर बात करते।लेकिन गौतम की बात को अनसुना करते हुए और रम के घूंट लेते हुए कुणाल अनिका के पेट को घूरता रहा।गौतम को भी थोड़ा अजीब तो लग रहा था लेकिन कही ना कही वो कुणाल के मन की बात को भांप रहा था। इसलिए बड़ी ही सहजता से गौतम ने कुणाल से कहा।देखो कुणाल अगर तुम ये शादी तोड़ना चाहते हो तो मैं समझ सकता हूँ।ये सुनते ही कुणाल चिल्ला उठा।जो बात तुम समझ सकते हो वो बात, मेरी बूढ़े दादा जी नहीं समझ सकते थे। जबरदस्ती इस मोटी के साथ मेरी शादी करवा दी और अब दादाजी चाहते हैं कि इसके नाजायज बच्चे को भी मैं अपना नाम दूँ। एक तो इस मोटी को मेरे गले बाँध कर पता नहीं किस बात का बदला ले रहे हैं मुझसे और फिर अनिका की ओर देखते हुए कुणाल ने कहा।एक तो इसे देखता हूँ तो ऐसा लगता है जैसे मुझे किसी ऐसे गुनाह की सजा दी जा रही है जो मैंने किया ही ना।शादी के मंडप से तुरंत इसीलिए भाग गया था। हमें ताकि मुझे इस के साथ एक पल भी ना रहना पड़े। बोलते बोलते कुणाल की सांसें फूलने लगी थी जैसे की वो महीनों से अपने अंदर भरी हुई भड़ास निकाल रहा हो।अनिका और गौतम दोनों ही कुणाल की बात सुनकर ऐसा महसूस कर रहे थे जैसे अभी के अभी की धरती फट जाए और दोनों बाप बेटी उसके अंदर समा जाए।गुणा ल् का आक्रोश अपनी चरमसीमा पर था। अब भी कोई कसर बाकी रह गई हैं। बसें उसने अनिका की तरफ इशारा करते हुए आगे कहा।देखो इस बेशर्म लड़की को शादी के फेरे लेते वक्त पेट में किसी और का बच्चा लिए घूम रही थी और इतना होने के बाद भी आज मेरे सामने ऐसे बेशर्मों की तरह खड़ी है क्या लगा तुझे की मैं तेरे इस बच्चे को मेरा नाम दे दूंगा कुणाल डोगरा का नाम।पता नहीं किस गटर का कीड़ा?यह बोलते हुए वो गुस्से में आ ने कहा की तरफ आगे बढ़ता है मानो जैसे वो गुस्से में पता नहीं अनिका को क्या कर देगा। लेकिन तभी शराब की वजह से कुणाल के पैर लड़खड़ाए और वो अपना बालन खो बैठा लेकिन तुरंत गौतम ने आगे आकर कुणाल को पकड़कर संभाल लिया।अनिका कुणाल की बातें सुनकर जितना ज्यादा हर्ट थी, उतनी ही ज्यादा गुस्से में भी थी।वो भले ही अपने मोटापे की वजह से ऐसी सब बातें सुनने की आदी थी।मगर अभी उसे इस बात पर कुणाल से ज्यादा खुद पर गिना रही थी कि कोई उसके होने वाले बच्चे को गाली दे रहा था और वह मजबूर खड़ी सुन क्यों रही थी?बच्चे का ख्याल आते ही ना जाने कैसे अचानक अनिका के अंदर अजीब सी हिम्मत आ गई और बिना कुछ सोचे वो बोल पड़े।मैं इस शादी को नहीं मानती।ये सुनकर गौतम और कुणाल दोनों शौक थे। कुणाल सोच रहा था की कल की आई पिद्दी से लड़की में इतनी हिम्मत कहाँ से आ गई कि वह मेरे यानी कुणाल डोगरा के सामने ऐसे बोले? लेकिन इसके पहले की वो कुछ रिलैक्स कर पाता।

गौतम ने बात को सम्भालते हुए कुणाल से कहा की इस वक्त अनिका की तबियत ठीक नहीं है।

इसीलिए तुम उसकी बातों पर ध्यान बंदो और रहा सवाल बच्चे का तो उसके पैदा होते ही उसे अनिका से हमेशा के लिए अलग कर दिया जाएगा। मेरा यकीन करो।अपने पिता की यह बात सुनकर अनिका को ऐसा लगा जैसे किसी बड़ी से ट्रक ने उसे पीछे से टक्कर दे मारी हो और वो जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही हो। टेंशन में अनिका के सांसे फूलने लगी।और एक पल के लिए वो सांस लेना चूक गई। ठीक उसी पल में अचानक से अनिका के पेट में जोरों से दर्द शुरू हो गया। दर्द के मारे अनिका एक झटके से अपनी पीठ के बल गिरे और ओझल होती। आँखों से उसने देखा कि गौतम दौड़कर उसके पास आ रहा था। गौतम ने हड़बड़ी में फ़ोन करके एंबुलेंस को बुला लिया था।लेकिन ये सब देखने के बावजूद कुणाल वहीं खड़ा, बेशर्म और बेरहम बनकर रंग के कोट मार रहा था, मानो से किसी भी चीज़ से कोई फर्क नहीं पड़ रहा हो। शाम की मध्यम रौशनी के सामने धुंधली हो रही थी। उसे बस एक छोटी बच्ची की आवाज़ सुनाई दे रही थी। मम्मी?अम्मी, उठो मम्मी?देखते ही देखते आज 6 साल बीत चूके थे लेकिन आज भी वही आवाज़ अनिका के कानों में गूंज रही थी।मम्मी मम्मी उठो मम्मी प्लेन **** होने वाला है लाइट के बिज़नेस क्लास की आरामदायक सीट पे सोई अनिका की आंखें झटके से खुल।और सामने थी उसकी 6 साल की बेटी रिया।रियांका मासूम चेहरा और उसकी खूबसूरत कतई आंखें देखकर अनिका की जान में जान आई।उसका गुजरा हुआ कल कोई बुरे सपने से कम नहीं था।आज अनिका अपनी बेटी रिया के साथ बेंगलुरु से मनाली 6 साल बाद लौट रही थी।

जी यानी अपना गेमिंग टैबलेट। माँ के पर्स में रखते हुए बड़े प्यार से अनिका से पूछा।

मॉम, क्या आप मेरे डैड को ढूंढने मनाली जा रहे हैं? लेकिन अनिका ने बड़े ही सरल तरीके से उसे समझाया मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है? तुम्हारी कोई डैड नहीं है। इस पर रिया जवाब देते हुए कहते हैं, वो कॉमन मॉम स्कूल में हमे टीचर कहती है की हर बच्चे के माँ बाप होते हैं और मेरे गेमिंग वर्ल्ड के कैरेक्टर्स की तरह।मैं किसी दूसरी दुनिया से तो आई नहीं हूँ ना तो ओब्विअस्ली मेरे पापा भी तो होंगे ही। यहाँ किसी जादूगर ने मुझे अपनी हट में से बाहर निकाला। आबरा का डाबरा रिया बाहर आ जा। रिया की ये बात पर माँ बेटी दोनों ही ज़ोर से हँस पड़ी थी।अपनी हँसी पर काबू पाते हुए रिया ने दूसरा सवाल पूछा तो क्या हम यहाँ मेरे भाई को तोड़ने आए?रियांका ये सवाल सुनकर अनिका एक गहरी सोच में डूब।उसे याद आ गया कि कैसे 6 साल पहले अस्पताल में उसने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था और अनिका के पापा की कद काठी के एक आदमी ने उसके दोनों बच्चों को उससे छीनने की कोशिश की थी। कमजोर अनिका ने बड़ी हिम्मत से उस आदमी का सामना करके रिया को तो बचा लिया।मगर अफसोस कि वह अपने बेटे को नहीं बचा पाये और वो आदमी उसके बेटे को लेकर भागने गया था। इस हाथापाई में अनिका को चोट भी लगी थी। चोट इतनी गहरी थी कि उसका बचना लगभग नामुमकिन था और इसी वजह से अनिका की मौसी उसे अपने साथ बेंगलुरु ले आई थी जहाँ अनिका का इलाज हुआ था।हालांकि जय सालों में अनिका पूरी तरह से बदल चुकी थी और मोनल की वजह से बड़ा हुआ। उसका शरीर अब एकदम नॉर्मल हो चुका था। घने लंबे कमर तक के बाल कालीनों की ली आंखें गोरे गोरे गांव के परफेक्ट जॉलाइन गुलाब की पंखुड़ी जैसे नरम, हॉट और सुराही लंबी करते।की लाल साड़ी में अनिका की कमर ऐसी लग रही है कि मानो कोई नदी समंदर से मिलने के लिए करवट ले रहे हो, फ्लाइट अटेंडेंट हो या फ्लाइट के अन्य यात्री, सब लोग आते जाते। अनिका पर एक नजर जरूर डालते मासूमियत से सवाल कर रही रिया को ये नहीं पता था कि अनिका के मनाली लौटने का मुख्य कारण ये था।ये पिछले छह सालों में कुणाल के दादाजी किसी भी हालत में अनिका और कुणाल की शादी तोड़ने की मंजूरी नहीं दे रहे थे लेकिन 6 साल बाद आखिरकार कुणाल की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा और वो ये शादी तोड़ने के लिए राजी हो गए।मनाली वापस जाकर वोट डिवोर्स पेपर्स पर साइन करने के साथ साथ अपने खोए हुए बेटे को भी ढूंढना चाहती थी। थोड़ी देर में फ्लाइट ने **** किया।मनाली की जमीन पर कदम रखते ही ना जाने क्यों अनिका की बाईं आंख फड़कने लगी? उसे ऐसा लगा की आगे जरूर कुछ बुरा होने वाला था। वो ये सोचकर लगेज काउंटर की तरफ बढ़ ही रही थी कि तभी उसकी नजर पीछे की तरफ पड़ी जहाँ फ्लाइट के सभी यात्री मुस्कुराकर उसी को देखते हुए आगे बढ़े जा रहे थे।मानव सब उसकी खूबसूरती में गुम होकर उसके पीछे पीछे चले आ रहे हो।अनिका थोड़ी कॉन्शस होकर और रिया को सम्भालते हुए फटाफट आगे चलने लगी, लगेज काउंटर पर से जैसे ही अपना लगेज लेने के लिए जो की फटाक से तीन और लोग भागकर आए और उसका लगेज उठाकर अनिका को देने लगे, मानो सब इसी बहाने अनिका से बात करने की कोशिश करना चाहते हो। अनिका चुपचाप अपना लगेज।जॉली पर डालकर और रिया का हाथ पकड़कर एअरपोर्ट के बाहर की तरफ निकलने लगीं। तभी उसके फ़ोन पर उसके पापा गौतम का फ़ोन आया। अनिका के फ़ोन उठाते ही गौतम ने बिना कोई खैर खबर पूछे अनिका से कहा।कुणाल तो मैं लेने एअरपोर्ट आ रहा है उसके साथ सीधे घर आ जाना यहाँ तुम्हे तो पेपर साइन करने एक डिवोर्स पेपर्स और दूसरे वो।इतना कहकर गौतम अटक गया और फिर सोचकर आगे कहा की।घर तुम घर आओ, मैं तुम्हें सब बताता।

अनिका ने भी बिना कुछ कहे फ़ोन काट दिया जैसा कि गौतम ने कहा था कुणाल एअरपोर्ट के बाहर बड़ी ही बेसब्री से अनिका का वेट करते हुए खड़ा था।

छे? सालों में कुणाल भी काफी बदल चुका था। अब वो एक स्टूडेंट नहीं बल्कि एक बिज़नेस में था। डार्क ब्राउन कलर का कड़क सूट।कटे हुए और जल से सेट किये हुए बाल।और ट्रिम की हुई दाढ़ी में कुणाल की पर्सनैलिटी तो निखर रही थी, मगर उसके तेवर अब भी वही थे। रोड और ऐरो गन से भरपूर।वो तो कनिका का इंतजार भी सिर्फ इसलिए कर रहा था क्योंकि उसे जल्द से जल्द कनिका से मुक्ति चाहिए थी।कुणाल एक पैर जमीन पर तो दूसरा पैर रेलिंग पर टिकाया हुआ था जिससे वो कॉन्स्टेंट लीला रहा था।एक साइट टूर की तरफ देखते हुए कुणाल ने बड़ी ही बेसब्री से अपने ड्राइवर से कहा।आज तक इस दुनिया में किसी आदमी को डिवोर्स मिलने की इतनी ज्यादा खुशी नहीं हुई होगी। किसी भी कीमत पर आज ही उस मोटी से मैं डिवोर्स पेपर्स पर साइन करवा लूँगा।हवालदार ड्राइवर राजू ने बीड़ी फूंकते हुए कहा।आप फिक्र मत कीजिए, आज सुबह सुबह ही मैं माता के दर्शन करके निकला हूँ। मैंने भगवान से प्रार्थना की है कि आज आपके छे सालों पुरानी यह मनोकामना पूरी हो।आज आपके पेपर साइन हो ही जाएंगे।यह सुनकर कुणाल ने बड़े ही कटीले अंदाज में कहा।अब सिर्फ डिवोर्स नहीं चाहिए।अनिका की कंपनी भी तो चाहिए जो उसकी मरी हुई माँ उसके नाम कर के गयी थी।राजू जिसने अपने हाथ में अनिका के नाम का बोर्ड पकड़ा हुआ है वो उस बोर्ड को सीधा करते हुए कहता अरे वो फैक्टरी भी मिल जाएगी फिक्र नॉट तभी कुणाल के दिमाग में कुछ आता है और वो ड्राइवर से कहता है।अच्छा सुन उसको देखते ही हमेशा मेरा मूड ऑफ हो जाता है और आज इतने अच्छे दिन पर मैं अपना मूड खराब नहीं करना चाहता। इसलिए मैं उल्टा घूमके खड़ा हो जाता हूँ। ठीक है?तू ने भले ही उसे ना देखा हो लेकिन तेरे हाथ में उसके नाम का बोर्ड देखकर वो तेरे पास आ ही जाएगी।कुणाल आलस लेते हुए उल्टा घूमने वाला होता है की तभी अचानक उसकी नजर है। एअरपोर्ट के दरवाजे पर पड़ी और कुछ देखकर उसकी नज़र और कमर वहीं अटक गई। कुणाल ने एअरपोर्ट से बाहर आते हुए एक लड़की को देखा तो वो देखता ही रह गया मानो जैसे उसने आज से पहले किसी खूबसूरत लड़की को देखा ही ना हो।उस लड़की को देखकर कुणाल के मुँह से निकली जाता है कि यार इतनी खूबसूरत लड़की तुम बना ली में कभी दिखी नहीं। ड्राइवर राजू ने भी उसकी बाद में खामी भरी। कुणाल बिना वक्त गंवाए रेलिंग कूद कर उस लड़की की ओर दौड़ पड़ा और अचानक से वो उस लड़की के सामने आकर खड़ा हो गया।और उसका रास्ता रोक लिया।ये खूबसूरत लड़की और कोई नहीं बल्कि अनिका थी। कुणाल इस बात से बिल्कुल अंजान था। अचानक कुणाल को अपने सामने देखकर अनिका हैरान थी। उसे एक ही पल में वह सब कुछ याद आ गया जो वो हमेशा से भूलना चाहती थी।अनिका एक पल के लिए सहम गई और उसको लगा की कही पहले की तरह कुणाल फिर से उसकी इनसल्ट ना कर दें और इसीलिए अनिका सीधा कुणाल को थप्पड़ जड़ देना चाहती थी।मगर वो अपनी बेटी रिया के सामने कोई तमाशा नहीं करना चाहती थी और तभी अचानक कुणाल बोल पड़ा हैलो मिस गॉर्जियस आप मनाली में पहली बार आई लगती है क्योंकि अगर पहले आई होतीं तो ये तो पॉसिबल नहीं है कि अब तक आप मेरी नजरों से अननोटिस्ड रह दी। अनिका को पहले तो कुछ समझ में नहीं आया लेकिन।अगली पल समझ गई कि कुणाल उसे पहचान नहीं पाया था। अनिका ने रिया की तरफ देखा तो वो अपने टैब में वीडियो गेम खेलने में मस्त थी और क्योंकि उसने हेडफोन पहने थे उसे आसपास की कोई बात सुनाई नहीं दे रही थी। ये देखकर अनिका को राहत मिली। अनिका कुणाल की बात को अवॉर्ड करते हुए।कहाँ से साइट होकर टैक्सी को आवाज देने लगी टैक्सी टैक्सी अनिका नहीं चाहती थी कि कुणाल उसे पहचाने, लेकिन कुणाल भी हार मानने वालों में से थोड़ी था। गुणा लिए उसकी तरफ भाग कर फिर से उसका रास्ता रोक दिया।अरे अरे टैक्सी की क्या जरूरत है? मैं अपनी गाड़ी में आपको जहा जहा छोड़ देता हूँ ना और एक मिनिट, ये नन्ही गुड़िया कौन है? ये कहते हुए उसने रिया की तरफ इशारा किया और उसके गाल पर हाथ फिराया।लेकिन रिया जब टैप पर गेम खेल रही थी तब उसे कोई डिस्टर्ब करे, वो उससे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता।

इसीलिए टैप से बिना ऊपर देखे उसने अपना गाल चटक लिया।

ऐसा करने में रिया के कान से हेडफोन नीचे की तरफ लाइट हो करके उसके कंधे पर आ गए थे, लेकिन अभी भी उसका ध्यान वीडियो गेम खेलने में ही था। अनिका टैक्सी ढूंढने में बीज़ी हो गयी।लेकिन कुणाल पीछे पीछे आकर उससे एक नहीं तो दूसरे तरीके से बात करने की कोशिश करता रहा। ओह समझ गया ये आपकी छोटी बहन है ना, ये सुनकर रियाज ज़ोर ज़ोर से हँस पड़ी तो भी कुणाल को वापस गौतम का फ़ोन आया कुणाल ने जैसे ही फ़ोन उठाया, गौतम ने पूछा।क्या तुम्हें अनिका देखी? कुणाल ने बड़ा ही तीखा जवाब देते हुए कहा ना दिखने के लिए आपकी बेटी को ही सुई तो है नहीं, जब वो गेट से बाहर आएगी तो सिर्फ वो ही दिखेगी बल्कि उसके पीछे खड़े लोग भी दिखना बंद हो जाएंगे।फ़ोन काट देता है।कुणाल की बात सुनकर अनिका को अंदाजा हो गया था की वो पक्का उसी के बारे में बात कर रहा था। अनिका को कुणाल पर बहुत ही ज्यादा गुज़ारा था लेकिन उसे बस अब जल्दी से टैक्सी जाये थी। वह पूरे जोश और गुस्से के साथ ज़ोर से चिल्लाये टैक्सी।ये सुनकर कुणाल और ज्यादा इम्प्रेस हो गया था और बड़े ह